धर्म सुधार आंदोलन
धर्म सुधार आंदोलन टॉपिक विश्व इतिहास का एक प्रमुख टॉपिक है जो 1st grade एव अस्सिस्टेंट प्रोफेसर एग्जाम के लिए उपयोगी है
हमने धर्म सुधार आंदोलन को विभिन्न चरणों मे पुरा किया है जिसमे लगभग सारे पुराने प्रश्न कवर किये है
- पुनर्जागरण से पूर्व यूरोप में कैथोलिक ईसाई चर्च का वर्चस्व था
- कैथोलिक का अर्थ – विश्वव्यापी होता है
- कैथोलिक चर्च को ईसा मसीह द्वारा निर्मित एव दैव्य माना जाता था
- यूरोप में ईसा मसीह के राज्य को क्रिसेनडम भी कहा जाता है
- कैथोलिक धर्म मे सुधार की दृष्टी से जो आंदोलन हुआ उसके अनुसार तो हम इसे धर्म सुधार कह सकते है किंतु कैथोलिक धर्म से विद्रोह होकर जो प्रोटेस्टेंट धर्म बना उसके अनुसार तो इसे धार्मिक विद्रोह या क्रांति कहा जाना चाहिए
- मध्यकालीन यूरोप में ईसाई मनुष्य का जीवन पूरी तरह धर्म से नियंत्रित था एक इसाई मनुष्य जन्म से लेकर मृत्यु तक चर्च के साथ बंधा रहता था इसलिए मेजनिस एव एप्पल ने लिखा है कि मध्यकालीन यूरोप का अध्ययन करना है तो चर्च का अध्ययन कर लेना चाहिए
- धर्म सुधार आंदोलन के मुख्य कारण धार्मिक व राजनैतिक थे किंतु सामाजिक व आर्थिक कारणों ने भी इस आंदोलन को आगे बढ़ाया वेबर के अनुसार – धर्म सुधार आंदोलन आर्थिक पूंजीवाद का परिणाम था
- प्रारंभ में ईसाई धर्म को चलाने या नियंताओं का जीवन बहुत पवित्र था किंतु रोमन साम्राज्य के पतन के बाद पॉप पद की सांसारिकता व निरंकुशता बढ़ती गयी
- वार्नर एव मार्टिन के अनुसार – धर्म सुधार आंदोलन पॉप पद की सांसारिकता व भ्रष्टाचार के विरुद्ध विद्रोह था
- ईसाई मनुष्य के जीवन को नैतिक व आध्यात्मिक दृष्टि से उन्नत करने के अनुसार यह आंदोलन धार्मिक था किंतु पॉप पद की शक्ति को कमजोर करने की दृष्टि से यह आंदोलन राजनैतिक था
- जर्मनी में सर्वप्रथम धार्मिक विद्रोह होने का कारण यह था कि जर्मनी में मजबूत केन्द्रीय सत्ता का उदय नही हुआ एवं जर्मन लोग अच्छे कैथोलिक नही थे
- हर्नशा के अनुसार – धर्म सुधार आंदोलन जर्मनी की टयूटन जाति का रोमनों के विरुद्ध विद्रोह था
- डी जे हिल ने लिखा – यदि धर्म सुधार आंदोलन केवल धार्मिक होता तो यह आंदोलन अपने जीवनकाल में ही समाप्त हो जाता था इस आंदोलन को जिस कारण ने सफल बनाया था वह था राजनैतिक कारण
- कैथोलिक चर्च एक अनिवार्य संस्था थी प्रत्येक ईसाई मनुष्य को चर्च के साथ जन्म से ही जुड़ना जरूरी था
- धर्म सुधार आंदोलन जर्मनी से प्रारंभ हुआ जर्मनी में सर्वप्रथम टयूटन जाति ने यह विद्रोह किया
रोमन कैथोलिक चर्च के शक्तिशाली बनने के कारण –
1 चर्च को ईसा मसीह द्वारा निर्मित माना जाता है चर्च को दैवीय एव ईश्वर कृत माना जाता था
2 प्रत्येक ईसाई मनुष्य को चर्च द्वारा निर्धारित सैक्रामेंट (सप्त संस्कार) का पालन करना अनिवार्य था
सप्त संस्कार –
a नामकरण –
इस संस्कार में बच्चे के नामकरण के साथ साथ उसे पूर्व जन्म के पापो से भी मुक्ति दिलाई जाती है
b प्रमाणिकरण –
