मुर्गियों की नस्ले एव सामान्य जानकारी || पशु परिचर || Animal Attendant rajasthan

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दोस्तो हम मुर्गियों के टॉपिक को बड़े विस्तार से अध्ययन करेंगे

Contents
 मुर्गियों की सामान्य जानकारीमुर्गियों की आवासीय व्यवस्थाउठाऊ मकान प्रणाली / फोल्डिंग सिस्टमगहरी बिचाली प्रणालीबिछावना आहाता प्रणाली / स्ट्रायर्ड सिस्टमतार फर्श प्रणाली / वायर फ्लोर सिस्टमपिंजरा या बैटरी प्रणाली / कैग प्रणालीअंडे में पाए जाने वाले प्रमुख अवयवमुर्गी के मांस में पाए जाने वाले प्रमुख अवयवउत्पति के आधार पर मुर्गियों का वर्गीकरणभारतीय नस्लेएसियाटिक नस्लेइंग्लिश नस्लेभूमध्यसागरीय नस्ले / मेडिटेरियन नस्लेअमेरिकन नस्लेउपयोगिता के आधार पर मुर्गियों का वर्गीकरणअंडे देने वाली नस्लेमांस वाली नस्लेद्विप्रयोजनी नस्लेव्हाइट लेग हॉर्नरेड कार्निशरॉड आइलैंड रेडप्लाई माउथ रॉकमुर्गियों के प्रमुख रोगरानीखेत रोग मुर्गियों का चेचक रोग खूनी पेचिश रोग मुर्गियों का हैजा रोग गले का संक्रमण मैरेक्स रोग

जैसे मुर्गियों की सामान्य जानकारी

मुर्गियों के प्रमुख रोग

मुर्गियों की प्रमुख नस्ले

 मुर्गियों की सामान्य जानकारी

  • वैज्ञानिक नाम- ग्लैस डोमेस्टिका
  • कुल – फेसीओलिएडी
  • विभाग – रज्जुकी
  • गण – गेलीफोर्म
  • वर्ग – पक्षी
  • गुणसूत्र संख्या (2n) – 78
  • मुर्गी के समूह को – झुंड / फ्लॉक कहते है
  • मुर्गी के शरिर का तापमान – 41.7℃ या 107°f
  • मुर्गा को – cock कहते है
  • मुर्गी को – hen कहते है
  • मुर्गी के नवजात बच्चे को – चिक / चूजा कहते
  • मुर्गी की प्रसव क्रिया को – हैचिंग कहते है
  • 8 सप्ताह से 1 वर्ष के नर चूजे को – कोकरेल / कोकरिलस कहते है
  • 8 सप्ताह के 1 वर्ष के मादा चूजे को – पुलेट कहते है
  • मुर्गी के मांस को – चिकन कहते है

  • बंधियाकृत नर को – केपन कहते है
  • मुर्गे को बँधीयकरण करने की प्रक्रिया को – केपोनाइजेशन कहलाती है
  • मुर्गी खरीदते समय उपयुक्त आयु – 8 सप्ताह से 20 सप्ताह
  • मुर्गी के प्रजनन के लिए उपयुक्त आयु – 5 से 6 माह
  • मुर्गी के शरीर का सबसे बड़ा अंग – गिजार्ड कहलाता है
  •  मुर्गी के एक अंडे का वजन
  • 58 gm (देशी)
  • 62 gm (फार्मिंग)

