हिमालय का वर्गीकरण
हिमालय, जो कि “हिमालय” नाम से जाना जाता है, विश्व की सबसे ऊँची पर्वतमाला है और इसका विस्तार भारत, नेपाल, भूटान, तिब्बत और पाकिस्तान तक फैला हुआ है। हिमालय की विविधता और जटिलता इसे भूगोल, भौतिकी, और पारिस्थितिकी के संदर्भ में वर्गीकृत करने के लिए प्रेरित करती है। सामान्यतः, हिमालय को तीन प्रमुख श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है:
- पश्चिमी हिमालय: इस क्षेत्र में कराकोरम रेंज, जंजिरा रेंज, और डूंडा रेंज शामिल हैं। यह क्षेत्र ऊँचाई और गहरी घाटियों के लिए जाना जाता है और यहाँ के प्रमुख पर्वतों में के2 और नंदा देवी शामिल हैं।
- मध्य हिमालय: यह क्षेत्र भारत और नेपाल के मध्य भाग में फैला हुआ है और इसमें दार्जिलिंग-शिलोंग रेंज और सागरमाथा रेंज शामिल हैं। यहाँ का प्रमुख पर्वत माउंट एवरेस्ट है। यह क्षेत्र अपनी समृद्ध वनस्पति और जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है।
- पूर्वी हिमालय: पूर्वी हिमालय में अरुणाचल प्रदेश, भूटान, और सिक्किम के क्षेत्र शामिल हैं। यहाँ की प्रमुख रेंजें कंचनजंगा और अन्य ऊँचे पर्वत हैं। यह क्षेत्र मानसून की बारिश और समृद्ध पारिस्थितिकी के लिए जाना जाता है।
हिमालय का यह वर्गीकरण इसकी भौगोलिक विविधताओं, जलवायु, और पारिस्थितिकीय विशेषताओं को समझने में सहायक होता है, और इन विभिन्न श्रेणियों के अध्ययन से हमें इस क्षेत्र की जटिलताओं और सुंदरता की गहरी समझ प्राप्त होती है।
हिमालय की उत्पती से संबंधित सिद्धांत
कोबर का भुसन्नति सिद्धांत
- कोबर ने भुसन्नतियो को पर्वतों का पालन कहा है
- भूसन्नति – लंबे, संकरे, छिछले सागर को कहते
- कोबर के अनुसार 07 करोड़ वर्ष पूर्व हिमालय के स्थान पर टेथिस भूसन्नति थी जिसके उत्तर में अंगारालेण्ड तथा दक्षिण में गोंडवानालैंड नामक अग्रभूमियाँ स्थित थी
- अग्र प्रदेशो से बहकर आने वाली नदियों के कारण टेथिस भूसन्नति में तलछट (अवसाद) जमा होती रही। यद्यपि भूसन्नति छिछली होती है किंतु निक्षेपित तलछट के दबाव से इसकी तली धँसती रहती है
- टेथिस भूसन्नति की तली धंसने के परिणामस्वरूप दोनो संलग्न अग्रभूमियाँ में दबाव जनित भूसंचलन उत्पन्न हुआ तथा तलछट के वलन के कारण हिमालय पर्वत की उत्पत्ति हुई। वलन से अप्रभावित या अल्प प्रभावित मध्यवर्ती क्षेत्र तिब्बत के पठार के रूप में स्थित है
प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत
- यह सिद्धांत हिमालय की उत्पत्ति की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या करता है
- इस सिद्धांत के अनुसार लगभग 07 करोड़ वर्ष पूर्व उत्तर में स्थित यूरेशियन प्लेट की ओर भारतीय प्लेट उतर पूर्वी दिशा में गतिशील हुई
- इन प्लेटो के अभिसरण से टेथिस सागर के अवसादों में वलन पड़ने लगा एवं हिमालय पर्वत का निर्माण हुआ। हिमालय पर्वत की उत्पत्ति टर्शियरी काल मे हुई जिसके कारण इसे नवीन वलित पर्वत कहते है
हिमालय का वर्गीकरण
