- हिमालय के दक्षिण में हिमालय के समानांतर स्थित भौतिक प्रदेश जो प्राचीन टेथीस सागर के स्थान पर प्लेस्टोसिन काल मे निर्मित हुआ।
- इसका निर्माण हिमालय से निकलने वाली सदावाहिनी नदियों द्वारा जलोढ़ के जमाव से हुआ है इसी कारण मैदानों को हिमालय का वरदान कहा जाता है
- ये भारत का सर्वाधिक उपजाऊ क्षेत्र है जो भारत मे लगभग 7.5 वर्ग Km के क्षेत्र में विस्तृत है
- ये हिमालय के समानांतर 2400 / 2500 Km की लम्बाई तथा 150 – 500 Km की चौड़ाई में स्थित है
- मैदानों की चौड़ाई पूर्व से पश्चिम में जाने पर बढ़ती जाती है तथा इनका ढाल भी बढ़ता जाता है
- मैदानों को निम्नलिखित दो आधार पर विभाजित किया गया
निर्माण के आधार पर
मैदानों का निर्माण नदियों द्वारा हुआ है जो निम्नलिखित क्रम में निर्मित हुए –
Contents
भाभर
- जब नदिया पर्वतों से उतरकर मैदानों में प्रवेश करती है तो वे अपने साथ कंकर, पत्थर व चट्टानी टुकड़े बहाकर लाती है जो इन मैदानों में सर्वप्रथम निक्षेपित होते है जिनका निक्षेपण एक शंकु के रूप में होता है जिसे जलोढ़ शंकु कहा जाता है
- मैदानों के इन भागो में अनेक जलोढ़ शंकुओ का निर्माण होता है जिसे जलोढ पंख कहा जाता है
- इन भागो में कभी कभी नदियां पूर्णतः विलुप्त हो जाती है
- इनका विस्तार शिवालिक हिमालय के पदीय भागो में 8-10 Km की चौड़ाई में है
- मैदानों के ये भाग कृषि कार्यो के लिए पूर्णतः अनुपयुक्त होते है
तराई
- मैदानों के वे भाग जहां नदियां पुनः प्रकट होती है तराई कहलाती है
- जब नदियां भाभर से निकलकर रेतीले मैदानों में आती हैं तो वे दलदली भाग का निर्माण करती है जो तराई कहलाता है
- इन मैदानों को कृत्रिम रूप से सुखाकर इनमे गन्ने व चावल की कृषि की जाती है
बांगर
- नदियों द्वारा प्राचीन समय मे निर्मित वे मैदान जहां नदियों के बाढ़ का पानी भी वर्तमान में नही पहुंच पाता वह बांगर कहलाता है
- ये उपजाऊ मैदान है परन्तु वर्तमान में गहन कृषि कार्यों द्वारा निम्न दो मिट्टी निर्मित हुई है
- रेह / कल्लर –
- अत्यधिक उर्वरकों का उपयोग करने से निर्मित लवणीय मिट्टी रेह या कल्लर कहलाती है
- भूड –
- अत्यधिक सिंचाई के उपयोग से मृदा की ऊपरी पतली परत जल के साथ बह जाती है तथा कँकरीली मिट्टी का निर्माण होता है जिसे भूड कहा जाता है
- रेह / कल्लर –
खादर
- नदियों द्वारा निर्मित वे मैदान जहां प्रतिवर्ष नयी जलोढ़ मिट्टी का जमाव होता है खादर कहलाते है।
- ये सर्वाधिक उपजाऊ क्षेत्र है जो कृषि कार्यो हेतु सबसे उपयुक्त है
डेल्टा
मैदानों के वे अंतिम भाग जहां नदियां किसी सागर या महासागर में गिरने से पहले अनेक छोटी छोटी शाखाओं में विभाजित हो जाती है डेल्टा कहलाता है
प्रादेशिक आधार पर
भारत के मैदानों का निर्माण नदियों द्वारा प्रादेशिक आधार पर निम्न प्रकार है
सिंधु सतलज के मैदान
