रक्त || BLOOD 2024

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रक्त / BLOOD

दोस्तो ये रक्त टॉपिक हमने लगभग सम्पूर्ण तैयार किया है

जैसे – रक्त की सामान्य जानकारी

रक्त में अध्ययन की दृष्टि से विभाजन

तथा रक्त में RH कारक 

  • रक्त एक तरल संयोजी ऊतक है
  • रक्त का अध्ययन – हिमेटोलॉजी कहलाता है
  • सामान्य व्यक्ति में रुधिर की मात्रा 5-6 लीटर
  • FEMAL 4-5 लीटर
  • व्यक्ति में रुधिर उसके शारिरिक भाग का 7-8 % होता है
  • रक्त की उत्पत्ति भ्रूण की परत MESODERN से होती है
  • रक्त का pH  7.4 (हल्का क्षारीय) होता है
  • रक्त को अध्ययन की दृष्टि से 02 भागो में बांटा जाता है
  1.  Plasma (55%)
  2. Blood carpescles (45%)
  1. RBC (99%)
  2. WBC (.05%)
  3. PLATELETS (.5%)

प्लाज्मा (55%)

  • PLASMA में सर्वाधिक मात्रा – जल (90-92%) 
  • प्लाज्मा में कार्बनिक व अकार्बनिक पदार्थ क्रमशः 8 % व 10 % पाये जाते है
  • प्लाज्मा में प्रोटीन – 
  1.  एल्ब्यूमिन – (4%)

  • निर्माण – यकृत/ liver में
  • कार्य – रक्त में परासरण दाब को नियंत्रित करना
  • Plasma में सर्वाधिक मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है
  1.  ग्लोब्युलिन – (2.5%)

          a. अल्फा – ग्लोब्युलिन

    • निर्माण – यकृत में
    • कार्य – रक्त में CU का परिवहन करना
    • b. बीटा – ग्लोब्युलिन

      •  निर्माण – यकृत में
      • कार्य – रक्त में आयरन का परिवहन करना
      •  c. गामा – ग्लोब्युलिन

        •  निर्माण – लिम्फोसाइट्स में
        • कार्य – शरीर मे रोग प्रतिरोधक क्षमता 

        का विकास करना

                         3. प्रोथंबीन 

                                      – निर्माण – यकृत / liver

                         4. फाइब्रोनोजन 

                                      – निर्माण – यकृत / liver

                                      – कार्य – रक्त का थक्का बनाने                           में सहायक

        रक्त में थक्का बनने की प्रकिया – 

        रक्त का थक्का
        • रक्त का थक्का बनाने में थ्रोम्बोप्लास्टिन एवं Ca तत्व भी सहायक होता है


        Imp – 

        • प्लाज्मा का रंग – हल्का क्षारीय (बिलीरुबिन के कारण)
        • सीरम = प्लाज्मा – फाइब्रीनोजन



        रुधिर कणिकाएं / BLOOD CARPUSCLES – (45%)

        1. RBC – red blood carpuscles

        • इसे इरिथ्रोसाइट भी कहते है
        • आकार – उभयावतल
        • Rbc केवल कशेरुकी प्राणियो में पायी जाती है जैसे
        • पीसीज (मछली)
        • एम्फिबिया (मेंढक)
        • रेप्टेलिया (सर्प)
        • एविज (पक्षी)
        • मेमल्स / स्तनधारी / मनुष्य

        • मेमल्स वर्ग के जन्तुओ की RBC की जीवित कोशिका में केन्द्रक नही पाया जाता है
        • NOTE – मेमल्स वर्ग के जंतु ऊंट, लामा, जिराफ की RBC की कोशिका में केन्द्रक पाया जाता है
        • RBC की संख्या MALE – 50-55 LAKH/MM3
        • Rbc की संख्या FEMALE 45-50 LAKH/MM3
        • RBC का जीवनकाल – 120 दिन
        • व्यस्क अवस्था मे RBC का निर्माण – लाल अस्थि मज्जा में होता है
        • भ्रूणीय अवस्था मे RBC का निर्माण – यकृत ओर प्लीहा (SPLEEN)
        • RBC नष्ट – प्लीहा में होती
        • NOTE प्लीहा को RBC का कब्रिस्तान ओर RBC का ब्लड बैंक भी कहते है
        • NOTE यकृत में कुफ्फर्स कोशिका पायी जाती है जिनके द्वारा कुछ मात्रा में RBC नष्ट होति है
        • RBC की संख्या में कमी के कारण – एनीमिया रोग हो जाता है
        • RBC की संख्या में अधिकता के कारण – पोलिसाइथोनीया रोग हो जाता है
        • NOTE ऊंचाई पर जाने पर RBC की संख्या में वृद्धि होती है क्योंकि ऑक्सीजन की कमी होती है
        • RBC के निर्माण में VIT B12 सहायक होता है
        • Rbc की गणना करने का यंत्र – हिमोसाइटोंमिटर होता है
        • Rbc का कार्य – शरीर मे ऑक्सिजन का परिवहन करना


        हीमोग्लोबिन / Hb

        • RBC में पाया जाता है
        • श्वसन वर्णक है
        • हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन से क्रिया करके ऑक्सिहिमोग्लोबिन बनाता है 

        Hb+O2 >>>ऑक्सिहिमोग्लोबिन


        NOTE – Hb+CO >> कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन बनाता 

        • कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन – सर्दियों में बंद कमरे में सिगड़ी जली छोड़ देने पर व्यक्ति की मृत्यु का कारण बनती है