इस संस्कार में बालक को भावी जीवन के पापो को नष्ट करवाने का आश्वासन दिया जाता है
c पर्यायश्चिय
d पवित्र प्रसाद / युकारिस्ट –
इस संस्कार में ईसाई व्यक्ति को रोटी व शराब ईसा के जीवन के प्रतीक के रूप में दी जाती है
e दीक्षा / ऑर्डिनेंस –
यह संस्कार ईसाई धर्म मे गृह त्यागने वालो के लिए था
f विवाह
g अंतिम संस्कार
3 चर्च की आर्थिक समृद्धि
4 चर्च के विस्तृत राजनैतिक अधिकार
5 चर्च एक अनिवार्य संस्था थी
6 तलाक वसीयत व उतराधिकार से संबंधित मामलों में भी अंतिम निर्णय चर्च व पॉप का माना जाता है
- प्रारम्भ में चर्च के प्रमुख के लिए विशप शब्द काम मे लिया जाता था
- पॉप का पद आजीवन काल के लिए दिया जाता था पॉप का निवास रोम में स्थापित था पॉप वेनिडेक्ट 16 ने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया जो कि 600 वर्ष के इतिहास में पहली बार हुआ था
- प्रारम्भ में पॉप के निर्वाचन से संबंधित कोई स्पष्ट नियम नही थे सामन्त अपने में से किसी व्यक्ति को प्रमुख बना देते थे 1059 ई में पॉप निकोलस द्वितीय ने पॉप के निर्वाचन संबंधी नियम बनाये गए जिसमे कहा गया कि सामन्तो से पॉप के चुनाव का अधिकार छीन लिया और पादरियों का विशेष संगठन जिसे कार्डिनल कहा जाता है वह पॉप का चुनाव करेंगे
- 1073 ई में पॉप के अधिकारो के संबंध में पॉप ग्रेगरी अष्ठम ने डिक्टेटस नामक पुस्तक लिखी इस पुस्तक में कहा गया कि पृथ्वी पर 02 प्रकार की शक्तियां है किंगली पॉवर (राजा) को चन्द्रमा एवं पेपल पॉवर (चर्च) को सूर्य बताया गया
- 14 वी एव 15 वी शताब्दी में धर्म सुधार आंदोलन प्रारंभ हो गया किन्तु इस आंदोलन को सफलता 16 वी शताब्दी में मिली
- 16 वी शताब्दी से पूर्व भी धर्म सुधार के लिए कई आंदोलन हुए थे जिन्हें कौंसल आंदोलन कहा जाता है जैसे पिसा, कंसटटाइन एव बैसल नामक स्थानो पर धर्मसभाए आयोजित की गई
- पॉप के नीचे का धार्मिक अधिकारी आर्क विशप तथा आर्क विशप के निचे का अधिकारी विशप कहलाता है और सबसे नीचे का अधिकारी पादरी के नाम से जाना जाता था
- भारत में ईसाइयो का प्रमुख आर्क विशप दिल्ली में जबकि राजस्थान में 03 स्थानो पर विशप की नियुक्ति की जाती है (अजमेर, जयपुर, उदयपुर)
पॉप के अधिकार या शक्तिया –
- राजा पॉप के प्रति उत्तरदायी होगा
- सभी ईसाइ राज्यो में पॉप को कानून बनाने व उसे रद्द करने का अधिकार होगा
- राज्य की आय का एक निश्चित भाग पॉप के लिए निर्धारित होगा
- विवाह, तलाक, उतराधिकारी, संपत्ति आदि के विवाद का निर्णय पॉप के द्वारा किया जाएगा
- धर्म अधिकारियों की नियुक्ति पॉप के द्वारा की जाएगी
- पॉप के न्याय को किसी भी न्यायालय में चुनोती नही दी जाएगी
- पॉप चर्च द्वारा निर्धारित 7 संस्कारों को पूरा करवाएगा ओर प्रत्येक ईसाई को यह संस्कार करवाना अनिवार्य होगा
a नामकरण –
इस संस्कार में बच्चे के नामकरण के साथ साथ उसे पूर्व जन्म के पापो से भी मुक्ति दिलाई जाती है
b प्रमाणिकरण –
इस संस्कार में बालक को भावी जीवन के पापो को नष्ट करवाने का आश्वासन दिया जाता है
