प्रथम विश्व युद्ध 1914-1918
- प्रथम विश्वयुद्ध – 4 वर्ष 3 माह व 11 दिनों तक चलता रहा
- प्रथम विश्वयुद्ध प्रारम्भ – 28 जुलाई 1914
- प्रथम विश्वयुद्ध समाप्त – 11 नवम्बर 1918
- प्रथम विश्वयुद्ध से पहले इंग्लैंड सर्वाधिक शक्तिशाली राष्ट्र था इंग्लैंड की नौसेना सर्वश्रेष्ठ थी और अपने आर्थिक हितों के कारण यूरोप की राजनीती में हस्तक्षेप नही करना चाहता था
- जर्मनी इंग्लैंड और फ्रांस को अपना शत्रु मानता था
- इंग्लैंड के पास सर्वाधिक उपनिवेश थे
- जर्मनी का सम्राट विलियम द्वितीय जर्मनी को यूरोप में सर्वश्रेष्ठ स्थिति में लाना चाहता था इस समय जर्मनी की थल सेना विश्व की सर्वश्रेष्ठ सेना मानी जाती है
- रूस क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा राज्य था और यहां निरंकुश राजतन्त्र (रोमोनोव वंश) था। रूस की रुचि बाल्कन प्रदेश में थी जहाँ स्लाव जाति से संबंधित लोग रहते थे
- रूस ऑटोमन साम्राज्य का विभाजन करके स्लाव राज्य की स्थापना करना चाहता था
- ऑस्ट्रिया बाल्कन क्षेत्र में रशिया का सबसे बड़ा विरोधी था
- फ्रांस जर्मनी से हुई पराजय का बदला लेना चाहता था फ्रांस अलसास व लोरेन के क्षेत्र पर अधिकार करना चाहता था जो उसकी प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुका था
- एशिया में इंग्लैंड का नियंत्रण हो चुका ओर हिन्द चीन व इंडोनेशिया में फ्रांस का नियंत्रण और अफ्रीका में इंग्लैंड , जर्मनी, फ्रांस, इटली, पुर्तगाल एव स्पेन के उपनिवेश स्थापित हो चुके थे
- अफ्रीका में अपने उपनिवेश बनाने के लिए यूरोप के विभिन्न देश एक दूसरे के शत्रु बन गए
- 20 वी शताब्दी के प्रारंभ में यूरोप व एशिया की राजनीति में उग्रता उत्पन्न हो गयी थी
- इटली व जर्मनी के एकीकरण के बाद ऑस्ट्रिया का साम्राज्य नाममात्र का बचा था इस राज्य में रहने वाली अलग अलग धर्म के लोगो ने भी स्वतंत्र राज्य के लिए आंदोलन प्रारंभ कर दिए थे
- एशिया में रूस व जापान साम्राज्यवादी नीति अपना रहे थे
- 20 वी शताब्दी का यूरोप एक बारूद के ढेर पर खड़ा था 1870 से 914 के मध्य हुई घटनाओं ने यूरोप में अराजकता का माहौल उत्पन्न कर दिया बारूद सुलगाने के लिए एक चिंगारी की आवश्यकता थी
- 20 वी शताब्दी के प्रारंभ में इंग्लैंड के कर्नल हाउस ने यूरोप की यात्रा करी एव इन्होंने कहा कि “यूरोप में सैन्यवाद मौजूद है एव सशस्त्रीकरण की छोड़ मच चुकी थी युद्ध प्रारंभ करने के लिए एक चिंगारी लगाने की आवश्यकता है”
- अमेरिका के राष्ट्रपति विल्सन ने प्रथम विश्वयुद्ध को एक युद्धान्तक युद्ध बताया जिसका अर्थ है कि दुनिया मे युद्धों का अंत करने के लिए यह युद्ध लड़ा जा रहा है
प्रथम विश्वयुद्ध के कारण
1 कूटनीतिक संधिया
- 1870 मे फ्रेंको पर्शियन युद्ध के बाद यूरोप में कूटनीतिक संधियां प्रारंभ हो गयी जिसने यूरोप की राजनीती को अलग अलग गुटों में विभाजित कर दिया था
- प्रो फे ने कूटनीतिक संधियों को प्रथम विश्वयुद्ध का प्रमुख कारण माना है
