- अनुच्छेद 171 में राज्यपाल विधानपरिषद में ⅙ सदस्यों को मनोनीत कर सकेगा जिनका संबंध साहित्य, विज्ञान, कला, सहकारिता, समाजसेवा जैसे क्षेत्रों से होगा।
NOTE - अनुच्छेद 333 के अंतर्गत राज्यपाल को एंग्लो इंडियन समुदाय के सदस्य को नियुक्त करने का भी अधिकार है
- अनुच्छेद 174 में राज्यपाल विधानमण्डल के सत्र को आहूत कर सकेगा तथा विधानमण्डल के दो सत्रों के मध्य 6 माह से अधिक का अंतराल नही होगा।
राज्यपाल के द्वारा उसका सत्रावसान किया जा सकेगा तथा विधानसभा को विघटित करने की शक्ति राज्यपाल में निहित है
- अनुच्छेद 200 के अंतर्गत राज्य विधानमण्डल द्वारा पारित समस्त विधेयक राज्यपाल की सहमति के लिए भेजे जाते है तथा राज्यपाल की अनुमति से ही विधेयक अधिनियम का रूप ग्रहण करता है
राज्यपाल के द्वारा विधेयक पर स्वीकृति प्रदान की जा सकती है, स्वीकृति देने से इनकार किया जा सकता है, विधेयक को एक बार राज्य विधानमण्डल के पास पुनर्विचार के लिए लौटाया जा सकता है परन्तु यदि विधानमण्डल पुनर्विचार के बाद पुनः विधेयक पारित कर देता है तो उस पर स्वीकृति देने के लिए राज्यपाल बाध्यकारी होगा।
यदि विधायक का संबंध उच्च न्यायालय की शक्तियों में कटौती से है तो राज्यपाल उसे राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित रखेगा। अन्य मामलों में राज्यपाल के विवेक के ऊपर निर्भर करेगा।
NOTE - यदि राज्यपाल द्वारा किसी भी विधेयक को राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित
रख दिया हो तो अनुच्छेद 201 के अंतर्गत राष्ट्रपति विधेयक पर स्वीकृति प्रदान कर सकेगा, स्वीकृति देने से इंकार कर सकेगा तथा विधेयक को राज्य विधानमण्डल के पास पुनर्विचार के लिए लौटा सकेगा।
राज्य विधानमण्डल 06 माह की अवधि में विधेयक पर पुनर्विचार कर उसे राष्ट्रपति के पास भेज सकेगी परन्तु इस संबंध में भारतीय संविधान मौन है कि विधेयक पर राष्ट्रपति की क्या प्रतिक्रिया होगा तथा कितनी अवधि में राष्ट्रपति विधेयक पर अपनी प्रतिक्रिया प्रदान करेगा
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