राजस्थान के लोकनाटय “Folk Drama Of Rajasthan

rajexaminfo.com
9 Min Read

दोस्तो हमने पहले articles में राजस्थान के लोकनाटय की बात करी अब हम  राजस्थान के लोकनाटय के रंग बिरंगी दुनिया का आनदं उठायेंगे ओर अध्ययन करेंगे

राजस्थान के लोकनाटयो  की लिस्ट 

  1. ख्याल लोकनाटय

  2. नोटकी लोकनाटय

  3. तमाशा लोकनाटय

  4. गवरी / राई लोकनाटय

  5. रम्मत लोकनाटय

  6. स्वांग लोकनाटय

  7. चारबेत लोकनाटय

  8. भवाई लोकनाटय

  9. रामलीला लोकनाटय

  10. रासलीला लोकनाटय

  11. सनकादिक लीला लोकनाटय

  12. गोरलीला लोकनाटय

चलिये दोस्तो शुरू करते है इन लोकनाट्यों को क्रम से अध्ययन करना

Contents
दोस्तो हमने पहले articles में राजस्थान के लोकनाटय की बात करी अब हम  राजस्थान के लोकनाटय के रंग बिरंगी दुनिया का आनदं उठायेंगे ओर अध्ययन करेंगेराजस्थान के लोकनाटयो  की लिस्ट ख्याल लोकनाटयनोटकी लोकनाटयतमाशा लोकनाटयगवरी / राई लोकनाटयरम्मत लोकनाटयस्वांग लोकनाटयचारबेत लोकनाटयभवाई लोकनाटयरामलीला लोकनाटयरासलीला लोकनाटयसनकादिक लीला लोकनाटयगोरलीला लोकनाटयख्याल लोकनाटय1  कुचामनी ख्याल2 जयपुरी ख्याल3   हेला ख्याल4 शेखावाटी ख्याल5  अलिबक्शी ख्याल6 ढप्पाली ख्याल7   कन्हैया ख्याल8 भेंट के दंगल ख्याल9   तुर्रा-कलंगी ख्याल 2   नोटंकी3   तमाशा4 गवरी / राई लोकनाटय5 रम्मत        जैसलमेर          बिकानेर – 6 स्वांग – 7 चारबेत – 8  भवाई – 9  रामलीला – 10 रासलीला – 11 सनकादिक लीला –12 गौर लीला- 
  1. ख्याल लोकनाटय

  • यह पोराणिक एव ऐतिहासिक कहानियों पर आधारित होता है
  • इसमे संगीत के माध्यम से अभिनय किया जाता है
  • इसमे सूत्रकार को हलकारा कहते है
  • ख्याल कई प्रकार की होती है
  1. 1  कुचामनी ख्याल

  • इसके प्रवर्तक – लच्छीराम जी
  • मुख्य कलाकार – उगमाराम जी
  • मुख्य कहानियां – मीरा मंगल

राव रिड़मल

चांद नीलगिरी

  1. यह ओपेरा संगीत की तरह होती है
  2. इसमे महिला पात्रो की भूमिका भी पुरुष निभाते है

2 जयपुरी ख्याल

  •       इसमे महिलाएं भी भाग लेती है
  •      इस ख्याल में नए प्रयोग किये जाते है

3   हेला ख्याल

  • इसके प्रवर्तक – शायर हेला
  • क्षेत्र – लालसोट ( दौसा) , सवाई माधोपुर
  • वाद्य यंत्र – नोबत

4 शेखावाटी ख्याल

  • मुख्य क्षेत्र – चिड़ावा ( झुंझुनूं )
  • इसे चिडावी ख्याल भी कहते है
  • इसके प्रवर्तक – नानूराम
  • मुख्य कलाकार – दुलियाराणा

5  अलिबक्शी ख्याल

  • क्षेत्र – मुंडावर ( अलवर )
  • अलिबक्श मुंडावर के नवाब थे
  • यह खयाल अहीरवाटी भाषा मे प्रस्तुत की जाती है
  • अलिबक्श को अलवर का रसखान कहते है

