सरदार वल्लभभाई पटेल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता और भारत के लौह पुरुष थे, जिन्होंने देश के एकीकरण और देशी रियासतों के विलय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें “भारत का बिस्मार्क” के नाम से भी जाना जाता है।

- जन्म: 31 अक्टूबर 1875, नडियाद, गुजरात
- उपाधि: लौह पुरुष, भारत का बिस्मार्क
- वकालत का कार्य: गुजरात के गोधरा में
मुख्य घटनाएँ और योगदान:
- बारदोली सत्याग्रह (1928):
- उपाधि: यहाँ की महिलाओं द्वारा ‘सरदार’ की उपाधि दी गई।
- कारण: किसानों से बढ़े हुए लगान की वसूली का विरोध।
- खेड़ा सत्याग्रह:
- सहयोग: महात्मा गांधी के साथ हिस्सा लिया।
- देशी रियासतों का विलय:
- महत्वपूर्ण भूमिका: देशी रियासतों के भारत में विलय में प्रमुख योगदान।
- ऑपरेशन पोलो: हैदराबाद का विलय (1948)।
- जूनागढ़ का विलय: फरवरी 1948 में जनमत संग्रह के माध्यम से।
- जम्मू-कश्मीर: महाराजा हरि सिंह का भारत में विलय (22 अक्टूबर 1947)।
- भारत विभाजन, आर्थिक एवं विदेश नीति, मुसलमान और शरणार्थी:
- लेखन: इन पुस्तकों की रचना सरदार पटेल द्वारा की गई।
- इण्डियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस:
- स्थापना: 1947 में पटेल के प्रयासों से हुई।
- राष्ट्रीयकरण का विरोध:
- मान्यता: उद्योगों का विकास पहले, फिर राष्ट्रीयकरण।
जूनागढ़ रियासत:
- स्थिति: सौराष्ट्र तट पर स्थित छोटी रियासत।
- प्रमुख: महाबत खाँ।
- विलय: फरवरी 1948 में जनमत संग्रह के बाद भारत में शामिल।
जम्मू-कश्मीर रियासत:
- स्थिति: महाराजा हरि सिंह न तो भारत और न ही पाकिस्तान में शामिल होना चाहते थे।
- घटनाक्रम: 22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान की घुसपैठ के बाद 24 अक्टूबर को हरि सिंह ने भारत के साथ विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए। शेख अब्दुल्ला को रियासत का प्रमुख बनाया गया।
- युद्ध विराम: 31 दिसंबर 1948 को भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम की घोषणा हुई।
हैदराबाद रियासत:
- घटनाक्रम: 13 सितंबर 1948 को भारतीय सेना का हैदराबाद में प्रवेश।
- आत्मसमर्पण: 3 दिन के बाद, हैदराबाद ने आत्मसमर्पण किया।
- विलय: नवंबर 1948 में हैदराबाद का भारत में विलय।
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