विश्व पर्यावरण दिवस

स्लोगन / थीम
- 2022 थीम
- ‘केवल एक पृथ्वी(Only One Earth)’
मेजबान देश – स्वीडन
- 2023 थीम
‘प्लास्टिक प्रदूषण के समाधान’
मेजबान देश – नीदरलैंड
- 2024 थीम –
‘भूमि बहाली, मरुस्थलीकरण,सुखा लचीलापन’
मेजबानी – सऊदी अरब
2025 थीम –
‘ हरित भविष्य की यात्रा’
मेजबानी देश -कोरिया गणराज्य
विश्व पर्यावरण दिवस कब मनाया जाता है
•विश्व पर्यावरण दिवस हर साल 5 जून को मनाया जाता है ।
•यह पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा अंतर्राष्ट्रीय दिवस है।
उद्देश्य
- लोगो को पर्यावरण के प्रति सचेत करना और उनके संरक्षण हेतु प्रोत्साहित करना।
- यह दिन हर साल एक विशेष थीम या स्लोगन के साथ आयोजित किया जाता है जो उस समय की प्रमुख पर्यावरणीय चिंता को इंगित करता है।
- 2023 के लिए इस दिवस की थीम #BeatPlasticPollution अभियान के तहत प्लास्टिक प्रदूषण के समाधान पर (Solution to plastic pollution ) पर केंद्रित है ।
आंकड़ों के मुताबिक प्रतिवर्ष 400 मिलियन टन से ज्यादा उत्पादन होता है।
इसमें से आधे को केवल एक बार इस्तमाल करने के लिए डिजाइन किया जाता है।
इसमें से 10 फीसदी से भी कम को रिसाइकिल किया जाता है
हर साल एक अलग देश द्वारा इसकी मेजबानी की जाती है
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
इसका विचार पहली बार मानव पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में पेश किया गया था।
इसे स्टॉक होम सम्मेलन 1972 के रूप में जाना जाता है।
पहला विश्व पर्यावरण दिवस कब मनाया गया ?
- पहला विश्व पर्यावरण दिवस 1973 मैं मनाया गया था।
- यह दिवस समुद्री प्रदूषण,अधिक जनसंख्या,ग्लोबल वार्मिंग,टिकाऊ खपत और वन्य जीव अपराध जैसे पर्यावरण मुद्दों पर जन जागरूकता बढ़ाने के मंच के रूप में काम करता है।
पर्यावरण प्रदूषण की परिभाषा
वायु जल एवं स्थल की भौतिक रासायनिक एवं जैविक विशेषताओं में होने वाला वह अवांछनिय परिवर्तन जो मानव और अन्य जंतुओं पेड़ पौधों को हानि पहुंच जाता है पर्यावरण प्रदूषण कहलाता है।
पर्यावरण प्रदूषण के कारण
1 औद्योगिकरण–
औद्योगिकरण उद्योगों से निकलने वाला कचरा वायु और जल दोनों प्रदूषण का कारण बनता है उद्योगों से निकलने वाला धुआं हवा को प्रदूषित करता है और अम्लीय वर्षा के लिए जिम्मेदार है औद्योगिक अपशिष्ट जो पानी में बाह दिए जाते हैं पानी को भी प्रदूषित करते हैं और जलीय जीवन को नुकसान पहुंचाते हैं।
2. आधुनिकीकरण
आधुनिकीकरण ने अपनी प्रक्रियाओं से अनेक प्रकार की विशाल गैसों धुंओ एवं विषाक्त रसायन युक्त पदार्थ के माध्यम से जल थल एवं वायु सभी को प्रदूषित कर दिया है जिससे पर्यावरण प्रदूषण उत्पन्न हो गया है
3 रसायनों का प्रयोग–
रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक मिट्टी की उर्वरता को नुकसान पहुंचाते हैं जीवाश्म ईंधन के जलने से जहरीली कैसे निकलती है जो बाद में अम्लीय वर्षा और ग्लोबल वार्मिंग में बदल सकती है यह सब पर्यावरण प्रदूषण फैलाती है।
4 प्राकृतिक कारण–
कभी-कभी प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूस्खलन बढ़ ज्वालामुखी आदि को प्रदूषण पैदा करने के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है वह मिट्टी के कटाव की जिम्मेदार होता है और इस तरह पर्यावरण प्रदूषण फैलता है।
5 वृक्षों के अंधाधुंध कटाई