ट्रांस हिमालय
- यह हिमालय के उत्तर मैं स्थित भाग है
- यह मुख्य रूप से लद्दाख व तिब्बत में स्थित है
- इसे तिब्ब्त हिमालय भी कहते है
- जो टेथिस सागर के स्थान पर हिमालय से पूर्व निर्मित हुआ।
- यह सतत रूप से स्थित ना होकर अलग अलग श्रेणियों के रूप में स्थित है
- यह भाग उतर पश्चिम से उतर पूर्व की ओर लगभग 1000 किमी दूरी में विस्तृत है इस भाग की चौड़ाई लगभग 250 किमी है तथा औसत ऊंचाई लगभग 4000 मीटर है
- मुख्य हिमालय के वृष्टि छाया प्रदेश में स्थित होने के कारण यहां शुष्क परिस्थितियां पाई जाती है तथा इस क्षेत्र में वनस्पति का अभाव है
- ट्रांस हिमालय नाम – स्वेन हैडन द्वारा दिया गया था
- ट्रांस हिमालय में स्थित प्रमुख श्रेणियां निम्नलिखित है
काराकोरम श्रेणी
- यह पामीर के पठार से तिब्बत के पठार तक स्थित श्रेणी है जिसे तिब्बत के पठार का रीढ़ / मेरुदंड कहा जाता है तथा कृष्णागिरी के नाम से भी जाना जाता है
- इस पर स्थित K2 / गॉडविन ऑस्टिन (8611 मीटर) है जो भारत की सबसे ऊंची चोटी है। जो POK में स्थित है।
- इसके अलावा इस श्रेणी पर POK में स्थित अन्य ग्लेशियर साल्तोरे, बाल्तोशे, हिस्पार, बियाफो, चोमौलुंगमा, सियाचिन आदि प्रमुख है
- सियाचिन हिमनद से नुब्रा नदी निकलती है तथा नुब्रा नदी घाटी में ही सियाचिन हिमनद है नुब्रा घाटी श्योक तथा नुब्रा नदियो के संगम से बनी तीन भुजाओं वाली घाटी है जो काराकोरम तथा लद्दाख श्रेणी के बीच स्थित है इस घाटी का प्राचीन स्थानीय नाम – डुमरा (फूलो की घाटी) था। इस घाटी क्षेत्र में दो कूबड़ वाले ऊंट पाये जाते है तथा यह ठंडा शुष्क मरुस्थलीय क्षेत्र है
- इस श्रेणी में काराकोरम व अधील दर्रे स्थित है
- इनमें काराकोरम दर्रा – लद्दाख व चीन को जोड़ता है
- जबकि अधील दर्रा – POK व चीन को जोड़ता है
लद्दाख श्रेणी
- यह काराकोरम श्रेणी के दक्षिण में तथा उसके समानांतर स्थित है जो लद्दाख में स्थित है
- काराकोरम श्रेणी व लद्दाख श्रेणी के मध्य लद्दाख का पठार भी स्थित है जिसे छोटा तिब्बत का पठार तथा लाखो दर्रो का घर भी कहा जाता है लद्दाख का पठार भारत का सबसे ऊंचा पठार है जहां ठंडी शुष्क मरुस्थलीय परिस्थितियां पायी जाती है इस पठारी क्षेत्र में बहुत सी लवणीय झीले स्थित है
- इस श्रेणी पर स्थित इसकी सर्वोच्च चोटी राकापोश (7757 मीटर) है जो विश्व की सबसे तीक्ष्ण ढाल वाली चोटी है
- इस श्रेणी में स्थित खारदूंगला दर्रा विश्व का सर्वाधिक ऊंचाई पर स्थित दर्रा है जो नुब्रा घाटी व सियाचिन ग्लेशियर को आपस मे जोड़ता है
- यहाँ स्थित पेंगोंगत्से, त्सो कर, त्सो मोरीरि आदि खारे पानी की प्रमुख झीले है।
जास्कर श्रेणी
- यह लद्दाख श्रेणी के दक्षिण में तथा उसके समानांतर स्थित है जो जम्मु कश्मीर से हिमाचल प्रदेश तक स्थित है तथा हिमाचल में यह महान हिमालय में मिल जाती है
- इसकी सर्वोच्च चोटी कामेत (7786 मीटर) है। जो उत्तराखंड तिब्ब्त सीमा क्षेत्र में स्थित है इस श्रेणी तथा लद्दाख श्रेणी के मध्य सिंधु नदी घाटी स्थित है
