अर्थशास्त्र MCQ बेरोजगारी MCQ / TEST / QUIZ Last updated: 2024/11/15 at 10:38 PM rajexaminfo.com Share 0 Min Read SHARE बेरोजगारी MCQ 1 / 20 यदि किसी देश मे बेरोजगारी लम्बे समय तक बनी रहती है तो इसे ……. बेरोजगारी कहा जाता है ? (SSC) प्रौद्योगिकी आकस्मिक दीर्घकालिक प्रतिरोधात्मक संरचनात्मक बरोजगारी - बेरोजगारी का यह प्रकार देश की आर्थिक संरचना से संबंधित है जैसी तेजी से बढ़ती जनसंख्या, निवेश की धीमी दर इत्यादि । (उत्पादन क्षमता का कम होना) यह बेरोजगारी दीर्घकालिक होती है NOTE भारत में अधिकतर बेरोजगारी संरचनात्मक बेरोजगारी ही है 2 / 20 वर्ष के अधिकांश हिस्से में बेरोजगार रहने वाले व्यक्तियों की संख्या को कहा जाता है ? (SSC) सामान्य स्थिति बेरोजगारी दैनिक स्थिति बेरोजगारी साप्ताहिक स्थिति बेरोजगारी उपर्युक्त में से कोई नही सामान्य प्रमुख व्यवस्था / USUAL PRINCIPLE STATUS - यह पद्धति उन व्यक्तियों की संख्या का आकलन करती है जो सर्वेक्षण की तारीख से पहले की संदर्भ अवधि (1 वर्ष) के एक बड़े भाग में स्थायी या चिरकालिक रूप से बेरोजगार होते है। यह पद्धति सामान्य: बेरोजगारी का न्यूनतम अनुमान देती है। ऐसा इसलिए की बहुत कम लोग दीर्घकाल के लिए बिना काम के रह सकने में समर्थ होते है। वर्तमान साप्ताहिक अवस्था / CURRENT WEEKLY STATUS - यह सर्वेक्षण की तिथि से पहले के सप्ताह को सन्दर्भ अवधि के रूप में लेता है इस आकलन के अनुसार 1 व्यक्ति रोजगार युक्त माना जायेगा यदि वह उस सप्ताह के दौरान कम एक दिन के लिए कम से कम 1 घंटे भी रोजगार युक्त है। इस पद्धति के अंतर्गत बेरोजगारी का प्रतिशत U.P.S. की तुलना में अधिक होता है। वर्तमान दैनिक अवस्था / CURRENT DAILY STATUS - यह सन्दर्भ अवधि से पहले वाला दिन होता है। व्यक्ति रोजगार युक्त माना जायेगा यदि उसने उस दिन कम से कम 4 घण्टे कार्य किया हो। यदि 1 घण्टे से अधिक तथा 4 घण्टे से कम कार्य है तो इसे आधे दिन का रोजगार माना जायेगा। यदि व्यक्ति के पास 1 घण्टे का भी लाभकारी कार्य नहीं है तो उसे बेरोजगार माना जायेगा। NOTE उपर्युक्त तीनों पद्धतियों में C.D.S पद्धति में बेरोजगारी का व्यापक मापन होता है 3 / 20 ……… बेरोजगारी तब होती है जब लोगो को वर्ष के कुछ महीनों के दौरान रोजगार नही मिल पाता है ?(SSC) शिक्षित संरचनात्मक मौसमी पूर्ण मौसमी बेरोजगारी - मौसम में परिवर्तन के कारण आई बेरोजगारी जैसे कृषि क्षेत्र में 4 / 20 किस प्रकार की बेरोजगारी में स्नातक तथा स्नातकोत्तर डिग्री वाले युवा नॉकरियो प्राप्त नही कर पाते है (SSC) मौसमी बेरोजगारी प्रच्छन्न बेरोजगारी शैक्षिक बेरोजगारी इनमे से कोई नही आकस्मिक बेरोजगारी - निर्माण, खानपान या कृषि