c पर्यायश्चिय
d पवित्र प्रसाद / युकारिस्ट –
इस संस्कार में ईसाई व्यक्ति को रोटी व शराब ईसा के जीवन के प्रतीक के रूप में दी जाती है
e दीक्षा / ऑर्डिनेंस –
यह संस्कार ईसाई धर्म मे गृह त्यागने वालो के लिए था
f विवाह
g अंतिम संस्कार
धर्मसुधार आंदोलन के कारण –
1 राष्ट्रीय राज्यो का उदय
2 पुनर्जागरण
3 मानवतावाद का विकास
4 धर्म निरपेक्ष शिक्षा का प्रसार
5 वैज्ञानिक प्रगति
6 आर्थिक क्षेत्र में परिवर्तन
- यूरोप में सामंतवादी व्यवस्था एवं श्रेणी व्यवस्था के विघटन के कारण किसानों व मजदूरों को स्वतंत्रता मिली | पूंजीपतियों ने इनकी सहायता से अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाया
- चर्च ब्याज पर धन लेना व देना गलत मानता था इसका पूंजीपतियों ने विरोध किया
7 चर्च संगठन में दोष
- सिमोनी – इसका तात्पर्य पदों व सेवाओं की बिक्री करना
- नेपोटिस्म – इस व्यवस्था के तहत चर्च लाभकारी पदों का बंटवारा अपने सम्बन्धियो के बीच करता था
- प्लुरेलिज्म – एक पादरी के द्वारा एक से ज्यादा पद अपने पास रखना
- पॉप लियो दसम (1513-1521) के समय ईसाई धर्म एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में परिवर्तित हो गया
- NOTE – प्रोटेस्टेंट इसाई धर्म का उदय हुआ उस समय पॉप क्लीमेंट सप्तम था
- 1309-1377 के मध्य पॉप रोम के स्थान पर फ्रांस के नगर एवीग्नोन में निवास करता था 1378 से 1417 के मध्य रोम व एवीग्नोन में अलग अलग पॉप बैठे थे मार्टिन सप्तम के पॉप बनने पर 02 पॉप वाली व्यवस्था समाप्त हुई
8 राजनीतिक कारण –
- यूरोप में राजाओ की शक्ति बढ़ने के कारण वे लोग रोमन कैथोलिक चर्च के वर्चस्व को स्वीकार करने को तैयार नही थे
9 दो पॉप का होना
- पॉप लियो दशम के काल मे ईसाई धर्म मे चर्च के द्वारा धन एकत्रित करने का कार्य शुरू किया ओर धार्मिक मूर्तियों को बेचने का काम शुरू हुआ वर्ष 1309 से 1377 तक फ्रांस का शहर एविग्नॉन पॉप का निवास स्थान बन गया इसके बाद 1417 तक 02 व्यक्ति स्वयं पॉप कहने लगे एक तो एविग्नॉन का पॉप ओर दूसरा रोम का पॉप
- दो पॉप होने से पॉप की प्रतिष्ठा में कमी हुई
- मार्टिन सप्तम के पॉप बनने के बाद 02 पॉप की व्यवस्था समाप्त हुई
10 तत्कालीक कारण
- इंडलजेनसेस या पाप मोचन पत्रों की बिक्री – वास्तव में पाप मोचन पत्र न तो पापो से मुक्ति दिलाते एव ना ही भविष्य के पापो से | इसमे कहा गया कि इन्हें खरीदने से व्यक्ति की अतृप्त आत्मा को तृप्ती / संतुष्टि मिलेगी
मार्टिन लूथर से पूर्व के धर्म सुधारक
A जॉन वाइक्लिफ (1320 – 1384)
- यह हॉलेंड के निवासी थे
- यह ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय का प्राध्यापक था
- इंहोने सर्वप्रथम पॉप की शक्ति को चुनौती देने का कार्य किया
- वाइक्लिफ ने बाइबिल का अंग्रेजी भाषा मे अनुवाद किया
- वाइक्लिफ के अनुनायी लोलार्डस के नाम से जाने गए
- डेविड ने वाइक्लिफ को मोर्निंग स्टार ऑफ रिफॉर्मेशन भी कहा जाता है
