भारत के तटीय मैदान

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  • प्रायद्वीपीय भारत का जो भाग समुद्र से लगा हुआ है तट कहलाता है
  • यह मैदान कच्छ प्रायद्वीप से लेकर स्वर्णरेखा नदी तक 6000 किमी की दूरी में विस्तृत है
  • इस मैदान का निर्माण नदियो द्वारा जमा किए गए अवसादों से होता है
  • भारत के तटों का अध्ययन निम्न दो प्रकार से किया जाता है
    1. पूर्वी तट
    2. पश्चिमी तट

पश्चिमी तट

  • यह कच्छ से कन्याकुमारी तक लगभग 1500 Km की लंबाई में स्थित है
  • पश्चिमी घाट के सतत रूप से विस्तृत होने के कारण यह कम चौड़ा तट है क्योंकि यहां नदी घाटियों का अभाव है
  • इसकी चौड़ाई लगभग 64 Km है
  • इसे निम्नलिखित भागो में विभाजित किया जाता है 

गुजरात या सौराष्ट्र तट

  • यह कच्छ से दमन तक स्थित तट है
  • जिसे निम्नलिखित तीन भागों में विभाजित किया जाता है

कच्छ का मैदान

  1. इस मैदान का निर्माण सिंधु नदी द्वारा जमा किये गए अवसादों के द्वारा होता है
  2. यह कच्छ से कच्छ की खाड़ी तक स्थित तट है
  3. ये चौड़े एवं समतल मैदान है
  4. इस तट में दलदली क्षेत्र स्थित है इसी कारण इसे कच्छ का रण भी कहते है
  5. ज्वारीय गतिविधियों के कारण यहां की मृदा में बहुत अधिक लवणीयता पाई जाती है, अतः यह मैदान कृषि के लिए उपयोगी नही है
  6. यह तट नमक उत्पादन हेतु जाना जाता है इसी कारण इसे सफेद मरुस्थल भी कहा जाता है
  7. कच्छ के रण को जंगली गधों के लिए आरक्षित क्षेत्र भी घोषित किया गया है 
  8. इस तट पर कांडला बन्दरगाह भी स्थित है

काठियावाड़ तट

  1. यह तट तीन ओर जल से घिरा हुआ है इसी कारण इसे काठियावाड़ प्रायद्वीप भी कहा जाता है
  2. यहां मांडव, गिर, वर्धा आदि पहाड़ियां स्थित है
  3. यह तट चट्टानी व पथरीला होने के कारण कृषि योग्य नही है
  4. इस तट के आंतरिक भागो में मालधारी जनजाति पाई जाती है जो ऊंट व भेड़ पालन हेतु जानी जाती है
  5. यहां पर पोरबन्दर बन्दरगाह है

काकरापार तट

  1. इस तट पर माही, साबरमती, नर्मदा, ताप्ती आदि नदियां प्रवाहित होती है अतः यह उपजाऊ क्षेत्र है। 
  • गुजरात तट के तटीय व अपतटीय भागों में पेट्रोलियम खनन होता है

कोंकण या गोवा तट –

  • यह दमन से गोवा तक स्थित तट है 
  • इस तट पर जवाहर लाल नेहरू, मुम्बई, मार्मिगोवा बन्दरगाह स्थित है
  • यह तट पर्यटन हेतु जाना जाता है 
  • यहां काजू व आम की कृषि की जाती है
  • इस भाग में होने वाली मानसून पूर्व वर्षा को आम्र वर्षा (mango shower) कहते है जो आम की खेती के लिए लाभदायक होती है

(NCERT – आम्र वर्षा कर्नाटक व केरल में होती)

कर्नाटक / कन्नड़ तट

  • यह गोवा से न्यू मैंगलोर तट स्थित है
  • यह मुख्य रूप से कर्नाटक में स्थित है
  • इसी तट पर न्यू मंगलोर बन्दरगाह भी स्थित है
  • यह तट आम व काजू उत्पादन हेतु जाना जाता है
  • इस तट पर अनेक जल प्रपातों का निर्माण होता है
  • भारत का सबसे ऊंचा जल प्रपात जोग भी इसी तट पर स्थित है 
  • जोग जल प्रपात को गेरोसोपा या महात्मा गान्धी जल प्रपात भी कहते है
  • इस मैदानी क्षेत्र में होने वाली मानसून पूर्व वर्षा को cherry blossom कहते है जो कॉफी की खेती के लिए लाभदायक होती है

(चेरी ब्लॉसम इन केरल – NCERT)