जैसे क्षेत्रों में जहाँ श्रमिको को दैनिक आधार पर रोजगार मिलता है वहाँ पर कच्चे माल की कमी, मांग में गिरावट, स्वामित्व में परिवर्तन आदि कारणों से आकस्मिक बेरोजगारी उत्पन्न होती है शिक्षित बेरोजगारी - यह शहरी क्षेत्रों मे अधिक दिखाई देती है इसमे युवा डिग्री स्नातक किए हुए होते है यह वर्तमान गंभीर समस्या बनी हुई है 5 / 20 ‘प्रच्छन्न बेरोजगारी’ का अर्थ सामान्यत है जहां ……. .(SSC) बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार रहते वैकल्पिक रोजगार उपलब्ध नही श्रम की सीमांत उत्पादकता शून्य श्रमिको की उत्पादकता कम है प्रछन्न / छुपी हुई बेरोजगारी - जब आवश्यकता से अधिक लोग किसी कार्य को करते है तो ऐसी स्थिति में कुछ लोगों की सीमान्त उत्पादकता (किसी व्यक्ति के द्वारा उत्पादन में किया गया योगदान) O zero हो जाती है। जिसे हम प्रच्छन बेरोजगारी कहते है। इस स्थिति में व्यक्ति को उत्पादन पर विपरीत प्रभाव डाले बिना कार्य से हटाया जा सकता है - व्यक्ति प्रच्छन बेरोजगार माना जायेगा यह एक विकासशील एवं या अल्पविकसित अर्थव्यवस्था के कृषि क्षेत्र एवं ग्रामीण क्षेत्र में एक सामान्य घटना है। 6 / 20 शहरी क्षेत्रों में आमतौर पर किस प्रकार की बेरोजगारी दिखाई देती है ? (SSC) शिक्षित बेरोजगारी मौसमी बेरोजगारी प्रच्छन्न बेरोजगारी इनमे से कोई नही शिक्षित बेरोजगारी - यह शहरी क्षेत्रों मे अधिक दिखाई देती है इसमे युवा डिग्री स्नातक किए हुए होते है यह वर्तमान गंभीर समस्या बनी हुई है 7 / 20 संरचनात्मक बेरोजगारी का कारण है ? (SSC) अवस्फीति की अवस्था भारी उद्योग की अभिनति अपर्याप्त उत्पादन क्षमता कच्चे माल की कमी संरचनात्मक बरोजगारी - बेरोजगारी का यह प्रकार देश की आर्थिक संरचना से संबंधित है जैसी तेजी से बढ़ती जनसंख्या, निवेश की धीमी दर इत्यादि । (उत्पादन क्षमता का कम होना) यह बेरोजगारी दीर्घकालिक होती है NOTE भारत में अधिकतर बेरोजगारी संरचनात्मक बेरोजगारी ही है प्रौद्योगिकी बेरोजगारी - नये प्रौद्योगिकी के आरम्भ, उत्पादन की पद्धति में उन्नत मशीन, श्रम बचत उपकरण इत्यादि के कारण कुछ श्रमिकों / कामगारो का स्थान मशीनों द्वारा ले लिया जाता है जिससे प्रौद्योगिकी बेरोजगारी उत्पन्न होती है। 8 / 20 भारत मे छिपी हुई बेरोजगारी मुख्य रूप से संबंधित है (SSC) 1 कृषि क्षेत्र से 2 ग्रामीण क्षेत्र से 3 विनिर्माण क्षेत्र से 4 शहरी क्षेत्र से 1 तथा 3 2 तथा 4 3 तथा 4 1 तथा 2 प्रछन्न / छुपी हुई बेरोजगारी - जब आवश्यकता से अधिक लोग किसी कार्य को करते है तो ऐसी स्थिति में कुछ लोगों की सीमान्त उत्पादकता (किसी व्यक्ति के द्वारा उत्पादन में किया गया योगदान) O zero हो जाती है। जिसे हम प्रच्छन बेरोजगारी कहते है। इस स्थिति में व्यक्ति को उत्पादन पर विपरीत प्रभाव डाले बिना कार्य से हटाया जा सकता है - व्यक्ति प्रच्छन बेरोजगार माना जायेगा यह एक विकासशील एवं या अल्पविकसित अर्थव्यवस्था के कृषि क्षेत्र एवं ग्रामीण क्षेत्र में एक सामान्य घटना है। 