A दादूदयाल
B रामदास
C धन्ना
D पीपा
E अनुत्तरित प्रश्न
सही उत्तर – पीपा
- वास्तविक नाम – प्रताप सिंह खींची
- ये गागरोण (झालावाड़) के राजा थे
- ये राजस्थान के प्रथम भक्ति सन्त कहलाये
- रामानन्द जी के शिष्य थे (कुल 12 शिष्य थे)
- सन्त पीपा दर्जी समाज के प्रमुख देवता है
- इन्होंने निर्गुण भक्ति का संदेश दिया था
- मुख्य मंदिर – समदड़ी (बाड़मेर)
- छतरी – गागरोण
- गुफा – टोडा (टोंक)
- मेला – चेत्र पूर्णिमा को
- ग्रन्थ –
- पिंपापरची
- चितावनी
- पिंपा कथा
- टोडा के राजा शूरसेन ने इनसे प्रभावित होकर अपना पूरा धन साधु संतों में बांट दिया था
दादू दयाल
- जन्म – अहमदाबाद
- लोदिराम नामक ब्राह्मण ने पालन पोषण किया था
- गुरु – ब्रह्मानन्द जी / वृंदावनन्द जी / बढढंन बाबा
- राजस्थान में शुरुआती दिनों में ये सांभर में रहे थे, कालान्तर में आमेर में रहे थे
- मुख्य पीठ – नरेना (जयपुर)
- इन्होंने निर्गुण भक्ति का संदेश दिया था
- दादू दयाल जी को राजस्थान का कबीर कहा जाता है
- दादूदयाल जी ने अपने उपदेश ढूंढाणी भाषा मे दिए थे
- प्रथम उपदेश 1568 में दिया था
- सत्संग स्थल – अलख दरीबा
- इन्होंने निपख आंदोलन चलाया
- आमेर के राजा भगवंत दास ने 1585 में दादूदयाल जी की मुलाक़ात फतेहपुर सीकरी में अकबर से करवाई थी
संत धन्ना
- जन्म स्थान – धुवन (टोंक)
- इनका जन्म जाट परिवार में हुआ था
- ये आध्यात्मिक चेतना के जनक कहलाये
- गुरु – रामानंद जी
- राजस्थान में भक्ति आंदोलन की शुरुआत की थी
- मन्दिर – बोरानाडा (जोधपुर)
- ये पंजाब में भी लोकप्रिय है
रामस्नेही सम्प्रदाय
- यह सम्प्रदाय निर्गुण भक्ति में विश्वास रखता है
- इस सम्प्रदाय मे दशरथ पुत्र राम की पूजा नही जाती बल्कि निर्गुण नाम की पूजा की जाती है
- इनके साधु संत गुलाबी रंग के कपड़े पहनते है
- शाहपुरा मे होली के अगले दिन फुलडोल मेला होता है
- केंद्र –
- शाहपुरा – भीलवाड़ा
- संस्थापक – रामचरण जी
- इनका जन्म – सोडा ग्राम (टोंक) के वैश्य परिवार में
- पिता – बख्तराम
- माता – देऊजी
- मुलनाम – रामकिशन
- इन्होंने जयपुर राज्य में मंत्री के पद के रूप में भी कार्य किया
- इन्होंने दान्तड़ा (भीलवाड़ा) मे गुरु कृपाराम जी से दीक्षा प्राप्त की थी।
- इन्होंने मूर्तिपूजा, बहु उपासना आदि का विरोध किया एव एकेश्वरवाद व निर्गुण निराकार राम की उपासना का उपदेश दिया
- मूर्तिपूजकों द्वारा परेशान किये जाने के कारण रामचरण जी शाहपुरा आगये। यहाँ के शासक रणसिंह ने इनके लिए एक छतरी व मठ की स्थापना करवाई
- उपदेश – अणभैवाणी में संकलित है
- रेन – नागौर
- स्थापना – दरियाव जी महाराज ने की
- सींथल – बीकानेर
- इसकी स्थापना हरीरामदास जी ने की तथा इन्होंने निशानी नामक योग ग्रन्थ लिखा
- खेड़ापा – जोधपुर
- स्थापना – रामदास जी ने की
- शाहपुरा – भीलवाड़ा