भारत के राजनीतिक इतिहास में कांग्रेस के अधिवेशन का महत्व
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कॉंग्रेस) का अधिवेशन न केवल पार्टी के सदस्यों के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण घटना होती है। यह अधिवेशन न केवल पार्टी की नीतियों और दिशा को निर्धारित करता है, बल्कि यह देश की राजनीति और समाज पर भी गहरा प्रभाव डालता है। इस लेख में, हम कांग्रेस के हालिया अधिवेशन के प्रमुख पहलुओं, पारित प्रस्तावों, और उनके संभावित प्रभावों पर विचार करेंगे, जो आने वाले समय में देश की राजनीति को दिशा दे सकते हैं।
Contents
कॉंग्रेस का प्रथम अधिवेशन – 1885 कॉंग्रेस का द्वितीय अधिवेशन – 1886 कॉंग्रेस का तृतीय अधिवेशन – 1887 कॉंग्रेस का चतुर्थ अधिवेशन – 1888 कॉंग्रेस का पंचम अधिवेशन- 1889 कॉंग्रेस का छठा अधिवेशन – 1890 कॉंग्रेस का 12 वां अधिवेशन – 1896 कॉंग्रेस का छब्बीस वां अधिवेशन – 1911 कॉंग्रेस का अधिवेशन – 1905 कॉंग्रेस का अधिवेशन – 1906 कॉंग्रेस का अधिवेशन – 1907कॉंग्रेस का अधिवेशन – 1917 कॉंग्रेस का अधिवेशन – 1924 कॉंग्रेस का अधिवेशन – 1925 कॉंग्रेस का अधिवेशन – 1931 कॉंग्रेस का अधिवेशन – 1933 कॉंग्रेस का अधिवेशन – 1939 कॉंग्रेस का अधिवेशन – 1948
कॉंग्रेस का प्रथम अधिवेशन – 1885
- dec. 1885 में भारतीय राष्ट्रीय संघ की बैठक पुना में आयोजित करने का निर्णय लिया गया परन्तु पुना में प्लेग फैल जाने के कारण 28 dec. 1885 को बम्बई के गोकुलदास तेजपाल संस्कृत कोलेज में कांग्रेस का पहला अधिवेशन हुआ।
- दादा भाई नौरोजी के सुझाव पर INU नाम बदलकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कर दिया गया।
- इस सम्मेलन में 72 सदस्यों ने हिस्सा लिया। यहाँ अध्यदक्ष व्योमेश चन्द्र बनर्जी व सचिव AO ह्युम थे।
- इस सम्मेलन में सबसे ज्यादा सदस्य बम्बई प्रेसीडेंसी (38) से शामिल हुए।
- इस सम्मेलन में 9 प्रस्ताव के माध्यम से कांग्रेस ने अपनी मांगे सरकार के समक्ष प्रस्तुत की। जिनमें मुख्य थे
- शासन के कार्यों की जांच हेतु Royal Commission का गठन किया जाए।
- केन्द्रिय व प्रांतीय व्यवस्थापिका का विस्तार किया जावें। यहाँ मनोनीत सदस्यों के स्थान पर चुने गये सदस्यों की संख्या में वृद्धि की जाय
- ICS की परीक्षा इंग्लैण्ड व भारत दोनो स्थानो पर आयोजित की जावे और परीक्षा की आयु 19 वर्ष से बढाकर 23 वर्ष की जावे
- बर्मा को भारत से अलग किया जाये
- कांग्रेस का अगला अधिवेशन कलकता में आयोजित किया जायेगा।
कॉंग्रेस का द्वितीय अधिवेशन – 1886
- स्थान – कलकता
- अध्यक्ष – दादाभाई नौरोजी (०३ बार अध्यक्ष बने)
- सदस्य- 434
- इस समय भारत के वायसराय डफरीन ने कांग्रेस के सदस्यो को सामूहिक भोज पर बुलाया था।
कॉंग्रेस का तृतीय अधिवेशन – 1887
- स्थान – मद्रास
- अध्यक्ष – बदरुद्दीन तैयबजी
- सदस्य – 607
- इस अधिवेशन में आर्म्स एक्ट के खिलाफ प्रस्ताव पास किया गया।
कॉंग्रेस का चतुर्थ अधिवेशन – 1888
- स्थान – इलाहाबाद
- अध्यक्ष – जॉर्ज यूल
- सदस्य – 1248
- जोर्ज यूले ने यहाँ कहा था कि हम सबसे पहले भारतीय है उसके बाद हम हिन्दु, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई है
- इस समय इलाहाबाद का गवर्नर आक्लैण्ड कॉलविन था।
- कांग्रेस के चौथे अधिवेशन में पहली बार लाला लाजपत राय शामिल हुए और लालाजी ने यहाँ हिन्दी में भाषण दिया था
- 1889 में लन्दन में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ब्रिटिश कमेठी की स्थापना की गयी