6 ढप्पाली ख्याल

  • क्षेत्र – लक्षमण गढ़ ( अलवर ) , भरतपुर
  • मुख्य वाद्य यंत्र- डफ

 

7   कन्हैया ख्याल

  • क्षेत्र – करौली, सवाई माधोपुर
  • सूत्रधार को मेडिया कहते है

 

8 भेंट के दंगल ख्याल

  • क्षेत्र – बाड़ी, बसेड़ी (धौलपुर)

 

9   तुर्रा-कलंगी ख्याल

  • यह शिव – पार्वती की कहानी पर आधारित है
  • इसके प्रवर्तक- तुकनगिर एव शाहअली
  • चंदेरी के राजा ने इन्हें तुर्रा कलंगी भेंट किया था
  • राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र में सहडू सिंह और हम्मीद बेग ने इसे लोकप्रिय बनाया था
  • इसमे 2 पक्ष होते है ( शिव पक्ष – पार्वती पक्ष )
  • संवाद को गम्मत कहा जाता है
  • शिव पक्ष का झण्डा – भगवा
  • पार्वती पक्ष का झंडा – हरा
  • एकमात्र लोकनाटय ये ऐसा है जिसमे मंच की सजावट की जाती है
  • एकमात्र लोकनाटय जिसमे दर्शक भाग ले सकते है
  • मुख्य केंद्र – निम्बाहेड़ा , बस्सी  ( चितौड़)
  • मुख्य कलाकार – चेतराम , जयदयाल, ओंकारसिंह

 

 

2   नोटंकी

  • ईसमे 9 प्रकार के वाद्य यंत्रों का प्रयोग किया जाता है
  • राजस्थान के भरतपुर क्षेत्र में प्रसिद्ध है
  • यह हाथरस शैली से प्रभावित है
  • प्रवर्तक – भूरिलाल जी
  • मुख्य कलाकार – गिरिराज प्रसाद
  • कहानिया – अमरसिंह राठौर

आल्हा उदल

सत्यवान सावित्री

 

 

3   तमाशा

  • मूलरूप से यह महाराष्ट्र का लोकनाट्य है
  • सवाई प्रताप सिंह के समय जयपुर में लोकप्रिय हुआ था
  • इसके लिए बंशीधर भट्ट को महाराष्ट्र से लाया गया
  • तमाशा का आयोजन खुले मैदान में किया जाता है जिसे अखाड़ा कहते है
  • जयपुर की प्रसिद्ध नृत्यांगना जौहर खान तमाशा में भाग लेती है
  • मुख्य कलाकार – फूल जी भट्ट , गोपी जी भट्ट
  • मुख्य कहानियां – जोगी जोगण ( होली )

          हीर रांझा ( होली के अगले दिन )

जुटून मियां ( शीतला अष्टमी )

गोपीचंद भृतहरि ( चेत्र अमावस्या)

 

 

4 गवरी / राई लोकनाटय

  • मेवाड़ ने भील पुरुषो द्वारा किया जाता है
  • यह रक्षाबंधन के अगले दिन से शुरू होकर 40 दिन तक चलता है ( भाद्रपद कृष्ण एकम से आश्विन अमावस्या )
  • यह शिव भस्मासुर की कहानी पर आधारित है

शिव को राईबुडिया

पार्वती को गवरी

सूत्रधार को कुटकुटिया

हास्य कलाकार की झटपटिया कहते है

  • कहानिया – बंजारा बंजारी

कान गुजर

अकबर- बीरबल

  • वाद्य यंत्र – मांदल, थाली , चिमटा
  • विभिन्न कहानियों को आपस मे जोड़ने के लिए नृत्य किया जाता है इसे गवरी की धाइ कहा जाता है

 

 

रम्मत

  • राजस्थान के जैसलमेर एव बीकानेर क्षेत्र में लोकप्रिय
  • आयोजन – फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से चतुर्दशी तक
  • रम्मत शुरू होने से पहले रामदेवजी के गीत गाये जाते है