- 1870 के बाद यूरोप में त्रिगुट / tripple alliance व त्रिमैत्री / triple entenee गुटों का निर्माण हुआ
- त्रिगुट मे जुड़ने वाले सदस्य युद्ध के समय एक दूसरे को सैनिक सहायता का वादा करते थे जबकि त्रिमैत्री संगठन के सदस्य सैनिक सहायता का वादा नही करते थे
- 1882 मे जर्मनी ने ऑस्ट्रिया, हंगरी व इटली के साथ मिलकर त्रिगुट / tripple allinace का निर्माण किया यह गुट फ्रांस के विरुद्ध तैयार किया गया था
- 1893 मे फ्रांस ने रूस के साथ द्विगुट / Dual Allience का निर्माण किया
- बिस्मार्क ने 1891 में कहा था – “मैं विश्वयुद्ध को नही देखूंगा परन्तु तुम देखोगे ओर इसका प्रारंभ पूर्व से होगा”
- प्रथम विश्वयुद्ध कोई आकस्मिक घटना नही थी यह तो 1870 से 1914 तक यूरोप में जो राष्ट्रवादी व सैन्यवादी घटनाएं घटी है उसका यह परिणाम थी
★ ड्रेक्सबन्द समझौता – 1872
- यह 03 राज्यो का समूह था जिसमे जर्मनी, ऑस्ट्रीया व रूस शामिल थे जिसका गठन 1872 में किया गया
- 1902 मे जापान ने इंग्लैंड के साथ संधि करी यही संधि 1904 – 05 के रूस जापान युद्ध का प्रमुख कारण बनी थी
डोगर बैंक की घटना
- 1904 – 05 के रूस जापान युद्ध के समय रूस ने उत्तरी सागर में कुछ जहाजों को जापान का समझ के नष्ट कर दिया जबकि वास्तव में यह जहाज ब्रिटेन के थे
- इस घटना के कारण रूस व ब्रिटेन के मध्य तनाव उत्पन्न हो गया
- फ्रांस के विदेश मंत्री देलकासे के प्रयासों से ब्रिटेन व रूस में समझौता हो गया
- 1907 मे ब्रिटेन व रूस में तिब्बत व अफ़ग़ानिस्तान को लेकर समझौता हुआ इस समझौते मे ब्रिटेन ने कहा कि वह तिब्बत में अपने प्रभाव का विस्तार नही करेगा तो रूस ने स्वीकारा की वह अफगानिस्तान में साम्राज्य विस्तार की नीति को त्याग देगा
- अफ्रीका में मिस्र व मोरक्को मे विस्तार को लेकर फ्रांस व ब्रिटेन के मध्य तनाव था 1904 मे दोनो मे समझौता हुआ कि मिस्र में ब्रिटेन के एव मोरक्को मे फ्रांस के विशेष हित माने जाएंगे
- 1907 मे ब्रिटेन, फ्रांस व रूस के मध्य त्रिमेत्री संगठन का निर्माण हुआ इसे हार्दिक समझौता भी कहा जाता है
- 1906 मे जर्मनी ने भी मोरक्को वाले मामले में रुचि लेना प्रारंभ कर दिया तो इस समस्या को सुलझाने के लिए 1906 मे अल्जीरास सम्मेलन बुलाया गया
◆ फैज विद्रोह – 1911
- 1911 मे मोरक्को के फेज में विद्रोह हुआ तो इसको दबाने के लिए फ्रांस ने अपनी सेनाएं भेज दी फ्रांस का उद्देश्य यूरोपीय लोगो के जीवन की रक्षा करना था जर्मनी ने इसका विरोध किया और जर्मनी के द्वारा पैंथर नामक युद्धपोत अगाडियर बन्दरगाह पर तैनात कर दिया
- जर्मनी ने भी इस समय मोरक्को मे अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए अपनी सेनाएं भेज दी
- इस मामले को कारण फ्रांस व जर्मनी में युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो गयी ब्रिटेन ने फ्रांस का साथ दिया जिसे जर्मनी को पीछे हटना पड़ा
2 राष्ट्रीयता की भावना