- इस कमेठी के द्वारा कांग्रेस के प्रचार के लिए इण्डिया नामक पत्रिका का प्रकाशन किया।
कॉंग्रेस का पंचम अधिवेशन- 1889
- स्थान – बम्बई में
- अध्यक्षता – विलियम वेडरबर्न
- यहां चार्ल्स ब्रेडला भी उप० थे। इनके द्वारा ब्रिटिश संसद में 1890 में एक विधेयक प्रस्तुत किया गया जिसे ब्रिटिश सरकार के द्वारा अस्वीकार कर दिया और ब्रिटिश सरकार ने स्वयं एक विधेयक प्रस्तुत किया जो कि 1892 के इण्डियन काउंसिल एक्ट के नाम से जाना गया।
कॉंग्रेस का छठा अधिवेशन – 1890
- स्थान – कलकता में
- अध्यक्षता – फिरोजशाह मेहता
- यहाँ कलकता विश्वविधालय की पहली महिला स्नातक कादम्बिनी गांगूली ने कांग्रेस को सम्बोधित किया था।
कॉंग्रेस का 12 वां अधिवेशन – 1896
- 1896 में कांग्रेस का 12 वा अधिवेशन कलकता में रहीम तुल्ला सयानी की अध्यक्षता में आयोजित हुआ। यहाँ काग्रेस के मंच से पहली बार बंकिम चन्द चटर्जी द्वारा रचित वन्दे मातरम् का गायन हुया।
कॉंग्रेस का छब्बीस वां अधिवेशन – 1911
- वर्ष 1911 में कांग्रेस का 26 वा अधिवेशन विशन नारायण दर की अध्यक्षता में कलकता में आयोजित हुआ। यहाँ पहलीबार जन-गण- मन का गायन हुआ।
कॉंग्रेस का अधिवेशन – 1905
- स्थान – बनारस
- अध्यक्ष – गोपाल कृष्ण गोखले
कॉंग्रेस का अधिवेशन – 1906
- स्थान – कलकत्ता
- अध्यक्ष – दादा भाई नौरोजी
- यहां चार प्रस्ताव पारित किए (स)
- स्वराज
- स्वदेशी
- स्वशासन
- शिक्षा
कॉंग्रेस का अधिवेशन – 1907
- स्थान – सूरत
- अध्यक्ष – रास बिहारी बॉस
कॉंग्रेस का अधिवेशन – 1917
- स्थान – कोलकाता
- अध्यक्ष – एनी बिसेन्ट
- कांग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्ष
कॉंग्रेस का अधिवेशन – 1924
- स्थान – बेलगांव (कर्नाटक)
- अध्यक्ष – महात्मा गांधी
- गांधी जी ने अपने पुरे जीवनकाल में केवल एकबार 1924 में कर्नाटक के बेलगांव अधिवेशन की अध्यक्षता की थी।
कॉंग्रेस का अधिवेशन – 1925
- स्थान – कानपुर
- अध्यक्ष – सरोजनी नायडू
- कांग्रेस की प्रथम भारतीय महिला अध्यक्ष
- 1925 में कानपुर में सरोजिनी नायडू के द्वारा कांग्रेस की अध्यक्षता की गयी यहाँ हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में इस्तेमाल किया गया। कांग्रेस नेता हसरत मोहानी ने इस कानपुर अधिवेशन में पहली बार पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव रखा था जो कि पास नहीं हो पाया।
कॉंग्रेस का अधिवेशन – 1931
- स्थान – कराची
- अध्यक्ष – सरदार वल्लभ भाई पटेल
- वल्लभ भाई पटेल की अध्यक्षता में 1931 में कांग्रेस का कराची अधिवेशन हुआ और यहाँ मौलिक अधिकार सम्बन्धी प्रस्ताव पास किया गया इस अधिवेशन में गाधी ने कहा था “गाधी मर सकता है परन्तु गांधीवाद हमेशा जिंदा रहेगा
कॉंग्रेस का अधिवेशन – 1933
- स्थान – कलकता
- अध्यक्ष – नलसी सेन
कॉंग्रेस का अधिवेशन – 1939
- स्थान – त्रिपुरी (मध्यप्रदेश)
- अध्यक्ष – राजेन्द्र प्रसाद
- 1939 के अधिवेशन में महात्मा गांधी की ओर से अध्यक्ष पद के उम्मीदवार पट्टाभि सीतारमैया थे जिन्हें सुभाषचन्द्र बोस ने पराजित किया और सुभाषचन्द्र बोस अध्यक्ष चुने गये। गाधी के विरोध के कारण सुभाष चन्द्र बोस ने इस्तीफा दे दिया और डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया।
कॉंग्रेस का अधिवेशन – 1948
- स्थान – जयपुर
- अध्यक्ष – पट्टाभि सीतारमैया
- आजादी के बाद 1948 में कांग्रेस का पहला अधिवेशन जयपुर में आयोजित हुआ जिसकी अध्यक्षता पट्टाभि सीतारमैया के द्वारा की गयी थी।
