Teaching Methods MCQ सामाजिक विज्ञान की उत्पति एवं अन्य विषयों से सहसंबंध MCQ Last updated: 2025/06/15 at 11:37 AM rajexaminfo.com Share 0 Min Read SHARE 0 सामाजिक विज्ञान की उत्पति एवं अन्य विषयों से सहसंबंध MCQ 1 / 62 कोठारी आयोग की सिफारिश के अनुसार कक्षा 6 से 8 के बच्चों को कैसी विषयवस्तु पढ़ानी चाहिए? मौखिक कोई नहीं समन्वित स्वतंत्र डॉ. दौलत सिंह कोठारी की अध्यक्षता में बने कोठारी आयोग (1964-66) ने कहा कि कक्षा 1 से 5 तक के बालको को समन्वित विषयवस्तु पढाई जानी चाहिए जबकि 6 से 8 तक के बालको को स्वतंत्र विषयवस्तु के रूप में पढाया जाना चाहिए। 1986 की शिक्षा नीति के तहत इस विषयवस्तु पर विशेष विचार किया गया और इसी के आधार पर जून 1992 में देश के लिए POA (प्रोग्राम ऑफ़ एक्शन) नामक योजना शुरू की गयी जिसके सुझावों के आधार पर प्राथमिक स्तर के लिए पर्यावरण अध्ययन एवं उच्च प्राथमिक स्तर के लिए सामाजिक विज्ञान के रूप में विषयवस्तु को विकसित करने का सुझाव दिया गया। 2 / 62 “सामाजिक अध्ययन सामाजिक संबंधों का अध्ययन है” यह परिभाषा किसने दी? सुकरात EB वैस्ले डॉ. कोठारी जोरोलिमेक परिभाषाएं: शब्दकोष के अनुसार -"सामाजिक अध्ययन केवल अर्थशास्त्र इतिहास भूगोल नागरिक शास्त्र का योग नहीं है बल्कि इनसे प्राप्त विषयवस्तु के पारस्परिक अंतर संबंधों के अध्ययन का तरीका है" NCERT -”सामाजिक अध्ययन जन सामान्य, पर्यावरण, प्राकृतिक एवं सामाजिक घटनाओं के परस्पर अंत सम्बन्ध का मानवीय दृष्टिकोण या व्यवहारो का अध्ययन है" EB वैस्ले -”सामाजिक अध्ययन उस विशेष सामग्री की ओर संकेत करता है जिसके आधारभूत तत्व सामाजिक होते है।" माध्यमिक शिक्षा आयोग - “सामाजिक अध्ययन की विषयवस्तु सामाजिक विषय सामग्री का एक ऐसा विशेष संगठन है जिसका उद्देश्य शिक्षार्थियों को सामाजिक कुटुम्ब समाज गाँव, राज्य एवं देश एवं राष्ट्रीय भाव की समझ एवं ज्ञान प्रदान करते हुए इनके बीच सामंजस्य बैठाकर मानवीय समझ को बालको में विकसित करना है" A. B. सक्सेना -"सामाजिक अध्ययन पर्यावरणीय स्वरूप के बारे में संचेतना ज्ञान एवं समझ देती है तथा इसके बारे में (पर्यावरण) बालको में अनुकुलन / समायोजित दृष्टिकोण का विकास करती है तथा इसके संरक्षण एवं सुधार के लिए प्रतिबद्ध है" 3 / 62 नागरिक शास्त्र को माध्यमिक स्तर पर किस नाम से पढ़ाया जाता है? प्रशासनिक शिक्षा लोक प्रशासन राजनीतिक ज्ञान नागरिक शास्त्र नागरिक शास्त्र (राजनीति विज्ञान व लोक प्रशासन) माध्यमिक स्तर तक राजनीति विज्ञान एवं लोक प्रशासन को समन्वित रूप से नागरिक शास्त्र के रूप में पढाया जाता है। इसमे राजनीति विज्ञान के क्षेत्र से हमारा संविधान उसके निर्माण से संबंधित घटनाक्रम संवैधानिक अधिकार कर्तव्य एवं राष्ट्रीय प्रतीक व चिन्ह एवं देश एवं राज्यों की शासन प्रणाली सामान्य चुनाव व्यवस्था मताधिकार का महत्व, प्रमुख राजनीतिक दल आदि की जानकारियां सम्मिलित की जाती है तथा लोक प्रशासन की विषयवस्तु से राज्य, जिला एवं खण्ड प्रशासन की व्यवस्थाए तथा प्रशासनिक प्रबंधन की जानकारियां सम्मिलित की जाती है निष्कर्ष के तौर पर कहा जा सकता है कि देश की व्यवस्थापिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका से सबंधित जानकारियां दी जाती है नागरिक शास्त्र की विषय वस्तु का उद्देश्य एक बालक को राष्ट्र के लिए तैयार करना एवं सुनागरिक बनाना होता है जिसमे व्यक्ति देशकाल, परिस्थिति के अनुसार अपने अधिकार व कर्तव्यो का बोध कर पाता है एवं राष्ट्रीय नियमो के अनुसार अनुशासित रहता है। 4 / 62 सामाजिक अध्ययन की विषयवस्तु में सबसे अधिक योगदान किसका है? विज्ञान इतिहास कला गणित इतिहास - सामाजिक अध्ययन की विषयवस्तु में इतिहास का विशेष महत्व होता है तथा सभ्यताओ के काल से लेकर क्रमश: वैदिक काल, मौर्यकाल, गुप्तकाल, राजपूत काल, मुगलकाल अंग्रेजीकाल से सम्बधित उन विशेष घटनाओं एवं ऐतिहासिक राजवंशो को सम्मिलित किया जाता है जिन्होने इतिहास में कला, साहित्य, सस्कृति एवं सामाजिक स्तर के कार्यों में विशेष पहचान पैदा की। इसके अलावा स्वतंत्रता संग्राम एवं आजादी तक के घटनाक्रमो को सम्मिलित किया जाता है जो किसी ने किसी रूप में आज के युग के लोगो को अपनी विशेषताओं से प्रभावित करते है इतिहास की विषयवस्तु को सम्मिलित करने का उद्देश्य समाज एवं नयी पीढी को विकास की गति समझाना, ऐतिहासिक घटनाओं से सीख लेना एवं इतिहास अपने आप को दोहराता है कि समझ विकसित करना, परिवर्तन प्रकृति का नियम है इस विचार को स्पष्ट करना हमारी संस्कृति रीति रिवाज एवं परम्पराओं को बनाये रखना तथा ऐतिहासिक स्थलो दुर्गो, महलो एवं अन्य कला कृतियों को संरक्षण देने के लिए सम्मिलित किया जाता है इसके अलावा इतिहास पुरुषों के कार्यों उनके त्याग एवं बलिदानों से आधुनिक पीढ़ी के लोगों को प्रेरित करना होता है। 5 / 62 भूगोल पढ़ाने का उद्देश्य क्या है? ऐतिहासिक जानकारी वैज्ञानिक सोच पर्यावरण के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण बनाना आर्थिक विकास भूगोल माध्यमिक स्तर तक भूगोल की विषयवस्तु में मानव भूगोल एवं प्राकृतिक स्तर की भूगोल की विषयवस्तु को सम्मिलित किया जाता है जिसमे पाषाणयुगीन मानव जीवन एवं पर्यावरणीय परिस्थितियों हमारी पृथ्वी एवं सौर परिवार की जानकारी सूर्य एवं चन्द्र ग्रहण, ज्वार भाटा, भूकम्प व ज्वालामुखी, पृथ्वी की गतियाँ अक्षांश देशान्तर, वायु दाब पेटियां एवं विभिन्न प्रकार की पवने, वायुमण्डल, जलवायु, खनिज, वन संपदा एवं सागर महाद्वीप, महाद्वीप के साथ साथ खगोलीय घटनाओं की सामान्य जानकारी सम्मिलित की जाती है। एक बालक को पर्यावरण एवं मानव जीवन, पर्यावरण संरक्षण में मानव की भूमिका, मानव जीवन के लिए आवश्यक घटनाएं तथा भौतिक जैविक संसाधनों की समझ पैदा करते हुए मानव का दृष्टिकोण इन सब के प्रति सकारात्मक बनाना ही भूगोल की विषयवस्तु का उद्देश्य है। 6 / 62 1934 में गठित आयोग का नाम क्या था? नेहरू आयोग कोठारी आयोग सोशल स्टडीज कमिशन मुदालियर आयोग भारत देश में अंग्रेजों के शासनकाल में 1916 के समय सामाजिक अध्ययन की विषयवस्तु का आगमन हुआ और मुम्बई प्रांत में शुरुआत की गई NOTE - भारत देश में पंजाब ऐसा प्रान्त था जहाँ सबसे पहले व्यापक रूप से प्रारम्भिक कक्षाओं में सामाजिक अध्ययन पढ़ाया जाने लगा। 1921 ई. में राष्ट्रीय शिक्षा परिषद बनाई गयी जिसके माध्यम से सामाजिक अध्ययन के विकास पर बल दिया गया 1934 ई. में Social Studies Commission गठित किया गया जिसने सामाजिक अध्ययन के विकास में विशेष योगदान दिया NOTE - 1920-1955 के बीच सामाजिक अध्ययन का जो विकास हुआ उसके लिए इस काल को भारत में शैशवकाल / विकास काल / उदयकाल की सज्ञा दी गई स्वतंत्र भारत में 1952-53 के समय बने मुदालियर आयोग / माध्यमिक शिक्षा आयोग जिसके अध्यक्ष लक्ष्मण स्वामी मुदालियर थे की सिफारिशों से 1955 से देश के प्रत्येक प्रारम्भिक विधालय में सामाजिक अध्ययन की विषयवस्तु को अनिवार्य किया गया डॉ. दौलत सिंह कोठारी की अध्यक्षता में बने कोठारी आयोग (1964-66) ने कहा कि कक्षा 1 से 5 तक के बालको को समन्वित विषयवस्तु पढाई जानी चाहिए जबकि 6 से 8 तक के बालको को स्वतंत्र विषयवस्तु के रूप में पढाया जाना चाहिए। 1986 की शिक्षा नीति के तहत इस विषयवस्तु पर विशेष विचार किया गया और इसी के आधार पर जून 1992 में देश के लिए POA (प्रोग्राम ऑफ़ एक्शन) नामक योजना शुरू की गयी जिसके सुझावों के आधार पर प्राथमिक स्तर के लिए पर्यावरण अध्ययन एवं उच्च प्राथमिक स्तर के लिए सामाजिक विज्ञान के रूप में विषयवस्तु को विकसित करने का सुझाव दिया गया। 