- समान नस्ल, भाषा एव धर्म के लोगो को मिलाकर एक देश बनाना राष्ट्रीयता कहलाता है इसी भावना के कारण जर्मनी व इटली एक देश बन गए
- जर्मनी व इटली की राष्ट्रीयता एकीकरण के बाद उग्र राष्ट्रीयता मे परिवर्तित हो गयी
- 1900 मे जर्मनी के सम्राट विलियम द्वितीय ने कहा कि जर्मनी का नौसेनिक बेंडा इतना मजबूत होना चाहिए कि बड़ी से बड़ी सामुद्रिक शक्ति भी उससे टकराने का साहस नही कर सके
- जर्मनी ने कहा कि उसके भविष्य का फैसला अब समुद्र में होगा
- 1910 मे ऑस्ट्रिया ने बोस्निया व हर्जिगोविना पर अधिकार कर लिया यहाँ स्लाव जाति के लोग ज्यादा थे इस कारण सर्बिया ऑस्ट्रिया से नाराज हो गया क्योंकि सर्बिया सर्वस्लाव आंदोलन चला रहा था एव इस आंदोलन को रूस का समर्थन प्राप्त था एव ऑस्ट्रिया कुस्तुन्तुनिया पर भी अधिकार करना चाहता था किंतु सर्बिया के विरोध के कारण सफलता नही मिली
- यूरोप का पूर्वी क्षेत्र जिसे बाल्कन प्रदेश के नाम से जाना जाता था इस क्षेत्र में रोमानिया, बुल्गारिया, सर्बिया, मोटेनग्रो जैसे कई राज्य थे जो कि ऑटोमन साम्राज्य के अधीन थे
- 20वी शताब्दी के प्रारंभ में ऑटोमन साम्राज्य कमजोर होने लगा। ऑस्ट्रिया व रूस के कई क्षेत्रों में स्लाव जाति का निवास था जो कि मूल रूप से रूसी जाति के थे
- रूस के समर्थन से इन जातियों ने सर्वस्लाव आंदोलन शुरू कर दिया जिसका उद्देश्य बहुल सर्बिया राज्य को स्वतंत्र कराना था
■ वार्म वाटर पॉलिसी
- रूस द्वारा बर्फ रहित बन्दरगाहों को प्राप्त करने की नीति को वार्म वाटर पॉलिसी कहा गया रूस द्वारा कुस्तुन्तुनिया पर अधिकार करके काला सागर व भूमध्यसागर के जलडमरुओ के माध्यम से भूमध्य सागर के बर्फ रहित क्षेत्र में पहुंचने की नीति को भी वार्म वाटर पॉलिसी कहा जाता है
- राष्ट्रीयता के आधार पर नवीन राज्यो के निर्माण की बात प्रथम विश्वयुद्ध के समय वुडरो विल्सन ने कही थी
- यूरोप में ऑस्ट्रिया का राज्य बहुजातीय एव बहुधार्मिक राज्य था जो स्वयं राष्ट्रीयता के लिए चुनौती था
- पोल लोग जो ऑस्ट्रिया, सर्बिया व रूस के क्षेत्रों में फैले थे वे भी राष्ट्रीयता के आधार पर एक होना चाहते थे
- फ्रांस के राष्ट्रपति पॉयनकारे ने कहा की मेरी भावी पीढ़ी यदि अल्सास व लोरेन को प्राप्त करने के लिए जिवित नजर नही आती तो मुझे उनके जीवित रहने का कोई मतलब नजर नही आता है
- इटली में राष्ट्रीयता को लेकर समृद्धरवादी (इरेन्डेन्टिस) आंदोलन चला। इटली ट्रेंटिनो, ट्रिस्ट व टाइरोल के क्षेत्रों पर अधिकार करना चाहता था
3 सैन्यवाद एव शस्त्रीकरण
- लेंग्सम के अनुसार सैन्यवादी राज्य वह है जहाँ नागरिक प्रशासन पर सैन्य प्रशासन हावी हो जाता है
- प्रथम विश्व युद्ध से पूर्व यूरोप के देशों में शस्त्रीकरण प्रारम्भ हो गया प्रत्येक देश अपने बजट का अधिकांश हिस्सा शास्त्रों पर ख़र्च कर रहा था
■ WELT POLITIC / विश्व राजनीति
- प्रथम विश्वयुद्ध से पूर्व जर्मन सम्राट विलियम द्वितीय इस राजनीति पर चल रहा था