9 / 20 वर्तमान समय मे देश मे किस प्रकार की बेरोजगारी की समस्या बहुत अधिक गंभीर समस्या बनी हुई है ? (SSC) ग्रामीण बेरोजगारी शहरी बेरोजगारी शिक्षित बेरोजगारी खुली बेरोजगारी आकस्मिक बेरोजगारी - निर्माण, खानपान या कृषि जैसे क्षेत्रों में जहाँ श्रमिको को दैनिक आधार पर रोजगार मिलता है वहाँ पर कच्चे माल की कमी, मांग में गिरावट, स्वामित्व में परिवर्तन आदि कारणों से आकस्मिक बेरोजगारी उत्पन्न होती है शिक्षित बेरोजगारी - यह शहरी क्षेत्रों मे अधिक दिखाई देती है इसमे युवा डिग्री स्नातक किए हुए होते है यह वर्तमान गंभीर समस्या बनी हुई है 10 / 20 ‘प्रच्छन्न बेरोजगारी’ का अर्थ है ?(SSC) काम करने के इच्छुक होना और काम न मिलना पूरे वर्ष भर प्रत्येक दिन काम न मिलना विशाल श्रमिक शक्ति को नियोजित करने के लिए पूंजी संरचना का अपर्याप्त होना आवश्यकता से अधिक लोगो का कार्यरत होना प्रछन्न / छुपी हुई बेरोजगारी - जब आवश्यकता से अधिक लोग किसी कार्य को करते है तो ऐसी स्थिति में कुछ लोगों की सीमान्त उत्पादकता (किसी व्यक्ति के द्वारा उत्पादन में किया गया योगदान) O zero हो जाती है। जिसे हम प्रच्छन बेरोजगारी कहते है। इस स्थिति में व्यक्ति को उत्पादन पर विपरीत प्रभाव डाले बिना कार्य से हटाया जा सकता है - व्यक्ति प्रच्छन बेरोजगार माना जायेगा यह एक विकासशील एवं या अल्पविकसित अर्थव्यवस्था के कृषि क्षेत्र एवं ग्रामीण क्षेत्र में एक सामान्य घटना है। 11 / 20 कृषि में मूलतः किस प्रकार की बेरोजगारी की प्रधानता देखने को मिलती है ? (SSC) संरचनात्मक बेरोजगारी खुली बेरोजगारी अदृश्य बेरोजगारी घर्षणात्मक बेरोजगारी प्रछन्न / छुपी हुई बेरोजगारी - जब आवश्यकता से अधिक लोग किसी कार्य को करते है तो ऐसी स्थिति में कुछ लोगों की सीमान्त उत्पादकता (किसी व्यक्ति के द्वारा उत्पादन में किया गया योगदान) O zero हो जाती है। जिसे हम प्रच्छन बेरोजगारी कहते है। इस स्थिति में व्यक्ति को उत्पादन पर विपरीत प्रभाव डाले बिना कार्य से हटाया जा सकता है - व्यक्ति प्रच्छन बेरोजगार माना जायेगा यह एक विकासशील एवं या अल्पविकसित अर्थव्यवस्था के कृषि क्षेत्र एवं ग्रामीण क्षेत्र में एक सामान्य घटना है। 