7 / 62 NCERT के अनुसार सामाजिक अध्ययन क्या है? विज्ञान गणित केवल भूगोल सामाजिक घटनाओं का अध्ययन परिभाषाएं: शब्दकोष के अनुसार -"सामाजिक अध्ययन केवल अर्थशास्त्र इतिहास भूगोल नागरिक शास्त्र का योग नहीं है बल्कि इनसे प्राप्त विषयवस्तु के पारस्परिक अंतर संबंधों के अध्ययन का तरीका है" NCERT -”सामाजिक अध्ययन जन सामान्य, पर्यावरण, प्राकृतिक एवं सामाजिक घटनाओं के परस्पर अंत सम्बन्ध का मानवीय दृष्टिकोण या व्यवहारो का अध्ययन है" EB वैस्ले -”सामाजिक अध्ययन उस विशेष सामग्री की ओर संकेत करता है जिसके आधारभूत तत्व सामाजिक होते है।" माध्यमिक शिक्षा आयोग - “सामाजिक अध्ययन की विषयवस्तु सामाजिक विषय सामग्री का एक ऐसा विशेष संगठन है जिसका उद्देश्य शिक्षार्थियों को सामाजिक कुटुम्ब समाज गाँव, राज्य एवं देश एवं राष्ट्रीय भाव की समझ एवं ज्ञान प्रदान करते हुए इनके बीच सामंजस्य बैठाकर मानवीय समझ को बालको में विकसित करना है" A. B. सक्सेना -"सामाजिक अध्ययन पर्यावरणीय स्वरूप के बारे में संचेतना ज्ञान एवं समझ देती है तथा इसके बारे में (पर्यावरण) बालको में अनुकुलन / समायोजित दृष्टिकोण का विकास करती है तथा इसके संरक्षण एवं सुधार के लिए प्रतिबद्ध है" 8 / 62 बालक को आर्थिक रूप से समझदार बनाना उद्देश्य है - विज्ञान अर्थशास्त्र भूगोल दर्शनशास्त्र अर्थशास्त्र - माध्यमिक स्तर तक सामाजिक अध्ययन की विषयवस्तु में अर्थशास्त्र को लेकर उस विषयवस्तु को शामिल किया जाता है जिसमे अर्थ प्राप्ति के स्रोत जैसे कृषि पशुपालन उद्योग धंधे व्यापार, कुटीर उद्योग, खनिज सम्पदा से संबधित व्यवसाय, विभिन्न प्रकार की परियोजनाएँ वानिकी, सेवाकार्य आदि तथा अर्थ को उपयोग में लाने एवं नियोजन से संबंधित जानकारियां जैसे बैंकिंग, बचत, बीमा से संबंधित विषयवस्तु सम्मिलित की जाती है इसके अलावा आधुनिक समय की सरकारी योजनाए सहकारिता तथा राष्ट्रीय तथा व्यक्तिगत आय का सामान्य परिचय। एक बालक को प्रारम्भ से ही आर्थिक रूप से समझदार बनाना तथा उसके जीवन में आर्थिक सामाजिक सम्पन्नता पैदा करना होता है। 9 / 62 सामाजिक विज्ञान को पढ़ाने में भाषा क्यों आवश्यक है? परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए लोकोक्ति व मुहावरों से समझ सरल होती है अध्यापक की सुविधा के लिए प्रश्नों के उत्तर देने के लिए सामाजिक विज्ञान एवं भाषा: संसार में ऐसा कोई विषय नहीं जिसको पहने के लिए या समझने के लिए भाषा की आवश्यकता नहीं पड़ती हो ठीक उसी प्रकार से सामाजिक विज्ञान की विषयवस्तु को पढ़ने के लिए भी भाषा की नितांत आवश्यकता होती है। भाषा में साहित्य से संबंधित कई बाते, मुहावरे, लोकोक्तियाँ आदि वे विशेषताए होती है जिनका उपयोग करते हुए सामाजिक विज्ञान की बातों को ज्यादा सरल तरीके से समझाया जा सकता है इसलिए सामाजिक विज्ञान को भाषा से पृथक नहीं किया जा सकता है। 10 / 62 मुनेश्वर प्रसाद के अनुसार सामाजिक विज्ञान किससे संबंधित है? मानवीय संबंधों की संरचना से जुड़ा ज्ञान भौतिक संसाधन धार्मिक परंपराएँ पारंपरिक ज्ञान सामाजिक विज्ञान का क्षेत्र - किसी भी विषय के क्षेत्र से अभिप्राय होता है उसकी विषयवस्तु अर्थात् सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में इतिहास, भूगोल, नागरिक शास्त्र, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, दर्शनशास्त्र जैसी विषयवस्तु सम्मिलित है विद्वानों के अनुसार सामाजिक विज्ञान का क्षेत्र निम्न प्रकार से बताया गया है J.U. माइकेलिस -”सामाजिक अध्ययन, इतिहास, भूगोल, नागरिक शास्त्र, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, दर्शनशास्त्र, मानवशास्त्र एवं हमारी लोकतंत्रीय विरासत का अध्ययन तथा सामाजिक समस्याओ व परिवर्तनों की शिक्षा में मनोवैज्ञानिक आधारों का निहित होना है।" SK याज्ञनिक - "सामाजिक अध्ययन का क्षेत्र परिवार, आस पडौस, राज्य, देश तथा अन्ततः समस्त विश्व से संबंधित सामाजिक पक्षों का अध्ययन होता है जिसमे कालक्रम के अन्तराल की दृष्टि से समाज के अध्ययन को सम्मिलित किया जाता है” मुनेश्वर प्रसाद -"आज की दुनिया की विस्तृत और उलझी हुई मानवीय संबंधों की संरचना से जुडा ज्ञान प्राप्त करने के लिए बनायी गयी विषय वस्तु ही सामाजिक विज्ञान का क्षेत्र है" सामाजिक विज्ञान वास्तव में वह विषयवस्तु है जिसमे मानवीय दृष्टिकोण से सम्पूर्ण संसार का भौगोलिक, ऐतिहासिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक एवं मानवीय मूल्यो से संबंधित ज्ञान समाहित होता जो एक बालक को अपने राष्ट्र के प्रति समर्पित भाव से सुनागरिक बनाने में मदद करती है 11 / 62 कला किस प्रकार से सामाजिक विज्ञान से जुड़ी है? सामाजिक जीवन को रंगीन बनाती है संगीत तक सीमित है केवल चित्रकला के माध्यम से कला का संबंध नहीं है सामाजिक विज्ञान एवं कला- मनुष्य प्रारम्भ से ही कलाओं का धनी रहा आज भी प्राचीन समय की शिल्पकला, मूर्तिकला एवं विभिन्न प्रकार की चित्रकलाओ के नमूने अद्वितीय है और वर्तमान समय में भी यह सब कलाए सजीव है इनके अलावा संगीत, नृत्य, हस्तशिल्प एवं पाक कला ऐसी कलाए है जो सामाजिक जीवन में रंग भर देती है इन सब को समाज व सामाजिक विज्ञान से अलग नहीं किया जा सकता है 12 / 62 आर्थिक क्रियाओं से संबंधित विषय है - नागरिक शास्त्र अर्थशास्त्र भूगोल दर्शन अर्थशास्त्र - माध्यमिक स्तर तक सामाजिक अध्ययन की विषयवस्तु में अर्थशास्त्र को लेकर उस विषयवस्तु को शामिल किया जाता है जिसमे अर्थ प्राप्ति के स्रोत जैसे कृषि पशुपालन उद्योग धंधे व्यापार, कुटीर उद्योग, खनिज सम्पदा से संबधित व्यवसाय, विभिन्न प्रकार की परियोजनाएँ वानिकी, सेवाकार्य आदि तथा अर्थ को उपयोग में लाने एवं नियोजन से संबंधित जानकारियां जैसे बैंकिंग, बचत, बीमा से संबंधित विषयवस्तु सम्मिलित की जाती है इसके अलावा आधुनिक समय की सरकारी योजनाए सहकारिता तथा राष्ट्रीय तथा व्यक्तिगत आय का सामान्य परिचय। एक बालक को प्रारम्भ से ही आर्थिक रूप से समझदार बनाना तथा उसके जीवन में आर्थिक सामाजिक सम्पन्नता पैदा करना होता है। 13 / 62 सामाजिक अध्ययन किस प्रकार का ज्ञान देता है? प्रत्यक्ष और व्यावहारिक काल्पनिक सांकेतिक अनुप्रयुक्त सामाजिक अध्ययन की विशेषताएं:- समाज का अध्ययन है। जो मानवीय संबंधो को स्पष्ट करता है सामाजिक अध्ययन मानव संस्कृति एवं सभ्यता का अध्ययन है सामाजिक अध्ययन भौतिक, जैविक, सामाजिक घटको से संबंधित विषयवस्तु का अध्ययन है सामाजिक अध्ययन सामाजिक परिस्थिति एवं सामुदायिक सरोकारो का अध्ययन है सामाजिक अध्ययन की विषयवस्तु मानवीय मूल्यो, कर्तव्यों, अधिकारों एवं नैतिक गुणो के विकास से संबंधित अध्ययन है। सामाजिक अध्ययन सामाजिक सम्बन्धो एवं प्रस्थितियो (पद) का अध्ययन है सामाजिक अध्ययन ऐतिहासिक, भौगोलिक एवं आर्थिक दृष्टिकोण से भूत, भविष्य एवं वर्तमान की समझ विकसित करता है सामाजिक अध्ययन प्रत्यक्ष ज्ञान एवं स्पष्ट सूचना की विषयवस्तु है। सामाजिक अध्ययन शिक्षा एवं समाजीकरण का अध्ययन है सामाजिक अध्ययन राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय समझ विकसित करता है। सामाजिक अध्ययन व्यावहारिकता के अध्ययन पर बल देता है सामाजिक अध्ययन के अपने सिद्धांत है। सामाजिक अध्ययन व्यापक दृष्टिकोण रखता है तथा इसका क्षेत्र भी व्यापक है सामाजिक अध्ययन जीवन जीना सिखाता है। सामाजिक अध्ययन विद्यार्थियों में रचनात्मकता को बढावा देता है सामाजिक अध्ययन समन्वित व एकीकृत विषयवस्तु है सामाजिक अध्ययन व्यक्ति में सामाजिक प्राणी के लक्षण विकसित करता है। 14 / 62 सुकरात ने किस प्रकार की शिक्षण विधियाँ विकसित कीं? वाद-विवाद, प्रश्नोत्तर, तर्क वितर्क अवलोकन प्रस्तुतीकरण प्रयोगात्मक सामाजिक अध्ययन की उत्पति - सामाजिक अध्ययन का दृष्टिकोण ई. पू. 5 वी सदी में यूनान के एथेंस नगर से प्रारम्भ हुआ जहाँ सुकरात नामक दार्शनिक ने सबसे पहले कहा कि मनुष्य को मनुष्य का अध्ययन करना चाहिए सुकरात एक अनपढ व्यक्ति थे उसके बावजूद इन्हें युनान के एंथेस नगर में खुले विद्यालय की तर्ज पर हजारो लोगो को मौखिक रूप से पढ़ाया इन्होंने कोई पुस्तक नहीं लिखी लेकिन जो यह बोलते थे उनसे ही इनके शिष्यों ने सैकड़ों रचनाए तैयार कर दी इनके द्वारा मानव जीवन, समाज, नीतिशास्त्र तथा आध्यात्मिक दर्शन की शिक्षा उस जमाने के युवाओं को दी गई इनकी प्रणाली से वादविवाद विधि, प्रश्नोतर विधि, सन्देह विधि, तर्क वितर्क विधि, पाठ्यपुस्तक विधि आदि शिक्षण प्रणालियों का विकास हुआ सुकरात के कार्यों से ही इन्हें यूनान का खुला विश्वविद्यालय कहा जाता है भारतीय विद्वान इन्हें कबीर जैसा रचनाकार मानते है। 