मध्यकालीन भारतीय इतिहास के स्त्रोत

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Contents
मध्यकालीन भारतीय इतिहास के स्त्रोत – दिल्ली सल्तनतचचनामा-मध्यकालीन भारतीय इतिहास शाहनामा-फुतूवात-ए-फ़िरोजशाहीमध्यकालीन भारतीय इतिहास – ताज-उल-मासिरफ़वायद-उल-फवायदमध्यकालीन भारतीय इतिहास -मिन्हास उस सिराजरेहलाजियाउद्दीन बरनीफ़तवा-ए-जहादारीतारीख-ए-फ़िरोजशाहीमार्को पोलोपदमावतजौनपुरतिब्ब-ए-सिकंदरीअलबरूनीअमीर खुसरो साहित्यिक ग्रन्थऐतिहासिक रचनामध्यकालीन भारतीय इतिहास के स्त्रोत – मुगलकालदास्ता ए अमीर हमजाहुमायूंनामाबाबरनामापंचतंत्रहितोपदेशहुमायू के समय के प्रमुख ग्रन्थ – कानून ए हुमायूनीमध्यकालीन भारतीय इतिहास -हुमायूंनामातजकिरात-उल-वाक़ियातमध्यकालीन भारतीय इतिहास -शेरशाह सूरी के समय के ग्रंथ – तारीख-ए-शेरशाहीतारीख-ए-सलातीन-ए-अफगानमलिक मोहम्मद जायसीअकबर के समय 3 प्रमुख विद्वान थेअबुल फजल – अब्दुल कादिर बदायुनी – निजामुद्दीन अहमद – अकबर कालीन प्रमुख अनुवादफैजी- रज्मनामा-तारीख-ए-अल्फ़ीअकबर की आत्मकथाअब्दुर्रहीम खानखानाफ़ारसी भाषा-जहाँगीर से समय के ग्रन्थआत्मकथा – जहागीरनामाइकबलनामा-ए-जहांगीरीवाकयात-ए-जहाँगीरीमुआसिर-ए-जहाँगीरीफ्रांसिस्को पेलसर्टशाहजहाँ के काल के ग्रन्थपादशाहनामाशाहजहाँनामाअमले – सालेहमुनीस-अल-अरवाहदारा शिकोह – ओरंगजेब कालीन ग्रंथ – आलमगीरनामा मुआसिर-ए-आलमगीरीमुतखाब उल लुबाबफतवा-ए-आलमगीरीनस्तालीक – आचार्य केशवदासतुलसीदास जीरामायण का बांग्ला ने रूपांतरणबृज भक्ति विलासकोफ्त-कुलजुमवली दकनी

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मध्यकालीन भारतीय इतिहास के स्त्रोत – दिल्ली सल्तनत

चचनामा-

  • लेखक- अज्ञात
  • इसमें अरबों की सिंध विजय का उल्लेख है
  • यह मुहम्मद बिन कासिम के अभियानों तथा उसके शासन प्रबंधन आदि के बारे मे प्रमाणित स्त्रोत है
  • मूलरूप – अरबी भाषा मे
  • फ़ारसी में अनुवाद – अबु बुकर कुकी ने नासिरुद्दीन कुबाचा के समय किया

 

मध्यकालीन भारतीय इतिहास शाहनामा-

  • लेखक – फिरदौसी
  • यह गजनवी का दरबारी विद्वान था
  • गजनवी ने इसे प्रत्येक छन्द की रचना करने पर एक सोने की मुहर देने का वादा किया किन्तु बाद में मना कर दिया
  • बाद में दरबार मे अपमान किये जाने के कारण आत्महत्या कर लिया
  • फिरदौसी को पूर्व का होमर (फ़ारसी का होमर) कहा जाता है

 

  • उत्बी की – तारीख-ए-यामिनी
  • बहकी की -तारिख-ए-सुबुक्तगीन

यह दोनों भी गजनवी के दरबारी थे

 

फुतूवात-ए-फ़िरोजशाही

  • लेखक – FST
  • भाषा – फ़ारसी भाष
  • इसमे fst के आदेश है
  • यह कुल 32 पृष्ठ की ह
  • यह FST की आत्मकथा है
  • दिल्ली सल्तनत का एकमात्र सुल्तान जिसने अपनी आत्मकथा लिखी थी
  • इसने अपने संस्मरण लिखे थे
  • जिसका नाम – फुतुहत-ए-फ़िरोजशाही 
  • इस पुस्तक को लिखने का उद्देश्य फ़िरोज शाह तुगलक को एक आदर्श मुसलमान शासक सिद्ध करना चाहता था

 

मध्यकालीन भारतीय इतिहास – ताज-उल-मासिर

  • दिल्ली सल्तनत का प्रथम राजकीय इतिहास है
  • लेखक – हसन निजामी
  • हसन निजामी को प्रथम इतिहासकार माना जाता है
  • भाषा – फ़ारसी
  • इसमे 1191 से 1217 तक कि घटनाओं का वर्णन है
  • निजामी के अनुसार – दिरहम ओर दिनार नामक सिक्का ऐबक ने चलाये थे

 

फ़वायद-उल-फवायद

  • लेखक – अमीर हसन
  • यह बलबन के काल का प्रसिद्ध विद्वान था
  • अमीर हसन उच्च कोटि का गजल रचियेता था
  • इसलिए इन्हें भारत का सादी कहा जाता है

 

मध्यकालीन भारतीय इतिहास -मिन्हास उस सिराज

  • यह नासिरुद्दीन मोहम्मद का दरबारी लेखक था
  • इसने गौरी से लेकर 1265 तक का इतिहास मिलता है
  • इसकी रचना – तबकात ए- नासिरी
  • यह पुस्तक नासिरुद्दीन मोहम्मद को समर्पित किया
  • यह पुस्तक 23 अध्यायो में विभाजित है
  • इसे रोबर्टी ने अंग्रेजो में अनुवाद किया
  • इसमे मोहम्मद गौरी की भारत विजय का प्रत्यक्ष वर्णन मिलता है
  • मिन्हास उस सिराज प्रथम इतिहासकार था जिसने कहा कि “ कुतुबुद्दीन ऐबक ने अपने नाम की मुद्राएं प्रसारित की ओर अपने नाम का खुतबा भी पढ़वाया
  • बिहार पर बख्तियार खिलजी के हमले का पहला विवरण इसी पुस्तक से प्राप्त होता है