  • अंडे से चूजा बाहर आने में समय – 21 दिन लगते है
  • मुर्गी के अंडे का पीला रंग किसके कारण – जेन्थोफ़िल होता है
  • अंडे का कवच किसका बनता – केल्सियम कार्बोनेट (94%)
  • मुर्गी के अंडों पर छिद्रों की संख्या – 600 से 800
  • मुर्गी के अंडे में वायुकोष कितने सेंटीमीटर से बड़ा नही होना चाइये – ½ cm
  • एक अंडे में श्वेतक कितना होता – 34gm / 58%
  • एक अंडे में जर्दी कितनी होती – 18 gm/ 31%
  • एक अंडे से कितने कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती – 80 कैलोरी
  • सर्दियों में अंडा संग्रहण की अवधि – 7 दिन
  • गर्मियों में अंडा संग्रहण की अवधि – 3 दिन
  • अंडे से चूजे में फैलने वाली बीमारी – लेयुकोसिस
  • अंडे सेने का उपयुक्त समय – फेब-मार्च
  • अंडे सेने का उपयुक्त तापमान – 37.5℃
  • एक देशी मुर्गी (कड़कनाथ) एक साथ कितने अंडे सेय सकती है – 8 से 9 अंडे
  • अंडे देने वाली मुर्गी को प्रकाश की आवश्यकता – 14 से 16 घण्टे / दिन
  • अंडा संग्रहण करते समय कोनसा भाग नीचे रखा जाता है – पतला वाला भाग / ऊपर वाला भाग
  • अंडा संग्रहण करते समय 2 अंडे के मध्य कितनी दूरी – 1.25 cm
  • अंडे के आंतरिक गुणों का अध्ययन किससे किया जाता है – केण्डलर
  • इनक्यूबेटर में अंडे रखते समय उसका तापमान कितना होना चाहिए – 100°F
  • केण्डलर की सहायता से अंडों की जांच 5 से 7 वे दिन तथा 15 से 16 वे दिन करनी चाहिए
  • इनक्यूबेटर या ब्रूडर में अधिक नमी होने पर (लगभग 70 % से अधिक) खूनी पेचिश (कोकसीडियम) रोग हो जाता है
  • कृत्रिम विधि में प्रकृत्रिक विधि की तुलना में चूजे निकालने का प्रतिशत अधिक होता है
  • कृत्रिम विधि में – 85%
  • प्रकृत्रिक विधि में – 40 %

  • अंडे से चूजे बाहर आने के कितने समय बाद आहार दिया जाता है – 72 घण्टे बाद
  • चूजे खरीदने का उपयुक्त समय – feb-march
  • इनक्यूबेटर में अंडे रखने से पहले उसे 20 gm प्रति वर्ग मीटर फार्मेल्डिहाइड से धमक कर लेना चाइये
  • मुर्गी के दड़बा को – कूप कहते है
  • 1 से 6 सप्ताह की मुर्गी को – डे ओल्ड चिक
  • 8 से 12 सप्ताह की मुर्गी को – ब्रॉयलर (मांस हेतु) कहते है
  • ब्रॉयलर का वजन – 1.5 से 2 kg
  • ब्रॉयलर के स्थान – 0.5 से 1 वर्गमीटर
  • एक दिन से लेकर 4 सप्ताह तक के चूजों का आवास / पालना – दड़बा या ब्रूडर
  • 4 सप्ताह से 8 सप्ताह के चूजों का पालन – रीयरिंग
  • 8 सप्ताह से अधिक आयु के चूजों का पालन – ग्रोवर मैनेजमेंट कहलाता है
  • 20 सप्ताह से अधिक आयू के चूजों का पालन – लेयर हाउस कहलाता है
  • अंडे से चूजा बाहर आने के 48 घण्टे तक ब्रूडर में पहुंचा देना चाहिए
  • चूजा रखते समय ब्रूडर का प्रथम सप्ताह का तापमान – 35℃
  • इसके पश्चात प्रति सप्ताह 3℃ कम करते रहते है

  • बिछावन / लीटर – चूजों के ब्रूडर हाउस पहुचने से 7 दिन पहले बिछावन को बिछा देना चाहिए
  • मुगी के मांस को सफेद मांस कहा जाता है जबकि अन्य मांस को लाल मांस कहते है
  • एक व्यवस्क व्यक्ति को प्रतिदिन 60gm प्रोटीन की आवश्यकता होती है जिसमे ⅓ भाग (20gm) पशु जनित होना चाहिए
  • मुर्गी व्यसाय के कुल व्यय का 60-70 % भाग आहार पर खर्च हो जाता है
  • मुर्गियों में पुराने पंख हटाकर नए पंख आना – विर्मोचन कहलाता है
  • मुर्गियों में चोंच मारकर आपस मे घायल करना – केनाबोलिजसम कहलाता है
  • 1 माह की आयु पर मुर्गियों की ऊपरी चोंच का ¼ भाग तथा निचली चोंच का ⅛ भाग काट दी जाती है
  • चोंच काटने का यंत्र – डिबिकट
  • चोंच काटने की क्रिया – डिबिकिंग कहलाती है
  • मुर्गियों के पेट एवं आंतो के कीड़ों को मारना कहलाता है – डी- वर्मिंग
  • इसमे पोटेशियम परमेगनेट KMNO4 काम मे लेते है
  • इसका उपयोग जन्म के 5-6 माह की आयु पर कर देते है

