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भेड़ की नस्ले एवं सामान्य जानकारी इस पशु परिचर भर्ती हो या एग्रीकल्चर सुपरवाइजर का एग्जाम हो ये सबके लिए महत्वपूर्ण है
भेड़ की नस्ले एवं सामान्य जानकारी
- भारत मे सर्वाधिक भेड़े – तेलंगाना
- भारत मे राजस्थान का स्थान = 4th
- सर्वाधिक उन उत्पादन – राजस्थान से होता है
- राजस्थान को भेड़ो का घर कहा जाता है
- NBGAR- करनाल के अनुसार भारत मे भेड़ की 44 नस्ले है जिनमे राजस्थान में 8 नस्ले पाई जाती है
- 8 नस्लो के नाम
- मारवाडी
- जैसलमेरी
- चौकला
- सोनाड़ी
- मालपुरा
- नाली
- पूंगल
- मगरा
- भेड़ के अन्य नाम – परजीवियों का म्म्युजियम
- भेड़ का वैज्ञानिक नाम – ओविस एरीज
- भेड़ का विभाग – रज्जुकी
- भेड़ का कुल – बोवीडी
- भेड़ का उपकुल – केप्रिनी
- भेड़ में गुणसूत्र संख्या (2n) – 54
- भेड़ के आवास को – पेन कहते है
- भेड़ो के समूह को – रेवड़ या फ्लॉक कहते है
- नर भेड़ को – रेम (मेमना) कहते है
- मादा भेड़ को – ईव कहते है
- बंधियाकृत नर को – वेदर कहते है
[ 4-5 सप्ताह की आयु उपयुक्त ]
- प्रजनन क्रिया को – टेपिंग कहते है
- बच्चा देने की क्रिया – लम्बिग कहते है
- नवजात बच्चा को – लेम्ब कहते है
- लेम्ब को दिया जाने वाला अनाज ‘क्रीप राशन’ कहलाता है
- भेड़ के मांस को – मटन कहते है
- भेड़ो में बोलने की क्रिया – ब्लीटिंग
- भेड़ो में उन उतारने की क्रिया – शियरिंग कहते है
- आंखों के चारो ओर उन उतारने की क्रिया – रिगिंग कहते है
- मरी हुई भेड़ से प्राप्त उन – पूल्ड उन कहते है
- भेड़ो में पूंछ काटने की प्रक्रिया को – डॉकिंग ( 2 सप्ताह उपयुक्त ) कहते है
- गर्भित भेड़ को अतिरिक्त आहार देना – फलसिंग कहते है
- बाहय परजीवियों को मारने के लिये भेड़ो को दवा के टब में डुबोना – डिपिंग/ डस्टिंग कहते है
- शरीर के अंदर परजीवियों को मारना – डोज़िंग कहलाता है
- भेड़ो का मदकाल – 24 से 72 घंटे
- भेड़ो का मदचक्र – 16.5 दिन
- भेड़ो का गर्भकाल – 147 से 149 दिन
- भेड़ो में प्रौढ़ावस्था – 4 से 12 माह
- भेड़ो में प्रथम ब्यात आयु – 12 से 18 माह
- भेड़ो के अण्डाणु क्षरण – 12 घण्टे
- भेड़ो के बाद पुनः मद में आने का समय – 3 से 5 सप्ताह
- भारत मे सबसे ज्यादा उन देने वाली भेड़ की नस्ल – हिसार डेल
- पेल्ट के लिये भेड़ की उपयोगी नस्ल – कराकुल
- मौसम / ऋतु पर आधारित पशु – भेड़
- अत्यन्त महीन उन देने वाली भेड़ नस्ल – मेरिनो
- भारत / राजस्थान की मेरिनो – चौकला
- भेड़ की किस नस्ल से बाल प्राप्त किये जाते –
- मांड्या
- मेल्लोर
- विश्व मे भेड़ की सबसे बड़ी नस्ल – लिंकन
- भारत मे भेड़ की सबसे ऊंची नस्ल – नेल्लोर
- भेड़ की सबसे छोटी नस्ल – मांड्या
- भेड़ की सबसे लम्बी नस्ल कोनसी – लोही
- भेड़ की शुद्ध अंग्रेजी नस्ल – लिनचेस्टर
- भेड़ की क्लोन द्वारा तैयार भेड़ – डोली भेड़