 

रेहला

  • लेखक – अबु अब्दुल्ला मुहम्मद उर्फ इब्नबतूता
  • यह इब्नबतूता की आत्मकथा है
  • जन्म – 1304 मोरक्को में हुआ
  • यह मोहम्मद बिन तुगलक के समय 1333 मे भारत आया और करीब 14 वर्षो तक भारत मे रहा
  • रेहला पुस्तक अरबी भाषा मे लिखी गयी है
  • रेहला में मुहम्मद बिन तुगलक के व्यक्तित्व एवं चरित्र, तत्कालीन समाज, अर्थव्यवस्था, डाक व्यवस्था एवं मुहम्मद बिन तुगलक की राजधानी परिवर्तन, न्याय व्यवस्था , सैनिक प्रणाली का विस्तृत वर्णन मिलता है
  • मुहम्मद बीन तुगलक ने इसे दिल्ली का काजी नियुक्त किया 
  • तथा 1342 में सुल्तान ने इब्नबतूता को राजदूत बनाकर चीन सम्राट तोगर तिमूर के दरबार में भेजा किंतु वह बीच मे ही वापस लौट गया
  • इब्नबतूता दक्षिण अफ्रीका, पशिचमी अफ्रीका, दक्षिणी एवं पूर्वी यूरोप, भारतीय उपमहाद्वीप, मध्यएशिया, दक्षिण पूर्व एशिया एवं चीन क्षेत्र आदि देखा जिसमे आज के कोई 44 देश आते है ओर कुल मिलाकर लगभग 73000 km की दूरी अपने 30 वर्षो के यात्रा जीवन मे तय की थी

 

जियाउद्दीन बरनी

  • पुस्तकें- तारीख ए फ़िरोजशाही
  • फतवा ए जहादारी
  • हसरतनामा
  • शाना ए मुहमदी

 

  • फ़तवा-ए-जहादारी

  • इसमे राजनीति दर्शन का विशद वर्णन किया
  • इसमे आदर्श मुसलमान शासको के गुणों का उल्लेख किया

 

  • तारीख-ए-फ़िरोजशाही

  • जहाँ से मिन्हास उस सिराज की पुस्तक तबकात ए नासिरी समाप्त होती है वही से इसने इतिहास को लिखा
  • इस पुस्तक में 1266 से 1357 तक (फ़िरोजशाह के शासन के 6वे वर्षो तक) दिल्ली सुल्तानों का इतिहास है
  • इस पुस्तक की रचना बरनी ने भटनेर जेल में कि थी
  • बरनी का कथन – “दिल्ली सल्तनत एक नगरीय शासन व्यवस्था थी, जिसे एक विशाल खेतिहर समाज का शोषण सहारा देता था” 
  • बरनी ने दिल्ली के सुल्तानों के अधीन भारत के शासन व्यवस्था को वास्तव में इस्लामी नही माना क्योंकि अधिकांश आबादी गैर मुस्लिम का अनुसरण करती थी

NOTE- शम्स-ए-सिराज अफिक की पुस्तक का नाम भी तारीख-ए-फ़िरोजशाही है

 

मार्को पोलो

  • निवासी – इटली
  • इसने 13वी शताब्दी के अंतिम दशक में भारत की यात्रा की
  • इसने अपने यात्रा के विवरण में मंगोलियाइ शासक कुबलई खान का भी वर्णन करता है
  • यह दक्षिण भारत के समुद्र तट पर उतरा था जो उस समय मसाला व्यापार के लिये प्रसिद्ध था

 

पदमावत

  • मलिक मोहम्मद जायसी ने पदमावत में रानी पद्मावती के विरह वियोग का वर्णन बारहमास के रूप में किया

 

जौनपुर

  • मध्यकाल में जौनपुर शिक्षा का एक प्रसिद्ध केंद्र होने के कारण उसे सिराज-ए-हिन्द कहा जाता था
  • मलिक मोहम्मद जायसी एवं शेरशाह सूरी ने जौनपुर से ही शिक्षा प्राप्त की थी
  • बीबी राजी बेगम का मदरसा जौनपुर की प्रसिद्ध शिक्षण संस्था थी जिसका निर्माण शर्की शासक महमूदशाह की पत्नी बीबी राजी ने करवाया था

मध्यकालीन भरतीय इतिहास

तिब्ब-ए-सिकंदरी

  • संस्कृत स्त्रोत में संग्रहित तिब्ब-ए-सिकन्दरी आयुर्विज्ञान की पुस्तक है
  • इसमे सुल्तान सिकन्दर लोदी के प्रधानमंत्री मिया भुआ ने चिकित्साशास्त्र पर एक विशाल ग्रन्थ लिखा जिसे मदन-उस-शिफा या तिब्ब-ए-सिकन्दरी कहते है

 