15 / 62 "इतिहास अपने आप को दोहराता है" – यह विचार किस विषय के अंतर्गत आता है? भूगोल इतिहास नागरिक शास्त्र दर्शनशास्त्र इतिहास - सामाजिक अध्ययन की विषयवस्तु में इतिहास का विशेष महत्व होता है तथा सभ्यताओ के काल से लेकर क्रमश: वैदिक काल, मौर्यकाल, गुप्तकाल, राजपूत काल, मुगलकाल अंग्रेजीकाल से सम्बधित उन विशेष घटनाओं एवं ऐतिहासिक राजवंशो को सम्मिलित किया जाता है जिन्होने इतिहास में कला, साहित्य, सस्कृति एवं सामाजिक स्तर के कार्यों में विशेष पहचान पैदा की। इसके अलावा स्वतंत्रता संग्राम एवं आजादी तक के घटनाक्रमो को सम्मिलित किया जाता है जो किसी ने किसी रूप में आज के युग के लोगो को अपनी विशेषताओं से प्रभावित करते है इतिहास की विषयवस्तु को सम्मिलित करने का उद्देश्य समाज एवं नयी पीढी को विकास की गति समझाना, ऐतिहासिक घटनाओं से सीख लेना एवं इतिहास अपने आप को दोहराता है कि समझ विकसित करना, परिवर्तन प्रकृति का नियम है इस विचार को स्पष्ट करना हमारी संस्कृति रीति रिवाज एवं परम्पराओं को बनाये रखना तथा ऐतिहासिक स्थलो दुर्गो, महलो एवं अन्य कला कृतियों को संरक्षण देने के लिए सम्मिलित किया जाता है इसके अलावा इतिहास पुरुषों के कार्यों उनके त्याग एवं बलिदानों से आधुनिक पीढ़ी के लोगों को प्रेरित करना होता है। 16 / 62 सामाजिक अध्ययन किसका अध्ययन है? मानव संबंधों भौतिक विज्ञान वनस्पति विज्ञान जीवविज्ञान सामाजिक अध्ययन क्या है? सामाजिक अध्ययन समाज के लिए समाज के द्वारा किया जाने वाला मानवीय सम्बन्धों का वह अध्ययन है जिसमें मनुष्य को सामाजिक प्राणी के रूप में पारिभाषित किया गया है सामाजिक अध्ययन में मानव और मानव समाज का अध्ययन इस प्रकार से किया जाता है कि इससे प्राप्त ज्ञान को यदि कोई व्यक्ति अपने व्यवहार में प्रयुक्त कर ले तो उसका जीवन सामाजिक, व्यावहारिक बन जायेगा जैसे कि सुकरात ने कहा था कि मनुष्य और मनुष्य के परस्पर सम्बन्ध ही सामाजिक अध्ययन है 17 / 62 सबसे पहले सामाजिक अध्ययन किस देश में शुरू किया गया? भारत जापान फ्रांस अमेरिका सामाजिक अध्ययन का विकास:- सबसे पहले 19 वी सदी में ब्रिटेन देश ने विचार किया कि जिस प्रकार से बड़ी कक्षाओ/ उच्च कक्षाओं में विभिन्न प्रकार के सामाजिक विज्ञानो को पढ़ाया जाता है उसी प्रकार से छोटी / प्रारम्भिक स्तर की बालको की कक्षाओं के बालको को भी सामाजिक अध्ययन की विषयवस्तु पढ़ाई जानी चाहिए अमेरिका दुनिया का पहला देश था जहाँ 1892 ई. में प्रारंभिक कक्षाओं में सामाजिक अध्ययन की विषयवस्तु पढाई जाने लगी प्रारम्भ में इसकी विषय वस्तु में इतिहास, भूगोल, नागरिक शास्त्र (राजनीति विज्ञान + लोकप्रशासन), अर्थशास्त्र को सम्मिलित किया गया बाद में 1911 ई. के समय कमेटी ऑफ टेन की सिफारिशों से इसमें समाजशास्त्र की विषयवस्तु को शामिल किया गया वर्तमान सामाजिक अध्ययन में उपर्युक्त विषयों के अलावा दर्शनशास्त्र भी शामिल है। 18 / 62 सामाजिक अध्ययन किस संस्कृति का अध्ययन करता है? विज्ञान धार्मिक मानव संस्कृति विदेशी सामाजिक अध्ययन की विशेषताएं:- समाज का अध्ययन है। जो मानवीय संबंधो को स्पष्ट करता है सामाजिक अध्ययन मानव संस्कृति एवं सभ्यता का अध्ययन है सामाजिक अध्ययन भौतिक, जैविक, सामाजिक घटको से संबंधित विषयवस्तु का अध्ययन है सामाजिक अध्ययन सामाजिक परिस्थिति एवं सामुदायिक सरोकारो का अध्ययन है सामाजिक अध्ययन की विषयवस्तु मानवीय मूल्यो, कर्तव्यों, अधिकारों एवं नैतिक गुणो के विकास से संबंधित अध्ययन है। सामाजिक अध्ययन सामाजिक सम्बन्धो एवं प्रस्थितियो (पद) का अध्ययन है सामाजिक अध्ययन ऐतिहासिक, भौगोलिक एवं आर्थिक दृष्टिकोण से भूत, भविष्य एवं वर्तमान की समझ विकसित करता है 19 / 62 सामाजिक अध्ययन किस प्रकार की समझ विकसित करता है? राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय केवल गणितीय काल्पनिक धार्मिक सामाजिक अध्ययन की आवश्यकता क्यो? सामाजिक अध्ययन की आवश्यकता बालक के सर्वांगीण विकास में योगदान देती है। बदलते परिवेश एवं सामाजिक संबंधों के साथ अनुकूलन संरक्षण एवं सुधार की दिशा देने हेतु सामाजिक अध्ययन मानवीय परिस्थितियों में राज्य, राष्ट्र एवं विश्व के लिए कल्याणकारी भावना का विकास करने हेतु सामाजिक स्तर पर बालकों के चरित्र निर्माण हेतु नागरिकता एवं मानवीय सद्भावना का विकास हेतु देश के प्रति एवं पर्यावरण के प्रति जागरूकता के भाव विकसित करने हेतु । 20 / 62 दर्शनशास्त्र की विषयवस्तु में क्या शामिल होता है? केवल शास्त्र सामान्य सामाजिक दर्शन केवल गणितीय विचार वैज्ञानिक प्रयोग दर्शनशास्त्र - माध्यमिक स्तर तक मूल दर्शनशास्त्र की विषयवस्तु नहीं होती है केवल इसमे सामान्य परिचय एवं उस दर्शन को सम्मिलित किया जाता जो सामान्य सामाजिक वातावरण में बालकों को सामान्य ज्ञान के रूप में जानकारी में होता है जैसे - जैन दर्शन, बौद्ध दर्शन, सांख्य दर्शन आदि दर्शन की विषयवस्तु का उद्देश्य बालक को तार्किक एवं चिन्तनशील बनाना होता है। 21 / 62 अरस्तु किस शासक के गुरु थे? हेरोडोटस चंद्रगुप्त सिकंदर महान लियोनिदास अरस्तु :- यह प्लेटो के शिष्य थे तथा इन्होने अपने जीवन काल में शिक्षा को आगे बढ़ाने का कार्य किया। यूनान क्षेत्र के मकदूनिया एवं एथेंस क्षेत्रो में शिक्षा को लेकर विशेष कार्य किया इनके द्वारा मानव जीवन को 04 भागों में विभाजित किया गया और 21 वर्ष की आयु के बाद केवल सामाजिक विज्ञान की शिक्षा प्रदान करने पर जोर दिया यह यथार्थवादी दार्शनिक थे इन्होने मकदूनिया के शासक सिकन्दर को 04 वर्षों तक शिक्षा प्रदान करते हुए इस योग्य बनाया कि वह विश्वविजेता बना इन्होने सैकडो पुस्तकें लिखी जिनमें से पॉलिटिक्स एवं डिएनिमा सर्वाधिक चर्चित रही प्लेटो अरस्तू को अपने विद्यालय का मस्तिष्क कहते थे। अरस्तु ने कहा था कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और समाज में जीना पसन्द करता है। वास्तविक रूप से देखा जाए तो आज के सभी सामाजिक विज्ञानों का जन्म अरस्तु की अवधारणा से ही हुआ। अरस्तु ने विश्लेषण व आगमन विधि को अपनाया उपर्युक्त विद्वानों के सन्दर्भ में जानने के बाद यह स्पष्ट होता है कि सामाजिक विज्ञान जैसी विषयवस्तु का जन्म इन्ही विद्वानों के कार्यों से हुआ। 22 / 62 विज्ञान को सामाजिक विज्ञान से अलग नहीं किया जा सकता क्योंकि – विज्ञान इतिहास है विज्ञान सामाजिक रीति रिवाज देता है विज्ञान सामाजिक कार्यों में प्रयुक्त होता है विज्ञान मनोरंजन देता है सामाजिक विज्ञान एवं विज्ञान:- आज के युग में एक सामाजिक प्राणी के कदम कदम पर विज्ञान का प्रभाव है हमारे रहने खाने पीने सोने बैठने एवं पहनने से संबंधित सभी चीजे अथवा व्यवस्थाए किसी ना किसी प्रकार से विज्ञान की देन है आज मनोरंजन के साधन खेलकूद सामग्री चिकित्सा सामग्री एवं शैक्षणिक सामग्री भी पूर्णतया विज्ञान पर आधारित है आज के युग में सुदुर गांव में बैठा एक किसान भी विज्ञान से सराबोर है इसलिए विज्ञान को सामाजिक विज्ञान से अलग करना सम्भव नहीं है। 23 / 62 सामाजिक अध्ययन किन मूल्यों के विकास में सहायक है? मानवीय, नैतिक, राष्ट्रीय वैज्ञानिक केवल शारीरिक तकनीकी सामाजिक अध्ययन की आवश्यकता क्यो? सामाजिक अध्ययन की आवश्यकता बालक के सर्वांगीण विकास में योगदान देती है। बदलते परिवेश एवं सामाजिक संबंधों के साथ अनुकूलन संरक्षण एवं सुधार की दिशा देने हेतु सामाजिक अध्ययन मानवीय परिस्थितियों में राज्य, राष्ट्र एवं विश्व के लिए कल्याणकारी भावना का विकास करने हेतु सामाजिक स्तर पर बालकों के चरित्र निर्माण हेतु नागरिकता एवं मानवीय सद्भावना का विकास हेतु देश के प्रति एवं पर्यावरण के प्रति जागरूकता के भाव विकसित करने हेतु । 