        जैसलमेर

● तेजकवि ने इसे जैसलमेर में लोकप्रिय किया

● तेजकवि ने अपनी रम्मत के माध्यम से अंग्रेजी                         नीतियों का विरोध किया

● तेजकवि ने अपनी रम्मत स्वंत्रत  बावनी                                 महात्मा ग़ांधी को भेंट की

●   कहानिया – मूमल

गोपीचंद भृतहरि

छेलै तम्बोलन

 

          बिकानेर – 

● पुष्करणा ब्राह्मणो के द्वारा रम्मत का आयोजन                           किया जाता है

●बीकानेर के पाटो पर रम्मत का आयोजन होता है

●मुख्य कहानिया –

अमरसिंह राठौड़ ( आचार्यो का चोक )

हेड़ाऊ मेरी ( बारह गुवाड़ )

इसे जवाहरलाल जी ने प्राम्भ किया था

●मुख्य कलाकार – फागु महाराज

सुआ महाराज

तुलसीदास

मनीराम व्यास

 

6 स्वांग –

  • इसमे ऐतिहासिक एवं पोराणिक पात्रो पर कपड़े पहनकर नृत्य किया जाता है
  • कलाकार को बेहरुपीय कहा जजाता है
  • राज के भीलवाड़ा क्षेत्र ने लोकप्रिय
  • कहानिया – नाहरो का स्वांग

•     मांडलगढ़- भीलवाड़ा

•     चेत्र शुक्ल त्रयोदशी

•       मुगल शाहजहा के समय प्रारम्भ

  •  मुख्य कलाकार – परशुराम जी

जानकीलाल भांड ( मंकी मेन)

 

7 चारबेत – 

  • मूलरूप से अफ़ग़ानिस्तान में लोकप्रिय है जो पश्तो भाषा मे प्रस्तुत किया जाता है
  • नवाब फेज्जुला खां के समय टोंक में प्रचलित हुआ
  • करीम खान ने इसे स्थानीय भाषा मे प्रस्तुत किया
  • वाद्य यंत्र – डफ

 

 

8  भवाई – 

  • क्षेत्र – उदयपुर संभाग
  • इसमे सामाजिक कुरीतियों पर नृत्य किया जाता है
  • पुरुष कलाकार – सगा जी
  • महिला कलाकार – सगी जी
  • इस लोकनाटय में कलाकारों द्वारा अपना परिचय नही दिया जाता है
  • प्रवर्तक – बाघा जी
  • कहानिया – जसमल ओडन

★शांता गांधी ने इसे अंतरास्ट्रीय स्तर पर                                 लोकप्रिय बनाया

★ ओड जनजाति- तालाब खोदने का काम

 

 

9  रामलीला – 

  • इसके तुलसी के द्वारा प्रारम्भ किया गया
  • मुख्य केंद्र – बिसाऊ ( झुंझुनूं) > मूक रामलीला

– अटरू (बारां) > यहाँ पर धनुष को भगवान राम                         नही बबल्की जनता के द्वारा तोड़ा जाता है

– भरतपुर > वेंकटेश रामलीला

– पातुण्डा ( कोटा )

 

 

10 रासलीला – 

  •  प्रवर्तक – वल्लभाचार्य
  • मुख्य केंद्र – फुटेरा ( जयपुर )

कामा ( भरतपुर )

  • मुख्य कलाकार – शिवलाल कुमावत

 

 

11 सनकादिक लीला –

  • यह सभी भगवानो की है
  • मुख्य केंद – घोसुण्डा , बस्सी

 

 

12 गौर लीला- 

  • आबु क्षेत्र में गरासिया जनजाति के द्वारा गणगौर के समय किया जाने वाला लोकनाटय है

 

हमने इस टॉपिक से संबंधित जितने भी ओल्ड प्रश्न ( mcq ) की टेस्ट सीरीज बनाई है जिसे आप टेस्ट देकर अपना नॉलेज बढ़ा सकते है ये हमारे टेस्ट से

Share This Article
2 Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *