Blogराजस्थान की प्रशासनिक व्यवस्था MCQ राज्य मानवाधिकार संरक्षण आयोग MCQ Last updated: 2024/07/08 at 8:45 AM rajexaminfo.com Share 0 Min Read SHARE राज्य मानवाधिकार संरक्षण आयोग MCQ 1 / 24 निम्नलिखित में से राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग के बारे में क्या सत्य नही है ? (RAS PRE 2015) आयोग ने मई 2000 से पूर्णतया कार्य करना शुरू किया आयोग में एक पूर्णकालिक अध्यक्ष और दो सदस्य है आयोग के अध्यक्ष उच्च न्यायालय के एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश या पूर्व न्यायाधीश हो सकते है जुलाई 2000 से जुलाई 2005 तक न्यायाधीश sk गोदारा आयोग के अध्यक्ष थे धारा 21 - आयोग की संरचना आयोग में एक अध्यक्ष व दो सदस्य सहित कुल तीन सदस्य होते है उल्लेखनीय है कि मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम 2006 से पूर्व आयोग की सदस्य संख्या 5 निर्धारित थी इस अधिनियम द्वारा सदस्य संख्या 5 से घटाकर 3 कर दी गई मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम 2019 द्वारा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सदस्य संख्या 3 से बढ़ाकर 4 कर दी गई लेकिन राज्य मानवाधिकार आयोग की सदस्य संख्या में कोई परिवर्तन नही किया गया अर्थात राज्य मानवाधिकार आयोग में वर्तमान में 1 अध्यक्ष तथा 2 सदस्य होते है राज्य मानवाधिकार आयोग एक बहुसदस्य निकाय है जिसमे - एक अध्यक्ष जो उच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश या उच्च न्यायालय का अन्य न्यायाधीश होता है NOTE - मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम (संशोधन) - 2019 द्वारा उच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीश के अध्यक्ष बनाने का प्रावधान किया गया है जबकि संशोधन से पूर्व केवल उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश ही अध्यक्ष बन सकता है दो अन्य सदस्य राज्य के जिला न्यायालय का कोई न्यायाधीश, जिसे सात वर्ष का अनुभव हो या कोई ऐसा व्यक्ति जिसे मानव अधिकारों के बारे में विशेष अनुभव हो, वे भी आयोग के सदस्य बन सकते है धारा 23 - हटाये जाने संबंधी प्रावधान राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष व अन्य सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल करते है, लेकिन इन्हें पद से केवल राष्ट्रपति हटा सकते है (राज्यपाल नही) राष्ट्रपति इन्हें उसी प्रकार हटा सकते है जिस प्रकार राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों को हटा सकते है अर्थात निम्नलिखित परिस्थितियों में हटा सकते है यदि वह दिवालिया हो गया हो यदि कार्यकाल के दौरान उसने कोई लाभ का पद धारण कर लिया हो यदि वह मानसिक रूप से अस्वस्थ हो तथा न्यायालय ने उसे अक्षम घोषित किया हो यदि वह किसी अपराध में दोषसिद्ध किया गया हो तथा कारावास की सजा दी गयी हो इनके अलावा अध्यक्ष व सदस्यों को सिद्ध कदाचार या अक्षमता के आधार पर पद से हटाने के लिए राष्ट्रपति मामले की जांच सर्वोच्च न्यायालय को भेजते है तथा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जांच में सही पाए जाने पर उसकी सलाह पर राष्ट्रपति अध्यक्ष व सदस्यों को पद से हटा देते है धारा 24 - कार्यकाल आयोग के अध्यक्ष एवं अन्य सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्ष या 70 वर्ष की आयु दोनो में से जो पहले हो तक होता है आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों पुनः नियुक्ति के पात्र भी होते है NOTE - पहले अध्यक्ष तथा सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्ष का होता था जिसे मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम 2019 द्वारा 3 वर्ष कर दिया तथा पुनः नियुक्ति का प्रावधान भी शामिल कर दिया गया है (यदि 70 वर्ष की आयु पूर्ण नही हुई हो तो) आयोग से कार्यकाल पूर्ण होने के पश्चात अध्यक्ष व अन्य सदस्य, केंद्र सरकार या राज्य सरकार के अधीन कोई सरकारी पद ग्रहण नही कर सकते है राज्य मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष व सदस्य राज्यपाल को सम्बोधित त्यागपत्र देकर पदमुक्त हो सकते है 2 / 24 निम्नलिखित में से कौन राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग अध्यक्ष नही रहा है (RAS PRE 2015) जस्टिस प्रेम चंद जस्टिस NK जैन जस्टिस S सगीर अहमद जस्टिस कांता भटनागर क्र सं अध्यक्ष कार्यकाल 1 श्रीमती कांता कुमारी भटनागर (न्यूनतम कार्यकाल) 23/03/2000 से 11/08/2000 2 सगीर अहमद 16/02/2001 से 03/06/2004 3 NK जैन 16/07/2005 से 15/07/ 2010 4 प्रकाश टाटिया 11/03/2016 से 25/11/2019 5 श्री गोपाल कृष्ण व्यास जनवरी 2021 से वर्तमान वर्तमान सदस्य महेश गोयल रिक्त सदस्य के रूप में सर्वाधिक कार्यकाल - पुखराज सीरवी सद्स्य के रूप में न्यूनतम कार्यकाल - नमोनारायण मीणा प्रथम मुख्य सचिव - k राधाकृष्ण (नियुक्त 13/04/1949) 3 / 24 निम्नलिखित में से कौनसा विकल्प राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग के संबंध में सही नही है ? (कांस्टेबल 2018) अध्यक्ष के रूप में केवल उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति हो सकती है आयोग के सचिव पदानुक्रम में राज्य सरकार के सचिव के स्तर से निचे नही होते है आयोग की अपनी खुद की जांच एजेंसी होती है आयोग में दो उपाध्यक्षों का प्रावधान है धारा 28 - आयोग की रिपोर्ट राज्य मानवाधिकार आयोग अपना वार्षिक या विशेष