- इस श्रेणी के अंर्तगत स्थित फोतूला दर्रा, श्रीनगर व लेह को जोड़ता है जबकि बड़ा लापचा दर्रा मनाली व लेह को जोड़ता है
तिब्बत श्रेणी
यह तिब्बत में स्थित है
हिमालय पर्वत प्रदेश
- ट्रांस हिमालय तथा मुख्य हिमालय के बीच सिंधु-सांगपो सचर जॉन स्थित है
- यह प्राचीन टेथिस सागर के स्थान पर निर्मित भौतिक प्रदेश है
- जिसका निर्माण अल्पाइन पर्वत युग मे, टर्शियरी कल्प के ओलिगोसिन मायोसीन, पलिओसिन कालो में हुआ है
- हिमालय का निर्माण यूरेशियाई प्लेट व इंडियन प्लेट के अभिसरण से हुआ। जिसके आधार पर यह नवीन वलित पर्वत है जो विश्व का सबसे ऊंचा पर्वत है जिसकी कुल लम्बाई 2400 Km तथा चौड़ाई 160 Km से 400 Km एवं औसत ऊंचाई 6100 मीटर है
- यह भारत के लगभग 5 लाख वर्ग किमी क्षेत्र पर विस्तृत है
- हिमालय की आकृति चापाकार / धनुषाकार / तलवार के आकार का है
- हिमालय का विस्तार भारत के अलावा पाकिस्तान, चीन, नेपाल, तिब्ब्त, भूटान देशों में है
- हिमालय में सबसे आन्तरिक भाग में आग्नेय चट्टाने उसके बाद रूपांतरित चट्टाने तथा सबसे ऊपरी भाग में अवसादी चट्टाने है
हिमालय का प्रादेशिक वर्गीकरण
लंबवत आधार पर | प्रादेशिक आधार पर | पूर्वांचल की पहाड़ियां |
महान हिमालय / हिमाद्री | पंजाब हिमालय | पूर्वांचल की पहाड़ियां |
मध्य हिमालय / लघु हिमालय | कुमायूं हिमालय | |
शिवालिक / उप हिमालय | नेपाल हिमालय | |
असम हिमालय |
लम्बवत आधार पर हिमालय का वर्गीकरण
- महान हिमालय
- यह हिमालय का सर्वप्रथम निर्मित भाग है जो ओलिगोसिन काल मे निर्मित हुआ।
- यह सर्वाधिक विस्तृत व सबसे ऊंचा भाग है
- इसका विस्तार जम्मु कश्मीर में नँगा पर्वत से लेकर अरुणाचल प्रदेश में नामचा बारूआ तक है जो लगभग 2400 Km तक कि लम्बाई में सतत रूप से स्थित है
- इसकी औसत ऊंचाई 6000 मीटर से अधिक है अतः इसका ऊपरी भाग सदैव बर्फ से ढका होता है इसी कारण इसे हिमाद्रि कहा जाता है
- इस पर स्थित चोटियां विश्व की सबसे ऊंची चोटियां है
- कुछ प्रमुख चोटिया निम्नलिखित है
- माउंट एवरेस्ट – 8848 मीटर – नेपाल
- एवरेस्ट को तिब्बती भाषा में चोमौलुंगमा तथा नेपाल में सागरमाथा कहते है
- कंचनजंघा – 8598 मीटर – सिक्किम
- मकालू – 8481 मीटर – नेपाल
- धौलागिरी – 8174 मीटर – नेपाल
- नँगा पर्वत – 8126 मीटर – जम्मु कश्मीर
- अन्नपूर्णा – 8087 मीटर – नेपाल
- नन्दा देवी – 7817 मीटर – उत्तराखंड
- नामचा बरूआ – 7757 मीटर – अरुणाचल प्रदेश
- माउंट एवरेस्ट – 8848 मीटर – नेपाल
- महान हिमालय में स्थित प्रमुख दर्रे
- बुर्जिल दर्रा – जम्मूकश्मीर
- यह भारत व POK को जोड़ता है
- जोजिला दर्रा – जम्मूकश्मीर
- यह श्रीनगर व लेह को जोड़ता है
- शिपकी ला दर्रा – हिमाचल प्रदेश
- यह शिमला व तिब्बत को जोड़ता है
- सतलज नदी का प्रवेश भारत मे इसी दर्रे द्वारा होता है