- वाइक्लिफ ने चर्च व पॉप की दिव्यता को मानने से इंकार किया एव कहा कि कोई भी ईसाई व्यक्ति बाइबिल के अध्ययन से मुक्ति प्राप्त कर सकता है
B जॉन हस (1364-1415)
- यह बोहमिया(चेक) का निवासी था
- एव प्राग विश्व विद्यालय में प्रोफेसर था
- यह वाइक्लिफ का शिष्य था
- इसे चर्च की निंदा करने के आरोप में जिंदा जला दिया
- फ्लोरेंस के सेवेनारोला को भी जिंदा जलाया गया
C सेवेनारोला (1452-1498)
- यह फ्लोरेंस के निवासी थे
- इन्होंने पॉप एलेक्सजेंडर 6 की निंदा की थी इसलिए इन्हें चर्च ने जिंदा जलाने के आदेश दिए
D इरेस्म्स (1466-1536)
- इसकी पुस्तक धर्म सुधार आंदोलन का प्रमुख कारण बनी
- इन्होंने इन द प्रेज ऑफ होली (मूर्खता की प्रशंसा पुस्तक) में तत्कालीन अंधविश्वासों पर टिप्पणी की
- इतिहासकारों के अनुसार मार्टिन लूथर से ज्यादा इनके व्यंग्य से चर्च को हानि हुई
- मार्टिन लूथर ने इरेस्म्स को हमारे अलंकरण एव आशा कहा
NOTE – हट्टन द्वारा लिखित पुस्तक लैटर्स ऑन ऑस्क्यूमेन को भी धर्म सुधार आंदोलन का कारण माना जाता है
मार्टिन लूथर (1483-1546)

- लूथर का जन्म – जर्मनी के सैक्सनी प्रान्त के आइसबर्ग नामक स्थान के क्षेत्र में हुआ
- इसकी उच्च शिक्षा इरफर्ट विश्व विद्यालय से हुई
- लूथर ने प्रारंभ में पिता की इच्छा पर इरफर्ट विश्व विद्यालय से कानून की शिक्षा प्राप्त की किंतु इसे बीच मे ही छोड़कर उसने थियोलॉजी या ईश्वर विज्ञान का अध्ययन प्रारंभ किया
- 1508 में लूथर जर्मनी के विटेनबर्ग विश्वविद्यालय में धर्म शास्त्र के प्रोफेसर के पद पर नियुक्त हुए
- 1511 में इन्होंने रोम की यात्रा की एव यहाँ से लौटने के बाद इन्होने बाइबिल का अध्ययन किया व प्लेटो व अरस्तु के दर्शन का भी इनके द्वारा अध्ययन किया गया
- पॉप लियो दसम के द्वारा सेंट पीटर चर्च के निर्माण के लिए 1513 में क्षमा मोचन पत्र की बिक्री शुरू करने का निर्णय लिया
- 1517 में जर्मनी में आर्क विशप अल्बर्ट को जर्मनी में क्षमा मोचन पत्र बेचने का कार्य दीया अल्बर्ट ने पादरी टेन्टजेल को यह कार्य सौंपा
- टेन्टजेल ने 1517 में विटेनबर्ग पहुंचकर लुथर से इस कार्य के लिए सहयोग मांगा
- 31 ऑक्टोम्बर 1517 को मार्टिन लूथर ने इसका विरोध करते हुए अपने 95 पॉइंटस जिसे written statement of belief कहा गया के द्वारा पापमोचन पत्रों की बिक्री का विरोध किया गया
- लूथर ने विटेनबर्ग के केंसल गिरजाघर के बाहर इन 95 पॉइंट्स को चिपकाया प्रारंभ में यह लैटिन भाषा मे लिखे गए थे बाद में इनका जर्मन भाषा मे अनुवाद किया गया
- यह 95 सिद्धांत लैटिन भाषा मे थे इन्हे आस्था के लिखित वक्तव्य के नाम से भी जाना गया इस 95 सिद्धान्तों का जर्मन भाषा मे अनुवाद कराकर बड़े पैमाने पर इसका प्रचार किया गया और इस सिद्धांत के माध्यम से कैथोलिक धर्म मे सुधार करने की मांग की गई
- लूथर ने मुक्ति प्राप्त करने के लिए ईश्वर के प्रति बाहय सत्कर्मो के स्थान पर ईश्वर के प्रति आन्तरिक श्रद्धा एव निजी विश्वास को आवश्यक बताया है इसी को जस्टिफिकेशन ऑफ फैथ कहा गया
