
लोकतंत्र–
- जनता का जनता के द्वारा तथा जनता के लिए शासन लोकतंत्र कहलाता हैं।
- लोकतंत्र दो प्रकार का होता है-
- प्रत्यक्ष लोकतंत्र-
- यदि शासन में जनता की प्रत्यक्ष भागीदारी हो, अर्थात विधि निर्माण में तथा उसके क्रियान्वयन में जनता भाग लेती हो।
- प्रत्यक्ष लोकतंत्र के निम्न रूप हो सकते है-
- रेफरेंडम (परिप्रच्छा) –
- जनता से ली गयी ‘राय’ जिसको लागू करना, कानूनी रूप से बाध्यकारी होता है। सामान्यतः विदेश नीति से संबंधित मामलों में रेफरेन्डम का प्रयोग किया जाता है।
- प्लेबिसाइट (जनमत संग्रह)-
- इसमें जनता के साथ’ राय’ ली जाती है लेकिन जनता की राय को लागू करना कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं होता ।
- प्रायः घरेलू मामलों में इसका प्रयोग किया जाता है।
- राइट टू रिकॉल-
- इसके तहत जनता अपने निर्वाचित प्रतिनिधियों को अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले वापस बुला सकती है।
- भारत में पंचायती राज संस्थाओ में राइट टू रिकॉल का प्रावधान है।
- इनिशिएटिव (पहल करना)-
- यदि जनता विधि निर्माण की पहल करे। यदि एक निश्चित संख्या में जनता किसी प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करती है तो उसे विधि बनाने के लिए विधायिका में पेश करना अनिवार्य होता है।
- यह प्रावधान स्विट्जरलैंड में है
- रेफरेंडम (परिप्रच्छा) –
- प्रत्यक्ष लोकतंत्र छोटे देशों में सम्भव है भारत जैसे देश में प्रत्यक्ष लोकतंत्र संभव नहीं हैं क्योंकि जनसंख्या अधिक है, अत्यधिक भौगोलिक क्षेत्र है, संचार के साधनों की कमी है जनता में शिक्षा व राजनीतिक जागरुकता की कमी हैं।
- अप्रत्यक्ष लोकतंत्र-
- यदि जनता की अप्रत्यक्ष रूप से शासन में भागीदारी हो अर्थात् जनता अपने प्रतिनिधियों को निर्वाचित करती है तथा ये जनता के प्रतिनिधि विधायिका व कार्यपालिका के रूप में कार्य करते हैं। इस प्रकार के लोकतंत्र को अप्रत्यक्ष लोकतंत्र कहते हैं।
- अप्रत्यक्ष लोकतंत्र के अनेक रूप है-
- संसदीय शासन प्रणाली – भारत, ब्रिटेन
- अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली – अमेरिका
- दोहरी कार्यपालिका – फ्रांस
- बहुमत कार्यपालिका – स्विट्जरलैंड
- अप्रत्यक्ष लोकतंत्र को एक अन्य रूप में भी बांटा जा सकता है-
- एकात्मक शासन व्यवस्था –
- समस्त शक्तियाँ केन्द्र सरकार में निहित होती है। जैसे ब्रिटेन
- परिसंघीय शासन प्रणाली:-
- राज्यों को अधिक शक्तियाँ प्राप्त होती है। जैसे अमेरिका
- एकात्मक शासन व्यवस्था –
- प्रत्यक्ष लोकतंत्र-