- NOTE – थांगला, माना, नीति व लिपुलेख दर्रा उत्तराखंड में स्थित है ये उत्तराखंड व तिब्बत को जोड़ते है माना व नीति दर्रे कैलाश मानसरोवर यात्रा में उपयोग लिए जाते है
- नाथुला दर्रा – सिक्किम
- यह सिक्किम व तिब्बत को जोड़ता है यह मार्ग सिक्किम व भूटान की सीमा पर स्थित चुम्बी घाटी में से निकलता है यह भारत व चीन का सामरिक महत्व का दर्रा है इसे 1962 में भारत चीन युद्ध के बाद बन्द कर दिया गया था उसके बाद इसे वर्ष 2006 में खोला गया।
- वर्ष 2015 में इस दर्रे से कैलाश मानसरोवर यात्रा प्रारंभ की गई परन्तु 2019 में यह यात्रा पुनः रोक दी गई
- जेलेप्ला दर्रा – सिक्किम
- यह सिक्किम व तिब्बत को जोड़ता है
- बोमडिला दर्रा – अरुणाचल प्रदेश
- यह अरुणाचल प्रदेश व तिब्बत को जोड़ता है
- यांगयाप दर्रा – अरुणाचल प्रदेश
- यह दर्रा अरुणाचल प्रदेश व तिब्बत को जोड़ता है इस दर्रे से ब्रह्मपुत्र नदी का प्रवेश भारत मे होता है
- बुर्जिल दर्रा – जम्मूकश्मीर
- महान हिमालय में स्थित प्रमुख ग्लेशियर –
- यमुनोत्री – उत्तराखंड
- यमुना नदी निकलती है
- गंगोत्री – उत्तराखंड
- भागीरथी नदी निकलती है
- चोराबारी – उत्तराखंड
- मन्दाकिनी नदी निकलती है
- सन्तोपन्थ – उत्तराखंड
- पिंडार – उत्तराखंड
- पिंडार गंगा नदी
- गोसाइनाथ – नेपाल
- कोसी नदी
- जेमू – सिक्किम
- तीस्ता नदी
- यमुनोत्री – उत्तराखंड
- मध्य / लघु हिमालय
- यह महान हिमालय के दक्षिण में तथा उसके समानांतर स्थित है।
- इसका निर्माण महान हिमालय के बाद मायोसीन कल्प में हुआ।
- यह महान हिमालय से मुख्य केंद्रीय भ्रंश (MCT) द्वारा पृथक होता है
- मध्य हिमालय का उत्तरी भाग कम ढाल वाला होने के कारण यहां कुछ मैदानों का निर्माण हुआ जिन्हें जम्मू कश्मीर में मर्ग तथा उत्तराखंड में बुग्याल / पयाल कहा जाता है जम्मूकश्मीर में बकरवाल, गुज्जर आदि जनजातियां यहां पशुचारण का कार्य करती है तथा ऋतु प्रवास करती है मध्य हिमालय में उतरी भाग में कुछ घटियो का निर्माण भी हुआ जिनमे कश्मीर घाटी, कुल्लू घाटी, मनाली घाटी, फूलो की घाटी आदि प्रमुख है
- कश्मीर घाटी में हिमोढ के जमाव के परिणामस्वरूप उपजाऊ मैदानों का निर्माण हुआ जिन्हें करेवा कहा जाता है जो केसर की कृषि के लिए जाने जाते है
- मध्य हिमालय औसत रूप से 4000 मीटर तक कि ऊँचाई में स्थित है अतः इसका ऊपरी भाग शीत ऋतु के दौरान बर्फ से ढक जाता है परंतु ग्रीष्म ऋतु में यह बर्फ से मुक्त हो जाता है इसी कारण यह पर्यटको के लिए सबसे आकर्षित भाग है यहां भारत के प्रमुख पर्यटन स्थल गुलमर्ग, सोनमर्ग, श्रीनगर, कुल्लू, मनाली, डलहौजी, नैनीताल, अल्मोड़ा, दार्जीलिंग आदि स्थित है
- मध्य हिमालय सतत रूप से स्थित न होकर अलग अलग श्रेणियों के रूप में स्थित है जो निम्नलिखित है
- पीरपंजाल श्रेणी –
- जम्मू कश्मीर में स्थित इस श्रेणी में पीरपंजाल व बनिहाल दर्रे स्थित है जो जम्मू व श्रीनगर को आपस मे जोड़ते है बनिहाल दर्रे से जवाहर सुरंग निकलती है इसमें से NH – 44 भी निकलता है जो भारत का सबसे लंबा राष्ट्रीय राजमार्ग है