24 / 62 “जीवन जीना एक सुन्दर कला है जो सामाजिक अध्ययन से आती है” यह कथन किसका है? M.P. मुफात A.B. सक्सेना जोरोलिमेक सुकरात सामाजिक अध्ययन समाज के लिए समाज के द्वारा किया जाने वाला मानवीय सम्बन्धों का वह अध्ययन है जिसमें मनुष्य को सामाजिक प्राणी के रूप में पारिभाषित किया गया है सामाजिक अध्ययन में मानव और मानव समाज का अध्ययन इस प्रकार से किया जाता है कि इससे प्राप्त ज्ञान को यदि कोई व्यक्ति अपने व्यवहार में प्रयुक्त कर ले तो उसका जीवन सामाजिक, व्यावहारिक बन जायेगा जैसे कि सुकरात ने कहा था कि मनुष्य और मनुष्य के परस्पर सम्बन्ध ही सामाजिक अध्ययन है प्लेटो ने कहा था कि मनुष्य ईश्वर एवं प्रकृति के बीच बने अंतः संबंधों की व्यवस्था ही सामाजिक अध्ययन है उपर्युक्त विचारों से प्रभावित होते हुए- M.P. मुफात -"जीवन जीना एक सुन्दर कला है जो सामाजिक अध्ययन से ही जाती है" जोरोलिमेक- "सामाजिक अध्ययन सामाजिक सम्बन्धों अध्ययन है" 25 / 62 प्लेटो ने आत्मा को किन अंगों से जोड़ा था? मस्तिष्क, त्वचा, पैर हृदय, मस्तिष्क, आँख हाथ, पैर, सिर नाभि, हृदय, मस्तिष्क सुकरात के शिष्य प्लेटो का जन्म भी यूनान में हुआ और यह भी सुकरात के अभिन्न शिष्य थे इन्होने सुकरात से प्रेरित होकर मानव दर्शन को अपनाया और प्रकृतिवादी विचारक बने । इनके द्वारा राजनीति, इतिहास, धर्म, नीति एवं समाज को लेकर कई पुस्तकें लिखी गयी। जिनमें से Republic तथा Laws सर्वाधिक चर्चित पुस्तकें है प्लेटो ने ही सबसे पहले एक विद्यालय की स्थापना की और अपने दर्शन में गणित ज्यामिति तथा पाइथागोरस की विचारधारा को सम्मिलित किया। इन्होने ही कहा था कि ईश्वर, प्रकृति और मनुष्य आपस में इस प्रकार से अंत संबंधित है। जिनको एक दुसरे से अलग नहीं किया जा सकता है इन्होने ही नाभी, हृदय और मस्तिष्क से निकलने वाले क्रमश: तृष्णा, भाव एवं चिन्तन को मिलाकर आत्मा बताया था तथा कहा कि आत्मा ही परमात्मा है। इन्होने हीसुकरात की सभी विधियों को आगे बढ़ाया और उनके अलावा इन्होने संश्लेषण विधि, निगमन विधि और व्याख्यान विधि का विकास किया। प्लेटो यूनान के प्रथम शिक्षाशास्त्री माने जाते है 26 / 62 समाज में विज्ञान का प्रभाव कहाँ-कहाँ है? केवल शिक्षा में केवल भोजन में केवल चिकित्सा में जीवन के हर पहलू में सामाजिक विज्ञान एवं विज्ञान:- आज के युग में एक सामाजिक प्राणी के कदम कदम पर विज्ञान का प्रभाव है हमारे रहने खाने पीने सोने बैठने एवं पहनने से संबंधित सभी चीजे अथवा व्यवस्थाए किसी ना किसी प्रकार से विज्ञान की देन है आज मनोरंजन के साधन खेलकूद सामग्री चिकित्सा सामग्री एवं शैक्षणिक सामग्री भी पूर्णतया विज्ञान पर आधारित है आज के युग में सुदुर गांव में बैठा एक किसान भी विज्ञान से सराबोर है इसलिए विज्ञान को सामाजिक विज्ञान से अलग करना सम्भव नहीं है। 27 / 62 समाज में गणित का क्या महत्व है? वैज्ञानिक कार्य के लिए लेन-देन और माप के लिए केवल पढ़ाई के लिए केवल व्यापारी के लिए सामाजिक विज्ञान एवं गणित :- सामाजिक विज्ञान की विषयवस्तु में इतिहास, भूगोल, नागरिक शास्त्र, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र व दर्शन सभी में गाणित के ज्ञान की आवश्यकता होती है बिना गणित के ज्ञान से सामाजिक विज्ञान के व्यवहार को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है इसलिए समाज के प्रत्येक आदान प्रदान, लेनदेन आदि के व्यवहार में गाणित का ज्ञान अति आवश्यक है समाज में गणित का अहम रोल है यह एक सामुदायिक विषय है जिसे पढ़ने के लिए किसी विद्यालय की आवश्यकता नहीं होती है और यह विषय जन्म से मृत्यु तक साथ देता है। 28 / 62 प्लेटो की प्रसिद्ध पुस्तक कौन-सी है? कॉन्ट्रैक्ट रिपब्लिक पॉलिटिक्स डेमोक्रेसी सुकरात के शिष्य प्लेटो का जन्म भी यूनान में हुआ और यह भी सुकरात के अभिन्न शिष्य थे इन्होने सुकरात से प्रेरित होकर मानव दर्शन को अपनाया और प्रकृतिवादी विचारक बने । इनके द्वारा राजनीति, इतिहास, धर्म, नीति एवं समाज को लेकर कई पुस्तकें लिखी गयी। जिनमें से Republic तथा Laws सर्वाधिक चर्चित पुस्तकें है प्लेटो ने ही सबसे पहले एक विद्यालय की स्थापना की और अपने दर्शन में गणित ज्यामिति तथा पाइथागोरस की विचारधारा को सम्मिलित किया। इन्होने ही कहा था कि ईश्वर, प्रकृति और मनुष्य आपस में इस प्रकार से अंत संबंधित है। जिनको एक दुसरे से अलग नहीं किया जा सकता है इन्होने ही नाभी, हृदय और मस्तिष्क से निकलने वाले क्रमश: तृष्णा, भाव एवं चिन्तन को मिलाकर आत्मा बताया था तथा कहा कि आत्मा ही परमात्मा है। इन्होने हीसुकरात की सभी विधियों को आगे बढ़ाया और उनके अलावा इन्होने संश्लेषण विधि, निगमन विधि और व्याख्यान विधि का विकास किया। प्लेटो यूनान के प्रथम शिक्षाशास्त्री माने जाते है 29 / 62 सामाजिक विज्ञान में कौन-से मूल्य निहित होते हैं? आर्थिक मूल्य औद्योगिक मूल्य धार्मिक मूल्य मानवीय मूल्य सामाजिक विज्ञान वास्तव में वह विषयवस्तु है जिसमे मानवीय दृष्टिकोण से सम्पूर्ण संसार का भौगोलिक, ऐतिहासिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक एवं मानवीय मूल्यो से संबंधित ज्ञान समाहित होता जो एक बालक को अपने राष्ट्र के प्रति समर्पित भाव से सुनागरिक बनाने में मदद करती है 30 / 62 अरस्तु ने किस विधि का उपयोग किया? मूल्यांकन आगमन विधि आलोचनात्मक प्रयोगात्मक अरस्तु :- यह प्लेटो के शिष्य थे तथा इन्होने अपने जीवन काल में शिक्षा को आगे बढ़ाने का कार्य किया। यूनान क्षेत्र के मकदूनिया एवं एथेंस क्षेत्रो में शिक्षा को लेकर विशेष कार्य किया इनके द्वारा मानव जीवन को 04 भागों में विभाजित किया गया और 21 वर्ष की आयु के बाद केवल सामाजिक विज्ञान की शिक्षा प्रदान करने पर जोर दिया यह यथार्थवादी दार्शनिक थे इन्होने मकदूनिया के शासक सिकन्दर को 04 वर्षों तक शिक्षा प्रदान करते हुए इस योग्य बनाया कि वह विश्वविजेता बना इन्होने सैकडो पुस्तकें लिखी जिनमें से पॉलिटिक्स एवं डिएनिमा सर्वाधिक चर्चित रही प्लेटो अरस्तू को अपने विद्यालय का मस्तिष्क कहते थे। अरस्तु ने कहा था कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और समाज में जीना पसन्द करता है। वास्तविक रूप से देखा जाए तो आज के सभी सामाजिक विज्ञानों का जन्म अरस्तु की अवधारणा से ही हुआ। अरस्तु ने विश्लेषण व आगमन विधि को अपनाया उपर्युक्त विद्वानों के सन्दर्भ में जानने के बाद यह स्पष्ट होता है कि सामाजिक विज्ञान जैसी विषयवस्तु का जन्म इन्ही विद्वानों के कार्यों से हुआ। 31 / 62 अमेरिका में किस वर्ष सामाजिक अध्ययन प्रारंभ हुआ? 1911 1947 1920 1892 सामाजिक अध्ययन का विकास:- सबसे पहले 19 वी सदी में ब्रिटेन देश ने विचार किया कि जिस प्रकार से बड़ी कक्षाओ/ उच्च कक्षाओं में विभिन्न प्रकार के सामाजिक विज्ञानो को पढ़ाया जाता है उसी प्रकार से छोटी / प्रारम्भिक स्तर की बालको की कक्षाओं के बालको को भी सामाजिक अध्ययन की विषयवस्तु पढ़ाई जानी चाहिए अमेरिका दुनिया का पहला देश था जहाँ 1892 ई. में प्रारंभिक कक्षाओं में सामाजिक अध्ययन की विषयवस्तु पढाई जाने लगी प्रारम्भ में इसकी विषय वस्तु में इतिहास, भूगोल, नागरिक शास्त्र (राजनीति विज्ञान + लोकप्रशासन), अर्थशास्त्र को सम्मिलित किया गया बाद में 1911 ई. के समय कमेटी ऑफ टेन की सिफारिशों से इसमें समाजशास्त्र की विषयवस्तु को शामिल किया गया वर्तमान सामाजिक अध्ययन में उपर्युक्त विषयों के अलावा दर्शनशास्त्र भी शामिल है।सामाजिक अध्ययन का विकास:- सबसे पहले 19 वी सदी में ब्रिटेन देश ने विचार किया कि जिस प्रकार से बड़ी कक्षाओ/ उच्च कक्षाओं में विभिन्न प्रकार के सामाजिक विज्ञानो को पढ़ाया जाता है उसी प्रकार से छोटी / प्रारम्भिक स्तर की बालको की कक्षाओं के बालको को भी सामाजिक अध्ययन की विषयवस्तु पढ़ाई जानी चाहिए अमेरिका दुनिया का पहला देश था जहाँ 1892 ई. में प्रारंभिक कक्षाओं में सामाजिक अध्ययन की विषयवस्तु पढाई जाने लगी प्रारम्भ में इसकी विषय वस्तु में इतिहास, भूगोल, नागरिक शास्त्र (राजनीति विज्ञान + लोकप्रशासन), अर्थशास्त्र को सम्मिलित किया गया बाद में 1911 ई. के समय कमेटी ऑफ टेन की सिफारिशों से इसमें समाजशास्त्र की विषयवस्तु को शामिल किया गया वर्तमान सामाजिक अध्ययन में उपर्युक्त विषयों के अलावा दर्शनशास्त्र भी शामिल है।सामाजिक अध्ययन का विकास:- सबसे पहले 19 वी सदी में ब्रिटेन देश ने विचार किया कि जिस प्रकार से बड़ी कक्षाओ/ उच्च कक्षाओं में विभिन्न प्रकार के सामाजिक विज्ञानो को पढ़ाया जाता है उसी प्रकार से छोटी / प्रारम्भिक स्तर की बालको की कक्षाओं के बालको को भी सामाजिक अध्ययन की विषयवस्तु पढ़ाई जानी चाहिए अमेरिका दुनिया का पहला देश था जहाँ 1892 ई. में प्रारंभिक कक्षाओं में सामाजिक अध्ययन की विषयवस्तु पढाई जाने लगी प्रारम्भ में इसकी विषय वस्तु में इतिहास, भूगोल, नागरिक शास्त्र (राजनीति विज्ञान + लोकप्रशासन), अर्थशास्त्र को सम्मिलित किया गया बाद में 1911 ई. के समय कमेटी ऑफ टेन की सिफारिशों से इसमें समाजशास्त्र की विषयवस्तु को शामिल किया गया वर्तमान सामाजिक अध्ययन में उपर्युक्त विषयों के अलावा दर्शनशास्त्र भी शामिल है।