6 जनसंख्या वृद्धि
पर्यावरण प्रदूषण के कारण
पर्यावरण प्रदूषण मुख्य रूप से चार प्रकार का होता है
1 वायु प्रदूषण
2 जल प्रदूषण
3भूमि/मृदा प्रदूषण
4 ध्वनि प्रदूषण
1 वायु प्रदूषण –
वायु में होने वाला अवांछनीय परिवर्तन वायु प्रदूषण कहलाता है जब धुआं और जहरीली गैस हवा में मिल जाती है तो वायु प्रदूषण को जन्म देती है प्रदूषित वायु में कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड जैसे विभिन्न जहरीले गैसे होती है जो सभी जीव जंतुओं को हानि पहुंचती है वायु प्रदूषण से श्वसन संबंधी बीमारियां हो जाती है।
2 जल प्रदूषण–
जल में होने वाला अवांछनिय परिवर्तन जल प्रदूषण कहलाता है जब जल में अशुद्धता अपशिष्ट विसाक्त पदार्थ आदि मिल जाते हैं तो जल प्रदूषित हो जाता है लोग नदी नाला एवं समुद्र में कचरा प्लास्टिक आदि डालते हैं जिससे जल प्रदूषित हो जाता है वह सभी जीव जंतुओं के लिए हानिकारक होता है जल प्रदूषण से हैजा पीलिया जैसी अनेक बीमारियां हो जाती है।
4 ध्वनि प्रदूषण–
किसी भी प्रकार के अनुपयोगी ध्वनियों को ध्वनि प्रदूषण कहते हैं जिससे मानव और जीव जंतुओं को परेशानी होती है इसमें यातायात को दौरान उत्पन्न होने वाला शोर मुख्य कारण है ध्वनि प्रदूषण से बहरापन और चिड़चिड़ापन जैसी अनेक बीमारियां हो सकती है।
पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले प्रमुख पदार्थ (पर्यावरण प्रदूषक)
1 जमा हुआ पदार्थ जैसे– धुंआ,धूल आदि।
2रासायनिक पदार्थ जैसे– डिटर्जेंट, हाइड्रोजन, फ्लोराइडस आदि
3धातुए जैसे–लोहा,पारा,जिंक,सीसा।
4गैसों जैसे– कार्बन मोनोऑक्साइड सल्फर डाइऑक्साइड अमोनिया क्लोरीन फ्लोरिन आती है।
5उर्वरक में जैसे–यूरिया, पोटास अन्य है।
6पेस्टिसाइड्स में जैसे डी.डी.टी., कवकनाशी,किटनासी।
7ध्वनि
8रेडियोएक्टिव पदार्थ आदि।
पर्यावरण प्रदूषण का भविष्य पर प्रभाव–
पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव में भविष्य की कल्पना करना हृदय विदारक है अगर पर्यावरण काफी हद तक प्रदूषित होता तो हमें सांस लेने के लिए ऑक्सीजन किट अपने साथ रखनी होगी। शुद्ध पानी पीने के लिए हमें एक-एक बूंद की कीमत चुकानी पड़ेगी। इसके अलावा मनुष्य का जीवनकाल कम हो जाएगा और वह कई खतरनाक बीमारियों के शिकार होंगे पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाएगा और हमें जीने के लिए संघर्ष करना होगा ग्लोबल वार्मिंग और एसिड रेन का बढ़ता असर इस धरती पर हर जीवन को खत्म कर देगा।
पर्यावरण संरक्षण व पर्यावरण प्रदूषण का नियंत्रण–
कुछ बातों का पालन करके और स्वस्थ आदतों को अपनाकर हम पर्यावरण प्रदूषण को कम करने और पर्यावरण संरक्षण में आसानी से योगदान दे सकते हैं जैसे–
1 साइकिल को प्राथमिकता दें।
2 प्लास्टिक का अधिक उपयोग करने के बजाय बायोडिग्रेडेबल उत्पाद चुने।
3 अशुद्ध और जहर हिले रसायनों को जल निकायों में प्रवाहित करने से पहले उनका उपचार करें।
4 अधिक से अधिक पेड़ लगाने के लिए लोगों में जागरूकता पैदा करें।
5 नवीकरणीय संसाधनों का उपयोग करें और जीवाश्म ईंधन के उपयोग को सीमित करें
6 रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करके जैविक खेती को बढ़ावा दे।
निष्कर्ष –पर्यावरण संरक्षण से ही मानव जाति को और पृथ्वी को बचाया जा सकता है।।
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