परिचय
भारत में वर्षा ऋतु, जिसे आमतौर पर मानसून काल कहा जाता है, मध्य जून से सितंबर तक रहती है। यह मौसम विशेष रूप से दक्षिण-पश्चिम मानसून के कारण होता है, जो भारतीय उपमहाद्वीप को भारी वर्षा प्रदान करता है। मानसून की यह यात्रा न केवल मौसम की खूबसूरती को बढ़ाती है, बल्कि हमारे जीवन को भी गहराई से प्रभावित करती है।
मानसून का आगमन
मानसून का आगमन जून के महीने में होता है, जब सूर्य कर्क रेखा पर सीधा चमकता है। इससे उत्तर भारत में निम्न वायुदाब केंद्र (ITCZ) का निर्माण होता है। इसके कारण, दक्षिणी गोलार्द्ध की व्यापारिक पवनें भूमध्य रेखा को पार कर उत्तरी गोलार्द्ध में पहुंच जाती हैं। इन पवनों का भूमध्यसागर को पार करते हुए फैरेल के नियम के अनुसार दाईं ओर मुड़ना और हिन्द महासागर से आर्द्रता लेकर भारत में वर्षा करना मानसून की विशेषता है।
वर्षा का वितरण
भारत में वर्षा के विभिन्न स्रोत हैं:
- ग्रीष्मकालीन दक्षिण-पश्चिम मानसून: यह भारत की कुल वर्षा का 74% हिस्सा प्रदान करता है।
- अरब सागर की शाखा: 25% वर्षा होती है।
- बंगाल की खाड़ी की शाखा: 75% वर्षा प्रदान करती है।
- शीतकालीन उत्तर-पूर्वी मानसून: कोरोमंडल तट पर 13% वर्षा होती है।
- मानसून पूर्व वर्षा: ग्रीष्म ऋतु में 10% वर्षा होती है।
- पश्चिमी विक्षोभ (मावठ): शीत ऋतु में उत्तर-पश्चिम भारत में 3% वर्षा होती है।
भारत मे वर्षा की विशेषताएं
औसत वार्षिक वर्षा: भारत में औसतन 125 सेंटीमीटर वर्षा होती है।
सर्वाधिक वर्षा वाला राज्य: केरल
सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान: मौसिनराम (मेघालय)
न्यूनतम वर्षा वाला राज्य: राजस्थान
न्यूनतम वर्षा वाला स्थान: लेह (लद्दाख)
मानसून की विशेषताएं
- मानसून प्रस्फुटन: जून के महीने में मानसून के आगमन के साथ तेज गर्जन, कड़क बिजली और मूसलधार वर्षा होती है। यह मानसून के आगमन का संकेत देती है।
- मानसून प्रतिच्छेदन: मानसून काल में, विशेषकर जुलाई और अगस्त में, कई दिनों या सप्ताहों तक लगातार वर्षा न होना मानसून का विच्छेदन कहलाता है।
मानसून प्रतिच्छेद के कारण
उतर के विशाल मैदान: यहाँ उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की कमी के कारण मानसून विच्छेद होता है।
पश्चिमी तट: आर्द्र समुद्री पवनों का पश्चिमी तट के समानांतर प्रवाहित होना मानसून विच्छेद का कारण बनता है।
राजस्थान: यहाँ तापीय प्रतिलोमता (तापमान की विलोमता) के कारण मानसून विच्छेद होता है।
निष्कर्ष
वर्षा ऋतु भारत के जीवन के कई पहलुओं को प्रभावित करती है। मानसून की यह प्रक्रिया न केवल हमारे पर्यावरण को हरा-भरा बनाती है, बल्कि कृषि, जलस्रोत और दैनिक जीवन पर भी गहरा प्रभाव डालती है। हालांकि, मानसून के साथ जुड़ी चुनौतियाँ भी हैं, जिन्हें समझना और उनका समाधान करना जरूरी है।

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