  • मुर्गे को रासायनिक विधि के द्वारा बँधीयकरण करने के लिए कोनसा रसायन काम मे लेते – डाई इथाइल स्टील वेस्ट्रोल हार्मोन
  • मुर्गे की गर्दन में चीरा लगाकर यह हार्मोन रखते है

  • अंडा देने वाली मुर्गी – लेयर्स कहलाती है
  • लेयर्स के लिए प्रतिदिन दाने की आवश्यकता – 100 से 120 gm
  • 4 माह के पश्चात मुर्गी को vit A की पूर्ति के लिए हरा चारा खिलाया जाता है
  • इस हरे चारे में मुख्यतः मक्का एवं बाजरा होता है

  • मुर्गी को 2B आकार के संगमरमर के टुकड़े भी खिलाये जाते है
  • देशी मुर्गी का औसत अंडा उत्पादन – 60 अंडे/ वर्ष
  • विदेशी मुर्गी का औसत अंडा उत्पादन – 260 अंडे प्रति वर्ष

  • केन्द्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान – इज्जतनगर (उत्तरप्रदेश)
  • केंद्रीय मुर्गी प्रजनन फार्म – मुंबई, भुवनेश्वर, हैसरगट्टा (बैंगलोर)
  • राजस्थान मुर्गी प्रजनन फार्म – रामसर (अजमेर)

मुर्गियों की आवासीय व्यवस्था

  1. उठाऊ मकान प्रणाली / फोल्डिंग सिस्टम

  • इसका आकार 20×5 फ़ीट रखते है
  • जिसमे 18 से 20 मुर्गियों का पालन किया जा सकता है
  • इसमे प्रति पक्षी स्थान की आवश्यकता – 5 वर्गफीट

  1. गहरी बिचाली प्रणाली

  • मुर्गी पालन की सबसे उपयुक्त विधि है
  • इसमे 6 इंच मोटी बिछाली बिछाई जाती है
  • Photu

  1. बिछावना आहाता प्रणाली / स्ट्रायर्ड सिस्टम

  • 50 मुर्गियों हेतु = 3 वर्ग फ़ीट/ पक्षी
  • 100 मुर्गियां = 2 वर्गफीट/ पक्षी
  • * शहर के समीप महंगी भूमि के लिए सबसे उपयुक्त विधि है
  1. तार फर्श प्रणाली / वायर फ्लोर सिस्टम

  • यह प्रणाली सबसे ज्यादा प्रचलित है
  • 100 मुर्गियों होने पर – 2 वर्गफीट/पक्षी
  • 100 से अधिक मुर्गियां पर – 1 वर्गफीट / पक्षी स्थान
  1. पिंजरा या बैटरी प्रणाली / कैग प्रणाली

  • गांवों के लिए उपयुक्त विधि
  • सस्ती विधि
  • रोग लगने की संभावना कम होती
  • कम आहार की आवश्यकता होती

अंडे में पाए जाने वाले प्रमुख अवयव

  • सम्पूर्ण अंडा – 100 %
  • श्वेतक – 58 %
  • जर्दी – 31 %
  • कवच – 11 %
  • अंडे में प्रोटीन – 11.8 %
  • अंडे में वसा – 11 %
  • अंडे में जल – 66.5 %
  • अंडे में खनिज लवण – 10.7 %
  • अंडे में Vit – A B D
  • एक अंडे से ऊर्जा – 80 कैलोरी

मुर्गी के मांस में पाए जाने वाले प्रमुख अवयव

  • जल – 65 से 80 %
  • प्रोटीन – 16-22 %
  • वसा – 1.5 से 13 %
  • खनिज लवण – 0.65 से 1 %
  • कार्बोहाइड्रेट – 0.50 से 1.5 %

उत्पति के आधार पर मुर्गियों का वर्गीकरण

  1. भारतीय नस्ले

  • आसिन – मुर्गियों की लड़ाकू नस्ल
  • घाघस
  • चटगांव
  • कड़कनाथ – मांस काला होता जिसे टेंडर कहते है
  • चितागोंग

  1. एसियाटिक नस्ले

  • ब्रह्मा
  • लेगशन
  • कोचीन

यह नस्ले प्रजनन के लिए उपयुक्त है

  1. इंग्लिश नस्ले

  • कार्निश – सिर पर कलंगी पाई जाति है
  • सेंसेक्स
  • आस्ट्रलाप
  • आपिगठन
  • रेड केप