सामाजिक अध्ययन का विकास:- सबसे पहले 19 वी सदी में ब्रिटेन देश ने विचार किया कि जिस प्रकार से बड़ी कक्षाओ/ उच्च कक्षाओं में विभिन्न प्रकार के सामाजिक विज्ञानो को पढ़ाया जाता है उसी प्रकार से छोटी / प्रारम्भिक स्तर की बालको की कक्षाओं के बालको को भी सामाजिक अध्ययन की विषयवस्तु पढ़ाई जानी चाहिए अमेरिका दुनिया का पहला देश था जहाँ 1892 ई. में प्रारंभिक कक्षाओं में सामाजिक अध्ययन की विषयवस्तु पढाई जाने लगी प्रारम्भ में इसकी विषय वस्तु में इतिहास, भूगोल, नागरिक शास्त्र (राजनीति विज्ञान + लोकप्रशासन), अर्थशास्त्र को सम्मिलित किया गया बाद में 1911 ई. के समय कमेटी ऑफ टेन की सिफारिशों से इसमें समाजशास्त्र की विषयवस्तु को शामिल किया गया वर्तमान सामाजिक अध्ययन में उपर्युक्त विषयों के अलावा दर्शनशास्त्र भी शामिल है।सामाजिक अध्ययन का विकास:- सबसे पहले 19 वी सदी में ब्रिटेन देश ने विचार किया कि जिस प्रकार से बड़ी कक्षाओ/ उच्च कक्षाओं में विभिन्न प्रकार के सामाजिक विज्ञानो को पढ़ाया जाता है उसी प्रकार से छोटी / प्रारम्भिक स्तर की बालको की कक्षाओं के बालको को भी सामाजिक अध्ययन की विषयवस्तु पढ़ाई जानी चाहिए अमेरिका दुनिया का पहला देश था जहाँ 1892 ई. में प्रारंभिक कक्षाओं में सामाजिक अध्ययन की विषयवस्तु पढाई जाने लगी प्रारम्भ में इसकी विषय वस्तु में इतिहास, भूगोल, नागरिक शास्त्र (राजनीति विज्ञान + लोकप्रशासन), अर्थशास्त्र को सम्मिलित किया गया बाद में 1911 ई. के समय कमेटी ऑफ टेन की सिफारिशों से इसमें समाजशास्त्र की विषयवस्तु को शामिल किया गया वर्तमान सामाजिक अध्ययन में उपर्युक्त विषयों के अलावा दर्शनशास्त्र भी शामिल है। 32 / 62 बालक को राष्ट्र के प्रति जिम्मेदार नागरिक बनाना किसका उद्देश्य है? समाजशास्त्र नागरिक शास्त्र दर्शनशास्त्र इतिहास नागरिक शास्त्र (राजनीति विज्ञान व लोक प्रशासन) माध्यमिक स्तर तक राजनीति विज्ञान एवं लोक प्रशासन को समन्वित रूप से नागरिक शास्त्र के रूप में पढाया जाता है। इसमे राजनीति विज्ञान के क्षेत्र से हमारा संविधान उसके निर्माण से संबंधित घटनाक्रम संवैधानिक अधिकार कर्तव्य एवं राष्ट्रीय प्रतीक व चिन्ह एवं देश एवं राज्यों की शासन प्रणाली सामान्य चुनाव व्यवस्था मताधिकार का महत्व, प्रमुख राजनीतिक दल आदि की जानकारियां सम्मिलित की जाती है तथा लोक प्रशासन की विषयवस्तु से राज्य, जिला एवं खण्ड प्रशासन की व्यवस्थाए तथा प्रशासनिक प्रबंधन की जानकारियां सम्मिलित की जाती है निष्कर्ष के तौर पर कहा जा सकता है कि देश की व्यवस्थापिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका से सबंधित जानकारियां दी जाती है नागरिक शास्त्र की विषय वस्तु का उद्देश्य एक बालक को राष्ट्र के लिए तैयार करना एवं सुनागरिक बनाना होता है जिसमे व्यक्ति देशकाल, परिस्थिति के अनुसार अपने अधिकार व कर्तव्यो का बोध कर पाता है एवं राष्ट्रीय नियमो के अनुसार अनुशासित रहता है। 33 / 62 ऐतिहासिक स्थानों को संरक्षण देने का उद्देश्य क्या है? पर्यटन बढ़ाना प्रचार करना रोजगार देना संस्कृति को बचाना इतिहास - सामाजिक अध्ययन की विषयवस्तु में इतिहास का विशेष महत्व होता है तथा सभ्यताओ के काल से लेकर क्रमश: वैदिक काल, मौर्यकाल, गुप्तकाल, राजपूत काल, मुगलकाल अंग्रेजीकाल से सम्बधित उन विशेष घटनाओं एवं ऐतिहासिक राजवंशो को सम्मिलित किया जाता है जिन्होने इतिहास में कला, साहित्य, सस्कृति एवं सामाजिक स्तर के कार्यों में विशेष पहचान पैदा की। इसके अलावा स्वतंत्रता संग्राम एवं आजादी तक के घटनाक्रमो को सम्मिलित किया जाता है जो किसी ने किसी रूप में आज के युग के लोगो को अपनी विशेषताओं से प्रभावित करते है इतिहास की विषयवस्तु को सम्मिलित करने का उद्देश्य समाज एवं नयी पीढी को विकास की गति समझाना, ऐतिहासिक घटनाओं से सीख लेना एवं इतिहास अपने आप को दोहराता है कि समझ विकसित करना, परिवर्तन प्रकृति का नियम है इस विचार को स्पष्ट करना हमारी संस्कृति रीति रिवाज एवं परम्पराओं को बनाये रखना तथा ऐतिहासिक स्थलो दुर्गो, महलो एवं अन्य कला कृतियों को संरक्षण देने के लिए सम्मिलित किया जाता है इसके अलावा इतिहास पुरुषों के कार्यों उनके त्याग एवं बलिदानों से आधुनिक पीढ़ी के लोगों को प्रेरित करना होता है। 34 / 62 संविधान निर्माण, अधिकार और कर्तव्य किस विषय में पढ़ाए जाते हैं? भूगोल दर्शनशास्त्र इतिहास नागरिक शास्त्र नागरिक शास्त्र (राजनीति विज्ञान व लोक प्रशासन) माध्यमिक स्तर तक राजनीति विज्ञान एवं लोक प्रशासन को समन्वित रूप से नागरिक शास्त्र के रूप में पढाया जाता है। इसमे राजनीति विज्ञान के क्षेत्र से हमारा संविधान उसके निर्माण से संबंधित घटनाक्रम संवैधानिक अधिकार कर्तव्य एवं राष्ट्रीय प्रतीक व चिन्ह एवं देश एवं राज्यों की शासन प्रणाली सामान्य चुनाव व्यवस्था मताधिकार का महत्व, प्रमुख राजनीतिक दल आदि की जानकारियां सम्मिलित की जाती है तथा लोक प्रशासन की विषयवस्तु से राज्य, जिला एवं खण्ड प्रशासन की व्यवस्थाए तथा प्रशासनिक प्रबंधन की जानकारियां सम्मिलित की जाती है निष्कर्ष के तौर पर कहा जा सकता है कि देश की व्यवस्थापिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका से सबंधित जानकारियां दी जाती है नागरिक शास्त्र की विषय वस्तु का उद्देश्य एक बालक को राष्ट्र के लिए तैयार करना एवं सुनागरिक बनाना होता है जिसमे व्यक्ति देशकाल, परिस्थिति के अनुसार अपने अधिकार व कर्तव्यो का बोध कर पाता है एवं राष्ट्रीय नियमो के अनुसार अनुशासित रहता है। 35 / 62 समाजशास्त्र के अनुसार "समाज सामाजिक संबंधों का जाल है" यह किसका कथन है? सैमुअल किंग्सले मैकाइवर व पेज राबर्ट बीरस्टीड स्पेन्सर समाजशास्त्र - माध्यमिक स्तर तक समाजशास्त्र की विषयवस्तु में परिवार समाज वर्ग समुह की जानकारी के साथ ही सामाजिक संबंधों को समझाने वाली विषयवस्तु सम्मिलित की जाती है जैसा कि समाज सामाजिक संबंधों का जाल होता है और यह सामाजिक सम्बन्ध विभिन्न प्रकार की प्रस्थितियों से मिलकर बने होते है जैसा कि- मैकाइवर व पेज -"समाज सामाजिक सम्बन्धों का जाल है” राबर्ट बीरस्टीड -"समाज प्रस्थितियों का जाल है” उपर्युक्त विचारों के आधार पर समाजशास्त्र की विषयवस्तु बालको को समाजीकरण की सीख देती है जिससे वह सामाजिक प्राणी के रूप में विकास करता 36 / 62 प्राचीन शिल्पकला और मूर्तिकला किससे संबंधित है? विज्ञान सामाजिक विज्ञान दर्शन इतिहास सामाजिक विज्ञान एवं कला- मनुष्य प्रारम्भ से ही कलाओं का धनी रहा आज भी प्राचीन समय की शिल्पकला, मूर्तिकला एवं विभिन्न प्रकार की चित्रकलाओ के नमूने अद्वितीय है और वर्तमान समय में भी यह सब कलाए सजीव है इनके अलावा संगीत, नृत्य, हस्तशिल्प एवं पाक कला ऐसी कलाए है जो सामाजिक जीवन में रंग भर देती है इन सब को समाज व सामाजिक विज्ञान से अलग नहीं किया जा सकता है 37 / 62 भूगोल की विषयवस्तु में सम्मिलित नहीं है - वायुमंडल भौतिकी सूर्य ग्रहण महाद्वीप भूगोल माध्यमिक स्तर तक भूगोल की विषयवस्तु में मानव भूगोल एवं प्राकृतिक स्तर की भूगोल की विषयवस्तु को सम्मिलित किया जाता है जिसमे पाषाणयुगीन मानव जीवन एवं पर्यावरणीय परिस्थितियों हमारी पृथ्वी एवं सौर परिवार की जानकारी सूर्य एवं चन्द्र ग्रहण, ज्वार भाटा, भूकम्प व ज्वालामुखी, पृथ्वी की गतियाँ अक्षांश देशान्तर, वायु दाब पेटियां एवं विभिन्न प्रकार की पवने, वायुमण्डल, जलवायु, खनिज, वन संपदा एवं सागर महाद्वीप, महाद्वीप के साथ साथ खगोलीय घटनाओं की सामान्य जानकारी सम्मिलित की जाती है। एक बालक को पर्यावरण एवं मानव जीवन, पर्यावरण संरक्षण में मानव की भूमिका, मानव जीवन के लिए आवश्यक घटनाएं तथा भौतिक जैविक संसाधनों की समझ पैदा करते हुए मानव का दृष्टिकोण इन सब के प्रति सकारात्मक बनाना ही भूगोल की विषयवस्तु का उद्देश्य है। 