- प्रायद्वीपीय भारत का जो भाग समुद्र से लगा हुआ है तट कहलाता है
- यह मैदान कच्छ प्रायद्वीप से लेकर स्वर्णरेखा नदी तक 6000 किमी की दूरी में विस्तृत है
- इस मैदान का निर्माण नदियो द्वारा जमा किए गए अवसादों से होता है
- भारत के तटों का अध्ययन निम्न दो प्रकार से किया जाता है
- पूर्वी तट
- पश्चिमी तट
पश्चिमी तट
- यह कच्छ से कन्याकुमारी तक लगभग 1500 Km की लंबाई में स्थित है
- पश्चिमी घाट के सतत रूप से विस्तृत होने के कारण यह कम चौड़ा तट है क्योंकि यहां नदी घाटियों का अभाव है
- इसकी चौड़ाई लगभग 64 Km है
- इसे निम्नलिखित भागो में विभाजित किया जाता है
गुजरात या सौराष्ट्र तट
- यह कच्छ से दमन तक स्थित तट है
- जिसे निम्नलिखित तीन भागों में विभाजित किया जाता है
कच्छ का मैदान
- इस मैदान का निर्माण सिंधु नदी द्वारा जमा किये गए अवसादों के द्वारा होता है
- यह कच्छ से कच्छ की खाड़ी तक स्थित तट है
- ये चौड़े एवं समतल मैदान है
- इस तट में दलदली क्षेत्र स्थित है इसी कारण इसे कच्छ का रण भी कहते है
- ज्वारीय गतिविधियों के कारण यहां की मृदा में बहुत अधिक लवणीयता पाई जाती है, अतः यह मैदान कृषि के लिए उपयोगी नही है
- यह तट नमक उत्पादन हेतु जाना जाता है इसी कारण इसे सफेद मरुस्थल भी कहा जाता है
- कच्छ के रण को जंगली गधों के लिए आरक्षित क्षेत्र भी घोषित किया गया है
- इस तट पर कांडला बन्दरगाह भी स्थित है
काठियावाड़ तट
- यह तट तीन ओर जल से घिरा हुआ है इसी कारण इसे काठियावाड़ प्रायद्वीप भी कहा जाता है
- यहां मांडव, गिर, वर्धा आदि पहाड़ियां स्थित है
- यह तट चट्टानी व पथरीला होने के कारण कृषि योग्य नही है
- इस तट के आंतरिक भागो में मालधारी जनजाति पाई जाती है जो ऊंट व भेड़ पालन हेतु जानी जाती है
- यहां पर पोरबन्दर बन्दरगाह है
काकरापार तट
- इस तट पर माही, साबरमती, नर्मदा, ताप्ती आदि नदियां प्रवाहित होती है अतः यह उपजाऊ क्षेत्र है।
- गुजरात तट के तटीय व अपतटीय भागों में पेट्रोलियम खनन होता है
कोंकण या गोवा तट –
- यह दमन से गोवा तक स्थित तट है
- इस तट पर जवाहर लाल नेहरू, मुम्बई, मार्मिगोवा बन्दरगाह स्थित है
- यह तट पर्यटन हेतु जाना जाता है
- यहां काजू व आम की कृषि की जाती है
- इस भाग में होने वाली मानसून पूर्व वर्षा को आम्र वर्षा (mango shower) कहते है जो आम की खेती के लिए लाभदायक होती है
(NCERT – आम्र वर्षा कर्नाटक व केरल में होती)
Contents
कर्नाटक / कन्नड़ तट
- यह गोवा से न्यू मैंगलोर तट स्थित है
- यह मुख्य रूप से कर्नाटक में स्थित है
- इसी तट पर न्यू मंगलोर बन्दरगाह भी स्थित है
- यह तट आम व काजू उत्पादन हेतु जाना जाता है
- इस तट पर अनेक जल प्रपातों का निर्माण होता है
- भारत का सबसे ऊंचा जल प्रपात जोग भी इसी तट पर स्थित है
- जोग जल प्रपात को गेरोसोपा या महात्मा गान्धी जल प्रपात भी कहते है
- इस मैदानी क्षेत्र में होने वाली मानसून पूर्व वर्षा को cherry blossom कहते है जो कॉफी की खेती के लिए लाभदायक होती है
(चेरी ब्लॉसम इन केरल – NCERT)
मालाबार तट
- यह न्यू मंगलोर से कन्याकुमारी तक स्थित है जो मुख्यतः केरल में स्थित है
- इसी तट पर केरल का कोच्ची बन्दरगाह भी स्थित है जिसे अरब सागर की रानी कहा जाता है