- इस नीति का परिणाम विश्व प्रभुत्व या सर्वनाश था
■ श्लेफिन योजना
- प्रथम विश्वयुद्ध से पूर्व जर्मनी ने यह योजना बनाई जिसका उद्देश्य था कि तेज गति से ब्रिटेन व फ्रांस पर आक्रमण कर उसकी शक्ति को नष्ट कर दिया जावे
4 अंतर्राष्ट्रीय संगठन का अभाव
- इटली के विचारक दांते ने एक संघ बनाने की बात कही जिसका उद्देश्य शांति व्यवस्था स्थापित करना था
- प्रथम विश्वयुद्ध से पूर्व कोई ऐसा संगठन नही था जो देशो के मध्य तनाव को कम कर सके
- 1899 मे रूस ने हेग मे निशस्त्रीकरण के लिए सम्मेलन बुलाये किंतु जर्मनी के विरोध के कारण यह सफल नही हुए
5 समाचार पत्रों का प्रभाव
- प्रो. फे. ने लिखा कि अनियंत्रित प्रेस युद्ध के अभाव में भी युद्ध का वातावरण तैयार कर सकती है
- ब्रिटेन व जर्मनी अपने समाचार पत्रों में एक दूसरे की आलोचना कर रहे थे
- ऑस्ट्रिया व सर्बिया के मध्य जब तनाव चालू हुआ तो रूस के समाचार पत्रों ने लिखा कि रूस तैयार है ब्रिटेन को भी तैयार रहना चाहिए
6 साम्राज्यवाद व आर्थिक प्रतिद्वंद्वता
- सभ्य व विकसित राष्ट्रों द्वारा कमजोर राष्ट्रों पर अधिकार करने की नीति साम्राज्यवाद कहलाती है
- पुराना साम्राज्यवाद नवीन भूमियों के उपनिवेशन एव वहाँ के प्रशासन से सम्बन्धित था जबकि नवीन साम्राज्यवाद पुराने अधिकार किये हुए क्षेत्रों के पुनः बंटवारे से सम्बंधित था
- औद्योगिक क्रांति के बाद यूरोपीय देशों में आर्थिक प्रतिद्वंद्वता प्रारंभ हुई थी
- 1896 मे इटली ने अपने विस्तार के लिए अबीसीनिया / इथोपिया पर आक्रमण किया किंतु पराजित हुआ एव अदीस अबाबा की अपमानजनक संधि करनी पड़ी जिससे इटली में असंतोष फैला था
- जर्मनी कहता था कि “परमात्मा ने हमे दुनिया को सभ्य बनाने का कार्य सौंपा है जर्मन लोगो की सोच थी कि उन्हें सूर्य के नीचे स्थान चाहिए इसके जबाब मे ब्रिटेन ने कहा था कि मेरे देश मे कभी भी सूर्य अस्त नही होता है
7 अंतर्राष्ट्रीय अराजकता
- ग्रांट व टेम्परले ने कहा कि 1914 के महायुद्ध के लिए सबसे उत्तरदायी घटना बाल्कन युद्ध है 1912-13 के बाल्कन युध्दो ने स्थिति को तनावपूर्ण कर दिया इन युध्दो से बुल्गारिया के कई क्षेत्र छीन लिए गए जिससे बुल्गारिया असंतुष्ट हो गया
प्रथम विश्व युद्ध की प्रमुख घटनाएं
★ 28 जून 1914
- सर्बिया के कुछ उग्र राष्ट्रवादियों ने सर्वस्लाव आंदोलन के प्रभाव में आकर गुप्त संगठन बनाये जिसमे एक संस्था का नाम काला हाथ थी इस संस्था ने संगठन या मृत्यु नामक दूसरी संस्था के साथ मिलकर बोस्निया के गर्वनर पोटियारेक की हत्या की योजना बनाई तभी सूचना आई कि ऑस्ट्रिया के युवराज फर्डिनेन्ड एव उनकी पत्नी सोफी बोस्निया की यात्रा पर आ रहे है अतः बोस्निया के शहर सेराजेवो नामक स्थान पर गेवरिलो प्रिंसेप ने इनकी गोली मारकर हत्या कर दी सर्बिया में कालाहाथ व मृत्यु संगठन ने ऑस्ट्रिया के विरुद्ध युद्ध का वातावरण तैयार कर दिया
- इस दिन की घटना को प्रथम विश्वयुद्ध का तत्कालीन कारण माना जाता है
