कावेरी नदी दक्षिणी भारत की प्रमुख नदियों में से एक है, जिसे दक्षिण की गंगा भी कहा जाता है।
कावेरी नदी का उद्गम स्थल –
इस नदी का उद्गम कर्नाटक के कुर्ग जिले की ब्रम्हगिरी पहाड़ियों से होता है। कावेरी नदी का प्रवाह कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी राज्यों से होते हुए बंगाल की खाड़ी में समाप्त होता है।
कावेरी नदी – जलवायु और प्रवाह:
कावेरी नदी वर्षभर जल प्राप्त करती है, जिससे यह प्रायद्वीपीय भारत की एक महत्वपूर्ण नदी बनती है। इसके संगम के कारण, कावेरी नदी क्षेत्र की कृषि, विशेषकर धान की फसल, के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
कावेरी नदी जल विवाद:
कावेरी नदी के पानी के उपयोग को लेकर कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी राज्यों के बीच विवाद चला आ रहा है। यह विवाद अक्सर जल बंटवारे, कृषि सिंचाई और जल संसाधनों के प्रबंधन को लेकर होता है।
कावेरी नदी के मुख्य स्थल और संरचनाएं:
- शिवसमुद्रम जलप्रपात: कर्नाटक में स्थित इस जलप्रपात पर 1901 और 1902 में भारत की पहली जलविद्युत परियोजना स्थापित की गई थी। शिवसमुद्रम जलप्रपात कावेरी नदी पर स्थित है और एक प्रमुख पर्यटन स्थल भी है।
- मेटूयर बांध: तमिलनाडु में कावेरी नदी पर निर्मित इस बांध से जलाशय के माध्यम से सिंचाई और बिजली उत्पादन की सुविधाएं प्राप्त होती हैं।
- थुंजावर डेल्टा: तमिलनाडु के थुंजावर क्षेत्र में कावेरी नदी द्वारा निर्मित डेल्टा को दक्षिणी भारत का चावल का कटोरा कहा जाता है। यहाँ की उर्वर मिट्टी धान की खेती के लिए आदर्श है।
कावेरी नदी की सहायक नदियाँ:
- काबिनी नदी: यह नदी तमिलनाडु में कावेरी नदी में मिलती है। कावेरी और काबिनी नदी के बीच मैसूर नगर स्थित है, जो क्षेत्र की जलवायु और कृषि पर प्रभाव डालता है।
- भवानी नदी: यह नदी भी तमिलनाडु में कावेरी नदी में मिलती है। भवानी नदी कावेरी नदी के जलग्रहण क्षेत्र में योगदान करती है और क्षेत्रीय जलवायु को प्रभावित करती है।
- हेमावती नदी: यह नदी तमिलनाडु में कावेरी नदी में मिलती है। हेमावती नदी भी कावेरी नदी के जलस्रोत में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
कावेरी नदी का महत्व न केवल इसके जलवृत्त के कारण है, बल्कि इसके ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व के कारण भी है। इस नदी के आसपास की हरित भूमि, कृषि संभावनाएँ और जल संसाधन दक्षिणी भारत की समृद्धि में योगदान करते हैं।