प्रतिवेदन राज्य सरकार को प्रेषित करता है तथा सरकार इसे विधायिका के समक्ष प्रस्तुत करती है इस प्रतिवेदन में यह भी बताया जाता है कि आयोग द्वारा दी गई अनुशंसाओं पर राज्य सरकार ने क्या कदम उठाए है यदि आयोग की किसी सलाह को राज्य सरकार ने नही माना है, तो इसके कारणों का तर्कपूर्ण उत्तर दिया जाना आवश्यक है राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 के तहत राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग का गठन 18 जनवरी 1999 को किया जो कि क्रियाशील 23 मार्च 2000 को हुआ था राजस्थान राज्य मानवधिकार आयोग के उद्देश्य राज्य में मानव अधिकारों की रक्षा हेतु निगरानी संस्था के रूप में कार्य करना 1993 के अधिनियम की धारा 2 (घ) में मानव अधिकारों को परिभाषित किया है आयोग का सचिव, राज्य सरकार का सचिव स्तर का अधिकारी होता है आयोग की अन्वेषण एजेंसी है, जिसका नेतृत्व महानिरीक्षक पुलिस स्तर का पदाधिकारी करता है आयोग की अधिकारिता राज्य मानवाधिकार आयोग केवल उन्हीं मामलो में मानवाधिकार उल्लंघन की जांच कर सकता है, जो संविधान की राज्य सूची (सूची -2) व समवर्ती सूची (सूची - 3) के अंर्तगत आते है लेकिन यदि किसी मामले की जांच पहले से ही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग या किसी अन्य विधिक निकाय द्वारा की जा रही है, तो ऐसे मामलों की जांच राज्य मानवाधिकार आयोग नही कर सकता मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम 2019 द्वारा प्रावधान किया गया है कि राज्य मानवाधिकार आयोग के सचिव आयोग के अध्यक्ष के नियंत्रणाधीन, सभी प्रशासनिक एवं वित्तीय शक्तियों का उपयोग कर सकते है आयोग की अपनी एक अन्वेषण एजेंसी है जिसका नेतृत्व ऐसे पुलिस अधिकारी द्वारा किया जाता है जो महानिरीक्षक पुलिस के पद से कम स्तर का नही हो। 4 / 24 मानवाधिकार संरक्षण अधिनीयम 1993 के किस अनुच्छेद के अंतर्गत राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग को वित्तीय स्वायत्तता प्राप्त है ? (कॉन्स्टेबल 2018) अनुच्छेद 18 अनुच्छेद 33 अनुच्छेद 35 अनुच्छेद 68 वर्तमान सदस्य महेश गोयल रिक्त सदस्य के रूप में सर्वाधिक कार्यकाल - पुखराज सीरवी सद्स्य के रूप में न्यूनतम कार्यकाल - नमोनारायण मीणा प्रथम मुख्य सचिव - k राधाकृष्ण (नियुक्त 13/04/1949) सर्वाधिक कार्यकाल मुख्य सचिव - भगवंत सिंह मेहरा (प्रथम राजस्थानी) न्यूनतम कार्यकाल वाले मुख्य सचिव - राजीव स्वरूप (122 दिन) निहालचंद गोयल (123 दिन) अनुसूचित जनजाति से प्रथम मुख्य सचिव - op मीणा अनुसूचित जाति से मुख्य सचिव - निरंजन आर्य प्रथम महिला मुख्य सचिव - श्रीमति कुशल सिंह SHRC अधिनियम 1993 के अध्याय 5 में राज्य मानवाधिकार सम्बन्धी प्रावधान किए गए अनुच्छेद 33 मे वित्तीय स्वायत्ता प्राप्त है 5 / 24 निम्नलिखित में से कौनसे कथन राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग के संबंध में सही है ? (RAS PRE 2018) इसका गठन राजस्थान सरकार की 18 जनवरी 1999 की एक अधिसूचना द्वारा हुआ यह आयोग मार्च 2000 से क्रियाशील हुआ मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम 2006 के अनुसार आयोग में एक अध्यक्ष एवं 3 सदस्यों का प्रावधान किया गया है इसके भूतपूर्व अध्यक्षों में से एक उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश रहे है केवल 1 केवल 2 केवल 3 1,2 एवं 4 मानवाधिकार आयोग मानवाधिकार शब्द मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम की धारा 2 (घ) में परिभाषित है जिसके अंतर्गत मानवाधिकार से अभिप्राय है संविधान में उल्लेखित अथवा अन्तर्राष्ट्रीय प्रसंविदा में अंगीभूत व्यक्ति की जीवन, स्वतंत्रता, समानता और प्रतिष्ठा से संबंधित अधिकार जो न्यायालय द्वारा लागू योग्य हो। इस प्रकार मानवाधिकार की परिभाषा के अंतर्गत वे सभी मुद्दे आते है जो जीवन, स्वतंत्रता, समानता और गरिमा के परिधि के भीतर है ऐसे अधिकार जो एक व्यक्ति को मानव होने के नाते प्राप्त है तथा मानव के सर्वांगीण विकास (नागरिक, राजैनतिक, आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकार) व गरिमापूर्ण जीवन हेतु आवश्यक हो मानवाधिकार कहलाते है 10 दिसम्बर 1948 को सयुंक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा की गई इसलिए प्रतिवर्ष 10 दिसम्बर को अंर्तराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है 1991 में मानवाधिकार से संबंधित पेरिस घोषणा पत्र जारी हुआ 1991 में संसद ने मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम पारित किया जो 28 सितम्बर 1993 को लागू हुआ इसी अधिनियम के तहत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के साथ साथ राज्य स्तर पर भी राज्य मानवाधिकार आयोगों के गठन का प्रावधान किया गया। अब तक देश मे 26 राज्यो द्वारा मानवाधिकार आयोगों का गठन किया जा चुका है राज्य मानवाधिकार आयोग एक सांविधिक (वैधानिक) निकाय है राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग का गठन 18 जनवरी 1999 को किया जो कि क्रियाशील मार्च 2000 को हुआ। धारा 21 - आयोग की संरचना आयोग में एक अध्यक्ष व दो सदस्य सहित कुल तीन सदस्य होते है उल्लेखनीय है कि मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम 2006 से पूर्व आयोग की सदस्य संख्या 5 निर्धारित थी इस अधिनियम द्वारा सदस्य संख्या 5 से घटाकर 3 कर दी गई मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम 2019 