[ डॉ ईयोन विलमुट द्वारा तैयार ]
- केंद्रीय भेड़ एवं उन अनुसंधान संस्थान – अविकानगर ( टोंक )
- एशिया की सबसे बड़ी उन मंडी – बीकानेर
- केंद्रीय ऊन विश्लेषण प्रयोगशाला – बीकानेर
- भारतीय ऊन विकास बोर्ड – जोधपुर (1987)
- भेड़ एवं ऊन प्रशिक्षण संस्थान – जयपुर
- भेड़ प्रजनन केंद्र – फतेहपुर सीकर (1973)
- विदेशी ऊन आयात निर्यात केंद्र – कोटा
भेड़ झुंड में नर एवं मादा अनुपात
- 2 वर्ष की आयु – 1:30
- 3 वर्ष की आयु – 1:40
- 4 वर्ष की आयु – 1:50
भारतीय भेड़ो की नस्ले –
-
दूध उत्पादन के लिये उपयुक्त –
- कूका
- नुरेज
- गुरेज
- लोही
- खोरवासी
-
मांस के लिये उपयुक्त –
- मांडिया
- नेल्लोर
- नीलगिरी
- बलुचा
- मद्रास रेड
- हस्तनागरी
- शाहबाद
- दायरी
-
ऊन उत्पादन के लिये उपयुक्त नस्ले –
- चौकला
- बीकानेरी
- मारवाड़ी
- सोनारी
- नाली
- मगरा
- मालपुरा
- काठियावाड़ी
- हिसार डेल
- कधानी
- रक्षानी
- थाल
- भदरवा
- दक्कनी
- अविवस्त्र
- अविकालीन
भेड़ो की विदेशी नस्ल –
-
दूध वाली नस्ले –
- आवासी
- बलूची
- रोमल डेल
- सिगेजा
- साक्रिज
-
मांस वाली नस्ले –
- लिस्टर
- सफ़्रांक
- हेम्पशायर
- लिंकन
- साउथ डाउन
- बॉर्डर लिस्टर
-
ऊन उत्पादन हेतु उपयुक्त नस्ले –
- मैरिनो
- कराकुल
- रेम्बुल
- कोरिडेल
- पोलबर्थ
भेड़ की नस्ल – मारवाड़ी नस्ल
- उत्पति स्थान – मारवाड़ क्षेत्र
-
विशेषताएं –
- चेहरा – काला रंग का
- कान – छोटे एवं अंदर की ओर मुड़े हुए
- नर एवं मादा दोनों ही सींग रहित होते
- सबसे अधिक गर्मी एवं ठण्ड सहनशील नस्ल है
- फुर्तीली एवं लम्बी दूरी तय करने वाली नस्ल है
- राजस्थान में सर्वाधिक संख्या में पाई जाती है
- सबसे स्वस्थ भेड़ की नस्ल है
- यूरोप में इस नस्ल की ऊन को जोरिया कहा जाता है
-
उपयोगिता –
- प्रतिवर्ष 1.5 से 2.3 kg ऊन प्राप्त होती है
- रोग प्रतिरोधक नस्ल है
- रेवड़ में वार्षिक जीवित दर 90 % से अधिक है
भेड़ की नस्ल – चौकला
-
अन्य नाम
- शेखावाटी नस्ल
- छापर
- उत्पत्ति स्थान – शेखावाटी क्षेत्र
-
विशेषताएं –
- मुँह – गहरे भूरे रंग का
- नर एवं मादा सींग रहित होते है
- नाक – रोमन होता है
- पशु वर्गाकार दिखाई देते या हरिण के समान दिखाई देते है
- वर्ष में 02 बार ब्याति है
-
उपयोगिता
- प्रतिवर्ष 1.5 से 2.5 kg ऊन प्राप्त होती है
- ऊन उत्तम श्रेणी की होती है जिससे जर्सी या कालीन बनाई जाती है
- मेमने मरने की दर अधिक होती है
NOTE – चौकला भेड़ प्रजनन एवं अनुसंधान केंद्र – कोडमदेसर ( बीकानेर )
भेड़ की नस्ल – जैसलमेरी
- अन्य नाम – डेजर्ट ब्रीड ( रेगिस्तानी नस्ल)
- उत्पत्ति स्थान – जैसलमेर क्षेत्र
-
विशेषताएं-
- कान- लंबे एवं खम्भेदार लटके हुए
- सिर – बड़ा
- नाक – रोमन
- सींग रहित नस्ल
- पूर्णतया रेगिस्तानी नस्ल
- विपरीत परिस्थितियों में सहनशील नस्ल ( 3 से 4 दिन बिना पानी के रह सकति )
-
उपयोगिता-