अलबरूनी

  • मोहम्मद गजनवी का दरबारी विद्वान था
  • भारत के बारे में ज्ञान प्राप्त करने के लिये बनारस विश्वविद्यालय में अध्ययन किया
  • इसकी पुस्तक – किताब उल हिन्द का लेखन किया
  • इस पुस्तक में भारत की धार्मिक, सामाजिक, वैज्ञानिक विकास का विवरण मिलता है
  • यह ग्रन्थ अरबी भाषा मे लिखा गया
  • इसे तहक़ीक़ ए हिन्द भी कहते है
  • अलबरूनी गजनवी के भारत विजय से पूर्व वह एक विद्वान तथा राजनायिक के रूप में खींवा वंश के अंतिम शासक ख़्वारिज्मशाह की सेना में था
  • जब गजनवी भारत पर आक्रमण किया तो अलबरूनी भी उसके साथ आया
  • भारत को लुटने के बाद गजनवी अपनी सेना के साथ गजनी लौट गया लेकिन अलबरूनी कई वर्षों तक भारत मे ही रुका ओर भारत के विभिन्न भागों के भ्रमण किया तथा हिन्दुओ की भाषा धर्म एवं दर्शन का अध्ययन किया तथा पुराणों का अध्ययन करने वाला प्रथम मुसलमान था
  • किताब उल हिन्द तत्कालीन इतिहास का महत्वपूर्ण स्त्रोत है इस पुस्तक में भारतीय भूगोल, विज्ञान, गणित, इतिहास, खगोल व दर्शन का वर्णन है
  • यह पुस्तक 11वी शताब्दी के भारत का दर्पण कहलाती है
  • अलबरूनी के लेखन में धर्मनिरपेक्षता का अभाव मिलता है
  • अलबरूनी का जन्म – 973 में खिवा (मध्य एशिया) में हुआ था जो उस समय ख़्वारिज्म कहलाता था
  • किताब उल हिन्द का अंग्रेजी में अनुवाद सचाऊ ने अलबरूनी इंडिया, एन अकाउंट ऑफ द रेलीजिन से किया
  • इसका हिंदी अनुवाद रजनीकांत शर्मा ने किया
  • ब्रह्मगुप्त के ब्रम्हसिद्धांत
  • वराहमिहिर की वृहत्संहिता
  • कपिल की सांख्य तथा
  • पतंजलि के योग आदि रचनाओं का उल्लेख मिलता हैं

   यह संस्कृत का विद्वान था

  • यह त्रिकोणमिति का विशेषज्ञ था

 

अमीर खुसरो

  • नाम – अबुल हसन यमिनुद्दीन खुसरो
  • जन्म – 1253 कासगंज ( उत्तरप्रदेश ) के पटियाली स्थान पर हुआ
  • इसने स्वयं को तूती-ए-हिन्द कहा
  • खुसरो पहला मुसलमान था जिसने भारतीय होने का दावा करता था
  • यह स्वयं कहता है कि – “ में तुर्की, भारतीय ओर हिंदी बोलता हूं “
  • इसने खड़ी बोली के विकास में अग्रिम भूमिका निभाई थी
  • यह प्रारंभ में बलबन के सबसे बड़े पुत्र महमूद की सेवा में रहा 
  • मंगोलो के साथ युद्ब मे महमुद मारा गया
  • मंगोलो ने अमीर खुसरो को बंदी बना लिया किन्तु किसी तरह से वह जेल से भागने में सफल रहा और बलबन के राजदरबार से समद्ध हो गया
  • यह बलबन , कैकुबाद, जलालुद्दीन खिलजी, अलाउद्दीन खिलजी, मुबारक शाह , गयासुद्दीन तुगलक, मोहम्मद बिन तुगलक के साथ रहा
  • 1325 में मोहम्मद बिन तुगलक के सत्ता संभालने के वर्ष में ही अमीर खुसरो की मृत्यु हो गयी
  • यह सूफी सन्त निजामुद्दीन औलिया का शिष्य था
  • यह कवि, इतिहासकार एवं संगीतज्ञ तीनो था
  • इन्हें तूती-ए-हिन्द का उपनाम दिया गया
  • हिंदी खड़ी  बोली का जनक अमीर खुसरो को माना जाता है
  • नयी फ़ारसी काव्य शैली ‘सबक-ए-हिंदी या हिन्दुस्तानी शैली’ का जन्मदाता भी अमीर खुसरो को माना जाता है
  • अमीर खुसरो का कहना था कि – न लफ़्ज़े हिन्दीवस्त अज फ़ारसी कम अर्थात हिन्दी का शब्द फ़ारसी से कम नही है
  • सज्जादी के अनुसार – “फ़ारसी भाषा तथा साहित्य के भारत मे विकास तथा इसके कारण दो देशों के मध्य निकट संबंध स्थापित होने का उल्लेख तब तक पूरा नही होता जब तक अमीर खुसरो का उल्लेख ना हो जो निश्चित रूप से इस अद्भुत घटना का मुख्य पात्र था
  • अमीर खुसरो के ग्रन्थों में सबसे महत्वपूर्ण तत्व – भारतीय पर्यावरण के इर्द गिर्द रचनाओं का आविष्कार था
  • भारत मे कव्वाली शैली का प्रारंभिक रूप के आरम्भ कर्ता अमीर खुसरो को माना जाता है
  • अमीर खुसरो प्रथम लेखक था जिसने हिंदी शब्दो एवं मुहावरों का प्रयोग किया
  • संगीत यंत्रो ‘तबला ओर सितार’ का प्रचलन 13 वी शताब्दी में अमीर खुसरो ने ही किया था
  • अमीर खुसरो की रचनाओं को 2 भागों में बांट सकते है
  1.  साहित्यिक ग्रन्थ

  •  पांच दीवान – वस्त उल हयात, गुर्र तूल कमाल, तोहफतुनसीर, बकीय नकिसा, निहायत उल कमाल
  • खमसा- यह एक पंच गज कहलाती है जैसे – मतल उन अनवार, शीरी ओ खुसरो, मजून ओ लैला, आइन ए सिकंदरि, हश्त बहिश्त
  • रसाला ए एजाज
  • अफजल उल फ़ायवाद
  1. ऐतिहासिक रचना

  •  खजाइन उल फतुह
  • मिफ्ताह उल फतुह
  • देवल रानी खिज्र खां (आशिक)
  • तुग़लकनामा ( GT का इतिहास )
  • किरान उस सदाइन
  • नूह सिपेहर
  1. मध्यकालीन भारतीय इतिहास के स्त्रोत – मुगलकाल