- धौलाधर श्रेणी –
- यह हिमाचल प्रदेश में स्थित इस श्रेणी में रोहतांग दर्रा स्थित है जहां से रावी नदी बहते हुए निकलती है
- नागटिब्बा व मसूरी श्रेणियां –
- यह उत्तराखंड में स्थित है
- महाभारत श्रेणी –
- यह नेपाल में स्थित है
- ब्लैक माउन्टेन श्रेणी –
- यह भूटान में स्थित है
- पीरपंजाल श्रेणी –
- शिवालिक / उप हिमालय –
- यह हिमालय का दक्षिणतम व नवीनतम भाग है जिसका निर्माण पलिओसिन कल्प में हुआ। इसकी औसत ऊंचाई 1800 मीटर है जो हिमालय का सबसे निम्नतम भाग है इसी कारण इसे उपहिमालय भी कहा जाता है
- यह पजांब के पोतवार बेसिन से कोसी नदी तक सतत रूप से स्थित है उसके बाद यह अलग अलग पहाड़ियों के रूप में स्थित है
- इस हिमालय को जम्मु कश्मीर में जम्मू की पहाड़ियां, हिमाचल में शिवालिक पहाड़ियां, उत्तराखंड में दुधवा धांग, नेपाल में चुरिया घाट, अरूणाचल प्रदेश में डाफला, मिरी, अबोर व मिश्मी की पहाड़ियों के रूप में जाना जाता है
- शिवालिक हिमालय के मध्य भाग में कुछ घाटियों का निर्माण भी हुआ जिन्हें पूर्वी भाग में द्वार तथा पश्चिम भाग में दून कहा जाता है जैसे – देहरादून, पाटलीदून, कोटलीदून, कालकादून, जम्मूदून आदि
- इनमें सबसे बड़ा दून देहरादून है
प्रादेशिक आधार पर हिमालय का वर्गीकरण
- हिमालय का यह वर्गीकरण सिडनी बुरार्ड द्वारा नदी घाटियों के आधार पर किया गया
- जिसके आधार पर हिमालय को निम्नलिखित4 भागो में विभाजित किया गया।
हिमालय/विशेषता | पंजाब हिमालय | कुमायूं हिमालय | नेपाल हिमालय | असम हिमालय |
विस्तार | सिंधु से सतलज नदियों के मध्य | सतलज से काली नदियों के मध्य | काली से तीस्ता नदियों के मध्य | तीस्ता से ब्रह्मपुत्र नदियों के मध्य |
लम्बाई | 560 Km | 320 Km | 800 Km | 750 Km |
सर्वोच्च चोटी | K2, नँगा पर्वत | नन्दा देवी | माउन्ट एवरेस्ट, कंचनजंघा | नामचा बरुआ |
राज्य | लद्दाख, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश | उत्तराखंड | नेपाल | असम, अरुणाचल प्रदेश |
पंजाब हिमालय
- सका विस्तार सिंधु से सतलज नदियों के मध्य है जो मुख्यतः जम्मूकश्मीर व हिमाचल राज्यो में स्थित है
- इसके अंतर्गत जास्कर श्रेणी, नँगा पर्वत, पीरपंजाल श्रेणी, धौलाधर श्रेणी, शिवालिक श्रेणी, जम्मु की पहाड़ियां आदि शामिल है
- यहां कश्मीर घाटी, कुल्लू घाटी, मनाली घाटी, कांगड़ा घाटी, चम्बा घाटी आदि प्रमुख चोटिया स्थित है
- यहाँ सर्वोच्च चोटी हिमालय के अंतर्गत नँगा पर्वत है
- यहां पर्यटन स्थलों के रूप में वैष्णो देवी व अमरनाथ स्थित है
- यह कुल 560 Km की लम्बाई में स्थित है
कुमायूं हिमालय
- इसका विस्तार सतलज से काली नदी के मध्य 320 Km की लम्बाई में है जो उत्तराखंड राज्य में स्थित है
- यह प्रादेशिक रूप से सबसे कम विस्तृत भाग है
- इसकी सर्वोच्च चोटी नन्दा देवी है
- इसके अलावा बन्दरपूँछ, बद्रीनाथ आदि प्रमुख है
- इसी हिमालय के अंतर्गत पंचप्रयाग स्थित है