- प्रतिवर्ष 1.8 से 3.2 kg ऊन प्राप्त होती
- राजस्थान में सर्वाधिक ऊन उत्पादन वाली नस्ल
- मांस भी इससे अधिक प्राप्त होता
- संकरण के लिये उपयुक्त नस्ल [ इस नस्ल के पशु संकरण के लिये जापान भेजे गए ]
भेड़ की नस्ल – मालपुरा
- उत्पति स्थान – मालपुरा टोंक
-
विशेषताएं
- कान – छोटे एवं अंदर की ओर मुड़े हुए
- नर एवं मादा सींग रहित होते है
- मांस के लिये उपयुक्त
-
उपयोगिता-
- प्रतिवर्ष 1 से 1.6 kg ऊन प्राप्त होती
- ऊन मोटी एव निम्न एवं निम्न श्रेणी की होती है इसलिए इस ऊन से नमदे एवं गलीचे बनाये जाते है
भेड़ की नस्ल – सोनाड़ी
- उत्पाति स्थान – मेवाड़ क्षेत्र
-
विशेषताएं –
- राजस्थान की सबसे भारी नस्ल
- इस नस्ल के कान चरते समय जमीन को छूते है इसलिए इसे चरणोथर कहा जाता है
- यह भेड़ की त्रिकाजी नस्ल है
-दूध उत्पादन
– मांस उत्पादन
– ऊन उत्पादन
-
उपयोगिता-
- दूध उत्पादन 1 से 1.5 kg प्रतिदिन
- ऊन उत्पादन 1.5 से 2 kg प्रतिवर्ष
- राजस्थान में सर्वाधिक मांस इस भेड़ की नस्ल से होता है
भेड़ की नस्ल – मगरा
- उत्पत्ति स्थान – बीकानेर, नागौर
- अन्य नाम – बीकानेरी चौकला
-
विशेषताएं –
- कान छोटे एवं मुड़े हुए होते
- नर एवं मादा सींग रहित होते
- आंखों के चारो ओर भूरे रंग का घेरा पाया जाता है
-
उपयोगिता-
- प्रतिवर्ष 2kg ऊन उत्पादन
- लंबी दूरी तय करने में सक्षम
भेड़ की नस्ल – नाली
- उत्पत्ति स्थान – बीकानेर का उत्तरी पूर्वी भाग [ हनुमान- गंगानगर ]
- अन्य नाम
-
विशेषताएं –
- कान लबे एवं पत्ती की तरह मुड़े हुए
- चेहरे भूरे रंग के धब्बे पाए जाते
-
उपयोगिता-
प्रतिवर्ष 1.5 से 3 kg ऊन उत्पादन
भेड़ की नस्ल – पूंगल
- उत्पति स्थान – बीकानेर का पूंगल क्षेत्र
-
विशेषतायें-
- नाक के दोनों ओर भूरे रंग की धारियां पायीं जाती है
- निचले जबडा सफेद रंग का होता है
-
उपयोगिता-
1.5 से 3 kg ऊन उत्पादन प्रतिवर्ष [ मोटी कालीनें बनाई जाती है ]
भेड़ की नस्ल – गद्दी
- उत्पत्ति स्थान – भदवाह क्षेत्र ( जम्मू कश्मीर )
-
विशेषताएं –
- मादा सींग रहित होते जबकि नर में सींग पाये जाते है
- सबसे चुस्त नस्ल है ( active )
-
उपयोगिता-
- प्रतिवर्ष 1 से 1.5 kg ऊन उत्पादन
- रेशा 10 से 13 cm चोड़ा होता
- ऊन से कपड़े बनाये जाते
भेड़ की नस्ल – काठियावाडी
- उत्पति स्थान – काठियावाड़ क्षेत्र ( G j )
-
विशेषताएं –
- चहरे के बीचों बीच सफेद धारियां पाई जाती है
- कान- नालीदार होते
- गले के निचले भाग में मंसा पाया जाता है
- पूंछ – छोटी एवं नुकीली होती
-
उपयोगिता-
प्रतिवर्ष 0.5 से 1.5 kg ऊन उत्पादन
भेड़ की नस्ल – मांड्या
- उत्पति स्थान – मांड्या ( मध्यप्रदेश )
-
विशेषताएं
- इस नस्ल से बाल प्राप्त होती ( प्रतिवर्ष 1 kg )
- मांस के लिये उपयुक्त
भेड़ की नस्ल – नेल्लोर
- उत्पत्ति स्थान – तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश
-
विशेषताएं-