    मध्यकालीन भरतीय इतिहास

दास्ता ए अमीर हमजा

  • यह पेन्टिंग / चित्रकला का एक पन्ना है
  • इसकी भाषा – अरबी है ( फ़ारसी नही )
  • इसमे पैगम्बर हजरत साहब के चाचा अमीर हमजा के द्वारा वीरतापूर्वक कार्यो का चित्रित संग्रह है
  • इसमे चित्र – 1375
  • ये चित्र पर कपड़े पर बनाये गए
  • मुख्य चित्रकार – मीर सैय्यद अली और ख्वाजा अब्दुस्समद थे
  • अन्य इसमे 100 चित्रकार थे
  • दास्तां ए अमीर हमजा को चित्रित करने के लिये मीर सैय्यद अली को पर्येवेक्षक बनाया गया
  • दास्तां ए अमीर हम्जा को हमजनामा के नाम से भी जाना जाता है
  • इसे पूरा होने में 15 वर्षो का समय लगा
  • इसे हुमायूं के समय प्रारंभ किया गया तथा अकबर के काल मे अब्दुस्समद के द्वारा पूरा किया गया
  • मुल्ला अलाउद्दौला कजबिनी ने नाफ़ाइसुल मासिर नामक पुस्तक की रचना की इस पुस्तक में हमजनामा को हुमायू के मस्तिष्क की उपज कहा गया
  • हमजनामा में फूल, फल, स्थापत्य अलकरन, स्त्री आकृतिया एव राजस्थानी चित्रकला से संबंधित चित्र भी मिलते है

 

हुमायूंनामा

  • लेखक- गुलबदन बेगम
  • यह बाबर की पुत्री थी
  • जन्म – 1523 और मृत्यु – 1603
  • अकबर इसका बहुत समान किया करता था
  • गुलबदन स्वयं लिखति है कि उसने अकबर के आदेश पर बाबर ओर हुमायू का इतिहास अपनी स्मृति के आधार पर लिखा
  • गुलबदन बेगम की इस रचना में बाबर ओर कामरान के मध्य हुए युद्ध का वर्णन भी है

 

  • माहम अनगा ने दिल्ली के पुराने किले में खेरूल मन्जिल या खेर उल मन्जिल नामक मदरसे की स्थापना करवाई थी जिसे मदरसा ए बेगम भी कहा जाता है
  • ओरंगजेब की निर्वासित पुत्री जेबुन्निसा ने दिल्ली में बैतूल-उलूम नामक मदरसा खुलवाया था इस मदरसे में अभिजात वर्ग के साथ साथ मध्य वर्ग में लोग भी पड़ते थे

 

बाबरनामा

  • अन्य नाम – तुजुक ए बाबरी
  • बाबर की आत्मकथा
  • भाषा – तुर्की
  • फ़ारसी अनुवाद – पायनंदा खान और अब्दुर्रहीम खानखाना
  • अंग्रेजी अनुवाद – जॉन लेडेन ओर विलियम रस्किन ने किया 
  • अंग्रेजी अनुवाद – मेडम वेबरीज ने
  • उर्दू अनुवाद – नासिरुद्दीन हैदर के द्वारा
  • बाबर इसमे लिखता है कि जब उसने भारत पर आक्रमण किया तो भारत में 7 राज्य थे 
  • जिनमे 2 हिन्दू राज्य – मेवाड़ ओर विजयनगर
  • 5 मुस्लिम राज्य – दिल्ली, बंगाल, मालवा, बहमनी, गुजरात
  • इस सातों राज्य में सबसे शक्तिशाली राज्य – विजयनगर राज्य था

 

पंचतंत्र

  • इसका अनेक बार अनुवाद हुआ
  • गजनवी के काल मे- नसरुल्लाह मुंशी शिराजी ने – कलिला व दिमनाह के नाम से 
  • सुल्तान मिर्जा हुसैन के काल मे – मुल्ला वाइस हुसैन काशफिह ने -अनवर ए सुहेली के नाम से एवं
  • अकबर के काल मे – अबुल फजल ने – आयर ए दानिश के नाम से किया

 

हितोपदेश

  • संस्कृत ग्रन्थ है
  • फ़ारसी अनुवाद – ताज अल दिन मुफ़्ती अल मलिकी या माली ने – मुफ़रिह अल कवल नाम से किया ( 1540 के समय )

 

हुमायू के समय के प्रमुख ग्रन्थ – 

  1. कानून ए हुमायूनी

  • लेखक – ख्वांदा मीर
  • इस पुस्तक से हुमायू के प्रारंभिक के 3 वर्षों 1530 से 1533 का इतिहास मिलता है
  • इसमे प्रशासनिक नियम एवं पदों पर की जाने वाली नियुक्तियों की जानकारी मिलती है 
  • इस पुस्तक को हुमायूंनामा के नाम से भी जाना जाता है
  • इस पुस्तक से पता चलता है कि हुमायू ने प्रशासन में सहायता प्राप्त करने के लिए ‘अहल-ए-मुराद’ नामक दल का गठन किया गया
  • हुमायू ने ख्वांदा मीर को सरंक्षण एव प्रोत्साहन दिया था
  • हुमायू ने ख्वांदा मीर को अमीर-ए-अख्वार की उपाधि भी प्रदान की थी

 

  1. मध्यकालीन भारतीय इतिहास -हुमायूंनामा

  •  लेखक- गुलबदन बेगम
  • यह बाबर की पुत्री थी
  • जन्म – 1523 और मृत्यु – 1603
  • अकबर इसका बहुत समान किया करता था
  • गुलबदन स्वयं लिखति है कि उसने अकबर के आदेश पर बाबर ओर हुमायू का इतिहास अपनी स्मृति के आधार पर लिखा
  • गुलबदन बेगम की इस रचना में बाबर ओर कामरान के मध्य हुए युद्ध का वर्णन भी है
  • इस पुस्तक से हुमायू के राज्याभिषेक से लेकर उसकी मृत्यु तक कि जानकारी प्राप्त होती है

 

  1. तजकिरात-उल-वाक़ियात

  •  लेखक – जौहर आफतापची
  • इस पुस्कत से हुमायू के व्यक्तिगत जीवन की जानकारी प्राप्त होती है
  • हुमायू के राज्याभिषेक से लेकर उसके मृत्यु तक का इतिहास इस पुस्तक में है
  • गुलबदन बेगम के विवरण से भी ज्यादा प्रभावी इस पुस्तक का विवरण माना जाता है

 

मध्यकालीन भारतीय इतिहास -शेरशाह सूरी के समय के ग्रंथ – 

  1. तारीख-ए-शेरशाही

  •  लेखक – अब्बास खां सरवानि
  • इस पुस्तक से शेरशाह सूरी के शासनकाल की जानकारी के साथ साथ उसके द्वारा किये गए प्रशासनिक सुधारो की भी जानकारी मिलती है
  1. तारीख-ए-सलातीन-ए-अफगान