12 / 20 भारत मे बेरोजगारी की किस्म पाई जाती है ? (SSC) ग्रामीण अल्प रोजगार चक्रीय बेरोजगार संरचनात्मक बेरोजगारी उपर्युक्त सभी खुली बेरोजगारी / Open Unemploytmen - जब किसी क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार होते है तो इसे खुली बेरोजगारी कहते चक्रीय बेरोजगारी - अर्थव्यवस्था में मंदी के कारण भाई बेरोजगारी होती है यह अस्थाई एवं अल्पकालिक घटना है। यह विकसित देशो में पायी जाने वाली सामान्य घटना है घर्षणात्मक बेरोजगारी - जब कोई व्यक्ति एक रोजगार को छोड़ता है तथा दूसरे रोजगार को पकड़ता है बीच में वह थोडे समय के लिए बेरोजगार होता है। जिसे हम घर्षणात्मक बेरोजगारी कहते है। यह औधोगिक क्षेत्रों में पायी जाने वाली एक सामान्य घटना है जैसे - लॉकडाउन की स्थिति, नये एवं अच्छे रोजगार की तलाश में, नियोक्ता द्वारा निकाल दिए जाने की स्थिति में मौसमी बेरोजगारी - मौसम में परिवर्तन के कारण आई बेरोजगारी जैसे कृषि क्षेत्र में प्रछन्न / छुपी हुई बेरोजगारी - जब आवश्यकता से अधिक लोग किसी कार्य को करते है तो ऐसी स्थिति में कुछ लोगों की सीमान्त उत्पादकता (किसी व्यक्ति के द्वारा उत्पादन में किया गया योगदान) O zero हो जाती है। जिसे हम प्रच्छन बेरोजगारी कहते है। इस स्थिति में व्यक्ति को उत्पादन पर विपरीत प्रभाव डाले बिना कार्य से हटाया जा सकता है - व्यक्ति प्रच्छन बेरोजगार माना जायेगा यह एक विकासशील एवं या अल्पविकसित अर्थव्यवस्था के कृषि क्षेत्र एवं ग्रामीण क्षेत्र में एक सामान्य घटना है। संरचनात्मक बरोजगारी - बेरोजगारी का यह प्रकार देश की आर्थिक संरचना से संबंधित है जैसी तेजी से बढ़ती जनसंख्या, निवेश की धीमी दर इत्यादि । (उत्पादन क्षमता का कम होना) यह बेरोजगारी दीर्घकालिक होती है NOTE भारत में अधिकतर बेरोजगारी संरचनात्मक बेरोजगारी ही है प्रौद्योगिकी बेरोजगारी - नये प्रौद्योगिकी के आरम्भ, उत्पादन की पद्धति में उन्नत मशीन, श्रम बचत उपकरण इत्यादि के कारण कुछ श्रमिकों / कामगारो का स्थान मशीनों द्वारा ले लिया जाता है जिससे प्रौद्योगिकी बेरोजगारी उत्पन्न होती है। आकस्मिक बेरोजगारी - निर्माण, खानपान या कृषि जैसे क्षेत्रों में जहाँ श्रमिको को दैनिक आधार पर रोजगार मिलता है वहाँ पर कच्चे माल की कमी, मांग में गिरावट, स्वामित्व में परिवर्तन आदि कारणों से आकस्मिक बेरोजगारी उत्पन्न होती है शिक्षित बेरोजगारी - यह शहरी क्षेत्रों मे अधिक दिखाई देती है इसमे युवा डिग्री स्नातक किए हुए होते है यह वर्तमान गंभीर समस्या बनी हुई है 13 / 20 भारत मे अधिकतर बेरोजगारी है ? (SSC) तकनिकी चक्रीय घर्षणात्मक संरचनात्मक संरचनात्मक बरोजगारी - बेरोजगारी का यह प्रकार देश की आर्थिक संरचना से संबंधित है जैसी तेजी से बढ़ती जनसंख्या, निवेश की धीमी दर इत्यादि । (उत्पादन क्षमता का कम होना) यह बेरोजगारी दीर्घकालिक होती है NOTE भारत में अधिकतर बेरोजगारी संरचनात्मक