- इसे तीर्थ स्थलों का हिमालय भी कहा जाता है जहां यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ आदि तीर्थ स्थल है
- यहाँ से अनेक नदियों जैसे – गंगा, यमुना, भागीरथी, अलकनंदा आदि का उद्गम होता है।
नेपाल हिमालय
- यह काली नदी से तीस्ता नदी के बीच स्थित हिमालय है जो 800 Km की लंबाई में सर्वाधिक विस्तृत भाग है
- इसका अधिकांश भाग नेपाल में होने के कारण इसे नेपाल हिमालय कहा जाता है
- यहां हिमालय की सर्वोच्च चोटियां एवरेस्ट, कंचनजंघा, मकालू, धौलागिरी आदि प्रमुख स्थित है
- यहां से अनेक नदियों का उद्गम होता है जिनमें तीस्ता, कोसी, घाघरा, गंडक आदि प्रमुख है
- नेपाल में स्थित पशुपतिनाथ का मंदिर प्रमुख पर्यटन स्थल है
- यहां महान हिमालय व महाभारत श्रेणी के मध्य काठमांडू घाटी स्थित है
असम हिमालय
- यह तिस्ता व ब्रह्मपुत्र / दिहांग नदियों के मध्य 750 Km की लम्बाई में स्थित है जो हिमालय का दूसरा सर्वाधिक विस्तृत भाग है
- इसका अधिकांश भाग असम व अरुणाचल प्रदेश राज्य में स्थित है
- अरुणाचल प्रदेश में स्थित नामचा बरुआ इसकी सर्वोच्च चोटी है
- हिमालय के इस भाग में सर्वाधिक जैव विविधता पाई जाती है जिसे hot spot में भी शामिल किया गया है
पूर्वांचल की पहाड़ियाँ
हिमालय के मोड़
- महान हिमालय के निर्माण के बाद यूरेशियाई व इंडियन प्लेट के अभिसरण से इसमे दो हेयरपिन / सिंटेक्सियल बैंड पड़े जो उत्तर पश्चिम व दक्षिण पूर्व मोड़ के रूप में है क्योंकि महान हिमालय का विस्तार उतर पश्चिम से दक्षिण पूर्व में है
- उतर पश्चिम मोड़ सुलेमान व किरथर श्रेणियों के रूप में भारत व पाकिस्तान की सीमा पर स्थित है जबकि दक्षिण पूर्व मोड़ पूर्वांचल की पहाडियो के रूप में है
पूर्वांचल की पहाड़ियाँ
ये महान हिमालय का दक्षिण पूर्व मोड़ है जो निम्नलिखित पहाडियो के रूप में स्थित है
पटकाई बूम पहाड़िया –
- अरुणाचल प्रदेश में स्थित है जो भारत व म्यांमार की सीमा पर स्थित है
- इसमे दीफु दर्रा स्थित है जो भारत व म्यांमार को जोड़ता है
नागा की पहाड़ियां
- नागालैंड में स्थित है जो भारत व म्यांमार की सीमा पर स्थित है इस पर स्थित माउन्ट सारामती पूर्वांचल की सबसे ऊंची चोटी है
- नागालैंड की राजधानी कोहिमा भी इन्ही पहाडियो पर स्थित है जो भारत की पूर्वतम राजधानी है
मणिपुर की पहाड़ियां
- ये मणिपुर में भारत व म्यांमार की सीमा पर स्थित पहाड़ियों है
- इन्ही पहाड़ियों में लोकटक झील स्थित है जो पूर्वोत्तर की सबसे बड़ी झील है यहां स्थित केईबुल लामजाओ राष्ट्रीय उद्यान है जो तैरता हुआ राष्ट्रीय उद्यान कहलाता है
- इन पहाडियो में स्थित तिजु दर्रा मणिपुर व म्यांमार को जोड़ता है
मिजो की पहाड़ियां
- मिजोरम में भारत व म्यांमार की सीमा पर स्थित है
- इन पहाड़ियों पर मिजो व लुसाई जनजातियां निवास करती है इसी कारण इन्हें लुसाई की पहाड़ियां भी कहा जाता है
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