  •  लेखक – अहमद यादगार
  • 16 वी शताब्दी में बंगाल के शासक दाऊद शाह के यहाँ अहमद यादगार का निवास था
  • इस पुस्तक से लोदी वंश एवं सुर वंश (1540 से 1556) के बारे में जानकारी मिलती है

 

मलिक मोहम्मद जायसी

  • शेरशाह कालीन प्रसिद्ध कवि
  • रचनायें – पदमावत
  • अखरावट
  • आखरी कलाम

 

अकबर के समय 3 प्रमुख विद्वान थे

  1. अबुल फजल – 

  •  अकबर के द्वारा अबुल फजल को 4000 की मनसब प्रदान की गई
  • 1602 में अबुल फजल दक्षिण भारत से लौट रहा था तब जहाँगीर के आदेश पर बुंदेलखंड के ओरछा शासक वीरसिंह बुंदेला ने इसकी हत्या कर दी थी
  • अकबरनामा – इसके 3 जिल्द है
  • प्रथम जिल्द – इस भाग से तैमूर लंग से हुमायू तक का इतिहास मिलता है
  • द्वितीय जिल्द – इस भाग से 1556 से 1602 तक की जानकारी मिलती है अकबर के आदेश पर मोहम्मद आरिफ कंधारी ने 1602 से 1605 तक का इतिहास लिखा
  • तृतीय जिल्द – इस भाग को आइन ए अकबरी भी कहते है
  • आइन ए अकबरी – यह अकबर नामा का तीसरा जिल्द है कई विद्वान आइन ए अकबरी को अबुल फजल की स्वतंत्र रचना मानते है इस पुस्तक के माध्यम से अकबर के प्रशासनिक सुधार, आर्थिक सुधार , कला – साहित्य संस्कृति की जानकारी मिलती है
  • अकबरनामा – अबुल फजल की प्रसिद्ध कृति है 07 साल की मेहनत के बाद अबुल फजल ने 1591 से 1598 में अकबरनामा को पूरा किया था तथा इसे अकबर के सामने पेश किया | यह तीन भागों में बंटा हुआ है जो अकबरनामा की जान है इसके 5 हिस्से है 
  • पहले हिस्से – में 10 आइन
  • दूसरे हिस्से में – 30 आइन
  • तीसरे हिस्से – में 16 आइन है
  • चौथे हिस्से में – हिंदुस्तान की जातियों, ऋतुओं एवं कुदरती सौंदर्यता का जिक्र है हिन्दुओ की राजनीति, साहित्य, धार्मिक जीवन, न्याय प्रणाली, हिंदुस्तानी संतो, सूफियों आदि के बारे में विस्तृत वर्णन है
  • पांचवे हिस्से में – 02 अध्याय है जिसमे अकबर की कहावते एव अबुल फजल की आत्मकथा है इसमें शासक वर्ग द्वारा सामाजिक समरसता ओर सौहार्द को बनाये रखने की बात कही गयी है
  • आइन ए अकबरी में विभिन्न प्रकार की रबी एवं खरीफ की फसलों की सूची दी गयी है किंतु टमाटर और आलू का उल्लेख नही है
  • अबुल फजल ने अमेरिका की खोज के बारे में विशद वर्णन अपनी रचनाओं में किया है
  • अकबरनामा की तरह बादशाहनामा एवं बाबरनामा भी सचित्र शासकीय इतिहास का विवरण प्रदान करते है

 

NOTE- अबुल फजल के अकबरनामा के अतिरिक्त एक ओर अकबरनामा की रचना हुई

  • जिसके लेखक – शेख इल्लाहदाद के द्वारा की गई
  • इस पुस्तक से अकबर के असीरगढ़ अभियान की जानकारी मिलती है
  • असीरगढ़ दक्षिण भारत मे स्थित ख़ानदेश राज्य का एक महत्वपूर्ण किला था
  • 1601 में अबकर ने इस किले पर अधिकार किया
  • यहाँ से अकबर को अत्यधिक मात्रा में धन प्राप्त हुआ 
  • इसलिए असीरगढ़ दुर्ग के लिये सोने की चाबियों से खोलने वाला दुर्ग कहा गया

 

  1. अब्दुल कादिर बदायुनी – 

  •  पुस्तक- “मुतखाब-उल-तवारीख” (हिंदुस्तान का आम इतिहास)
  • बदायुनी ने अकबर की उदार धार्मिक नीति का विरोध किया था
  • इस पुस्तक में 1556 से लेकर 1585 तक का इतिहास मिलता है
  • अकबर के काल मे धार्मिक स्तर पर क्या क्या परिवर्तन हुए उसके बारे में जानकारी इस पुस्तक से प्राप्त होती है

 

  1. निजामुद्दीन अहमद – 

  •  पुस्तक- तबकात-ए-अकबरी
  • यह अकबर के काल मे मीर बक्शी के पद पर था
  • तबकात-ए-अकबरी में 1556 से 1593 तक का इतिहास मिलता है
  • बदायुनी एव अबुल फजल के अपेक्षा निजामुद्दीन अहमद का वर्णन ज्यादा निष्पक्ष है

 

अकबर कालीन प्रमुख अनुवाद

  1. फैजी- 

  •  भास्कराचार्य की कृति लीलावती का फ़ारसी भाषा मे अनुवाद अकबर के शासन काल मे फैजी ने किया
  • लीलावती गणित पर संस्कृत भाषा का ग्रन्थ
  1. रज्मनामा-