- लूथर को जर्मन गद्य का जनक भी कहा जाता है इसने माइटी फोर्टरेस इज ओवर गॉड नामक जर्मन गीत की रचना करी इसे जर्मनी का राष्ट्रीय गीत या मारसाइज (फ्रांस का राष्ट्रीय गीत) कहा गया
लूथर के ग्रन्थ
1 एन एड्रस टू द नॉबिलिटी ऑफ जर्मन नेशन
2 बेबिलोनियाइ केप्टीवीटी ऑफ द चर्च
3 फ्रीडम ऑफ क्रिश्चियन मैन
4 ऑन मोनास्टिक वोज
- इस ग्रंथ में लूथर ने सन्यासी जीवन को निर्थक बताया
5 सेप्टेंबर टेस्टामेंट
- बाइबिल का जर्मन भाषा मे अनुवाद किया
- 1519 में लूथर ने लिपजिंग के वाद विवाद में मनुष्य एव ईश्वर के मध्य पॉप की सत्ता को निरथर्क बताया
- 10 दिसम्बर 1520 को पॉप ने लुथर को धर्म से निष्कासित करने का आदेश (डिसेट रोमनम पोटिफिसेम) जारी किया जिसे पेपर बुल कहा जाता है हालांकि इसे पहले पॉप ने लुथर को 60 दिन का समय थिसिस हटाने के लिए दिया था
- लुथर ने पेपर बुल को विटेनबर्ग विश्वविद्यालय में अपने छात्रों के समक्ष जला दिया
- जब लुथर को धर्म से निष्कासित करने के आदेश दिए तब उसको सैक्सनी के शासक फ्रेडरिक ने वांटबर्ग के दुर्ग में शरण दी थी यही पर लूथर ने बाइबिल का जर्मन भाषा मे अनुवाद किया था
वर्म्स की सभा (1521)
- पॉप की सत्ता को बचाने के लिए रोमन सम्राट चार्ल्स पंचम ने 1521 में वर्म्स नामक स्थान पर सभा बुलाई जिसमे लुथर को अपने विचार वापस लेने को कहा गया किंतु लुथर ने इंकार कर दिया
- 1526 में धार्मिक विवाद को हल करने के लिए स्पीयर नामक स्थान पर सभा बुलायी किंतु कोई हल नही निकला
- सैक्सनी प्रान्त का शासक फ्रेडरिक जो लुथर का मित्र था फ्रेडरिक ने लुथर को वांतबर्ग के किले में शरण दी और इसी किले में रहते हुए लुथर ने बाईबिल का जर्मन भाषा मे अनुवाद किया जिसे सेप्टेंबर टेस्टामेंट कहते है
- 1529 को स्पीयर में दूसरी सभा बुलाई जिसमे लूथर के सिद्धांतों को अमान्य करार दिया गया जिसका लुथर समर्थको ने विरोध (प्रोटेस्ट) किया यही से प्रोटेस्टेंड शब्द का जन्म हो जाता है
- 19 अप्रैल1529 से प्रोटेस्टेंट ईसाई धर्म का उदय माना जाता है
- 1530 में लूथर के शिष्य मेलाकन्थन द्वारा रचित संशोधित सिद्धांत के स्वरूप के आधार पर प्रोटेस्टेंट ईसाई धर्म को एक सैद्धान्तिक आधार दिया गया मेलाकन्थन ने लोसाई कम्यून नामक पुस्तक लिखी इस पुस्तक में कई शताब्दियों के बाद बाइबिल के आधार पर ईसाई धर्म की व्याख्या की गई
आग्सबर्ग की स्वीकृति – 1530
- रोमन सम्राट चार्ल्स पंचम जो पॉप पद की रक्षा कर रहा था उसने 1530 में लुथर के समर्थकों को अपने सिद्धांत एक दस्तावेज के रूप में रखने को कहा गया जिसे आग्सबर्ग की स्वीकृति के नाम से जाना जाता है किंतु चार्ल्स पंचम ने इसे मानने से इंकार कर दिया
स्मालकोडेन लीग – 1531
- लुथर समर्थकोँ ने चार्ल्स पंचम के डर से एव अपने बचाव के लिए इस लीग का गठन किया
न्यूरेमबर्ग की संधि (1532)
- रोमन सम्राट चार्ल्स पंचम ने अपनी आंतरिक परेशानियों के कारण लुथर समर्थको के साथ यह संधि करी इसके कारण 1532 से 1546 तक के मध्य यूरोप में शान्ति बनी रही