- सर्बिया मे कई गुप्त संगठन थे जो ऑस्ट्रिया के विरुद्ध थे जैसे काला हाथ नामक संगठन भी था एव उसकी शाखा संगठन व मृत्यु भी ऑस्ट्रिया के विरुद्ध युद्ध का वातावरण तैयार करने का कार्य कर रही थी
- इस घटना ने ऑस्ट्रिया व सर्बिया के मध्य युद्ध की स्थिति को उत्पन्न कर दिया
- ब्रिटेन में विदेश मंत्री एड्वर्ड ग्रे ने ऑस्ट्रिया व सर्बिया के मध्य युध्द रोकने के सर्वाधिक प्रयास किये
★ 5 जुलाई 1914
- इस दिन जर्मनी ने ऑस्ट्रिया को कोरा चेक दे दिया जिसका अर्थ था कि ऑस्ट्रिया सर्बिया के विरुद्ध जो भी नीति अपनायेगा उसका जर्मनी पूरी तरह समर्थन करेगा
NOTE – ब्रिटेन के विदेश मंत्री एड्वर्ड ग्रे ने इस युद्ध को रोकने के लिए सर्वाधिक प्रयास किये थे
★ 23 जुलाई 1914
- इस दिन ऑस्ट्रिया ने सर्बिया को अल्टीमेटम दिया की 48 घण्टो में सर्बिया ऑस्ट्रिया की सभी बातें को मान ले
★ 28 जुलाई 1914
- इस दिन ऑस्ट्रिया ने सर्बिया पर आक्रमण करके प्रथम विश्वयुद्ध शुरू कर दिया ऑस्ट्रिया के द्वारा बेलग्रेड पर हमला किया गया
- तो रूस ने सर्बिया के पक्ष में अपनी सेनाओं को तैयार रहने के आदेश जारी कर दिए
- जर्मनी ने रूस को अपनी सैनिक तैयारियां रोकने को कहा था
★ 1 अगस्त 1914
- इस दिन जर्मनी ने ऑस्ट्रिया के पक्ष में रूस पर आक्रमण कर दिया
★ 3 अगस्त 1914
- इस दिन जर्मनी फ्रांस पर आक्रमण कर दिया
★ 4 अगस्त 1914
- इस दिन जर्मनी ने ब्रिटेन पर आक्रमण कर दिया तो ब्रिटेन सर्बिया, रूस व फ्रांस के गट मे शामिल हो गया
- ब्रिटेन के युद्ध मे शामिल होने से प्रथम विश्वयुद्ध एक विश्वव्यापी युद्ध मे परिवर्तित हो गया
- ब्रिटेन मित्र राष्ट्रो के पक्ष में इसलिए शामिल हुए क्योंकि जर्मनी ने बेल्जियम की तटस्था की गारंटी देने से इंकार कर दिया
★ अगस्त 1914
- इस समय जापान मित्र राष्ट्रों के पक्ष में युद्ध मे शामिल हो गया
- इस युद्ध मे जापान जर्मनी के विरुद्ध था जापान चीन में जर्मनी के क्षेत्र शांतुग पर अधिकार करना चाहता था
★ अक्टूम्बर 1914
- तुर्की ने रूस के कालासागर के क्षेत्रों पर आक्रमण कर दिया एव धुरी राष्ट्रो के पक्ष में युद्ध मे शामिल हो गया
★ नवम्बर 1914
- इस समय रूस ने तुर्की पर आक्रमण कर दिया एव मित्र राष्ट्रो के पक्ष में शामिल हो गया
★ 23 मई 1915
- प्रथम विश्वयुद्ध प्रारंभ होते ही इटली ने अपनी तटस्था की घोषणा कर दी थी
- मित्र व धुरी राष्ट्र इटली को अपने अपने पक्ष में मिलाना चाहते थे
- अप्रैल 1915 में मित्र राष्ट्रो ने इटली के साथ लन्दन की गुप्त संधि करके इटली को अपने पक्ष में शामिल कर लिया इटली को ट्रेंटिनो, टाइरोल, ट्रिस्ट, डालमेशिया आदि के क्षेत्र देने का वचन दिया गया
- बिस्मार्क ने इटली के बारे में कहा था कि “हमलोग इसे बड़े सम्मेलनों में एक महाशक्ति होने के कारण नही बुलाते है बल्कि प्रदर्शन के लिए बुलाते है”
- बिस्मार्क ने कहा की मुझे विश्वास है कि इटली कभी भी हमारा साथ कभी नही देगा एव इस बात का पूर्ण विश्वास है कि यह हमारे दुश्मनों का साथ देगा”