द्वारा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सदस्य संख्या 3 से बढ़ाकर 4 कर दी गई लेकिन राज्य मानवाधिकार आयोग की सदस्य संख्या में कोई परिवर्तन नही किया गया अर्थात राज्य मानवाधिकार आयोग में वर्तमान में 1 अध्यक्ष तथा 2 सदस्य होते है राज्य मानवाधिकार आयोग एक बहुसदस्य निकाय है जिसमे - एक अध्यक्ष जो उच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश या उच्च न्यायालय का अन्य न्यायाधीश होता है NOTE - मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम (संशोधन) - 2019 द्वारा उच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीश के अध्यक्ष बनाने का प्रावधान किया गया है जबकि संशोधन से पूर्व केवल उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश ही अध्यक्ष बन सकता है दो अन्य सदस्य राज्य के जिला न्यायालय का कोई न्यायाधीश, जिसे सात वर्ष का अनुभव हो या कोई ऐसा व्यक्ति जिसे मानव अधिकारों के बारे में विशेष अनुभव हो, वे भी आयोग के सदस्य बन सकते है अब तक के अध्यक्ष क्र सं अध्यक्ष कार्यकाल 1 श्रीमती कांता कुमारी भटनागर (न्यूनतम कार्यकाल) 23/03/2000 से 11/08/2000 2 सगीर अहमद 16/02/2001 से 03/06/2004 3 NK जैन 16/07/2005 से 15/07/ 2010 4 प्रकाश टाटिया 11/03/2016 से 25/11/2019 5 श्री गोपाल कृष्ण व्यास जनवरी 2021 से वर्तमान 6 / 24 राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष का पद रिक्त होने की स्थिति में अध्यक्ष के रूप में कौन कार्य करता है ? ( 2ND ग्रेड 2019) राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री को कार्यभार सौंपना राज्यपाल द्वारा सदस्यों में से किसी एक सदस्य को अध्यक्ष के रूप में प्राधिकृत कर सकते है राज्य विधानसभा का अध्यक्ष राज्यपाल द्वारा स्वयं कार्यभार ग्रहण करना धारा 24 - कार्यवाहक अध्यक्ष अध्यक्ष की मृत्यु होने, त्यागपत्र देने, अनुपस्थिति के कारण या अन्य कारणों से अपने कार्यो का निर्वहन करने में असमर्थ होने की दशा में राज्यपाल सदस्यों में से किसी एक को अध्यक्ष के रूप में कार्य करने के लिए प्राधिकृत करेगा धारा 25 - वेतन भत्ते राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों के वेतन भत्ते एवं सेवा शर्ते का निर्धारण राज्य सरकार करती है कार्यकाल के दौरान उनके वेतन भत्तों में अलाभकारी परिवर्तन नही किया जा सकता है 7 / 24 राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग का गठन कब हुआ ? (2nd ग्रेड 2019) 1993 1995 1999 2006 राज्य मानवाधिकार आयोग मानवाधिकार शब्द मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम की धारा 2 (घ) में परिभाषित है जिसके अंतर्गत मानवाधिकार से अभिप्राय है संविधान में उल्लेखित अथवा अन्तर्राष्ट्रीय प्रसंविदा में अंगीभूत व्यक्ति की जीवन, स्वतंत्रता, समानता और प्रतिष्ठा से संबंधित अधिकार जो न्यायालय द्वारा लागू योग्य हो। इस प्रकार मानवाधिकार की परिभाषा के अंतर्गत वे सभी मुद्दे आते है जो जीवन, स्वतंत्रता, समानता और गरिमा के परिधि के भीतर है ऐसे अधिकार जो एक व्यक्ति को मानव होने के नाते प्राप्त है तथा मानव के सर्वांगीण विकास (नागरिक, राजैनतिक, आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकार) व गरिमापूर्ण जीवन हेतु आवश्यक हो मानवाधिकार कहलाते है 10 दिसम्बर 1948 को सयुंक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा की गई इसलिए प्रतिवर्ष 10 दिसम्बर को अंर्तराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है 1991 में मानवाधिकार से संबंधित पेरिस घोषणा पत्र जारी हुआ 1991 में संसद ने मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम पारित किया जो 28 सितम्बर 1993 को लागू हुआ इसी अधिनियम के तहत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के साथ साथ राज्य स्तर पर भी राज्य मानवाधिकार आयोगों के गठन का प्रावधान किया गया। अब तक देश मे 26 राज्यो द्वारा मानवाधिकार आयोगों का गठन किया जा चुका है राज्य मानवाधिकार आयोग एक सांविधिक (वैधानिक) निकाय है राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग का गठन 18 जनवरी 1999 को किया जो कि क्रियाशील मार्च 2000 को हुआ। 8 / 24 राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग के किसी सदस्य द्वारा अधिकतम किस उम्र तक पद धारित किया जा सकता है ? (2Nd ग्रेड 2019) 62 वर्ष आयु तक 65 वर्ष आयु तक 67 वर्ष आयु तक 70 वर्ष आयु तक धारा 24 - कार्यकाल आयोग के अध्यक्ष एवं अन्य सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्ष या 70 वर्ष की आयु दोनो में से जो पहले हो तक होता है आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों पुनः नियुक्ति के पात्र भी होते है NOTE - पहले अध्यक्ष तथा सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्ष का होता था जिसे मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम 2019 द्वारा 3 वर्ष कर दिया तथा पुनः नियुक्ति का प्रावधान भी शामिल कर दिया गया है (यदि 70 वर्ष की आयु पूर्ण नही हुई हो तो) आयोग से कार्यकाल पूर्ण होने के पश्चात अध्यक्ष व अन्य सदस्य, केंद्र सरकार या राज्य सरकार के अधीन कोई सरकारी पद ग्रहण नही कर सकते है राज्य मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष व सदस्य राज्यपाल को सम्बोधित त्यागपत्र देकर पदमुक्त हो सकते है धारा 24 - कार्यवाहक अध्यक्ष अध्यक्ष की मृत्यु