रामदेव जी तंवर
जन्म स्थान - उण्डू काश्मीर (बाड़मेर)
पिता - अजमाल जी (पोकरण के सामन्त)
माता - मैणादे
पत्नी - नेतल दे (अमरकोट के दलेल सिंह सोढा की राजकुमारी)
नेतल का भरतार गीत का संबंध रामदेव जी से है
मन्दिर - रुणिचा / रामदेवरा (जैसलमेर)
गुरु - बालीनाथ जी (इनका मंदिर जोधपुर की मसुरिया पहाड़ी पर स्थित है)
घोड़ो - लीलो
झंडा - नेजा
जागरण - जमो
मेघवाल भक्त - रिखिया
रामदेव जी के भक्तों द्वारा - ब्यावले गाये जाते है
रामदेवरा मे परचा बावड़ी है
रामदेव जी को कपड़े और मिट्टी के घोड़े की प्रतिकृति समर्पित की जाती है
रामदेव जी की पुस्तक - चौबीस वाणिया
रामदेव जी ने कामड़िया पंथ की शुरुआत करी
कामड़िया पंथ की महिलाओं द्वारा तेहरताली नृत्य किया जाता है
भाद्रपद शुक्ल एकादशी को रामदेव जी ने रामदेवरा मे जीवित समाधि ली थी
भाद्रपद शुक्ल दशमी को डालीबाई मेघवाल (रामदेव जी की धर्म बहिन) ने रामदेवरा मे समाधि ली थी
रामदेवजी के मंदिर में पगल्ये पूजे जाते है
रामदेव जी ने पोकरण क्षेत्र में भैरव नामक अत्याचारी का दमन किया था
रामदेवजी को विष्णु (कृष्ण) का अवतार तथा पीरो का पीर कहा जाता है
रामदेव जी ने सामाजिक भेदभाव कम करने तथा साम्प्रदायिक सौहार्द बढ़ाने का प्रयास किया
रामदेव जी के प्रमुख मन्दिर
रुणिचा - जैसलमेर
पोकरण - जैसलमेर
मसुरिया पहाड़ी - जोधपुर
हलदीना - अलवर
छोटा रामदेवरा - गुजरात (जूना)
रामदेवजी के व्यक्तित्व की विशेषताएं
अछूतोद्धारक
सांप्रदायिक सौहार्द के प्रेरक
प्रजारक्षक
कष्ट निवारक देवता (कुष्ठ रोग)
कवि
रामदेव जी के आध्यात्मिक उपदेश
मूर्तिपूजा का विरोध किया
तीर्थयात्रा का विरोध किया
गुरु की महत्ता पर बल दिया था
कर्मवाद पर बल दिया
नाम स्मरण पर बल दिया
सत्संग पर बल दिया
मनुष्य को अपने भ्रम तथा अहं का त्याग करना चाहिए
हर प्राणी मे ईश्वर का वास होता है