बेरोजगारी ही है प्रौद्योगिकी बेरोजगारी - नये प्रौद्योगिकी के आरम्भ, उत्पादन की पद्धति में उन्नत मशीन, श्रम बचत उपकरण इत्यादि के कारण कुछ श्रमिकों / कामगारो का स्थान मशीनों द्वारा ले लिया जाता है जिससे प्रौद्योगिकी बेरोजगारी उत्पन्न होती है। आकस्मिक बेरोजगारी - निर्माण, खानपान या कृषि जैसे क्षेत्रों में जहाँ श्रमिको को दैनिक आधार पर रोजगार मिलता है वहाँ पर कच्चे माल की कमी, मांग में गिरावट, स्वामित्व में परिवर्तन आदि कारणों से आकस्मिक बेरोजगारी उत्पन्न होती है शिक्षित बेरोजगारी - यह शहरी क्षेत्रों मे अधिक दिखाई देती है इसमे युवा डिग्री स्नातक किए हुए होते है यह वर्तमान गंभीर समस्या बनी हुई है 14 / 20 मौसमी बेरोजगारी से तात्पर्य है ? (SSC) जब उच्च डिग्री धारक को रोजगार नही मिलता है जब किसी खास फसली मौसम में ही रोजगार मिलता है जब वर्ष के कुछ महीनों में रोजगार प्राप्त नही होता है जब वैकल्पिक रोजगार उपलब्ध नही है मौसमी बेरोजगारी - मौसम में परिवर्तन के कारण आई बेरोजगारी जैसे कृषि क्षेत्र में प्रछन्न / छुपी हुई बेरोजगारी - जब आवश्यकता से अधिक लोग किसी कार्य को करते है तो ऐसी स्थिति में कुछ लोगों की सीमान्त उत्पादकता (किसी व्यक्ति के द्वारा उत्पादन में किया गया योगदान) O zero हो जाती है। जिसे हम प्रच्छन बेरोजगारी कहते है। इस स्थिति में व्यक्ति को उत्पादन पर विपरीत प्रभाव डाले बिना कार्य से हटाया जा सकता है - व्यक्ति प्रच्छन बेरोजगार माना जायेगा यह एक विकासशील एवं या अल्पविकसित अर्थव्यवस्था के कृषि क्षेत्र एवं ग्रामीण क्षेत्र में एक सामान्य घटना है। संरचनात्मक बरोजगारी - बेरोजगारी का यह प्रकार देश की आर्थिक संरचना से संबंधित है जैसी तेजी से बढ़ती जनसंख्या, निवेश की धीमी दर इत्यादि । (उत्पादन क्षमता का कम होना) यह बेरोजगारी दीर्घकालिक होती है NOTE भारत में अधिकतर बेरोजगारी संरचनात्मक बेरोजगारी ही है 15 / 20 बेरोजगारी का आंकलन किया जाता है ? (SSC) सामान्य स्थिति दीर्घकालीन बेरोजगारी, सम्पूर्ण वर्ष साप्ताहिक स्थिति सप्ताह में एक घण्टे का भी रोजगार प्राप्त न हो दैनिक स्थिति प्रतिदिन एक घण्टे भी रोजगार न मिलने पर आधारित उपर्युक्त सभी 1960 में योजना आयोग द्वारा गठित प्रोफेसर एम एल दांतवाला समिति की सिफारिशों के आधार पर बेरोजगारी को मापने के लिए NSO द्वारा 03 पद्धतियो का प्रयोग किया जाता है सामान्य प्रमुख व्यवस्था / Usual Principal Status वर्तमान साप्ताहिक अवस्था / Current Weekly Status वर्तमान दैनिक अवस्था / Current Daily Status सामान्य प्रमुख व्यवस्था / USUAL PRINCIPLE STATUS - यह पद्धति उन व्यक्तियों की संख्या का आकलन करती है जो सर्वेक्षण की तारीख से पहले की संदर्भ अवधि (1 वर्ष) के एक बड़े भाग में स्थायी या चिरकालिक रूप से बेरोजगार होते है। यह पद्धति सामान्य: बेरोजगारी का न्यूनतम अनुमान देती है। ऐसा इसलिए की बहुत कम लोग दीर्घकाल के लिए बिना काम के रह सकने में समर्थ होते है। वर्तमान साप्ताहिक अवस्था / CURRENT WEEKLY STATUS - यह सर्वेक्षण की तिथि से पहले के सप्ताह को सन्दर्भ अवधि के रूप में लेता है इस आकलन के अनुसार 1 व्यक्ति रोजगार युक्त माना जायेगा यदि वह उस सप्ताह के दौरान कम एक दिन के लिए कम से कम 1 घंटे भी रोजगार युक्त है। इस पद्धति के अंतर्गत बेरोजगारी का प्रतिशत U.P.S. की तुलना में अधिक होता है। वर्तमान दैनिक अवस्था / CURRENT DAILY STATUS - यह सन्दर्भ अवधि से पहले वाला दिन होता है। व्यक्ति रोजगार युक्त माना जायेगा यदि उसने उस दिन कम से कम 4 घण्टे कार्य किया हो। यदि 1 घण्टे से अधिक तथा 4 घण्टे से कम कार्य है तो इसे आधे दिन का रोजगार माना जायेगा। यदि व्यक्ति के पास 1 घण्टे का भी लाभकारी कार्य नहीं है तो उसे बेरोजगार माना जायेगा। NOTE उपर्युक्त तीनों पद्धतियों में C.D.S पद्धति में बेरोजगारी का व्यापक मापन होता है 16 / 20 भारत मे निम्न में से कौनसा क्षेत्र सबसे अधिक रोजगार प्रदान करता है ? ( RPSC 2ND GRADE 2013 ) कृषि निर्माण उद्योग सेवाएं निर्माणी व गैर निर्माणी उद्योग भारत मे व्यवसायगत संरचना -( 2017-18) ग्रामीण शहरी समग्र प्राथमिक क्षेत्र 57.8% 5.7% 42.4% द्वितीयक क्षेत्र 21.3% 34.2% 24.9% तृतीय क्षेत्र 21.9% 60.1% 32.6% ग्रामीण क्षेत्र में कार्यबल मुख्य रूप से प्राथमिक क्षेत्रो में लगा है। शहरी क्षेत्रो में तृतीयक क्षेत्र कार्यबल का सबसे बड़ा घटक है। समग्र रूप से प्राथमिक क्षेत्र में कार्यबल को सबसे बडा रोजगार मिला है। प्राथमिक क्षेत्र में 57.3% महिला कार्यबल लगा हुआ है 17 / 20 किस प्रकार की बेरोजगारी चिरकालिक प्रकृति की होती है ? ( (RPSC 2ND GRADE 2013) छिपी हुई घर्षणात्मक मौसमी संरचनात्मक संरचनात्मक बरोजगारी - बेरोजगारी का यह प्रकार देश की आर्थिक संरचना से संबंधित है जैसी तेजी से बढ़ती जनसंख्या, निवेश की धीमी दर इत्यादि । (उत्पादन क्षमता का कम होना) यह बेरोजगारी दीर्घकालिक होती है NOTE भारत में अधिकतर बेरोजगारी संरचनात्मक बेरोजगारी ही है घर्षणात्मक बेरोजगारी - जब कोई व्यक्ति एक रोजगार को छोड़ता है तथा दूसरे रोजगार को पकड़ता है बीच में वह थोडे समय के लिए बेरोजगार होता है। जिसे हम घर्षणात्मक बेरोजगारी कहते है। यह औधोगिक क्षेत्रों में पायी जाने वाली एक सामान्य घटना है जैसे - लॉकडाउन की स्थिति, नये एवं अच्छे रोजगार की तलाश में, नियोक्ता द्वारा निकाल दिए जाने की स्थिति में मौसमी