स्मालकोडेन का युद्ध (1546-55)
- यह युद्ध लुथर समर्थको एव चार्ल्स पंचम की सेनाओं के मध्य हुआ
- 1555 में चार्ल्स पंचम के उत्तराधिकारी फर्डिनेंड ने लुथर समर्थको के साथ ऑक्सबर्ग कि संधि कर ली जिससे यह युद्ध समाप्त हो गए
आग्सबर्ग की संधि / समझौता – 1555
- रोमन शासक चार्ल्स पंचम ने अपने भाई फर्डिनेंड को आग्सबर्ग समझौते के लिए नियुक्त किया
- यह प्रोटेस्टेंड व फर्डिनेंड के मध्य आग्सबर्ग संधि हुई जिसके मुख्य बिंदु थे
- प्रोटेस्टे धर्म को स्वतंत्र धर्म के रूप में मान्यता प्रदान की
- चर्च की संपत्ति चर्च के पास ही रहेगी लेकिन चर्च को ओर संपत्ति अधिकृत करने का अधिकार नहीं रहेगा
- राजा का धर्म ही राज्य का धर्म रहेगा
- इस संधि ने धार्मिक विवाद को पूरी तरह नही सुलझाया इसमे कहा गया कि प्रत्येक ईसाई देश का राजा अपनी जनता के धर्म का निर्धारण करेगा (सुजस रेगियो एजुस रिलीजियो – जैसा राजा वैसी प्रजा )
- हालांकि इस संधि के बाद भी प्रत्येक ईसाई व्यक्ति को अपना धर्म चुनने का अधिकार प्राप्त नही हुआ
- प्रोटेस्टेंड के कारण यूरोप के अन्य देशों में भी नयी विचारधाराए आई जिनमे प्रमुख थे
- यूरोप के अलग अलग देशो में प्रोटेस्टेंट ईसाई धर्म अलग अलग रूपो में नजर आया जैसे
जर्मनी में लुथरवाद
इंग्लैंड में एंग्लिकनवाद
स्विट्जरलैंड व फ्रांस में कोल्विंनवाद के नाम से जाना गया
प्रेसबिटोरियन
- फ्रांस के धर्म सुधारक कॉल्विन ने प्रौढ़ लोगो (प्रेसबिटोरियन) को ज्यादा महत्व दिया इस कारण एक सम्प्रदाय का नाम ही प्रेसबिटोरियन पड़ गया
प्यूरिटीन
- कॉल्विन के वे अनुनायी जो धर्म व आचरण की पवित्रता पर ज्यादा जोर देते थे उन्हें प्यूरिटीन कहा गया
कॉल्विनवाद
हल्ड्रिक ज्विंग्लि
- इसका समय 1484 से 1531 था
- यह स्विट्जरलैंड का था
- यहाँ ज्विंग्लि ने मार्टिन लूथर के विचारों का प्रचार किया हालांकि ज्विंग्लि के विचार लुथर से उग्र थे
- इसे कॉल्विन वाद का प्रेणता भी कहते है
- 1521 में ज्विंग्लि ज्यूरिख में पादरी के रूप में नियुक्त हुआ था
- 1523 में ज्विंग्लि के द्वारा ज्यूरिख में एक धर्म सभा का आयोजन किया यहाँ ज्विंग्लि ने कैथोलिक धर्म का विरोध करते हुए अपने 67 पॉइन्ट के द्वारा कैथोलिक ईसाई धर्म का विरोध किया
- 1525 में ज्विंग्लि ने कैथोलिक चर्च से नाता तोड़कर रिफॉर्मड चर्च की स्थापना करी
- 1531 में ज्विंग्लि धर्म युद्धों में लड़ता हुआ मारा गया
- कोपेल की संधि (1531) के द्वारा स्विट्जरलैंड प्रोटेस्टेंट एव कैथोलिक धर्म मे विभाजित हो गया
- मारबर्ग कोलोक्यु – मार्टिन लुथर व ज्विंग्लि के बीच एक बहस थी
जॉन कॉल्विन (1504-64)
- प्रोटेस्टेंट ईसाई धर्म का रूप कोल्विंवाद स्विट्जरलैंड व फ्रांस के अलावा नीदरलैंड, पोलेण्ड, हंगरी व जर्मनी में फैला था
- जॉन कॉल्विन फ्रांस का था इसे राजा फ्रांसिस प्रथम ने फ्रांस से निर्वासित कर दिया तो यह स्विट्जरलैंड चला गया