  •  महाभारत का फ़ारसी में अनुवाद अकबर ने करवाया था
  • महाभारत का फ़ारसी में अनुवाद फैजी के निर्देशन में अब्दुल कादिर बदायूनी, अबुल फजल, नकीब खान के प्रयासों से हुआ
  1. बदायुनी ने रामायण का अनुवाद किया
  2. टोडरमल ने भागवतपुराण का अनुवाद किया
  3. इब्राहिम सरहिंदी ने अथर्ववेद का तथा
  4. मुहम्मद शाहाबादी ने राजतरंगिणी का 
  5. अबुल फजल ने पंचतंत्र का फ़ारसी भाषा मे अनुवाद आयर ए दानिश के नाम से किया
  6. ताजुल माली ने संस्कृत ग्रन्थ – हितोपदेश का फ़ारसी भाषा में अनुवाद मुफ़्रीरह उल फ़ितूह नाम से किया
  7. संस्कृत ग्रन्थ ‘प्रबोध चन्द्रोदय’ का फ़ारसी भाषा मे अनुवाद ‘गुलजारे हाल’ से किया

 

तारीख-ए-अल्फ़ी

  • अकबर ने इस्लाम धर्म के 1000 वर्ष पूर्ण होने के अवसर में इसे लिखवाया
  • इसे 7 लेखकों के बोर्ड ने तैयार किया
  • यह पुस्तक चित्रों से सज्जित नही थी

 

अकबर की आत्मकथा

  • अकबर की जीवनी जो अकबरनामा है जो फ़ारसी भाषा मे अबुल फजल ने लिखा

 

अब्दुर्रहीम खानखाना

  • अकबर का काल – हिंदी काव्य का स्वर्ण काल कहलाता है
  • इस युग मे हिंदी केवल हिन्दुओ की धरोहर नही थी अपितु इस पर मुसलमानों का भी सम्यक अधिकार था
  • फारसी, तुर्की, संस्कृत, हिंदी तथा राजस्थानी के मर्मज्ञ अब्दुर्रहीम खानखाना इस सब मे मुखर स्थान रखते थे
  • हिंदी काव्य का कोई भी इतिहास खानखाना के सम्मान के उल्लेख के बिना अधूरा है 
  • इनका प्रसिद्ध ग्रन्थ – रहीम सतसई (दोहों का संग्रह ) 

 

फ़ारसी भाषा-

  • दिल्ली सल्तनत की स्थापना के बाद फ़ारसी भाषा को राजभाषा का स्थान दिया गया
  • मुगलकाल में दरबारी भाषा फ़ारसी थी
  • अकबर द्वारा स्थापित अनुवाद विभाग में संस्कृत, अरबी, तुर्की, एवं ग्रीक भाषाओ की अनेक कृतियों का अनुवाद फ़ारसी भाषा मे किया गया
  • फ़ारसी मुगलो की राजभाषा थी

राजकाज के सभी कार्य फ़ारसी में ही सम्पन्न होते थे वस्तुतः भारत मे फ़ारसी साहित्य का विकास मुस्लिम विजेताओं के आगमन से ही प्रारंभ हुआ यह भाषा प्रारंभ में शासक वर्ग तथा अमीर वर्ग की भाषा थी और इसको उन्ही का संरक्षण भी प्राप्त था

  • सर्वप्रथम भारत मे लाहौर फ़ारसी साहित्य के विकास का केंद्र रहा

 

जहाँगीर से समय के ग्रन्थ

आत्मकथा – जहागीरनामा

  • अन्य नाम – तुजुक-ए-जहाँगीरी को अपने शासन काल के 17 वे वर्ष तक फ़ारसी में लिखा, बाद में इसे मोतमिद खान ने पूरा किया
  • लेखक – मोत मिद खान
  • इसमे चंद्र वंश एवं मुगल वंश के संबंधों के बारे में वर्णन है

 

इकबलनामा-ए-जहांगीरी

  • लेखक – मोटमीद खान
  • यह जहाँगीर का दरबारी इतिहासकार था
  • इसने जहाँगीर के काल का पूरा इतिहास लिखा

 

वाकयात-ए-जहाँगीरी

  • लेखक- मोहम्मद हादी 

 

मुआसिर-ए-जहाँगीरी

  • इसे कामगार खान के द्वारा इस पुस्तक की रचना की गई

 

फ्रांसिस्को पेलसर्ट

  • यह एक डच व्यापारी था
  • इसने 17 वी शताब्दी के काल मे मुगल साम्राज्य का भ्रमण किया
  • इसने मुगल साम्राज्य के समय उपस्थित अत्यधिक गरीबी के लिए राज्य को जिम्मेदार ठहराया
  • इसने कहा था “किसानों से इतनी अधिक उगाही की जाती है की उनके पास अपना पेट भरने के लिये भी मुश्किल से सूखी रोटी बचती है

 

शाहजहाँ के काल के ग्रन्थ

  • शाहजहाँ के काल मे राजकवि – कलीम था

 

पादशाहनामा

  • इसे बादशाहनामा के नाम से भी जानते
  • इसे 3 भागो में बांटा जाता है
  1.  प्रथम पादशाहनामा
  •  इसके लेखक – कजबिनी 
  • इसमे शाहजहाँ के प्रारंभ के 10 वर्षों का इतिहास मिलता है ( 1628 से 1638 )
  1. द्वितीय पादशाहनामा
  •  इसके लेखक – लाहौरी है
  • यह शाहजहाँ के दरबार मे यात्री के रूप में आये थे
  • इसमे शाहजहाँ के प्रारंभ के 20 वर्षों का इतिहास मिलता है ( 1628 से 1648 तक )
  1. तृतीय पादशाहनामा
  •  इसके लेखक – वारिश 
  • इसमे शाहजहाँ के अंतिम 10 वर्षो का इतिहास मिलता है (1648 से 1658 का )

 

शाहजहाँनामा

  • लेखक – इनायत खान
  • इसमे 1628 से लेकर 1658 तक का इतिहास मिलता है

 

अमले – सालेह

  • लेखक – मुहम्मद सालेह

 

मुनीस-अल-अरवाह

  • लेखक- जहांआरा
  • यह मुगल राजकुमारी थी
  • यह सम्राट शाहजहाँ ओर मुमताज की दूसरी बड़ी सन्तान थी
  • इसने भारत मे चिश्ती सिलसिले के संस्थापक ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की जीवनी लिखी जिसका शिर्षक ‘मुनीस-अल-अरवाह’ है

 