होने, त्यागपत्र देने, अनुपस्थिति के कारण या अन्य कारणों से अपने कार्यो का निर्वहन करने में असमर्थ होने की दशा में राज्यपाल सदस्यों में से किसी एक को अध्यक्ष के रूप में कार्य करने के लिए प्राधिकृत करेगा 9 / 24 मानवाधिकार संरक्षण (संशोधित) अधिनियम 2006 के अनुरूप राजस्थान मानवाधिकार आयोग में कितने सदस्य होते है 2 3 4 5 धारा 21 - आयोग की संरचना आयोग में एक अध्यक्ष व दो सदस्य सहित कुल तीन सदस्य होते है उल्लेखनीय है कि मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम 2006 से पूर्व आयोग की सदस्य संख्या 5 निर्धारित थी इस अधिनियम द्वारा सदस्य संख्या 5 से घटाकर 3 कर दी गई मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम 2019 द्वारा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सदस्य संख्या 3 से बढ़ाकर 4 कर दी गई लेकिन राज्य मानवाधिकार आयोग की सदस्य संख्या में कोई परिवर्तन नही किया गया अर्थात राज्य मानवाधिकार आयोग में वर्तमान में 1 अध्यक्ष तथा 2 सदस्य होते है राज्य मानवाधिकार आयोग एक बहुसदस्य निकाय है जिसमे - एक अध्यक्ष जो उच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश या उच्च न्यायालय का अन्य न्यायाधीश होता है NOTE - मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम (संशोधन) - 2019 द्वारा उच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीश के अध्यक्ष बनाने का प्रावधान किया गया है जबकि संशोधन से पूर्व केवल उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश ही अध्यक्ष बन सकता है दो अन्य सदस्य राज्य के जिला न्यायालय का कोई न्यायाधीश, जिसे सात वर्ष का अनुभव हो या कोई ऐसा व्यक्ति जिसे मानव अधिकारों के बारे में विशेष अनुभव हो, वे भी आयोग के सदस्य बन सकते है 10 / 24 राजस्थान मानवाधिकार आयोग मानवाधिकारों के उल्लंघन की शिकायतो की जांच कर सकता है ? (तकनीकी विभाग 2021) 1 स्वप्रेरणा से 2 किसी पीड़ित व्यक्ति द्वारा उसे अर्जी प्रस्तुत किये जाने पर 3 किसी पीड़ित की ओर से किसी व्यक्ति द्वारा उसे अर्जी प्रस्तुत किये जाने पर उपर्युक्त कथनों में सही है कवेल 1 केवल 2 एवं 3 केवल 3 1,2 एवं 3 आयोग के कार्य - आयोग के कार्य क्षेत्र में वे सभी मानवाधिकार आते है जिनमे नागरिक, राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक अधिकार शामिल है इसके अंतर्गत - मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच करना जिला मुख्यालय में ‘मानवाधिकार प्रकोष्ठक’ की स्थापना न्यायालय में लंबित किसी मानवाधिकार से संबंधित कार्यवाही में हस्तक्षेप करना जेलों व बन्दीगृहो में जाकर वहाँ की स्थिति का अध्ययन कर व इस बारे में सिफारिश करना। हिरासत में हुई मौतों, बलात्कार, उत्पीड़न को रोकने के उपाय मानवाधिकार की रक्षा हेतु बनाये गए संवैधानिक व विधिक उपबन्धों की समीक्षा करना तथा इनके प्रभावी कार्यान्वयन की सिफारिश करना मानवाधिकार के क्षेत्र में शोध कार्य करना तथा उन्हें प्रोत्साहित करना। आंतकवाद सहित उन सभी कारणों की समीक्षा करना जिनसे मानवाधिकार उल्लंघन होता है तथा इनसे बचाव के उपाय करना 14 वर्ष की आयु तक के बच्चो को आवश्यक व निःशुल्क शिक्षा प्रदान करने, गरिमा के साथ जीवन व्यतीत करने, माताओ ओर बच्चो के कल्याण हेतु प्राथमिक सुविधाएं उपलब्ध कराने की सिफारिश करना माताओ में अल्प रक्तता ओर बच्चो में जन्मजात मानसिक अपंगता की रोकथाम HIV / एड्स से पीड़ित लोगों के मानवाधिकारो का संरक्षण मानसिक अस्पतालों की गुणवत्ता में सुधारों में प्रयास हाथ से मैला ढोने की प्रथा समाप्त करने के लिए प्रयास गैर अधिसूचित ओर खानाबदोश जनजातियों के अधिकारों का संरक्षण करने के लिए सिफारिश करना। जन स्वास्थ्य प्रदूषण नियंत्रण, खाद्य पदार्थों में मिलावट की रोकथाम, ओषधियों में मिलावट व अवधि पार ओषधियों पर रोक धर्म, जाति, उपजाति आदि के बहिष्कार के मामले मानवाधिकारों के प्रति लोगो मे चेतना जाग्रत करना तथा इनके संरक्षण हेतु प्रोत्साहित करना मानवाधिकार क्षेत्र में कार्य करने वाले गैर सरकारी संगठनों को सहयोग एवं प्रोत्साहित करना। आयोग की कार्यप्रणाली राज्य मानवाधिकार आयोग का मुख्यालय / कार्यालय ऐसे स्थान पर होगा जैसा राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा विनिर्दिष्ट करे आयोग को अपने कार्यो को सम्पन्न करने के लिए दीवानी न्यायालय की शक्तियां दी गई है यह उसी के समान अपनी कार्यवाही को सम्पन्न करता है यह किसी मामले की सुनवाई के लिए राज्य सरकार या किसी अन्य अधीनस्थ प्राधिकारी को निर्देश दे सकता है राज्य मानवाधिकार आयोग केवल एक वर्ष की अवधि के भीतर के मामलों की ही सुनवाई / जांच कर सकता है 11 / 24 निम्नलिखित में से कौन असत्य है ? (2Nd ग्रेड 2022) मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम - 1993 राज्य मानवाधिकार आयोग का गठन - 2004 मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम - 2006 राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग के बारे में अधिसूचना - 1999 राज्य मानवाधिकार आयोग मानवाधिकार शब्द मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम की धारा 2 (घ) में परिभाषित है जिसके अंतर्गत मानवाधिकार से अभिप्राय है संविधान में उल्लेखित अथवा अन्तर्राष्ट्रीय प्रसंविदा में अंगीभूत व्यक्ति की जीवन, स्वतंत्रता, समानता और प्रतिष्ठा से संबंधित अधिकार जो न्यायालय द्वारा लागू योग्य हो। इस