  1. भूमध्यसागरीय नस्ले / मेडिटेरियन नस्ले

  • मुर्गी पालन में 80 % योगदान इन्ही मुर्गियों का है
  • व्यापारिक दृष्टि से सर्वोत्तम नस्ले है
  • व्हाइट लेग हॉर्न
  • मिनोरका
  • एनाकोवा

  1. अमेरिकन नस्ले

  • रॉड आईलेंड रेड
  • प्लाई माउथ रोक
  • न्यू हेम्पशायर
  • बायडाट

उपयोगिता के आधार पर मुर्गियों का वर्गीकरण

  1. अंडे देने वाली नस्ले

  • वहाइट लेग हॉर्न
  • मिनोरका
  • एनाकोवा
  1. मांस वाली नस्ले

  • आसिन
  • ब्रह्मा
  • सेंसेक्स
  • लेगशन

  1. द्विप्रयोजनी नस्ले

  • रॉड आईलेंडरेड
  • प्लाई माउथ रॉक
  • न्यू हेम्पशायर
  • आस्ट्रलाप

  • NOTE – मुर्गी की प्रथम संकर नस्ल = प्रतापधन
  • MPUAT उदयपुर द्वारा  विकसित
  • क्रोस = रॉड आईलेंड रेड × असिन

व्हाइट लेग हॉर्न

  • उत्पति स्थान – इटली
  • 1920 ई में भारत आगमन हुआ
  • विशेषताएं
  1. मेडिटेरेनियन नस्लो में सर्वश्रेष्ठ नस्ल
  2. पक्षी छोटे आकार के साफ-सुथरे एवं क्रियाशील होते है
  3. टाँगे पंख रहित होते 
  4. रंग – सफेद
  5. टांगो एवं चोंच का रंग पीला होता
  6. पूंछ सदैव नीचे की ओर झुकी रहती है
  • उपयोगिता
  1. विश्व मे सर्वाधिक अंडे देने वाली
  2. औसतन 240 अंडे / प्रतिवर्ष
  3. यह मुर्गिया 5 से 6 माह की आयु में अंडे देने प्रारंभ कर देती है

रेड कार्निश

  • उत्पति स्थान – इंग्लैंड
  • क्रॉस = असिन+ मालवा × इंग्लिश नस्ल
  • विशेषताएं
  1. रंग – पीला
  2. इस मुर्गि के कंधे दूर दूर होते
  3. सिर पर मटर के समान कलंगी पायी जाती है

  • Note – इसका मांस अमेरिका में लोकप्रिय है
  • इसका मांस क्षारीय प्रकृति का है

रॉड आइलैंड रेड

  • उत्पति स्थान – अमरीका का रॉड आइलैंड
  • क्रोस – व्हाइट लेग हॉर्न × एसियाटिक मूल की नस्ल
  • विशेषताएं – 
  1. रंग – गहरा भूरा चॉकलेटी
  2. शरीर – आयताकार
  3. द्विप्रयोजनी नस्ल
  4. विपरीत परिस्थितियों में भी जीवन यापन कर सकती है
  • NOTE – 100 से 200 अंडे / वर्ष औसत उत्पादन
  • अंडों का रंग हल्का भूरा होता है
  • इसमे उत्तम किस्म का मांस भी प्राप्त होता है

प्लाई माउथ रॉक

  • उत्पति स्थान – अमेरिका
  • विशेषताएं
  1. चमड़ी एव टाँगे पीली होती है
  2. मादा मुर्गियों के टखने काले होते है
  3. इसकी कलंगी थोड़ी बड़ी होती है
  4. व्यापारिक दृष्टि से सर्वोत्तम मांस होता है
  5. द्विप्रयोजनी नस्ल है

असील – लख़नऊ

चटगांव – बंगाल

मिनारका – स्पेन

मुर्गियों के प्रमुख रोग

  1. रानीखेत रोग

  • अन्य नाम – न्यू केसल रोग
  • इस रोग में श्वसन तंत्र एवं तंत्रिका तंत्र प्रभावित होते है
  • यह रोग सर्वाधिक वर्षा ऋतु में फैलता है
  • रोग कारक 
  • वायरस टार्टरफ्यूरेन्स
  • वायरस पैरा मिक्सो वायरस टाइप -1

  • विशेषताएं
  1. पैर, पंखों में लकवा हो जाना
  2. आंखों में आंसू आना
  3. हाँफते हुए मुँह खोलकर श्वास लेती है जिससे सिटी की तरह आवाज आती है
  4. रोग की तीव्र अवस्था मे पक्षी एक कोने में छिपकर बैठ जाते है
  5. गर्दन को उलटकर पीठ पर रख लेता है
  6. चूजे सर्वाधिक प्रभावित होते है