- 23 मई को इटली ने मित्र राष्ट्रो के पक्ष में ऑस्ट्रिया पर आक्रमण कर दिया
★ अकटुम्बर 1915
- इस समय बल्गेरिया धुरी राष्ट्रो के पक्ष में युद्ध मे शामिल हो गया
★ 6 अप्रैल 1917
- इस दिन अमेरिका मित्र राष्ट्रो के पक्ष में युद्ध मे शामिल हो गया। अमेरिका के शामिल होने के निम्नलिखित कारण थे
- अमेरिका का जनमत मित्र राष्ट्रो के पक्ष में था
- रूस मित्र राष्ट्रो के गुट से अलग होने वाला था
- जर्मनी ने जो पनडुब्बी युद्ध के कारण अमेरिका को नुकसान पहुंच रहा था। जर्मनी ने अमेरिका के लुसीटानिया व फ्रांस के सक्सेस नामक जहाजो को पनडुब्बी युद्ध के द्वारा नष्ट कर दिया
★ 11 नवम्बर 1918
- इस दिन प्रथम विश्वयुद्ध का अंत हो गया
- फ्रांस में कॉम्पिन के जंगलों में इस युद्ध को बंद करने के लिए विराम संधि हुई
- इस संधि पर मित्र राष्ट्रो की ओर से मार्शल फ़ौच ने हस्ताक्षर किए। जर्मनी में विलियम द्वितीय की सरकार का पतन हुआ एव एबर्ट के नेतृत्व नवीन गणतंत्र सरकार बनाई
प्रथम विश्व युद्ध के परिणाम
- आर्थिक क्षेत्र में विनाश
- जनशक्ति का विनाश
- इस युद्ध मे धुरी राष्ट्रो की ओर से सर्वाधिक लोग जर्मनी के मारे गए एव मित्र राष्ट्रो में सर्वाधिक हानि रूस की हुई किंतु क्षेत्रफल के अनुसार मित्र राष्ट्रो मे सर्वाधिक नुकसान फ्रांस का हुआ
- युद्ध ऋणों मे वृद्धि हुई
- मजदूर आन्दोलनों मे वृद्धि
- राजकीय समाजवाद का विकास
NOTE- जर्मनी में युद्ध के दौरान अर्थशास्त्री वाल्टर राथनॉव ने राजकीय समाजवाद लागू किया था
- स्त्रियों की स्थिति में परिवर्तन
- शिक्षा व विज्ञान का विनाश
- नस्लो की सर्वोच्चता का भ्रम समाप्त हुआ
- ईसाई धर्म की भी सर्वोच्चता का भी भ्रम समाप्त हुआ
पेरिस का शांति सम्मेलन – 1919
- 32 राष्ट्र शामिल हुए
- प्रथम विश्वयुद्ध के बाद पराजित शक्तियों के साथ संधि करने के लिए पेरिस का शांति सम्मेलन बुलाया गया
- प्रारंभ में इसके लिए जेनेवा को चुना गया था
- पेरिस के सम्मेलन में पराजित धुरी राष्ट्रो व रूस को नही बुलाया गया
- लेंग्सम के अनुसार शांति सम्मेलन के लिए पेरिस को चुना जाना गलत था क्योंकि पेरिस की जनता बदले की भावना एव पागलपन से प्रेरित थी जनता के इस पागलपन ने राजनीतिज्ञों की बुद्धि को लकवाग्रस्त कर दिया
- 19 जनवरी 1919 को फ्रांस के राष्ट्रपति पॉयन्कारे ने इस सम्मेलन का उद्घाटन किया एव फ्रांस के प्रधानमंत्री क्लीमेंशु को सम्मेलन का सभापति बनाया गया
- इस सम्मेलन में सर्वप्रथम कार्यवाही को आगे बढ़ाने के लिए 10 सर्वोच्च की परिषद का गठन किया गया जिसमें 5 बड़े देशो के 2-2 प्रतिनिधि शामिल थे (अमेरिका, ब्रिटेन, फ़्रांस, इटली, जापान)
NOTE – जापान को शांतुग का क्षेत्र प्राप्त हो गया इस कारण वह इस सम्मेलन से चला गया
- मार्च 1919 में 10 सर्वोच्च के स्थान पर 4 सर्वोच्च व्यक्तियों की परिषद बनाई गई
- अमेरिका के राष्ट्रपति – वुडरो विल्सन
- फ्रांस के प्रधानमंत्री- क्लीमेंशु