प्रकार मानवाधिकार की परिभाषा के अंतर्गत वे सभी मुद्दे आते है जो जीवन, स्वतंत्रता, समानता और गरिमा के परिधि के भीतर है ऐसे अधिकार जो एक व्यक्ति को मानव होने के नाते प्राप्त है तथा मानव के सर्वांगीण विकास (नागरिक, राजैनतिक, आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकार) व गरिमापूर्ण जीवन हेतु आवश्यक हो मानवाधिकार कहलाते है 10 दिसम्बर 1948 को सयुंक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा की गई इसलिए प्रतिवर्ष 10 दिसम्बर को अंर्तराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है 1991 में मानवाधिकार से संबंधित पेरिस घोषणा पत्र जारी हुआ 1991 में संसद ने मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम पारित किया जो 28 सितम्बर 1993 को लागू हुआ इसी अधिनियम के तहत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के साथ साथ राज्य स्तर पर भी राज्य मानवाधिकार आयोगों के गठन का प्रावधान किया गया। अब तक देश मे 26 राज्यो द्वारा मानवाधिकार आयोगों का गठन किया जा चुका है राज्य मानवाधिकार आयोग एक सांविधिक (वैधानिक) निकाय है राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग का गठन 18 जनवरी 1999 को किया जो कि क्रियाशील मार्च 2000 को हुआ। धारा 21 - आयोग की संरचना आयोग में एक अध्यक्ष व दो सदस्य सहित कुल तीन सदस्य होते है उल्लेखनीय है कि मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम 2006 से पूर्व आयोग की सदस्य संख्या 5 निर्धारित थी इस अधिनियम द्वारा सदस्य संख्या 5 से घटाकर 3 कर दी गई मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम 2019 द्वारा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सदस्य संख्या 3 से बढ़ाकर 4 कर दी गई लेकिन राज्य मानवाधिकार आयोग की सदस्य संख्या में कोई परिवर्तन नही किया गया अर्थात राज्य मानवाधिकार आयोग में वर्तमान में 1 अध्यक्ष तथा 2 सदस्य होते है 12 / 24 राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष कौन है ? (कृषि पर्यवेक्षक 2021) CK दवे भूपेन्द्र यादव GK व्यास निरंजन आर्य अब तक के अध्यक्ष क्र सं अध्यक्ष कार्यकाल 1 श्रीमती कांता कुमारी भटनागर (न्यूनतम कार्यकाल) 23/03/2000 से 11/08/2000 2 सगीर अहमद 16/02/2001 से 03/06/2004 3 NK जैन 16/07/2005 से 15/07/ 2010 4 प्रकाश टाटिया 11/03/2016 से 25/11/2019 5 श्री गोपाल कृष्ण व्यास जनवरी 2021 से वर्तमान वर्तमान सदस्य महेश गोयल रिक्त सदस्य के रूप में सर्वाधिक कार्यकाल - पुखराज सीरवी सद्स्य के रूप में न्यूनतम कार्यकाल - नमोनारायण मीणा प्रथम मुख्य सचिव - k राधाकृष्ण (नियुक्त 13/04/1949) सर्वाधिक कार्यकाल मुख्य सचिव - भगवंत सिंह मेहरा (प्रथम राजस्थानी) न्यूनतम कार्यकाल वाले मुख्य सचिव - राजीव स्वरूप (122 दिन) निहालचंद गोयल (123 दिन) अनुसूचित जनजाति से प्रथम मुख्य सचिव - op मीणा अनुसूचित जाति से मुख्य सचिव - निरंजन आर्य प्रथम महिला मुख्य सचिव - श्रीमति कुशल सिंह SHRC अधिनियम 1993 के अध्याय 5 में राज्य मानवाधिकार सम्बन्धी प्रावधान किए गए अनुच्छेद 33 मे वित्तीय स्वायत्ता प्राप्त है 13 / 24 राजस्थान राज्य मानव अधिकार आयोग अस्तित्व में आया ? (2Nd ग्रेड 2016) 2 अक्टूबर 1990 को 18 जनवरी 1999 को 26 जनवरी 1995 को 10 दिसम्बर 1998 को राज्य मानवाधिकार आयोग मानवाधिकार शब्द मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम की धारा 2 (घ) में परिभाषित है जिसके अंतर्गत मानवाधिकार से अभिप्राय है संविधान में उल्लेखित अथवा अन्तर्राष्ट्रीय प्रसंविदा में अंगीभूत व्यक्ति की जीवन, स्वतंत्रता, समानता और प्रतिष्ठा से संबंधित अधिकार जो न्यायालय द्वारा लागू योग्य हो। इस प्रकार मानवाधिकार की परिभाषा के अंतर्गत वे सभी मुद्दे आते है जो जीवन, स्वतंत्रता, समानता और गरिमा के परिधि के भीतर है ऐसे अधिकार जो एक व्यक्ति को मानव होने के नाते प्राप्त है तथा मानव के सर्वांगीण विकास (नागरिक, राजैनतिक, आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकार) व गरिमापूर्ण जीवन हेतु आवश्यक हो मानवाधिकार कहलाते है 10 दिसम्बर 1948 को सयुंक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा की गई इसलिए प्रतिवर्ष 10 दिसम्बर को अंर्तराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है 1991 में मानवाधिकार से संबंधित पेरिस घोषणा पत्र जारी हुआ 1991 में संसद ने मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम पारित किया जो 28 सितम्बर 1993 को लागू हुआ इसी अधिनियम के तहत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के साथ साथ राज्य स्तर पर भी राज्य मानवाधिकार आयोगों के गठन का प्रावधान किया गया। अब तक देश मे 26 राज्यो द्वारा मानवाधिकार आयोगों का गठन किया जा चुका है राज्य मानवाधिकार आयोग एक सांविधिक (वैधानिक) निकाय है राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग का गठन 18 जनवरी 1999 को किया जो कि क्रियाशील मार्च 2000 को हुआ। 