- इन मैदानों का विस्तार भारत मे जम्मूकश्मीर व पंजाब राज्यो में है
- इन मैदानों की प्रमुख विशेषता पंजाब है जो पांच दोआब का क्षेत्र है
सिंध सागर का मैदान
- सिंधु व झेलम के मध्य का दोआब क्षेत्र है
- जो सबसे बड़ा दोआब है
- यह पूर्णतः पाकिस्तान में है
छाज का मैदान
- यह झेलम व चिनाब नदी के बीच का दोआब क्षेत्र है
- जो सबसे छोटा दोआब है
- जो पूर्णत पाकिस्तान में स्थित है
रेचना दोआब
- यह चिनाब व रावी नदी के मध्य का दोआब क्षेत्र है
- जो भारत व पाकिस्तान में स्थित है
बारी दोआब
- यह रावी व व्यास नदियों के मध्य स्थित दोआब है
- जो भारत व पाकिस्तान में स्थित है
बिस्त दोआब
यह व्यास व सतलज नदियो के मध्य स्थित दोआब है जो पूर्णतः भारत मे स्थित दोआब है
गंगा यमुना के मैदान
- इन मैदानों का विस्तार पूर्वी राजस्थान, हरियाणा, पश्चिम उत्तर प्रदेश राज्यो में है
- इन्हें हरियाणा व राजस्थान के मैदान भी कहा जाता है
- यहां वार्षिक वर्षा 50-100 Cm तक होती है तथा इन मैदानों की समुंद्रतल से ऊँचाई 250 मीटर या अधिक है
- यहां गेंहू व सरसो की कृषि प्रधानता से की जाती है
गंगा के मैदान
- इनका विस्तार भारत के सर्वाधिक क्षेत्र पर है तथा यहां सर्वाधिक उत्पादन पाया जाता है
- इन्हें निम्न तीन भागों में विभाजित किया है
ऊपरी गंगा के मैदान
- इन मैदानों के अंतर्गत रोहिलखंड दोआब क्षेत्र शामिल है
- जो गंगा व यमुना नदियों का दोआब क्षेत्र है
- इनका विस्तार उत्तरप्रदेश में है
- ये निर्माण के आधार पर तराई क्षेत्र है यहां वार्षिक वर्षा 100-150 Cm तथा समुद्रतल से ऊँचाई 150-250 मीटर तक है
- यहां गन्ने व चावल की कृषि की जाती है
मध्य गंगा के मैदान
- इन मैदानों का विस्तार पूर्वी उत्तरप्रदेश, बिहार व झारखंड राज्यो में है
- ये निर्माण के आधार पर बांगर क्षेत्र है
- यहां वार्षिक वर्षा लगभग 150 – 200 cm तक तथा समुद्रतल से ऊंचाई 50 – 150 मीटर तक है
- यहाँ चावल व गन्ने की कृषि की जाती है
निम्न गंगा के मैदान
- इनका विस्तार पश्चिम बंगाल राज्य में है
- ये निर्माण के आधार पर खादर क्षेत्र है
- यहां वार्षिक वर्षा – 200 cm व इससे अधिक होती है तथा समुद्रतल से ऊंचाई 50 मीटर व उससे कम है
- ये मैदान वर्षभर चावल की कृषि के लिए जाने जाते है
- Up के पश्चिम भाग में – रोहिलखण्ड
- लखनऊ के पास – अवध के मैदान
- बिहार में गंगा के उत्तर में – मिथिला
- बिहार में गंगा के दक्षिण में – मगध
- कोसी तथा महानन्दा के बीच – बारिन्द
- दामोदर तथा स्वर्णरेखा नदी के बीच – रार
ब्रह्मपुत्र के मैदान
- ब्रह्मपुत्र नदी का प्रवाह भारत मे अरुणाचल व असम राज्यो में होता है
- ब्रह्मपुत्र के मैदानों का विस्तार केवल असम राज्य में है
- यहां चावल की कृषि की जाती है
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