दारा शिकोह – 

  • शाहजहाँ के चार पुत्रो में सबसे बड़े पुत्र दारा शिकोह था
  • यह सर्वाधिक सुशिक्षित अध्येता तथा लेखक था
  • दारा शिकोह ने अनेक हिंदू धर्मग्रंथों का अध्ययन करने वाला प्रथम मुस्लिम था
  • इसने 52 उपनिषदों का सिर्र-ए-अकबर नाम से फ़ारसी भाषा मे अनुवाद किया
  • साथ ही भगवद्गीता एवं योग वशिष्ठ का भी फ़ारसी भाषा मे अनुवाद किया
  • अन्य रचनायें- मज्म-उल-बहरीन
  • सकीनत-उल-औलिया
  • सफीनत-उल-औलिया
  • रिसाल-ए-हकनुमा
  • हसनत-उल-आरफीन

 

ओरंगजेब कालीन ग्रंथ – 

 

  • ओरंगजेब ने भारतीय शास्त्रीय संगीत पर प्रतिबंध लगा दिया था तथापि संगीत विद्वानों के व्यक्तिगत प्रयासों से संगीत का सर्वाधिक विकास इसी के काल मे हुआ इसके शासन काल मे संगीत की फ़ारसी भाषा मे सर्वाधिक पुस्तकें लिखी गयी
  • औरंगजेब इतिहास लेखन के विरुद्ध था फिर भी उसके समय अनेक ऐतिहासिक ग्रंथो का लेखन कार्य हुआ जिसमें
  • भीमसेन की नुस्ख-ए-दिलखुश
  • इस्वरदास नागर की फुतुहात-ए-आलमगीरी
  • मुहम्मद काजिम की आलमगीर नामा

 

  • ओरंगजेब की निर्वासित पुत्री जेबुन्निसा ने दिल्ली में बैतूल-उलूम नामक मदरसा खुलवाया था इस मदरसे में अभिजात वर्ग के साथ साथ मध्य वर्ग में लोग भी पड़ते थे
  • NOTE माहम अनगा ने दिल्ली के पुराने किले में खेरूल मन्जिल या खेर उल मन्जिल नामक मदरसे की स्थापना करवाई थी जिसे मदरसा ए बेगम भी कहा जाता है

 

  1. आलमगीरनामा 

  •  लेखक – मोहम्मद काजिम
  • काजिम ने ओरंगजेब के आदेश पर इस पुस्तक को लिखा
  • इसमे ओरंगजेब के प्रारंभिक 10 वर्षो के इतिहास की जानकारी मिलती है ( 1658 से 1668 )

 

  1. मुआसिर-ए-आलमगीरी

  •  लेखक – मोहम्मद साकी मुस्तेफ़ खान
  • इसमे ओरंगजेब के 11वे साल से 20वे साल तक के हालात का समकालीन वर्णन मिलता है पहले 10 सालो का हाल काजिम शिराजी के आलमगीर का सारांश है मुस्तेद खान ने सतनामी विद्रोह का स्पष्टीकरण बड़े रोचक अंदाज में किया है1680 के बाद अफसरों के तबादले, नियुक्ति ओर तरक्की की चर्चा की गई 
  • इसी वजह से सर जदुनाथ सरकार ने इसे मुग़लराज का गजेटियर कहा

 

  1. मुतखाब उल लुबाब

  •  लेखक – खाकी खां
  • इसमे बाबर से लेकर 1733 तक का इतिहास मिलता है
  1. फतवा-ए-आलमगीरी

  •  लेखक – निजाम खां
  • यह मुस्लिम कानूनों का संग्रह है

 

नस्तालीक – 

  • यह फ़ारसी की एक लिपि है जो मध्यकालीन भारत मे प्रयुक्त होती थी
  • मुगल बादशाह अकबर नस्तालीक लिपि को अधिक पसंद करता था
  • अकबर के समय मे इस लिपि को विशेष महत्व प्राप्त हुआ था
  • मुहम्मद हुसैन जो इस लिपि के अच्छे ज्ञाता थे उनको अकबर ने ‘जरी-कलम’ की उपाधि दी थी
  • मुगल बादशाह औरंगजेब नस्तालीक एव शिकस्त लिखने में निपूण था

 

  • आचार्य केशवदास

-रीतिकाल के प्रसिद्ध कवि आचार्य केसवदास थे

– ये ओरछा नरेश महाराज इंद्र सिंह के दरबारी कवि मित्र एवं मंत्री थे

– मृत्यु – 1601

– ग्रन्थ – रसिक प्रिया, रामचंद्रिका, कविप्रिया रत्ना बावनी, वीरसिंह देवचत्रित, विज्ञान गीता, जहाँगीर जस्सचन्द्रिका, नख-शिख, छंद माला

 

तुलसीदास जी

  • जन्म – 1532 उत्तरप्रदेश के बाँदा जिले के राजापुर गाँव मे हुआ
  • रचनायें- रामचरितमानस
  • विनयपत्रिका
  • गीतावली
  • दोहावली
  • कवितावली
  • रामाज्ञा प्रश्न
  • कृष्ण गीतावली
  • रामल्ला नहछू

 

रामायण का बांग्ला ने रूपांतरण

  • लेखक – कृतिवास 
  • बारबक शाह बंगाल का एक महत्वपूर्ण शासक था इसके शासन काल मे सैनिक ओर जनता बिल्कुल संतुष्ट रहती थी उसके दरबार मे कृतिवास नामक एक विद्वान रहते थे जिन्होंने रामायण का बंगला में रूपांतरण किया
  • कृतिवास मध्यकालीन बंगाली कवि है

 

बृज भक्ति विलास

  • 16 वी शताब्दी की संस्कृत रचना है
  • लेखक – नारायण भट्ट
  • यह पुस्तक उतर भारत के बृज क्षेत्र पर केंद्रित है

 

  • पदावली की रचना – 14वी सदी में विद्यापति द्वारा रचित काव्य है
  • राधा कन्हैया का किस्सा
  • लेखक – नवाब वाजिद अली शाह
  • यह पुस्तक नाट्य स्वरूप में लिखी गयी है

 