- ब्रिटेन के प्रधानमंत्री – लोयर्ड जॉर्ज
- इटली के प्रधानमंत्री – ऑरलैंडो
NOTE – विल्सन स्वयं को शांति का मसीहा कहता था जबकि क्लीमेंशु को बूढ़ा शेर कहा गया
- इटली का ऑरलैंडो फ़्यूम का क्षेत्र प्राप्त करना चाहता था किंतु विल्सन के आदर्शवाद के कारण उसे यह क्षेत्र नही मिला इस कारण वह शांति सम्मेलन छोड़कर चला गया
- विल्सन इस सम्मेलन मे राजनीतिज्ञ के बजाय एक धार्मिक व्यक्ति ज्यादा नजर आया था। उसके उद्देश्य थे –
- राष्ट्र संघ का निर्माण
- गुप्त संधियों का परित्याग
- आत्म निर्णय के आधार पर नवीन राज्यो की स्थापना
- हेरॉल्ड निकलसन ने ‘क्लीमेंशु के बारे में कहा था कि वह थका हुआ आदमी था किंतु पूरी तरह बदले की भावना से प्रेरित था। अमेरिका के विदेश मंत्री लोसिंग ने क्लीमेंशु के बारे में कहा था कि वह पूरे शांति सम्मेलन मे छाया हुआ रहा एक प्रमुख राजनीतिज्ञ के सभी गुण उसमे थे’
- लेंग्सम के अनुसार शांति सम्मेलन का सबसे रोचक व्यक्ति जॉर्ज लोयर्ड था
- विल्सन ने अपने प्रसिद्ध 14 सिद्धांत जनवरी 1918 में दिये थे इसके अलावा विल्सन ने
- फरवरी 1918 में 4 सिद्धांत
- जून 1918 में 4 लक्ष्य
- सितंबर 1918 मे 5 विशिष्ट बाते भी बताई थी
- विल्सन ने निशस्त्रीकरण, आंतरिक व्यापार पर लगे प्रतिबंध हटाने व युद्ध व शांतिकाल मे समुद्री मार्गो को व्यापार के लिए खुला रखने की बात कही थी
पेरिस शांति सम्मेलन की प्रमुख संधिया
■ वर्साय की संधि – 28 जून 1919
- वर्साय की संधि फ्रेंच व अंग्रेजी भाषा मे तैयार की गई थी
- वर्साय की संधि के प्रथम भाग में राष्ट्र संघ की स्थापना, उसका संगठन व उसकी कार्यप्रणाली का उल्लेख किया गया
- जवाहरलाल नेहरू ने लिखा कि मित्र राष्ट्र घृणा व प्रतिशोध से भरे थे वे केवल मांस का पिंड ही नही चाहते थे बल्कि जर्मनी के अर्द्धमृत शरीर से रक्त की एक एक बूंद नोंच लेना चाहते थे
- वर्साय की संधि मित्र राष्ट्रो व जर्मनी के मध्य हुई
- वर्साय की संधि को कठोर अपमानजनक एव आरोपित संधि भी कहा जाता है
- जर्मन चांसलर बेथमान होलवेग ने कहा कि पराजित को गुलाम बनाने का इससे बड़ा उदाहरण ओर नही हो सकता है
- वर्साय की संधि मे 15 भाग एव 439 धाराएं थी
- 231 वी धारा के अनुसार जर्मनी को युद्ध का अपराधी घोषित किया गया
- जर्मनी में इस संधि के द्वारा रूस के साथ कि गयी ब्रैस्टलिटोवस्क की संधि को मानने से इंकार किया
★ वर्साय की संधि के प्रमुख बिंदु
- अलसास व लोरेन के क्षेत्र फ्रांस को दे दिए गए
- जर्मनी का कोयला क्षेत्र (सार घाटी) को 15 वर्षो के लिए फ्रांस को दिया गया परन्तु इस क्षेत्र पर नियंत्रण राष्ट्र संघ का ही माना जायेगा
- जर्मनी के द्वारा अधीकृत क्षेत्र श्वेलसविंग में जनमत संग्रह कराया गया ओर यह क्षेत्र डेनमार्क को दे दिए गए
- जर्मनी ऑस्ट्रिया व रूस के पोल क्षेत्रों को मिलाकर पोलैंड का निर्माण किया जाएगा
- जर्मनी का डेन्जिंग बंदरगाह राष्ट्रसंघ के संरक्षण में रहेगा