14 / 24 राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग - 1 पीड़ित व्यक्ति की याचिका प्राप्त होने पर ही मानवाधिकारों के हनन की शिकायत पर जांच कर सकता है स्वत नही 2 मानवाधिकार के हनन का कोई मामला अगर किसी अदालत में लंबित है तो उसमें किसी भी हालत में हस्तक्षेप नही कर सकता। उर्पयुक्त कथनों में से कौन सा कथन सही है ? (SI 2021) केवल 2 दोनो 1 एवं 2 न 1 ना ही 2 केवल 1 आयोग के कार्य - आयोग के कार्य क्षेत्र में वे सभी मानवाधिकार आते है जिनमे नागरिक, राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक अधिकार शामिल है इसके अंतर्गत - मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच करना जिला मुख्यालय में ‘मानवाधिकार प्रकोष्ठक’ की स्थापना न्यायालय में लंबित किसी मानवाधिकार से संबंधित कार्यवाही में हस्तक्षेप करना जेलों व बन्दीगृहो में जाकर वहाँ की स्थिति का अध्ययन कर व इस बारे में सिफारिश करना। हिरासत में हुई मौतों, बलात्कार, उत्पीड़न को रोकने के उपाय मानवाधिकार की रक्षा हेतु बनाये गए संवैधानिक व विधिक उपबन्धों की समीक्षा करना तथा इनके प्रभावी कार्यान्वयन की सिफारिश करना मानवाधिकार के क्षेत्र में शोध कार्य करना तथा उन्हें प्रोत्साहित करना। आंतकवाद सहित उन सभी कारणों की समीक्षा करना जिनसे मानवाधिकार उल्लंघन होता है तथा इनसे बचाव के उपाय करना 14 वर्ष की आयु तक के बच्चो को आवश्यक व निःशुल्क शिक्षा प्रदान करने, गरिमा के साथ जीवन व्यतीत करने, माताओ ओर बच्चो के कल्याण हेतु प्राथमिक सुविधाएं उपलब्ध कराने की सिफारिश करना माताओ में अल्प रक्तता ओर बच्चो में जन्मजात मानसिक अपंगता की रोकथाम HIV / एड्स से पीड़ित लोगों के मानवाधिकारो का संरक्षण मानसिक अस्पतालों की गुणवत्ता में सुधारों में प्रयास हाथ से मैला ढोने की प्रथा समाप्त करने के लिए प्रयास गैर अधिसूचित ओर खानाबदोश जनजातियों के अधिकारों का संरक्षण करने के लिए सिफारिश करना। जन स्वास्थ्य प्रदूषण नियंत्रण, खाद्य पदार्थों में मिलावट की रोकथाम, ओषधियों में मिलावट व अवधि पार ओषधियों पर रोक धर्म, जाति, उपजाति आदि के बहिष्कार के मामले मानवाधिकारों के प्रति लोगो मे चेतना जाग्रत करना तथा इनके संरक्षण हेतु प्रोत्साहित करना मानवाधिकार क्षेत्र में कार्य करने वाले गैर सरकारी संगठनों को सहयोग एवं प्रोत्साहित करना। 15 / 24 राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग का गठन कब हुआ ? (2ND ग्रेड 2018) 1998 1999 2000 2001 राज्य मानवाधिकार आयोग मानवाधिकार शब्द मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम की धारा 2 (घ) में परिभाषित है जिसके अंतर्गत मानवाधिकार से अभिप्राय है संविधान में उल्लेखित अथवा अन्तर्राष्ट्रीय प्रसंविदा में अंगीभूत व्यक्ति की जीवन, स्वतंत्रता, समानता और प्रतिष्ठा से संबंधित अधिकार जो न्यायालय द्वारा लागू योग्य हो। इस प्रकार मानवाधिकार की परिभाषा के अंतर्गत वे सभी मुद्दे आते है जो जीवन, स्वतंत्रता, समानता और गरिमा के परिधि के भीतर है ऐसे अधिकार जो एक व्यक्ति को मानव होने के नाते प्राप्त है तथा मानव के सर्वांगीण विकास (नागरिक, राजैनतिक, आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकार) व गरिमापूर्ण जीवन हेतु आवश्यक हो मानवाधिकार कहलाते है 10 दिसम्बर 1948 को सयुंक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा की गई इसलिए प्रतिवर्ष 10 दिसम्बर को अंर्तराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है 1991 में मानवाधिकार से संबंधित पेरिस घोषणा पत्र जारी हुआ 1991 में संसद ने मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम पारित किया जो 28 सितम्बर 1993 को लागू हुआ इसी अधिनियम के तहत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के साथ साथ राज्य स्तर पर भी राज्य मानवाधिकार आयोगों के गठन का प्रावधान किया गया। अब तक देश मे 26 राज्यो द्वारा मानवाधिकार आयोगों का गठन किया जा चुका है राज्य मानवाधिकार आयोग एक सांविधिक (वैधानिक) निकाय है राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग का गठन 18 जनवरी 1999 को किया जो कि क्रियाशील मार्च 2000 को हुआ। 16 / 24 निम्नलिखित में से कौन एक राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग के एक अध्यक्ष नही रहे थे ? (SI 2021) जस्टिस NK जैन जस्टिस प्रकाश टाटिया जस्टिस जगत सिंह जस्टिस S सगीर अहमद आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्य वर्तमान में आयोग के अध्यक्ष न्यायाधीश गोपालकृष्ण व्यास है तथा आयोग के एक अन्य सदस्य भूतपूर्व (IPS) महेश गोयल है राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग की प्रथम अध्यक्षा न्यायाधीश कांता भटनागर थी अध्यक्ष के रूप में न्यूनतम कार्यकाल - न्यायाधीश कांता भटनागर अध्यक्ष के रूप में सर्वाधिक कार्यकाल - न्यायाधीश NK जैन कार्यवाहक अध्यक्ष - अमर सिंह गोदारा न्यायाधीश जगत सिंह पुखराज सीरवी HR कुरी न्यायाधीश महेश चंद्र शर्मा अब तक के अध्यक्ष क्र सं अध्यक्ष कार्यकाल 1 श्रीमती कांता कुमारी भटनागर (न्यूनतम कार्यकाल) 23/03/2000 से 11/08/2000 2 सगीर अहमद 16/02/2001 से 03/06/2004 3 NK जैन 16/07/2005 से 15/07/ 2010 4 प्रकाश टाटिया 11/03/2016 से 25/11/2019 5 श्री गोपाल कृष्ण व्यास जनवरी 2021 से वर्तमान 17 / 24 राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग का संघटन है ? (2ND ग्रेड 2022) 1 अध्यक्ष एवं 3 सदस्य 1 अध्यक्ष एवं 6 सदस्य 1 अध्यक्ष एवं 4 सदस्य 1 अध्यक्ष एवं 2 सदस्य धारा 21 - आयोग की संरचना आयोग में एक अध्यक्ष व दो सदस्य सहित कुल तीन सदस्य होते है उल्लेखनीय है कि मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम 2006 से पूर्व आयोग की सदस्य संख्या 5 निर्धारित थी इस अधिनियम द्वारा सदस्य संख्या 5 से घटाकर 3 कर दी