38 / 62 S.K. याज्ञनिक के अनुसार सामाजिक अध्ययन का क्षेत्र किससे संबंधित है? केवल परिवार से केवल राज्य और देश से कालक्रम के अनुसार समाज से केवल समाज से SK याज्ञनिक - "सामाजिक अध्ययन का क्षेत्र परिवार, आस पडौस, राज्य, देश तथा अन्ततः समस्त विश्व से संबंधित सामाजिक पक्षों का अध्ययन होता है जिसमे कालक्रम के अन्तराल की दृष्टि से समाज के अध्ययन को सम्मिलित किया जाता है” मुनेश्वर प्रसाद -"आज की दुनिया की विस्तृत और उलझी हुई मानवीय संबंधों की संरचना से जुडा ज्ञान प्राप्त करने के लिए बनायी गयी विषय वस्तु ही सामाजिक विज्ञान का क्षेत्र है" सामाजिक विज्ञान वास्तव में वह विषयवस्तु है जिसमे मानवीय दृष्टिकोण से सम्पूर्ण संसार का भौगोलिक, ऐतिहासिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक एवं मानवीय मूल्यो से संबंधित ज्ञान समाहित होता जो एक बालक को अपने राष्ट्र के प्रति समर्पित भाव से सुनागरिक बनाने में मदद करती है 39 / 62 खगोलशास्त्र और सामाजिक विज्ञान में संबंध है क्योंकि – यह धार्मिक विषय है ज्योतिष सामाजिक जीवन का भाग है ग्रह-नक्षत्र विज्ञान से जुड़ा है खगोल महत्त्वपूर्ण विषय है सामाजिक विज्ञान एवं खगोल :- सामाजिक जीवन में खगोल शास्त्र विशेषकर ग्रह नक्षत्र ज्योतिष ज्ञान आदि का सामाजिक वातावरण से विशेष संबंध होता है इसलिए खगोल के ज्ञान को सामाजिक विज्ञान के ज्ञान से अलग नहीं कर सकते 40 / 62 सामाजिक विज्ञान का प्रमुख उद्देश्य है - केवल इतिहास पढ़ाना प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी विदेशी ज्ञान प्राप्त करना बालक को सुनागरिक बनाना सामाजिक विज्ञान वास्तव में वह विषयवस्तु है जिसमे मानवीय दृष्टिकोण से सम्पूर्ण संसार का भौगोलिक, ऐतिहासिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक एवं मानवीय मूल्यो से संबंधित ज्ञान समाहित होता जो एक बालक को अपने राष्ट्र के प्रति समर्पित भाव से सुनागरिक बनाने में मदद करती है 41 / 62 माध्यमिक स्तर पर दर्शनशास्त्र पढ़ाने का उद्देश्य क्या है? वैज्ञानिक बनाना तार्किक एवं चिंतनशील बनाना लेखक बनाना आलोचक बनाना दर्शनशास्त्र - माध्यमिक स्तर तक मूल दर्शनशास्त्र की विषयवस्तु नहीं होती है केवल इसमे सामान्य परिचय एवं उस दर्शन को सम्मिलित किया जाता जो सामान्य सामाजिक वातावरण में बालकों को सामान्य ज्ञान के रूप में जानकारी में होता है जैसे - जैन दर्शन, बौद्ध दर्शन, सांख्य दर्शन आदि दर्शन की विषयवस्तु का उद्देश्य बालक को तार्किक एवं चिन्तनशील बनाना होता है। 42 / 62 समाजशास्त्र का उद्देश्य क्या है? प्रशासनिक जानकारी बालक को धार्मिक बनाना औद्योगिक ज्ञान समाजीकरण की प्रक्रिया से जोड़ना समाजशास्त्र - माध्यमिक स्तर तक समाजशास्त्र की विषयवस्तु में परिवार समाज वर्ग समुह की जानकारी के साथ ही सामाजिक संबंधों को समझाने वाली विषयवस्तु सम्मिलित की जाती है जैसा कि समाज सामाजिक संबंधों का जाल होता है और यह सामाजिक सम्बन्ध विभिन्न प्रकार की प्रस्थितियों से मिलकर बने होते है जैसा कि- मैकाइवर व पेज -"समाज सामाजिक सम्बन्धों का जाल है” राबर्ट बीरस्टीड -"समाज प्रस्थितियों का जाल है” उपर्युक्त विचारों के आधार पर समाजशास्त्र की विषयवस्तु बालको को समाजीकरण की सीख देती है जिससे वह सामाजिक प्राणी के रूप में विकास करता 43 / 62 भारत में किस प्रांत में सबसे पहले सामाजिक अध्ययन पढ़ाया गया? पंजाब महाराष्ट्र बंगाल राजस्थान भारत देश में अंग्रेजों के शासनकाल में 1916 के समय सामाजिक अध्ययन की विषयवस्तु का आगमन हुआ और मुम्बई प्रांत में शुरुआत की गई NOTE - भारत देश में पंजाब ऐसा प्रान्त था जहाँ सबसे पहले व्यापक रूप से प्रारम्भिक कक्षाओं में सामाजिक अध्ययन पढ़ाया जाने लगा। 1921 ई. में राष्ट्रीय शिक्षा परिषद बनाई गयी जिसके माध्यम से सामाजिक अध्ययन के विकास पर बल दिया गया 1934 ई. में Social Studies Commission गठित किया गया जिसने सामाजिक अध्ययन के विकास में विशेष योगदान दिया NOTE - 1920-1955 के बीच सामाजिक अध्ययन का जो विकास हुआ उसके लिए इस काल को भारत में शैशवकाल / विकास काल / उदयकाल की सज्ञा दी गई स्वतंत्र भारत में 1952-53 के समय बने मुदालियर आयोग / माध्यमिक शिक्षा आयोग जिसके अध्यक्ष लक्ष्मण स्वामी मुदालियर थे की सिफारिशों से 1955 से देश के प्रत्येक प्रारम्भिक विधालय में सामाजिक अध्ययन की विषयवस्तु को अनिवार्य किया गया डॉ. दौलत सिंह कोठारी की अध्यक्षता में बने कोठारी आयोग (1964-66) ने कहा कि कक्षा 1 से 5 तक के बालको को समन्वित विषयवस्तु पढाई जानी चाहिए जबकि 6 से 8 तक के बालको को स्वतंत्र विषयवस्तु के रूप में पढाया जाना चाहिए। 1986 की शिक्षा नीति के तहत इस विषयवस्तु पर विशेष विचार किया गया और इसी के आधार पर जून 1992 में देश के लिए POA (प्रोग्राम ऑफ़ एक्शन) नामक योजना शुरू की गयी जिसके सुझावों के आधार पर प्राथमिक स्तर के लिए पर्यावरण अध्ययन एवं उच्च प्राथमिक स्तर के लिए सामाजिक विज्ञान के रूप में विषयवस्तु को विकसित करने का सुझाव दिया गया। 44 / 62 “मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है” यह कथन किसका है? जोरोलिमेक सुकरात प्लेटो अरस्तु अरस्तु :- यह प्लेटो के शिष्य थे तथा इन्होने अपने जीवन काल में शिक्षा को आगे बढ़ाने का कार्य किया। यूनान क्षेत्र के मकदूनिया एवं एथेंस क्षेत्रो में शिक्षा को लेकर विशेष कार्य किया इनके द्वारा मानव जीवन को 04 भागों में विभाजित किया गया और 21 वर्ष की आयु के बाद केवल सामाजिक विज्ञान की शिक्षा प्रदान करने पर जोर दिया यह यथार्थवादी दार्शनिक थे इन्होने मकदूनिया के शासक सिकन्दर को 04 वर्षों तक शिक्षा प्रदान करते हुए इस योग्य बनाया कि वह विश्वविजेता बना इन्होने सैकडो पुस्तकें लिखी जिनमें से पॉलिटिक्स एवं डिएनिमा सर्वाधिक चर्चित रही प्लेटो अरस्तू को अपने विद्यालय का मस्तिष्क कहते थे। अरस्तु ने कहा था कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और समाज में जीना पसन्द करता है। वास्तविक रूप से देखा जाए तो आज के सभी सामाजिक विज्ञानों का जन्म अरस्तु की अवधारणा से ही हुआ। अरस्तु ने विश्लेषण व आगमन विधि को अपनाया उपर्युक्त विद्वानों के सन्दर्भ में जानने के बाद यह स्पष्ट होता है कि सामाजिक विज्ञान जैसी विषयवस्तु का जन्म इन्ही विद्वानों के कार्यों से हुआ। 45 / 62 सामाजिक अध्ययन का दृष्टिकोण सर्वप्रथम किस नगर से प्रारंभ हुआ? मकदूनिया रोम स्पार्टा एथेंस सामाजिक अध्ययन की उत्पति - सामाजिक अध्ययन का दृष्टिकोण ई. पू. 5 वी सदी में यूनान के एथेंस नगर से प्रारम्भ हुआ जहाँ सुकरात नामक दार्शनिक ने सबसे पहले कहा कि मनुष्य को मनुष्य का अध्ययन करना चाहिए सुकरात एक अनपढ व्यक्ति थे उसके बावजूद इन्हें युनान के एंथेस नगर में खुले विद्यालय की तर्ज पर हजारो लोगो को मौखिक रूप से पढ़ाया इन्होंने कोई पुस्तक नहीं लिखी लेकिन जो यह बोलते थे उनसे ही इनके शिष्यों ने सैकड़ों रचनाए तैयार कर दी इनके द्वारा मानव जीवन, समाज, नीतिशास्त्र तथा आध्यात्मिक दर्शन की शिक्षा उस जमाने के युवाओं को दी गई इनकी प्रणाली से वादविवाद विधि, प्रश्नोतर विधि, सन्देह विधि, तर्क वितर्क विधि, पाठ्यपुस्तक विधि आदि शिक्षण प्रणालियों का विकास हुआ सुकरात के कार्यों से ही इन्हें यूनान का खुला विश्वविद्यालय कहा जाता है भारतीय विद्वान इन्हें कबीर जैसा रचनाकार मानते है। 46 / 62 भारत में सामाजिक अध्ययन की शुरुआत कब हुई? 1986 1921 1964 1916 भारत देश में अंग्रेजों के शासनकाल में 1916 के समय सामाजिक अध्ययन की विषयवस्तु का आगमन हुआ और मुम्बई प्रांत में शुरुआत की गई NOTE - भारत देश में पंजाब ऐसा प्रान्त था जहाँ सबसे पहले व्यापक रूप से प्रारम्भिक कक्षाओं में सामाजिक अध्ययन पढ़ाया जाने लगा। 1921 ई. में राष्ट्रीय शिक्षा परिषद बनाई गयी जिसके माध्यम से सामाजिक अध्ययन के विकास पर बल दिया गया 1934 ई. में Social Studies Commission गठित किया गया जिसने सामाजिक अध्ययन के विकास में विशेष योगदान दिया NOTE - 1920-1955 के बीच सामाजिक अध्ययन का जो विकास हुआ उसके लिए इस काल को भारत में शैशवकाल / विकास काल / उदयकाल की सज्ञा दी गई 47 / 62 सामाजिक अध्ययन क्यों आवश्यक है? परीक्षा पास करने के लिए उच्च शिक्षा के लिए नौकरी के लिए सामाजिक अनुकूलन और विकास के लिए सामाजिक अध्ययन की आवश्यकता क्यो? सामाजिक अध्ययन की आवश्यकता बालक के सर्वांगीण विकास में योगदान देती है। बदलते परिवेश एवं सामाजिक संबंधों के साथ अनुकूलन संरक्षण एवं सुधार की दिशा देने हेतु सामाजिक अध्ययन मानवीय परिस्थितियों में राज्य, राष्ट्र एवं विश्व के लिए कल्याणकारी भावना का विकास करने हेतु सामाजिक स्तर पर बालकों के चरित्र निर्माण हेतु नागरिकता एवं मानवीय सद्भावना का विकास हेतु देश के प्रति एवं पर्यावरण के प्रति जागरूकता के भाव विकसित करने हेतु । 48 / 62 सामाजिक अध्ययन किस प्रकार की दृष्टि प्रदान करता है? व्यापक केवल अध्यापक केंद्रित वैज्ञानिक संकीर्ण सामाजिक अध्ययन की आवश्यकता बालक के सर्वांगीण विकास में योगदान देती है। बदलते परिवेश एवं सामाजिक संबंधों के साथ अनुकूलन संरक्षण एवं सुधार की दिशा देने हेतु सामाजिक अध्ययन मानवीय परिस्थितियों में राज्य, राष्ट्र एवं विश्व के लिए कल्याणकारी भावना का विकास करने हेतु सामाजिक स्तर पर बालकों के चरित्र निर्माण हेतु नागरिकता एवं मानवीय सद्भावना का विकास हेतु देश के प्रति एवं पर्यावरण के प्रति जागरूकता के भाव विकसित करने हेतु । 49 / 62 लोकतांत्रिक चेतना विकसित करने वाला विषय है - नागरिक शास्त्र अर्थशास्त्र भूगोल गणित नागरिक शास्त्र (राजनीति विज्ञान व लोक प्रशासन) माध्यमिक स्तर तक राजनीति विज्ञान एवं लोक प्रशासन को समन्वित रूप से नागरिक शास्त्र के रूप में पढाया जाता है। इसमे राजनीति विज्ञान के क्षेत्र से हमारा संविधान उसके निर्माण से संबंधित घटनाक्रम संवैधानिक अधिकार कर्तव्य एवं राष्ट्रीय प्रतीक व चिन्ह एवं देश एवं राज्यों की शासन प्रणाली सामान्य चुनाव व्यवस्था मताधिकार का महत्व, प्रमुख राजनीतिक दल आदि की जानकारियां सम्मिलित की जाती है तथा लोक प्रशासन की विषयवस्तु से राज्य, जिला एवं खण्ड प्रशासन की व्यवस्थाए तथा प्रशासनिक प्रबंधन की जानकारियां सम्मिलित की जाती है निष्कर्ष के तौर पर कहा जा सकता है कि देश की व्यवस्थापिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका से सबंधित जानकारियां दी जाती है नागरिक शास्त्र की विषय वस्तु का उद्देश्य एक बालक को राष्ट्र के लिए तैयार करना एवं सुनागरिक बनाना होता है जिसमे व्यक्ति देशकाल, परिस्थिति के अनुसार अपने अधिकार व कर्तव्यो का बोध कर पाता है एवं राष्ट्रीय नियमो के अनुसार अनुशासित रहता है। 50 / 62 सामाजिक विज्ञान में गणित का उपयोग क्यों होता है? केवल जोड़ने के लिए कोई उपयोग नहीं है तिथि गिनने के लिए गणित सिखाने के लिए सामाजिक विज्ञान एवं गणित :- सामाजिक विज्ञान की विषयवस्तु में इतिहास, भूगोल, नागरिक शास्त्र, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र व दर्शन सभी में गाणित के ज्ञान की आवश्यकता होती है बिना गणित के ज्ञान से सामाजिक विज्ञान के व्यवहार को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है इसलिए समाज के प्रत्येक आदान प्रदान, लेनदेन आदि के व्यवहार में गाणित का ज्ञान अति आवश्यक है समाज में गणित का अहम रोल है यह एक सामुदायिक विषय है जिसे पढ़ने के लिए किसी विद्यालय की आवश्यकता नहीं होती है और यह विषय जन्म से मृत्यु तक साथ देता है। 51 / 62 "समाज परिस्थितियों का जाल है" – यह किसका कथन है? टॉलेमी मैकाइवर बीरस्टीड प्लेटो समाजशास्त्र - माध्यमिक स्तर तक समाजशास्त्र की विषयवस्तु में परिवार समाज वर्ग समुह की जानकारी के साथ ही सामाजिक संबंधों को समझाने वाली विषयवस्तु सम्मिलित की जाती है जैसा कि समाज सामाजिक संबंधों का जाल होता है और यह सामाजिक सम्बन्ध विभिन्न प्रकार की प्रस्थितियों से मिलकर बने होते है जैसा कि- मैकाइवर व पेज -"समाज सामाजिक सम्बन्धों का जाल है” राबर्ट बीरस्टीड -"समाज प्रस्थितियों का जाल है” उपर्युक्त विचारों के आधार पर समाजशास्त्र की विषयवस्तु बालको को समाजीकरण की सीख देती है जिससे वह सामाजिक प्राणी के रूप में विकास करता 52 / 62 अर्थशास्त्र की विषयवस्तु में सम्मिलित है - कृषि, उद्योग, सेवाएं स्वतंत्रता संग्राम खगोल ज्ञान संस्कार अर्थशास्त्र - माध्यमिक स्तर तक सामाजिक अध्ययन की विषयवस्तु में अर्थशास्त्र को लेकर उस विषयवस्तु को शामिल किया जाता है जिसमे अर्थ प्राप्ति के स्रोत जैसे कृषि पशुपालन उद्योग धंधे व्यापार, कुटीर उद्योग, खनिज सम्पदा से संबधित व्यवसाय, विभिन्न प्रकार की परियोजनाएँ वानिकी, सेवाकार्य आदि तथा अर्थ को उपयोग में लाने एवं नियोजन से संबंधित जानकारियां जैसे बैंकिंग, बचत, बीमा से संबंधित विषयवस्तु सम्मिलित की जाती है इसके अलावा आधुनिक समय की सरकारी योजनाए सहकारिता तथा राष्ट्रीय तथा व्यक्तिगत आय का सामान्य परिचय। एक बालक को प्रारम्भ से ही आर्थिक रूप से समझदार बनाना तथा उसके जीवन में आर्थिक सामाजिक सम्पन्नता पैदा करना होता है। 53 / 62 इतिहास की पढ़ाई से छात्रों में क्या गुण विकसित होता है? भ्रम आलोचना भय प्रेरणा इतिहास - सामाजिक अध्ययन की विषयवस्तु में इतिहास का विशेष महत्व होता है तथा सभ्यताओ के काल से लेकर क्रमश: वैदिक काल, मौर्यकाल, गुप्तकाल, राजपूत काल, मुगलकाल अंग्रेजीकाल से सम्बधित उन विशेष घटनाओं एवं ऐतिहासिक राजवंशो को सम्मिलित किया जाता है जिन्होने इतिहास में कला, साहित्य, सस्कृति एवं सामाजिक स्तर के कार्यों में विशेष पहचान पैदा की। इसके अलावा स्वतंत्रता संग्राम एवं आजादी तक के घटनाक्रमो को सम्मिलित किया जाता है जो किसी ने किसी रूप में आज के युग के लोगो को अपनी विशेषताओं से प्रभावित करते है इतिहास की विषयवस्तु को सम्मिलित करने का उद्देश्य समाज एवं नयी पीढी को विकास की गति समझाना, ऐतिहासिक घटनाओं से सीख लेना एवं इतिहास अपने आप को दोहराता है कि समझ विकसित करना, परिवर्तन प्रकृति का नियम है इस विचार को स्पष्ट करना हमारी संस्कृति रीति रिवाज एवं परम्पराओं को बनाये रखना तथा ऐतिहासिक स्थलो दुर्गो, महलो एवं अन्य कला कृतियों को संरक्षण देने के लिए सम्मिलित किया जाता है इसके अलावा इतिहास पुरुषों के कार्यों उनके त्याग एवं बलिदानों से आधुनिक पीढ़ी के लोगों को प्रेरित करना होता है। 54 / 62 सामाजिक विज्ञान और भाषा का संबंध किस आधार पर है? भाषाई नियमों से अनुवाद से संज्ञा पढ़ाने से विषय को समझने की आवश्यकता से सामाजिक विज्ञान एवं भाषा: संसार में ऐसा कोई विषय नहीं जिसको पहने के लिए या समझने के लिए भाषा की आवश्यकता नहीं पड़ती हो ठीक उसी प्रकार से सामाजिक विज्ञान की विषयवस्तु को पढ़ने के लिए भी भाषा की नितांत आवश्यकता होती है। भाषा में साहित्य से संबंधित कई बाते, मुहावरे, लोकोक्तियाँ आदि वे विशेषताए होती है जिनका उपयोग करते हुए सामाजिक विज्ञान की बातों को ज्यादा सरल तरीके से समझाया जा सकता है इसलिए सामाजिक विज्ञान को भाषा से पृथक नहीं किया जा सकता है। 55 / 62 सामाजिक अध्ययन की विषयवस्तु में क्या शामिल होता है? केवल भूगोल केवल विज्ञान केवल इतिहास मानवीय मूल्य, कर्तव्य, नैतिकता सामाजिक अध्ययन की विशेषताएं:- समाज का अध्ययन है। जो मानवीय संबंधो को स्पष्ट करता है सामाजिक अध्ययन मानव संस्कृति एवं सभ्यता का अध्ययन है सामाजिक अध्ययन भौतिक, जैविक, सामाजिक घटको से संबंधित विषयवस्तु का अध्ययन है सामाजिक अध्ययन सामाजिक परिस्थिति एवं सामुदायिक सरोकारो का अध्ययन है सामाजिक अध्ययन की विषयवस्तु मानवीय मूल्यो, कर्तव्यों, अधिकारों एवं नैतिक गुणो के विकास से संबंधित अध्ययन है। सामाजिक अध्ययन सामाजिक सम्बन्धो एवं प्रस्थितियो (पद) का अध्ययन है सामाजिक अध्ययन ऐतिहासिक, भौगोलिक एवं आर्थिक दृष्टिकोण से भूत, भविष्य एवं वर्तमान की समझ विकसित करता है सामाजिक अध्ययन प्रत्यक्ष ज्ञान एवं स्पष्ट सूचना की विषयवस्तु है। सामाजिक अध्ययन शिक्षा एवं समाजीकरण का अध्ययन है सामाजिक अध्ययन राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय समझ विकसित करता है। सामाजिक अध्ययन व्यावहारिकता के अध्ययन पर बल देता है सामाजिक अध्ययन के अपने सिद्धांत है। सामाजिक अध्ययन व्यापक दृष्टिकोण रखता है तथा इसका क्षेत्र भी व्यापक है सामाजिक अध्ययन जीवन जीना सिखाता है। सामाजिक अध्ययन विद्यार्थियों में रचनात्मकता को बढावा देता है सामाजिक अध्ययन समन्वित व एकीकृत विषयवस्तु है सामाजिक अध्ययन व्यक्ति में सामाजिक प्राणी के लक्षण विकसित करता है। 56 / 62 बीमा, बैंकिंग और बचत की जानकारी किसमें आती है? समाजशास्त्र भूगोल अर्थशास्त्र नागरिक शास्त्र अर्थशास्त्र - माध्यमिक स्तर तक सामाजिक अध्ययन की विषयवस्तु में अर्थशास्त्र को लेकर उस विषयवस्तु को शामिल किया जाता है जिसमे अर्थ प्राप्ति के स्रोत जैसे कृषि पशुपालन उद्योग धंधे व्यापार, कुटीर उद्योग, खनिज सम्पदा से संबधित व्यवसाय, विभिन्न प्रकार की परियोजनाएँ वानिकी, सेवाकार्य आदि तथा अर्थ को उपयोग में लाने एवं नियोजन से संबंधित जानकारियां जैसे बैंकिंग, बचत, बीमा से संबंधित विषयवस्तु सम्मिलित की जाती है इसके अलावा आधुनिक समय की सरकारी योजनाए सहकारिता तथा राष्ट्रीय तथा व्यक्तिगत आय का सामान्य परिचय। एक बालक को प्रारम्भ से ही आर्थिक रूप से समझदार बनाना तथा उसके जीवन में आर्थिक सामाजिक सम्पन्नता पैदा करना होता है। 