        NOTE – ऑक्सिहिमोग्लोबिन का बनना भौतिक परिवर्तन है

        • हीमोग्लोबिन के कारण रुधिर का रंग लाल होता है
        • हीमोग्लोबिन का रंग – बैंगनी / VIOLET
        • हीमोग्लोबिन में तत्व – फेरस (Fe+2)
        • एक हीमोग्लोबिन का अणु 4 O2 के अणुओं के साथ क्रिया करता है
        • एक ग्राम हीमोग्लोबिन 1.34 ml O2 का परिवहन करता है
        • हीमोग्लोबिन की मात्रा
        1.  पुरूष में 14-16 gm/100 ml
        2. महिला में 12-14 gm / 100 ml


        NOTE – हिमोसानिन

        • यह भी श्वसन वर्णक है
        • इसके कारण रुधिर का रंग नीला होता है
        • तत्व – कॉपर / Cu
        • कोंकरेज के रुधिर का रंग – सफेद

        1. WBC – white blood carpuscles

        • इसे ल्यूकोसाइट् कहते है
        • इसमे केन्द्रक पाया जाता है
        • संख्या  5000- 11000 / MM3
        • जीवनकाल   2-7 दिन
        • कार्य – शरीर मे रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करना

        • ल्यूकोसायटोसिस – WBC की संख्या में वृद्धि
        • ल्यूकोसायटोपिनिया – WBC की संख्या में कमी
        • ल्यूकेमिया – ब्लड कैंसर के समय WBC की संख्या में अचानक बहुत वृद्धि होने
        • WBC को अध्ययन की दृष्टि के लिए 02 भागो में बांटा जाता है 
        • A.  कणीकामय / GRANULOCYTE – (72%)
        1. न्यूट्रोफिल्स (60-70%)
        • सर्वाधिक संख्या में WBC होती
        • MICROPOLICE MAN

         

              2. इओसीनोफिल्स

             3. बेसोफिल्स (0.5-1%)

        •  सबसे कम संख्या में WBC होती

         

        • B. अकणीकामय / AGRANULOCYTE – (28%)
        1. Monocyte
        •  सबसे बड़ी WBC
        • MACROPOLICE MAN
        •  
        • 2. लिम्फोसाइट्स
        • सबसे छोटी WBC

        NOTE –  AIDS रोग के अंदर शरीर मे T4 लिम्फोसाइट्स की संख्या में कमी हो जाती है

        1. बिम्बाणु / PLATELETS

        • इसे थ्रोम्बोसाइट कहते है
        • इसमे केन्द्रक नही पाया जाता है
        • संख्या 1.5- 4.5 lakh / MM
        • जीवनकाल – 8 से 10 दिन
        • कार्य –  रक्त का थक्का बनाने में सहायक
        • प्लेटलेट्स केवल मेमल्स वर्ग के जन्तुओ में पाई जाती है अन्य जन्तुओ में इनके स्थान पर SPINDLE कोशिका पायी जाती है

        • थ्रोम्बोसायटोसिस – प्लेटलेट्स की वृद्धि होने
        • थ्रोम्बोसाइटोपीनिया – प्लेटलेट्स की कमी होना

        • NOTE – डेंगू में प्लेटलेट्स की संख्या में कमी हो जाती है
        • NOTE – हिपेरिन एक ANTICLOTING पदार्थ है जो शिरा व धमनियों में रक्त का थक्का बनने नही देता है 

        हिपेरिन का संश्लेषण – यकृत में होता है




        रक्त समूह / BLOOD GROUP

        • खोजकर्ता – कार्ल लेंडस्टिनर
        • एन्टीजन / प्रतिजन – RBC की झिल्ली पर होता है (ANTIGON- A ओर ANTIGON- B)
        • एंटीबॉडी / प्रतिरक्षी – प्लाज्मा में पाया जाता है (ANTIBODY- a ओर ANTIBODY- b)




        BLOOD GROUP

        ANTIGEN

        ANTIBODY

        ले सकता

        दे सकता 

        A

        A

        b

        A, O

        A, AB

        B

        B

        a

        B, O

        B, AB

        सर्वग्राही AB

        A, B

        Nil

        A, B, AB, O

        AB

        सर्वदाता O

        NILL

        a, b

        O

        A, B, AB, O





        Rh-फैक्टर / कारक

        • खोजकर्ता – लेंडस्टिनर ओर वीनर (1940)
        • Rh कारक की खोज मक्का रीसस बन्दर में की गई
        • Rh के 02 प्रकार होते है
        1. Rh+ (india – 93 % , world – 85 %)
        2. Rh– 

        • सर्व दाता blood group O
        • सर्व ग्राही blood group AB+
        • जब Rh+ का पुरूष का विवाह Rh महिला के साथ होता है और यदि संतान का ब्लड ग्रुप Rh+ आता है तो उनकी प्रथम सन्तान तो सामान्य होगी लेकिन अगली संतान मरी हुई पैदा होती है इस रोग को इरिथ्रोब्लासटॉफिटेलिस कहते है तथा इस रोग के बचाव में Anti D या रोगहम का इंजेक्शन लगाया जाता है

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        1. यह उन सभी एग्जाम के लिए उपयोगी है जिसमे ये टॉपिक आता हो
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