मालाबार तट

  • यह न्यू मंगलोर से कन्याकुमारी तक स्थित है जो मुख्यतः केरल में स्थित है
  • इसी तट पर केरल का कोच्ची बन्दरगाह भी स्थित है जिसे अरब सागर की रानी कहा जाता है
  • यहां मसाले, रबर, नारियल उत्पादन होता है
  • इसी तट पर सर्वाधिक लैगून व क्याल स्थित है
  • लैगून – महासागरीय लहरों के निक्षेपण से निर्मित खारे पानी की झीलों को लैगून कहा जाता है
    • चिल्का झील भारत का सबसे बड़ा लैगून है
  • क्याल – महासागरीय लहरों के अपरदन से निर्मित सर्पिलाकार खारे पानी की झीलों को क्याल कहते है
    • केरल में स्थित बेम्बनाड व अगस्त्यमुदई भारत के प्रमुख क्याल है
  • यहां की प्रमुख झीले –
    1. बेम्बनाड
    2. अष्टामुड़ी
    3. पुन्नामादा – यहां प्रतिवर्ष नेहरू ट्रॉफी वल्लमकाली नौका दौड़ होती है

पूर्वी तट

  • यह दामोदर नदी / हुगली नदी से कन्याकुमारी तक स्थित तट है 
  • इसे निम्नलिखित भागों में विभाजित किया गया है। 

उत्कल का मैदान

  • यह दामोदर नदी से महानदी के मध्य स्थित तट है जो पश्चिम बंगाल व उड़ीसा राज्यो में स्थित है
  • इस तट का दामोदर नदी से स्वर्ण रेखा नदी के मध्य का भाग बोंगा तट कहलाता है जो वर्षभर चावल की खेती तथा जुट की कृषि हेतु जाना जाता है
  • इस तट पर पश्चिम बंगाल का कलकत्ता बन्दरगाह है तथा हल्दिया बन्दरगाह है
  • तथा उड़ीसा का पारादिव बन्दरगाह स्थित है

उतरी सरकार तट

  • यह महानदी से कृष्णा नदी के मध्य स्थित तट है 
  • यह उड़ीसा व आंध्रप्रदेश राज्यो में है
  • आंध्रप्रदेश में गोदावरी व कृष्णा नदियो के मध्य इस तट का भाग काकीनाड़ा तट के नाम से जाना जाता है
  • यहा विशाखापत्तनम बन्दरगाह स्थित है

कोरोमंडल तट

  • यह कृष्णा नदी से कन्याकुमारी तक स्थित तट है
  • इस तट पर चैन्नई, एनॉर, तूतीकोरिन आदि बन्दरगाह स्थित है
  • लौटते हुए मानसून की वर्षा भारत मे केवल इसी तट पर होती है

पूर्वी तट व पश्चिमी तट मे अंतर

पश्चिमी तटवर्ती मैदानपूर्वी तटवर्ती मैदान
यह मैदान कच्छ से कन्याकुमारी के बीच स्थित हैयह मैदानी स्वर्णरेखा नदी से कन्याकुमारी के बीच स्थित है
इस मैदानी क्षेत्र की अधिकतम नदियां नंदमुख का निर्माण करती2. इस मैदानी भाग की अधिकतम नदियां डेल्टा का निर्माण करती है
यहां की प्रमुख नदियां साबरमती, माही, नर्मदा, तापी, सरावती आदि है3. यहां की प्रमुख नदियां महानदी, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी है
ये संकरे मैदान है जिनकी चौड़ाई 50 – 100 Km के बीच पायी जाती है4. ये चौड़े मैदान है, जिनकी लम्बाई लगभग 100-150 किमी या उससे अधिक पाई जाती है
ये उबड़ खाबड़ पथरीले मैदान है5 ये समतल मैदान है
इन मैदानों में दक्षिण पश्चिम मानसून पवनो द्वारा भारी वर्षा प्राप्त होती है6 इन मैदानों में दक्षिण पश्चिम तथा उतरी पूर्वी मानसून पवनो द्वारा वर्षा प्राप्त होती है
अधिक वर्षा के कारण यहां लेटेराइट मृदा पाई जाती है7 इस मैदानी क्षेत्र में जलोढ़ मृदा पाई जाती
यहां वाणिज्यिक कृषि की जाती है जैसे – आम, काजू, नारियल8 यहां मुख्य रूप से खाद्यान्न फसलों का उत्पादन किया जाता है जैसे चावल
इस मैदानी प्रदेश के दक्षिणी भाग में लैगून झीले पायी जाती है9 यहां लैगून झीले मुख्य रूप से उतरी तथा मध्य भाग में पाई जाती
यहां की नदियां जल प्रपात बनाती है जिनका उपयोग जल विधुत उत्पादन के लिए किया जाता है10 यहां की नदियां डेल्टा बनाती है अतः इनका उपयोग नौवहन के लिए किया जाता है
भारत के तटीय मैदान
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