- यहां मसाले, रबर, नारियल उत्पादन होता है
- इसी तट पर सर्वाधिक लैगून व क्याल स्थित है
- लैगून – महासागरीय लहरों के निक्षेपण से निर्मित खारे पानी की झीलों को लैगून कहा जाता है
- चिल्का झील भारत का सबसे बड़ा लैगून है
- क्याल – महासागरीय लहरों के अपरदन से निर्मित सर्पिलाकार खारे पानी की झीलों को क्याल कहते है
- केरल में स्थित बेम्बनाड व अगस्त्यमुदई भारत के प्रमुख क्याल है
- यहां की प्रमुख झीले –
- बेम्बनाड
- अष्टामुड़ी
- पुन्नामादा – यहां प्रतिवर्ष नेहरू ट्रॉफी वल्लमकाली नौका दौड़ होती है
पूर्वी तट
- यह दामोदर नदी / हुगली नदी से कन्याकुमारी तक स्थित तट है
- इसे निम्नलिखित भागों में विभाजित किया गया है।
उत्कल का मैदान
- यह दामोदर नदी से महानदी के मध्य स्थित तट है जो पश्चिम बंगाल व उड़ीसा राज्यो में स्थित है
- इस तट का दामोदर नदी से स्वर्ण रेखा नदी के मध्य का भाग बोंगा तट कहलाता है जो वर्षभर चावल की खेती तथा जुट की कृषि हेतु जाना जाता है
- इस तट पर पश्चिम बंगाल का कलकत्ता बन्दरगाह है तथा हल्दिया बन्दरगाह है
- तथा उड़ीसा का पारादिव बन्दरगाह स्थित है
उतरी सरकार तट
- यह महानदी से कृष्णा नदी के मध्य स्थित तट है
- यह उड़ीसा व आंध्रप्रदेश राज्यो में है
- आंध्रप्रदेश में गोदावरी व कृष्णा नदियो के मध्य इस तट का भाग काकीनाड़ा तट के नाम से जाना जाता है
- यहा विशाखापत्तनम बन्दरगाह स्थित है
कोरोमंडल तट
- यह कृष्णा नदी से कन्याकुमारी तक स्थित तट है
- इस तट पर चैन्नई, एनॉर, तूतीकोरिन आदि बन्दरगाह स्थित है
- लौटते हुए मानसून की वर्षा भारत मे केवल इसी तट पर होती है
पूर्वी तट व पश्चिमी तट मे अंतर
पश्चिमी तटवर्ती मैदान | पूर्वी तटवर्ती मैदान |
यह मैदान कच्छ से कन्याकुमारी के बीच स्थित है | यह मैदानी स्वर्णरेखा नदी से कन्याकुमारी के बीच स्थित है |
इस मैदानी क्षेत्र की अधिकतम नदियां नंदमुख का निर्माण करती | 2. इस मैदानी भाग की अधिकतम नदियां डेल्टा का निर्माण करती है |
यहां की प्रमुख नदियां साबरमती, माही, नर्मदा, तापी, सरावती आदि है | 3. यहां की प्रमुख नदियां महानदी, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी है |
ये संकरे मैदान है जिनकी चौड़ाई 50 – 100 Km के बीच पायी जाती है | 4. ये चौड़े मैदान है, जिनकी लम्बाई लगभग 100-150 किमी या उससे अधिक पाई जाती है |
ये उबड़ खाबड़ पथरीले मैदान है | 5 ये समतल मैदान है |
इन मैदानों में दक्षिण पश्चिम मानसून पवनो द्वारा भारी वर्षा प्राप्त होती है | 6 इन मैदानों में दक्षिण पश्चिम तथा उतरी पूर्वी मानसून पवनो द्वारा वर्षा प्राप्त होती है |
अधिक वर्षा के कारण यहां लेटेराइट मृदा पाई जाती है | 7 इस मैदानी क्षेत्र में जलोढ़ मृदा पाई जाती |
यहां वाणिज्यिक कृषि की जाती है जैसे – आम, काजू, नारियल | 8 यहां मुख्य रूप से खाद्यान्न फसलों का उत्पादन किया जाता है जैसे चावल |
इस मैदानी प्रदेश के दक्षिणी भाग में लैगून झीले पायी जाती है | 9 यहां लैगून झीले मुख्य रूप से उतरी तथा मध्य भाग में पाई जाती |
यहां की नदियां जल प्रपात बनाती है जिनका उपयोग जल विधुत उत्पादन के लिए किया जाता है | 10 यहां की नदियां डेल्टा बनाती है अतः इनका उपयोग नौवहन के लिए किया जाता है |