कोफ्त-कुलजुम

  • लेखक- गाजीउद्दीन हैदर
  • यह अवध के नवाब का वजीर था
  • इन्होंने अरबी फारसी शब्दो की डिक्शनरी (शब्द-कोष) कोफ्त-कुलजुम की रचना की

 

वली दकनी

  • आधुनिक उर्दू शायरी का जन्मदाता है
  • इनके गुरु शाह सादुल्ला गुलशन थे
  • जिनके निर्देशन में इन्होंने शायरी को उच्च शिखर प्रदान किया
  • इन्होंने दीवान नाम से पद संग्रह की रचना की
  • इन्होंने 1779 में मुगल सम्राट मुहम्मद शाह से भेंट की ओर अपनी कविताएं भेंट की

 

पार्टीज एन्ड पॉलिटिक्स इन मुगल कोर्ट

  • लेखक- सतीश चंद्र

 

विलियम डेरिम्पल

  • रचना – सिटी ऑफ जीन्स (1994) है
  • इसे डेरिम्पल ने नई दिल्ली में 6 साल रहकर भारत की ऐतिहासिक राजधानी दिल्ली के बारे में लिखा है
  • इस किताब में उन्होंने वर्णित किया है कि शाहजहाँ ने शाहजहानाबाद बसाते समय अपनी सुरक्षा हेतु अपने किले से शहर के बाहर तक सुरंग का निर्माण करवाया

 

जिनान

  • खोजास, इस्लामी पंथ की एक शाखा है 
  • जो शिया समुदाय से जुड़ी है
  • ये भारत के गुजरात महाराष्ट्र, राजस्थान में रहते है
  • जिनान, खोजास द्वारा विकसित एक साहित्यिक विद्या है जो गुजराती, सिंधी, उर्दू, पंजाबी में रचा गया 
  • ये कुरान की आयतों पर आधारित है

 

शिक्षा मुगलकाल में

  • मुगल शासकों ने शिक्षा का पोषण किया था
  • मुगलकाल मे मकबत ओर मदरसों में शिक्षा की व्यवस्था की जाती थी जहाँ शिक्षा प्रदान की जाती थी
  • विभिन्न मदरसों में विभिन्न प्रकार की शिक्षा प्रदान की जाती थी जैसे
  • लखनऊ का फिरंगी महल मदरसा – यह न्याय की शिक्षा के लिए
  • स्यालकोट का मदरसा – व्याकरण की शिक्षा के लिये
  • दिल्ली का शाहवली उल्लाह का स्कूल – यह परंपरागत मान्यताओं की शिक्षा कें लिय प्रसिद्ध था

 

मुगलकाल में किसानों

  • मुगलकाल के भारतीय-फ़ारसी स्त्रोतों में किसान के लिए आमतौर पर रैयत (रिआया), मुजारियांन, आसामी जैसे शब्दों का प्रयोग मिलता है
  • इस समय किसानों के 2 वर्ग थे
  • खुदकाश्त
  • पहिकाश्त

 

  • हुमायूंनामा- गुलबेदन बेगम
  • तारीख ए शेरशाही – अब्बास खान शेरवानी
  • तुजुक ए बाबरी – बाबर (तुर्की भाषा और मुम्बईयाँ शैली में )
  • तारीख ए दिलखुश – भीमसेन
  • चहार चमन – चन्द्रभान
  • फुतुहात ए आलमगीरी – ईश्वरदास नगर
  • खुलासत उत तवारीख – सुजानराय भंडारी
  • इकबलनामा जहाँगीरी – मोतमिद खान
  • आलमगीरनामा – काजिम शिराजी
  • तारीख ए हिन्द – अलबरूनी
  • तबकात ए नासिरी – मिनहाज उस सिराज
  • रेहला – इब्नबतूता
  • तारीख ए फ़िरोजशाही- जियाउद्दीन बरनी
  • फतवा ए जहादारी – जियाउद्दीन बरनी
  • फुतुह ए फ़िरोजशाही – फ़िरोजशाह
  • फुतुह उस सलातीन – मलिक इसामी
  • तारीख ए फ़िरोजशाही – शम्स-ए-सिराज-अफिक
  • तारीख ए मुबारकशाही – याहिया बिन अहमद सर हिंदी
  • हुमायूंनामा – गुलबेदन बेगम
  • तबकात ए अकबरी – निजामुद्दीन अहमद
  • मुन्तख़ब उल तवारीख – बदायुनी
  • स्टोरीयो दी मोगोर – मनूची
  • तारीख ए यामिनी – उत्बी
  • चंदायन – मुल्ला दाऊद
  • पद्मावती कथा – दामोदर कवि
  • राग विबोध – सोमनाथ
  • आशिका – अमीर खुसरो
  • हकीक ए हिंदी – वाहिद बिलग्रामी
  • तहजीबुल अखलाख ऑफि – मिसकाविया
  • कुंजुर तिजार – बेलक अल क्वायकी
  • जबामिउल हिकायत – मुहम्मद ऑफि
  • योग कलन्दर – सैय्यद मुर्तजा

 

हिन्दू विद्वान जिन्होंने फ़ारसी भाषा मे पुस्तकों की रचना की

  1. सुजानराय भंडारी
  • पुस्तक- खुलासत उल तवारीख
  • इसमे शाहजहाँ के बारे में जानकारी है

 

  1. ईश्वर दास नागर
  • पुस्तक- फुतुहात ए आलमगीरी
  • इसमे ओरंगजेब के राजपूतो के साथ सम्बन्ध है
  1. भीमसेन
  • नुस्खा ए दिलखुश
  • इसमे ओरंगजेब की दक्षिण नीति है
  1. चन्द्रभान 
  • पुस्तक – चाहर मर्तबा ए चमन
  • चन्द्रभान शाहजहाँ के काल मे वजीर के पद पर था चन्द्रभान के द्वारा मुगलकालीन वजीरों के बारे में वर्णन किया गया है

 

तो दोस्तो कैसा लगा मध्यकालीन भारतीय इतिहास के नोट्स

इसके बाद में आप मध्यकालीन भारतीय इतिहास के mcq देना जो हमारी ही वेबसाइट पर आपको उपलब्ध करवाए गए है

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