  • उपचार
  • स्टेन एफ या लासोटा का टीका
  • टिके का समय – 1 दिन
  • प्रतिरक्षा अवधि – 15 सप्ताह तक
  • प्रयोग विधि – नाक के अंदर से

  • विश्व मे सर्वप्रथम यह रोग – न्यू केंसल नामक स्थान पर देखा गया
  • भारत मे सर्वप्रथम पश्चिम बंगाल में देखा गया
  • अल्मोड़ा के रानीखेत नामक स्थान पर देखा गया

  1. मुर्गियों का चेचक रोग

  • अन्य नाम – फ़ाउल पॉक्स
  • मुर्गियो की माता
  • यह रोग कम उम्र की मुर्गियों में अधिक फैलता है
  • सर्वाधिक गर्मियों में इस रोग का प्रकोप होता है
  • पूरे जीवनकाल में एक बार ही होता है
  • रोगकारक
  • मुर्गी में बोरिलियोटा एबीयम
  • टर्की में बोरिलियोटा मेडिग्रेसिस
  • कबूतर में बोरिलियोटा कोलुम्बी

  • लक्षण 
  • शरीर पर फफोले बनते है
  • कलंगी, गलकम्बल एवं सिर पर सुखी पपड़ी बन जाती है

  • उपचार – सिल्वर नाइट्रेट एवं पिकरिक अमल का घाव पर घोल लगाया जाता है
  • टीकाकरण का समय – अप्रेल माह
  • प्रतिरक्षा अवधि – 6-8 सप्ताह
  • प्रयोग विधि – पिच्च स्तरक

  1. खूनी पेचिश रोग

  • अन्य नाम – कोकसीडियोसिस
  • अधिकांश 3 से 12 सप्ताह की आयु में फैलता 
  • रोगकारक – इमरिया टेनिला एक कोशीय प्रोटोजोआ
  • लक्षण – खून से सन्ने पतले दस्त आना
  • पंख नीचे की तरफ लुटक जाते
  • पक्षी सुस्त होकर चक्कर काटने लगता है

  • उपचार – सभी प्रोटोजोआ रोगों का उपचार सल्फ़र द्वारा किया जाता है
  • इस रोग से अचानक दड़बे में चूजे मर जाते है
  • NOTE – ब्रूडर में अधिक नमी (70 % से अधिक) से भी यह रोग हो जाता है

  1. मुर्गियों का हैजा रोग

  • यह रोग 12 सप्ताह की आयु पर सर्वाधिक होता है
  • उपचार – मुर्गियों के कालरा मांस रस का ब्राथ वैक्सीन
  • प्रतिरक्षा अवधि – 3 माह
  • प्रयोग विधि – अंत पेशीय

  1. गले का संक्रमण

  • यह रोग 1 से 7 दिन के चूजों में सर्वाधिक होता
  • गले से खर खर की आवाज आती है
  • टिका – अंडा रूपांतरित IB वेक्सीन प्रथम
  • प्रतिरक्षा अवधि – फिक्स नही
  • प्रयोग विधि – नाक के अंदर

  1. मैरेक्स रोग

  • अन्य नाम – M. D. डिजीज
  • रोगकारक – वायरस
  • प्रयोग विधि – अन्तपेशिय
  • टीकाकरण – एक सप्ताह की आयु पर

NOTE – गमबोरा रोग मुर्गियों में विषाणु जनित रोग

 

 

  1. मुर्गियों के रोग

 

 

 

तो मित्रो बताइए मुर्गियो की नस्ले की पोस्ट आपको केसी लगी

अब पशु परिचर भर्ती हो या एग्रीकल्चर सुपरवाइजर की भर्ती के टॉपिक आएंगे

पशु परिचर भर्ती के बारे मे जानने के लिए हमारी वेबसाइट का निरंतर अध्ययन करते रहे

हमने गाय की नस्ले

भेड़ की नस्ले आदि खूब सारे टॉपिक को भी अच्छे कवर किया है जो आप पढ़ सकते हो

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साथ ही पशु परिचर के पुराने प्रश्नों की पीडीएफ चाइये तो जल्दी कमेंट्स करके बताओ

यह टॉपिक पशु परिचर ओर एग्रीकल्चर सुपरवाइजर भर्ती जो अधीनस्थ बोर्ड द्वारा द्वारा आयोजित होने वाले एग्जाम में ध्यान रख के बनाया गया है

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