57 / 62 सामाजिक अध्ययन के प्रभाव से बालक किसके बारे में समझ पाता है? काल्पनिक कथाएं विज्ञान कंप्यूटर पारिस्थितिक, सामाजिक, आर्थिक परिस्थितियाँ सामाजिक अध्ययन के प्रभाव: पारिस्थितिक / प्राकृतिक परिस्थितियां:- सामाजिक अध्ययन के प्रभाव से ही बालक धरातल, जलवायु, ऋतुयें, मौसम, खनिज सम्पदा, वन, वन्यजीव, पशु, पक्षी, आंधी, तुफान, चक्रवात आदि के बारे में समझ पाता है। सामाजिक परिस्थितियाँ :- मानव, मानव सम्बन्ध, परिवार, समाज, गाँव, राज्य, देश इन सब का वातावरण और इनके संदर्भ में शासन प्रणाली आर्थिक एवं सांस्कृतिक परिस्थितियाँ:- उद्योग धंधे, उत्सव, धर्म, साहित्य, संगीत, रीति रिवाज, सामाजिक गतिशीलता, सामाजिक प्रस्थिति एवं शिक्षा एवं प्रथाओ के सन्दर्भ में समझ का विकास करता है। 58 / 62 मुदालियर आयोग की अध्यक्षता किसने की थी? डॉ. कोठारी राजाजी राधाकृष्णन लक्ष्मण स्वामी मुदालियर भारत देश में अंग्रेजों के शासनकाल में 1916 के समय सामाजिक अध्ययन की विषयवस्तु का आगमन हुआ और मुम्बई प्रांत में शुरुआत की गई NOTE - भारत देश में पंजाब ऐसा प्रान्त था जहाँ सबसे पहले व्यापक रूप से प्रारम्भिक कक्षाओं में सामाजिक अध्ययन पढ़ाया जाने लगा। 1921 ई. में राष्ट्रीय शिक्षा परिषद बनाई गयी जिसके माध्यम से सामाजिक अध्ययन के विकास पर बल दिया गया 1934 ई. में Social Studies Commission गठित किया गया जिसने सामाजिक अध्ययन के विकास में विशेष योगदान दिया NOTE - 1920-1955 के बीच सामाजिक अध्ययन का जो विकास हुआ उसके लिए इस काल को भारत में शैशवकाल / विकास काल / उदयकाल की सज्ञा दी गई स्वतंत्र भारत में 1952-53 के समय बने मुदालियर आयोग / माध्यमिक शिक्षा आयोग जिसके अध्यक्ष लक्ष्मण स्वामी मुदालियर थे की सिफारिशों से 1955 से देश के प्रत्येक प्रारम्भिक विधालय में सामाजिक अध्ययन की विषयवस्तु को अनिवार्य किया गया डॉ. दौलत सिंह कोठारी की अध्यक्षता में बने कोठारी आयोग (1964-66) ने कहा कि कक्षा 1 से 5 तक के बालको को समन्वित विषयवस्तु पढाई जानी चाहिए जबकि 6 से 8 तक के बालको को स्वतंत्र विषयवस्तु के रूप में पढाया जाना चाहिए। 1986 की शिक्षा नीति के तहत इस विषयवस्तु पर विशेष विचार किया गया और इसी के आधार पर जून 1992 में देश के लिए POA (प्रोग्राम ऑफ़ एक्शन) नामक योजना शुरू की गयी जिसके सुझावों के आधार पर प्राथमिक स्तर के लिए पर्यावरण अध्ययन एवं उच्च प्राथमिक स्तर के लिए सामाजिक विज्ञान के रूप में विषयवस्तु को विकसित करने का सुझाव दिया गया। 59 / 62 1920 से 1955 की अवधि को क्या कहा जाता है? संक्रांति काल पूर्ण काल शैशवकाल समापन काल भारत देश में अंग्रेजों के शासनकाल में 1916 के समय सामाजिक अध्ययन की विषयवस्तु का आगमन हुआ और मुम्बई प्रांत में शुरुआत की गई NOTE - भारत देश में पंजाब ऐसा प्रान्त था जहाँ सबसे पहले व्यापक रूप से प्रारम्भिक कक्षाओं में सामाजिक अध्ययन पढ़ाया जाने लगा। 1921 ई. में राष्ट्रीय शिक्षा परिषद बनाई गयी जिसके माध्यम से सामाजिक अध्ययन के विकास पर बल दिया गया 1934 ई. में Social Studies Commission गठित किया गया जिसने सामाजिक अध्ययन के विकास में विशेष योगदान दिया NOTE - 1920-1955 के बीच सामाजिक अध्ययन का जो विकास हुआ उसके लिए इस काल को भारत में शैशवकाल / विकास काल / उदयकाल की सज्ञा दी गई स्वतंत्र भारत में 1952-53 के समय बने मुदालियर आयोग / माध्यमिक शिक्षा आयोग जिसके अध्यक्ष लक्ष्मण स्वामी मुदालियर थे की सिफारिशों से 1955 से देश के प्रत्येक प्रारम्भिक विधालय में सामाजिक अध्ययन की विषयवस्तु को अनिवार्य किया गया डॉ. दौलत सिंह कोठारी की अध्यक्षता में बने कोठारी आयोग (1964-66) ने कहा कि कक्षा 1 से 5 तक के बालको को समन्वित विषयवस्तु पढाई जानी चाहिए जबकि 6 से 8 तक के बालको को स्वतंत्र विषयवस्तु के रूप में पढाया जाना चाहिए। 1986 की शिक्षा नीति के तहत इस विषयवस्तु पर विशेष विचार किया गया और इसी के आधार पर जून 1992 में देश के लिए POA (प्रोग्राम ऑफ़ एक्शन) नामक योजना शुरू की गयी जिसके सुझावों के आधार पर प्राथमिक स्तर के लिए पर्यावरण अध्ययन एवं उच्च प्राथमिक स्तर के लिए सामाजिक विज्ञान के रूप में विषयवस्तु को विकसित करने का सुझाव दिया गया। 60 / 62 सुकरात किस देश के निवासी थे? अमेरिका चीन यूनान भारत सामाजिक अध्ययन की उत्पति - सामाजिक अध्ययन का दृष्टिकोण ई. पू. 5 वी सदी में यूनान के एथेंस नगर से प्रारम्भ हुआ जहाँ सुकरात नामक दार्शनिक ने सबसे पहले कहा कि मनुष्य को मनुष्य का अध्ययन करना चाहिए सुकरात एक अनपढ व्यक्ति थे उसके बावजूद इन्हें युनान के एंथेस नगर में खुले विद्यालय की तर्ज पर हजारो लोगो को मौखिक रूप से पढ़ाया इन्होंने कोई पुस्तक नहीं लिखी लेकिन जो यह बोलते थे उनसे ही इनके शिष्यों ने सैकड़ों रचनाए तैयार कर दी इनके द्वारा मानव जीवन, समाज, नीतिशास्त्र तथा आध्यात्मिक दर्शन की शिक्षा उस जमाने के युवाओं को दी गई इनकी प्रणाली से वादविवाद विधि, प्रश्नोतर विधि, सन्देह विधि, तर्क वितर्क विधि, पाठ्यपुस्तक विधि आदि शिक्षण प्रणालियों का विकास हुआ सुकरात के कार्यों से ही इन्हें यूनान का खुला विश्वविद्यालय कहा जाता है भारतीय विद्वान इन्हें कबीर जैसा रचनाकार मानते है। 61 / 62 J.U. माइकेलिस के अनुसार सामाजिक अध्ययन में कौन-से विषय सम्मिलित होते हैं? केवल इतिहास और भूगोल इतिहास, भूगोल, दर्शन इतिहास, भूगोल, नागरिक शास्त्र, मानवशास्त्र आदि इतिहास, भूगोल, समाजशास्त्र सामाजिक विज्ञान का क्षेत्र - किसी भी विषय के क्षेत्र से अभिप्राय होता है उसकी विषयवस्तु अर्थात् सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में इतिहास, भूगोल, नागरिक शास्त्र, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, दर्शनशास्त्र जैसी विषयवस्तु सम्मिलित है विद्वानों के अनुसार सामाजिक विज्ञान का क्षेत्र निम्न प्रकार से बताया गया है J.U. माइकेलिस -”सामाजिक अध्ययन, इतिहास, भूगोल, नागरिक शास्त्र, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, दर्शनशास्त्र, मानवशास्त्र एवं हमारी लोकतंत्रीय विरासत का अध्ययन तथा सामाजिक समस्याओ व परिवर्तनों की शिक्षा में मनोवैज्ञानिक आधारों का निहित होना है।" 62 / 62 “सामाजिक अध्ययन पर्यावरणीय अनुकूलन का विकास करता है” यह कथन किसका है? NCERT A.B. सक्सेना M.P. मुफात प्लेटो परिभाषाएं: शब्दकोष के अनुसार -"सामाजिक अध्ययन केवल अर्थशास्त्र इतिहास भूगोल नागरिक शास्त्र का योग नहीं है बल्कि इनसे प्राप्त विषयवस्तु के पारस्परिक अंतर संबंधों के अध्ययन का तरीका है" NCERT -”सामाजिक अध्ययन जन सामान्य, पर्यावरण, प्राकृतिक एवं सामाजिक घटनाओं के परस्पर अंत सम्बन्ध का मानवीय दृष्टिकोण या व्यवहारो का अध्ययन है" EB वैस्ले -”सामाजिक अध्ययन उस विशेष सामग्री की ओर संकेत करता है जिसके आधारभूत तत्व सामाजिक होते है।" माध्यमिक शिक्षा आयोग - “सामाजिक अध्ययन की विषयवस्तु सामाजिक विषय सामग्री का एक ऐसा विशेष संगठन है जिसका उद्देश्य शिक्षार्थियों को सामाजिक कुटुम्ब समाज गाँव, राज्य एवं देश एवं राष्ट्रीय भाव की समझ एवं ज्ञान प्रदान करते हुए इनके बीच सामंजस्य बैठाकर मानवीय समझ को बालको में विकसित करना है" A. B. सक्सेना -"सामाजिक अध्ययन पर्यावरणीय स्वरूप के बारे में संचेतना ज्ञान एवं समझ देती है तथा इसके बारे में (पर्यावरण) बालको में अनुकुलन / समायोजित दृष्टिकोण का विकास करती है तथा इसके संरक्षण एवं सुधार के लिए प्रतिबद्ध है" Your score is The average score is 0% 0% Restart quiz Share this… Telegram Whatsapp Share This Article Facebook Twitter Copy Link Print Leave a comment Leave a Reply Cancel replyYour email address will not be published. Required fields are marked *Comment * Name * Email * Website Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