भारत में शीत ऋतु: एक समग्र दृष्टिकोण

शीत ऋतु की अवधि
भारत में शीत ऋतु मध्य दिसम्बर से फरवरी तक होती है। इस अवधि में आकाश साफ रहता है, तापमान और आर्द्रता में कमी होती है, और पवनें शिथिल तथा परिवर्तनशील रहती हैं। जनवरी महीने को भारत में सबसे ठंडा माना जाता है।
Contents
भारत में शीत ऋतु: एक समग्र दृष्टिकोणशीत ऋतु की अवधिसबसे ठंडा स्थानसूर्य की स्थिति और तापमानशीत ऋतु के प्रमुख लक्षणतापमान में बदलाव के कारणसमुद्र से दूरी (महाद्वीपीय जलवायु का प्रभाव)ठंडी साइबेरियाई पवनेंहिमालय क्षेत्र में हिम वृष्टिदक्षिण भारत में तापमान में वृद्धि के कारणभूमध्य रेखा से निकटतासमकारी प्रभाव (समुद्री जलवायु का प्रभाव)शीत ऋतु में वर्षापश्चिमी विक्षोभ (मावठ)शीतकालीन उतर पूर्वी मानसूनी वर्षा
सबसे ठंडा स्थान
भारत में सबसे ठंडा स्थान लेह-लद्दाख का ट्रांस क्षेत्र है।
सूर्य की स्थिति और तापमान
मध्य दिसम्बर से फरवरी तक सूर्य की स्थिति दक्षिणी गोलार्द्ध में होती है। 22 दिसम्बर को सूर्य मकर रेखा पर सीधा चमकता है, जिससे उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्यताप की प्राप्ति कम होती है और भारत में शीत ऋतु अनुभव की जाती है।
शीत ऋतु के प्रमुख लक्षण
- शीत ऋतु में दिन छोटे और रातें बड़ी होती हैं।
- 20℃ समताप रेखा शीत ऋतु में भारत के मध्य से गुजरती है, जो उत्तरी और दक्षिणी भारत को विभाजित करती है।
तापमान में बदलाव के कारण
समुद्र से दूरी (महाद्वीपीय जलवायु का प्रभाव)
- समताप रेखा के उत्तर में समुद्र से दूरी बढ़ने पर स्थलभाग जल्दी ठंडा होता है, जिससे तापमान में कमी होती है।
ठंडी साइबेरियाई पवनें
- साइबेरिया और तिब्बत के पठार से आने वाली ठंडी पवनें उत्तर भारत में तापमान को और कम कर देती हैं, जिससे शीत लहर चलती है।
हिमालय क्षेत्र में हिम वृष्टि
- हिमालय क्षेत्र में बर्फबारी या हिम वृष्टि भी तापमान में कमी का कारण बनती है।
दक्षिण भारत में तापमान में वृद्धि के कारण
भूमध्य रेखा से निकटता
- भूमध्य रेखा के निकट होने के कारण दक्षिण भारत में तापमान की कमी कम होती है।
समकारी प्रभाव (समुद्री जलवायु का प्रभाव)
- प्रायद्वीपीय / दक्षिणी भारत तीन ओर से समुद्र से घिरा होने के कारण समुद्री जलवायु का प्रभाव रहता है, जिससे तापमान में कमी नहीं होती है और समजलवायु पाई जाती है।
शीत ऋतु में वर्षा
पश्चिमी विक्षोभ (मावठ)
- शीत ऋतु में भूमध्यसागरीय पश्चिमी विक्षोभ से उत्तर पश्चिम भारत में चक्रवाती वर्षा होती है, जिसे स्थानीय भाषा में मावठ कहा जाता है। मावठ रबी फसल के लिए उपयोगी होती है और इसे सुनहरी बूंदें या गोल्डन ड्रॉप्स भी कहा जाता है।
शीतकालीन उतर पूर्वी मानसूनी वर्षा
- शीत ऋतु में उत्तर पूर्वी मानसूनी पवनें बंगाल की खाड़ी से आर्द्रता ग्रहण कर भारत के कोरोमंडल तट (तमिलनाडु) में वर्षा करती हैं। शीत ऋतु में चेन्नई में बाढ़ आने का प्रमुख कारण भी शीतकालीन उत्तर पूर्वी मानसून होता है।