- ज्विंग्लि के विचारों को सशक्त रूप से जॉन कॉल्विन ने फैलाया था इसके नेतृत्व में प्रोटेस्टेंट ईसाई धर्म ने उग्र रूप धारण कर लिया
- कॉल्विन ने इंस्टिट्यूट ऑफ क्रिश्चियन रिलीजन नामक पुस्तक लिखी
- कॉल्विन ने डॉक्ट्रिन ऑफ प्रेडिस्टेशन (पूर्व नियति का सिद्धांत) दीया
- 1536 में कॉल्विन ने जेनोवा नगर को संगठित किया
- फिशर के अनुसार जेनोवा धार्मिक स्पार्टा था जहाँ की पूरी व्यवस्था कॉल्विन के आदेशों पर चलती थी
- हेज के अनुसार – जेनोवा एक धर्म केंद्रित राज्य था जहाँ का धार्मिक व राजनैतिक नियंता कॉल्विन था
- कॉल्विन को प्रोटेस्टेंट पॉप भी कहते है
- कॉल्विन के अनुनायी हयुगोनोट के नाम से जाने जाते थे
- कॉल्विन के बाद फ़्रांस में कैथोलिकों एव प्रोटेस्टेडो के मध्य संघर्ष प्रारंभ हो गया
- 1562 से 1588 के मध्य फ्रांस में 8 धार्मिक युद्ध लड़े गए
- 1598 में फ्रांस के राजा हेनरी चतुर्थ ने नान्त का अध्यादेश जारी किया जिसके द्वारा कोल्विंवादियो को भी धार्मिक स्वतन्त्रता दी गयी
- इलेक्ट – इससे तात्पर्य है ऐसे व्यक्ति जो नियति में विश्वास करते थे कॉल्विन ने इलेक्ट शब्द का प्रयोग किया था
- हिप्पो एगस्तीन – मार्टिन लूथर ओर कॉल्विन दोनो ही एगस्तीन से प्रभावित थे लुथर व कॉल्विन दोनो ही पॉप की विलासिता को उजागर किया और ईश्वर में विश्वास का मार्ग बताया
जॉन नॉक्स
- इसने स्कोटलैंड में कॉल्विन के विचारों का प्रचार किया
- स्कोटलैंड में जॉन नॉक्स के अनुनायी प्रेसबाईटेरियस के नाम से जाने गए
- 1556 में स्कोटलैंड में धार्मिक स्वतंत्रता की प्राप्ति हुई
एंग्लिकनवाद
हेनरी अष्ठम 1509-1547
एड्वर्ड अष्ठम 1547 – 1553
मेरी ट्यूटर 1553 – 1558
एलिजाबेथ 1558 – 1603
हेनरी अष्टम
- इंग्लैंड में धर्म सुधार आंदोलन धार्मिक कारणों की अपेक्षा व्यक्तिगत व राजनीतिक कारणों की वजह से हुआ
- हेनरी अष्टम ने पॉप से धर्म रक्षक की उपाधि प्राप्त करी थी एव सप्त संस्कारों के पक्ष में पुस्तक भी लिखी थी
- हेनरी ने व्यक्तिगत कारणों की वजह से रोमन कैथोलिक चर्च से नाता तोड़ लिया एव इंग्लैंड के स्वतंत्र चर्च की स्थापना करी
- हेनरी ने क्रेनबेरी को इंग्लैंड के चर्च का प्रधान बनाया
- NOTE – 1679 में गिल्बर्ट बर्नेट के द्वारा HISTORY OF REFORMATION नाम से पुस्तक लिखी जिसके मुख पृष्ट पर हेनरी एव क्रेनबेरी का चित्र था
- यद्यपि हेनरी ने रोमन चर्च से नाता तोड़ लिया किंतु इसने कैथोलिक धर्म की रक्षा के लिए 6 धाराओं के नियम बनाये थे
- कैथोलिक धर्म मे आस्था के कारण इंग्लैंड शासक हेनरी अष्टम ने टॉमस मुर को मृत्युदंड दिया था
एड्वर्ड अष्टम
- इसके समय इंग्लैंड में प्रोटेस्टेंट ईसाई धर्म को संगठित किया गया इसने बुक ऑफ कॉमन प्रेयर नामक पुस्तक लिखी एव ईसाई धर्म के 42 सिद्धांत बताए
मैरी ट्यूटर
- इसके समय इंग्लैंड में प्रोटेस्टेडो पर अत्याचार किये गए इसे ब्लडी मैरी या खूनी महिला भी कहा गया
एलिजाबेथ
- यह हेनरी अष्टम की पुत्री थी
- इन्होंने धार्मिक सहिष्णुता की नीति अपनाई गई
