
पंथनिरपेक्षता-
- भारत एक पंथनिरपेक्ष देश है क्योकि भारत का कोई राष्ट्रीय धर्म नहीं हैं। धर्म के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता हैं।
- यहां विधि का शासन है तथा विधि के समक्ष सभी समान है। लोक नियोजन में सभी को समान अवसर दिये जाते है। धर्म के आधार पर किसी को वंचित नहीं किया जा सकता है। धार्मिक स्वतन्त्रता मूल अधिकार है। राज्य धर्म के आधार पर कोई कर नहीं लगाता । सभी नागरिकों को वाक एवं अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता है।
- लेकिन भारतीय पंथनिरपेक्षता पाश्चात्य पंथनिरपेक्षता से अलग हैं, क्योंकि दोनो ही जगहों पर अलग अलग कारणों से पंथनिरपेक्षता को अपनाया गया है।
- पाश्चात्य जगत ने पुनर्जागरण, धर्मसुधार आन्दोलन व प्रबोधन के कारण पंथनिरपेक्षता को अपनाया, जिसमें यह माना गया कि धर्म आस्था का विषय है इसमें तार्किकता को अधिक महत्व नहीं दिया जाता है, इस लिए प्रायः इसके अन्धविश्वास जन्म लेते हैं। इसलिए राज्य विधि निर्माण के समय धार्मिक विश्वासों और मान्यताओं को अधिक महत्व नहीं देगा, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद व उपयोगितावाद को आधार बताकर विधि निर्माण करेगा ।
- धर्म प्रत्येक व्यक्ति का व्यक्तिगत विषय होना चाहिए, अतः पाश्चात्य पंथनिरपेक्षता के अनुसार धर्म को राज्य से पूर्णतः पृथक कर दिया जाना चाहिए।
- भारतीय पंथनिरपेक्षता मे धर्म को राज्य से पूर्णतः पृथक नहीं किया गया है, हमारी पंथनिरपेक्षता में ‘सर्वधर्म संमभाव’ है अर्थात् राज्य सभी धर्मों के साथ समान व्यवहार करेगा, तथा सभी धर्मों को समान संरक्षण देगा।
- चूंकि भारत में सभी धमों के लोग रहते है, इसलिए भारत ने इस पंथनिरपेक्षता को अपनाया है।
- अल्पसंख्यको के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव न हो, इसलिए हमने पंथनिरपेक्षता को अपनाया है।
पंथनिरपेक्षता से विचलित करने वाली विशेषताएँ-
- राज्य धार्मिक पहचान को मान्यता देता है।
- अल्पसंख्यक वर्ग का दर्जा दिया जाता हैं।
- धार्मिक मान्यताओं के आधार पर अलग- अलग धार्मिक संहिताएँ है।
- राज्य धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करता है।
- धार्मिक कार्यों के लिए सब्सिडी दी जाती हैं।
- ‘धर्म’ शब्द की उत्पत्ति – धृ धातु से हुई जिसका अर्थ हैं- कर्तव्य पालन, न कि सम्प्रदाय से। अतः रिलीजन शब्द का सही हिन्दी अनुवाद पंथ है न कि धर्म । इसलिए secularism का हिन्दी अनुवाद पंथनिरपेक्षता होगा।