गई मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम 2019 द्वारा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सदस्य संख्या 3 से बढ़ाकर 4 कर दी गई लेकिन राज्य मानवाधिकार आयोग की सदस्य संख्या में कोई परिवर्तन नही किया गया अर्थात राज्य मानवाधिकार आयोग में वर्तमान में 1 अध्यक्ष तथा 2 सदस्य होते है राज्य मानवाधिकार आयोग एक बहुसदस्य निकाय है जिसमे - एक अध्यक्ष जो उच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश या उच्च न्यायालय का अन्य न्यायाधीश होता है NOTE - मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम (संशोधन) - 2019 द्वारा उच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीश के अध्यक्ष बनाने का प्रावधान किया गया है जबकि संशोधन से पूर्व केवल उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश ही अध्यक्ष बन सकता है दो अन्य सदस्य राज्य के जिला न्यायालय का कोई न्यायाधीश, जिसे सात वर्ष का अनुभव हो या कोई ऐसा व्यक्ति जिसे मानव अधिकारों के बारे में विशेष अनुभव हो, वे भी आयोग के सदस्य बन सकते है 18 / 24 निम्नलिखित में से कौन एक राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग के एक अध्यक्ष नही रहे थे ? (पटवारी 2021) न्यायमूर्ति NK जैन न्यायमूर्ति S सगीर अहमद न्यायमूर्ति कांता भटनागर न्यायमूर्ति प्रेमचंद जैन क्र सं अध्यक्ष कार्यकाल 1 श्रीमती कांता कुमारी भटनागर (न्यूनतम कार्यकाल) 23/03/2000 से 11/08/2000 2 सगीर अहमद 16/02/2001 से 03/06/2004 3 NK जैन 16/07/2005 से 15/07/ 2010 4 प्रकाश टाटिया 11/03/2016 से 25/11/2019 5 श्री गोपाल कृष्ण व्यास जनवरी 2021 से वर्तमान 19 / 24 मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की निम्नलिखित में से किस धारा में राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति के प्रावधान का उल्लेख है ? (2ND ग्रेड 2022) 21 22 23 24 धारा 22 - नियुक्ति आयोग के अध्यक्ष एवं अन्य सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा छह सदस्यीय समिति की अनुशंसा पर की जाती है इस समिति में निम्नलिखित सदस्य शामिल है - राज्य का मुख्यमंत्री - समिति का अध्यक्ष होता विधानसभा का अध्यक्ष विधानसभा में विपक्ष का नेता राज्य का गृहमंत्री राज्य विधानपरिषद का अध्यक्ष व विधान परिषद में विपक्ष का नेता (यदि राज्य में विधान परिषद भी हो तो) इनके अतिरिक्त एक सदस्य के रूप में राज्य उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश के परामर्श के बाद राज्य के उच्च न्यायालय के कार्यरत न्यायाधीश या जिला न्यायालय के कार्यरत न्यायाधीश को राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्यों की चयन समिति में नियुक्त किया जाता है 20 / 24 राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति एक उच्च स्तरीय समिति की संस्तुति पर राज्यपाल द्वारा की जाती है इस समिति के अध्यक्ष होते है ? (पटवारी 2021) मुख्यमंत्री राज्य विधान मण्डल के अध्यक्ष सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश धारा 22 - नियुक्ति आयोग के अध्यक्ष एवं अन्य सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा छह सदस्यीय समिति की अनुशंसा पर की जाती है इस समिति में निम्नलिखित सदस्य शामिल है - राज्य का मुख्यमंत्री - समिति का अध्यक्ष होता विधानसभा का अध्यक्ष विधानसभा में विपक्ष का नेता राज्य का गृहमंत्री राज्य विधानपरिषद का अध्यक्ष व विधान परिषद में विपक्ष का नेता (यदि राज्य में विधान परिषद भी हो तो) इनके अतिरिक्त एक सदस्य के रूप में राज्य उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश के परामर्श के बाद राज्य के उच्च न्यायालय के कार्यरत न्यायाधीश या जिला न्यायालय के कार्यरत न्यायाधीश को राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्यों की चयन समिति में नियुक्त किया जाता है धारा 23 - हटाये जाने संबंधी प्रावधान राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष व अन्य सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल करते है, लेकिन इन्हें पद से केवल राष्ट्रपति हटा सकते है (राज्यपाल नही) राष्ट्रपति इन्हें उसी प्रकार हटा सकते है जिस प्रकार राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों को हटा सकते है अर्थात निम्नलिखित परिस्थितियों में हटा सकते है यदि वह दिवालिया हो गया हो यदि कार्यकाल के दौरान उसने कोई लाभ का पद धारण कर लिया हो यदि वह मानसिक रूप से अस्वस्थ हो तथा न्यायालय ने उसे अक्षम घोषित किया हो यदि वह किसी अपराध में दोषसिद्ध किया गया हो तथा कारावास की सजा दी गयी हो इनके अलावा अध्यक्ष व सदस्यों को सिद्ध कदाचार या अक्षमता के आधार पर पद से हटाने के लिए राष्ट्रपति मामले की जांच सर्वोच्च न्यायालय को भेजते है तथा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जांच में सही पाए जाने पर उसकी सलाह पर राष्ट्रपति अध्यक्ष व सदस्यों को पद से हटा देते है 21 / 24 राजस्थान राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष की पदावधि का उल्लेख मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की निम्नलिखित में से किस धारा में किया गया है ? (2ND ग्रेड 2022) 21 22 24 25 धारा 24 - कार्यवाहक अध्यक्ष अध्यक्ष की मृत्यु होने, त्यागपत्र देने, अनुपस्थिति के कारण या अन्य कारणों से अपने कार्यो का निर्वहन करने में असमर्थ होने की दशा में राज्यपाल सदस्यों में से किसी एक को अध्यक्ष के रूप में कार्य करने के लिए प्राधिकृत करेगा धारा 25 - वेतन भत्ते राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों के वेतन भत्ते एवं सेवा शर्ते का निर्धारण राज्य सरकार करती है कार्यकाल के दौरान उनके वेतन भत्तों में अलाभकारी परिवर्तन नही किया जा सकता है 22 / 24 राजस्थान मानवाधिकार आयोग के कार्यक्षेत्र में सभी प्रकार के वे मानव अधिकार आते है जो शामिल है ? (कॉलेज लेक्चर 2021) 1 नागरिक एवं राजनीतिक अधिकार 2 आर्थिक अधिकार 3 सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकार सही उत्तर का चयन कीजिये केवल 2 एवं 3 केवल 1 एवं 2 1,2 एवं 3 केवल 1 एवं 3 राज्य मानवाधिकार आयोग मानवाधिकार शब्द मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम की धारा 2 (घ) में परिभाषित है जिसके अंतर्गत मानवाधिकार से अभिप्राय है संविधान में उल्लेखित अथवा अन्तर्राष्ट्रीय प्रसंविदा में अंगीभूत व्यक्ति की जीवन, स्वतंत्रता, समानता और प्रतिष्ठा से संबंधित अधिकार जो न्यायालय द्वारा लागू योग्य हो। इस प्रकार मानवाधिकार की परिभाषा के अंतर्गत वे सभी मुद्दे आते है जो जीवन, स्वतंत्रता, समानता और गरिमा के परिधि के भीतर है ऐसे अधिकार जो एक व्यक्ति को मानव होने के नाते प्राप्त है तथा मानव के सर्वांगीण विकास (नागरिक, राजैनतिक, आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकार) व गरिमापूर्ण जीवन हेतु आवश्यक हो मानवाधिकार कहलाते है 10 दिसम्बर 1948 को सयुंक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा की गई इसलिए प्रतिवर्ष 10 दिसम्बर को अंर्तराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है 1991 में मानवाधिकार से संबंधित पेरिस घोषणा पत्र जारी हुआ 1991 में संसद ने मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम पारित किया जो 28 सितम्बर 1993 को लागू हुआ इसी अधिनियम के तहत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के साथ साथ राज्य स्तर पर भी राज्य मानवाधिकार आयोगों के गठन का प्रावधान किया गया। अब तक देश मे 26 राज्यो द्वारा मानवाधिकार आयोगों का गठन किया जा चुका है राज्य मानवाधिकार आयोग एक सांविधिक (वैधानिक) निकाय है राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग का गठन 18 जनवरी 1999 को किया जो कि क्रियाशील मार्च 2000 को हुआ। 23 / 24 निम्नलिखित सदस्यों में से किसका राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्यों में सबसे कम कार्यकाल अवधि के लिए पद पर रहे ? (2Nd ग्रेड 2022) नमोनारायण मीना RK अकोदिया BL जोशी जस्टिस अमरसिंह गोदारा सदस्य के रूप में सर्वाधिक कार्यकाल - पुखराज सीरवी सद्स्य के रूप में न्यूनतम कार्यकाल - नमोनारायण मीणा प्रथम मुख्य सचिव - k राधाकृष्ण (नियुक्त 13/04/1949) सर्वाधिक कार्यकाल मुख्य सचिव - भगवंत सिंह मेहरा (प्रथम राजस्थानी) न्यूनतम कार्यकाल वाले मुख्य सचिव - राजीव स्वरूप (122 दिन) निहालचंद गोयल (123 दिन) अनुसूचित जनजाति से प्रथम मुख्य सचिव - op मीणा अनुसूचित जाति से मुख्य सचिव - निरंजन आर्य प्रथम महिला मुख्य सचिव - श्रीमति कुशल सिंह SHRC अधिनियम 1993 के अध्याय 5 में राज्य मानवाधिकार सम्बन्धी प्रावधान किए गए अनुच्छेद 33 मे वित्तीय स्वायत्ता प्राप्त है 24 / 24 निम्नलिखित में से कौन राजस्थान राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष पद पर नियुक्त हेतु अधिकृत है ? (RAS PRE 2021) मुख्य सचिव स्तर का अधिकारी पुलिस महानिदेशक स्तर का अधिकारी उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश प्रमुख समाज सेवी व्यक्ति धारा 21 - आयोग की संरचना आयोग में एक अध्यक्ष व दो सदस्य सहित कुल तीन सदस्य होते है उल्लेखनीय है कि मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम 2006 से पूर्व आयोग की सदस्य संख्या 5 निर्धारित थी इस अधिनियम द्वारा सदस्य संख्या 5 से घटाकर 3 कर दी गई मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम 2019 द्वारा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सदस्य संख्या 3 से बढ़ाकर 4 कर दी गई लेकिन राज्य मानवाधिकार आयोग की सदस्य संख्या में कोई परिवर्तन नही किया गया अर्थात राज्य मानवाधिकार आयोग में वर्तमान में 1 अध्यक्ष तथा 2 सदस्य होते है राज्य मानवाधिकार आयोग एक बहुसदस्य निकाय है जिसमे - एक अध्यक्ष जो उच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश या उच्च न्यायालय का अन्य न्यायाधीश होता है NOTE - मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम (संशोधन) - 2019 द्वारा उच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीश के अध्यक्ष बनाने का प्रावधान किया गया है जबकि संशोधन से पूर्व केवल उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश ही अध्यक्ष बन सकता है दो अन्य सदस्य राज्य के जिला न्यायालय का कोई न्यायाधीश, जिसे सात वर्ष का अनुभव हो या कोई ऐसा व्यक्ति जिसे मानव अधिकारों के बारे में विशेष अनुभव हो, वे भी आयोग के सदस्य बन सकते है Your score is The average score is 46% 0% Restart quiz Share this… Telegram Whatsapp Share This Article Facebook Twitter Copy Link Print Leave a comment Leave a Reply Cancel replyYour email address will not be published. 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