- इनके समय प्रोटेस्टेंड को पुनः धार्मिक स्वतंत्रता मिली
- एलिजाबेथ ने 42 सिद्धान्तों के स्थान पर 39 सिद्धान्त निर्धारित किये गये
- इनके काल मे इंग्लैंड में एक नया चर्च स्थापित हुआ जिसे एंग्लिकन के नाम से जाना गया
स्कोटलैंड
- यहाँ पर धर्म सुधार आंदोलन के समय राजा जेम्स प्रथम था
- यहाँ पर पेट्रिक हेमिल्टन एव जॉर्ज बिशर्ट को जिंदा जला दिया गया
- यहाँ पर जॉन नॉक्स के नेतृत्व में धर्म सुधार आंदोलन सफल हुआ
डेनमार्क
- यहाँ पर राजा फिलिप द्वितीय था
- यहाँ पर विलियम ऑफ ओरेंज के नेतृत्व में धर्म सुधार आंदोलन सफल हुआ
धर्म सुधार आंदोलन के परिणाम
1 प्रतिवादी धर्म सुधार आंदोलन / काउंटर रिफॉर्मेशन
- कैथोलिक ईसाई धर्म मे सुधार के लिए जो प्रयास किये गए उन्हें ही प्रतिवादी धर्मसुधार आंदोलन कहा गया
- साउथगेट के अनुसार इस आंदोलन का उद्देश्य कैथोलिक धर्म मे पवित्रता एव उच्च आदर्शो की पुनः स्थापना करना था
- कैथोलिक धर्म मे सुधार के लिए निम्नलिखित प्रयासों किये गए
(a) ट्रेंट कौंसिल
- ट्रेंट नामक स्थान इटली में है यहाँ पर 1545 से 1563 तक 18 वर्षो में कुल 25 धार्मिक सभाओं का आयोजन किया गया जिसमें 200 धर्माधिकारियों ने हिस्सा लिया जिनमे कैथोलिक धर्म मे सुधार के नियम बताए गए
- ट्रेंट कौंसिल में पाप मोचन पत्रों (इंडलजेनसेस) की बिक्री बन्द करने का निर्णय लिया गया
(b) जेसुइट संघ / सोसायटी ऑफ जीसस
- स्पेन के इग्नेशियस लायोला ने 1534 में पेरिस से संत डेनिश चर्च में इसकी स्थापना करी थी
- लायोला ने स्प्रिचुअल एक्सरसाइज (धार्मिक अभ्यास) नामक पुस्तक भी लिखी
- प्रारंभ में इसके 6 सदस्य थे
- इसी संघ के प्रयासों से अफ्रीका, भारत व चीन में कैथोलिक धर्म का प्रचार हुआ
- अबकर के काल मे MAA भारत आये (फादर मोंसेरात, एकाबिवा, एरिकविज)
- दुनिया के अंधकार ग्रस्त क्षेत्रों में इसाई धर्म को फैलाने का कार्य भी जेसुइट संघ के द्वारा किया गया
© इंनक्विजिशन / इंक्यूजेंस
- यह एक धार्मिक न्यायालय था
- जिसकी स्थापना 1542 में पॉप पोल तृतीय के द्वारा की गई
- इस न्यायालय का उद्देश्य था कि – कैथोलिक धर्म के विरोधियों का दमन करना था इसमें 6 न्यायाधीश नियुक्त किये गए
(d) इंडेक्स
- 1557 में रोमन कैथोलिक चर्च के द्वारा प्रतिबंधित पुस्तकों की सूची तैयार की गई जिसे इंडेक्स कहा गया
2 इसाई एकता का अंत
3 धार्मिक असहिष्णुता का विकास
- धर्म को लेकर 30 वर्षीय युद्ब (1618-1648) जर्मनी में हुए थे
- 24 अगस्त 1572 को पेरिस में संत बार्थोलोमियो दिवस हत्याकांड भी हुआ था
- कैथोलिकों द्वारा कई प्रोटेस्टेंडवादियों को मार दिया गया
4 व्यक्ति की महत्ता का विकास
5 राज्य की शक्ति का विकास
6 साहित्य का विकास
7 व्यापार – वाणिज्य को प्रोत्साहन
- मैक्स वेबर ने प्रोटेस्टेंड ऐथिक्स एन्ड स्प्रिट ऑफ केपीटिलिज्म में लिखा है की प्रोटेस्टेंड धर्म ने व्यापार वाणिज्य को प्रोत्साहन देने का कार्य किया था
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