- मांस के लिये उपयुक्त
- भारत मे सबसे भारी एवं ऊंची नस्ल
भेड़ की नस्ल – लोही
- भेड़ की सबसे लंबी नस्ल
भेड़ की नस्ल – हसन
- कर्नाटक
भेड़ की डेकानी नस्ल
- महाराष्ट्र एवं कर्नाटक
भेड़ की संकरण नस्ले
भेड़ की नस्ल – अविवस्त्र
- उत्पति स्थान – CSWRI अविकानगर टोंक द्वारा विकसित की गई
- क्रॉस = मेरिनो (नर) × चौकला (मादा)
-
विशेषताएं-
- सिंग सर्पिलाकार होते
- मेमने पैदा होने की दर – 93.21%
-
उपयोगिता-
- प्रतिवर्ष 2 से 4 kg ऊन प्राप्त
- 6 माह का बच्चा – 12 kg
- 12 माह का बच्चा – 23 kg
- इसकी ऊन से केपड़े बनाये जाते
भेड़ की नस्ल – अविकालीन
- उत्पत्ति स्थान – CSWRI अविकानगर टोंक द्वारा विकसित
- क्रॉस – मेरिनो(नर) × मालपुरा( मादा)
-
विशेषताएं-
- टपिंग प्रतिशत – 97.95%
- मेमना पैदा होने की दर – 87.21%
- मुँह पतला एवं कान छोटे होते
-
उपयोगिता-
- उत्तम किस्म की ऊन प्राप्त होती है
- इससे उत्तम किस्म कि कालीनें बनाई जाती है
भेड़ की नस्ले- हिसार डेल
- उत्पति सथान – हिसार
- क्रॉस – मेरिनो (नर) × बीकानेरी (मादा)
-
विशेषताएं-
- शरीर मजबूत होता
- मांस के लिये उपयुक्त
- इसके ऊन का रेशा लम्बा होता
- भारतीय नस्लो में सबसे ज्यादा ऊन देने वाली नस्ल है ( 5 से 6 kg प्रतिवर्ष )
भेड़ की विदेशी नस्ले
भेड़ की नस्ले- मेरिनो
- उत्पति स्थान – स्पेन ( फ्रांस )
-
विशेषताएं-
- सिर – मध्यम आकार का ऊन से ढका रहता है
- गर्दन एवं कंधे की त्वचा पर सलवटे एवं झुर्रियां दिखाई देती है
- मादा – सींग रहित होते है जबकि नर में घुमावदार पेंचनुमा सींग पाये जाते
- विपरीत कृषि जलवायु परिस्थितियों में जीवन यापन होता
- विश्व मे सबसे महीन ऊन वाली नस्ल
-
उपयोगिता-
- विश्व मे सर्वाधिक ऊन प्राप्त होती (80 % )
- विश्व की सबसे भारी नस्ल है
- संकरण हेतु उपयुक्त है
NOTE – नर का वजन – 90 KG
नर से ऊन प्राप्त – 5 से 6 KG
NOTE – मादा का वजन – 70 KG
मादा से ऊन प्राप्त – 4 से 5 KG प्रतिवर्ष
भेड़ की नस्ले – कराकुल
- उत्पति स्थान – मध्य एशिया
-
विशेषताएं –
- पेल्ट उत्पादन के लिये उपयुक्त नस्ल [पेल्ट -छोटे मेमनों को मारकर उनसे घुंघराली ऊन वाली खाल प्राप्त की जाती है ]
- मादा सींग रहित होती जबकि नर में सींग होते
- ऊन उत्पादन में द्वितीय स्थान
-
उपयोगिता-
- 4 से 5 kg ऊन प्रतिवर्ष प्राप्त होती
- ऊन से महंगे वस्त्र बनाये जाते
- मांस के लिये भी उपयुक्त
भेड़ की नस्ले – कोरोडेल नस्ल
- उत्पति स्थान – न्यूजीलैंड, भारत मे जम्मु-कश्मीर
-
विशेषताएं –
- क्रॉस से तैयार विश्व की पहली नस्ल
- सींग रहित नस्ल एव खुर काले होते
- इस नस्ल में जुड़वे मेमना पैदा होते
भेड़ की नस्ले – रेम्बुलेट
- उत्पति स्थान – सपेन ( फ्रांस )
- इस नस्ल के खुर गुलाबी रंग के होते है
- यह द्विप्रयोजनी नस्ल है
FAq
hisar dell kiska nasl hai
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