बेरोजगारी - मौसम में परिवर्तन के कारण आई बेरोजगारी जैसे कृषि क्षेत्र में चक्रीय बेरोजगारी - अर्थव्यवस्था में मंदी के कारण भाई बेरोजगारी होती है यह अस्थाई एवं अल्पकालिक घटना है। यह विकसित देशो में पायी जाने वाली सामान्य घटना है 18 / 20 छिपी हुई बेरोजगारी की अवस्था मे, श्रम की सीमांत उत्पादकता होती है ? (RPSC 2ND GRADE 2013) धनात्मक शून्य अधिकतम बढ़ती हुई प्रछन्न / छुपी हुई बेरोजगारी - जब आवश्यकता से अधिक लोग किसी कार्य को करते है तो ऐसी स्थिति में कुछ लोगों की सीमान्त उत्पादकता (किसी व्यक्ति के द्वारा उत्पादन में किया गया योगदान) O zero हो जाती है। जिसे हम प्रच्छन बेरोजगारी कहते है। इस स्थिति में व्यक्ति को उत्पादन पर विपरीत प्रभाव डाले बिना कार्य से हटाया जा सकता है - व्यक्ति प्रच्छन बेरोजगार माना जायेगा यह एक विकासशील एवं या अल्पविकसित अर्थव्यवस्था के कृषि क्षेत्र एवं ग्रामीण क्षेत्र में एक सामान्य घटना है। 19 / 20 व्यक्ति जो प्रचलित मजदूरी दर पर काम करने को अनिच्छुक होते है, कहलाते है ? (RPSC 2ND GRADE 2018) स्वेच्छिक बेरोजगार भिन्नात्मक बेरोजगार आकस्मिक बेरोजगार मौसमी बेरोजगार बेरोजगारी के प्रकार - 02 ऐच्छिक बेरोजगारी - जब व्यक्ति कार्य करने में सक्षम हो किन्तु कार्य करने की इच्छा ना रखता हो ऐसा व्यक्ति ऐच्छिक बेरोजगार कहलाता है अर्थशास्त्र में इस बेरोजगारी को वास्तविक बेरोजगारी के रूप में नहीं माना जाता है अनैच्छिक बेरोजगारी - जब व्यक्ति कार्य करने में सक्षम हो तथा कार्य करने की इच्छा रखता हो किन्तु उसे रोजगार प्राप्त नहीं होता अर्थात वह अपनी इच्छा के विरुद्ध बेरोजगार है इसे हम अनैच्छिक बेरोजगारी कहते अर्थशास्त्र में इसे ही वास्तविक बेरोजगारी के रूप में समझा जाता है। 20 / 20 भारत मे बेरोजगारी के आंकड़े कौन उपलब्ध कराता है ? (RPSC 2ND GRADE 2018) NSSO CSO प्लानिंग आयोग RBI भारत में बेरोजगारी मापने की पद्धतियां:- 1960 में योजना आयोग द्वारा गठित प्रोफेसर एम एल दांतवाला समिति की सिफारिशों के आधार पर बेरोजगारी को मापने के लिए NSO द्वारा 03 पद्धतियो का प्रयोग किया जाता है सामान्य प्रमुख व्यवस्था / Usual Principal Status वर्तमान साप्ताहिक अवस्था / Current Weekly Status वर्तमान दैनिक अवस्था / Current Daily Status Your score is The average score is 66% 0% Restart quiz Share this… Telegram Whatsapp Share This Article Facebook Twitter Copy Link Print Leave a comment Leave a Reply Cancel replyYour email address will not be published. Required fields are marked *Comment * Name * Email * Website Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