- समुद्र पार जर्मनी के जितने भी उपनिवेश थे उन सब पर मित्र राष्ट्रो का अधिकार रहेगा
- मेंडेट पद्धति को लागू करते हुए राष्ट्रसंघ जर्मनी के उपनिवेश व अन्य आर्थिक रूप से पिछड़े देश ब्रिटेन फ्रांस जापान व दक्षिण अफ्रीका को दिया जाएगा
मेंडेट पद्धति – जनरल स्मट्स के द्वारा यह प्रणाली दी गयी थी जिसके तहत आर्थिक रूप से पिछडे देशो का नियंत्रण आर्थिक रूप से सशक्त देशो को दिया जाएगा
- जर्मनी की अनिवार्य सैनिक सेवा को समाप्त कर दिया गया
- जर्मनी की थलसेना एक लाख निर्धारित की गई
- जर्मनी को वायु सेना रखना निषेध कर दिया
- जर्मनी पर आर्थिक जुर्माना लगाने के लिए क्षतिपूर्ति आयोग का गठन किया गया
- जर्मनी पर 5 अरब डॉलर का जुर्माना लगाया गया और यह राशि 1921 तक दिए जाने की बात कही
- ब्रिटिश विद्वान जॉन किन्स ने वर्साय की संधि को कार्थेजेनियन शांति की संज्ञा दी
- मार्शल फ़ौच ने कहा यह संधि कोई शांति सन्धि नही बल्कि 20 वर्षो के लिए एक युध्द विराम की सन्धि है
■ न्यूइली की संधि – 28 नवम्बर 1919
- यह संधि मित्र राष्ट्रो ने बल्गेरियाई के साथ करी थी
- इस संधि के द्वारा बल्गेरिया ने मेसीडोनिया का क्षेत्र यूगोस्लाविया को, दोब्रुजा का क्षेत्र रूमानिया को एव पश्चिमी थ्रेन्स का क्षेत्र युनान को देना स्वीकार किया
■ सेंट जर्मेन की संधि – 10 सितंबर 1919
- यह संधि मित्र राष्ट्रो ने ऑस्ट्रिया के साथ करी
- यह सन्धि ऑस्ट्रिया के साथ कि गयी इस संधि के माध्यम से ऑस्ट्रिया हंगरी साम्राज्य को भंग कर दिया गया इटली को टाइरोल, ट्रेंटिनो व ट्रिस्ट व इस्ट्रिया का शेत्र दिया गया
- ऑस्ट्रीया ने हंगरी व पोलेण्ड की स्वतंत्रता को मान्यता दे दी
■ टीरानो की संधि – 4 जुलाई 1920
- यह संधि मित्र राष्ट्रो ने हंगरी के साथ करी जिसके द्वारा ट्रांससिल्वेनिया का क्षेत्र रूमानिया को, क्रोएशिया का क्षेत्र यूगोस्लाविया को व स्लोवाक का क्षेत्र चेकोस्लोवाकिया को दे दिया गया
■ सेव्रे की संधि – 10 अगस्त 1920
- सेव्रे की संधि के अनुसार तुर्की की सैनिक संख्या 5000 कर दी थी
- यह संधि मित्र राष्ट्रो ने तुर्की के साथ कि थी
- इस सन्धि के द्वारा तुर्की से मेसोपोटामिया, फिलिस्तीन, ट्रांसजॉर्डन, सीरिया व लेबनॉन के क्षेत्र ले लिए गए
- आर्मीनिया व हज्जाज को तुर्की से स्वतंत्र करवाया गया कालान्तर मे तुर्की में मुस्तफा कमाल पाशा (कमाल अतातुर्क) के नेतृत्व में क्रांति हो गयी एव तुर्की एक गणतंत्र राष्ट्र बन गया तब मित्र राष्ट्रो ने तुर्की के साथ 1923 में लोजाने / लोसाने की नवीन संधि करी थी
NOTE – प्रथम विश्वयुद्ध का उत्तरदायित्व अलग अलग देशो पर डालने के लिए कई देशों ने अपनी ओर से किताबे प्रकाशित करी जैसे
- जर्मनी ने व्हाईट बुक
- ब्रिटर्न ने ब्ल्यू बुक
- फ्रांस ने यैलो बुक
- रूस ने ओरेंज बुक
अन्य लड़ाइयां
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- मार्न की लड़ाई – सितंबर 1914
- जर्मनी वे मित्र राष्ट्रो (फ्रांस) के मध्य हुई जिसमे जर्मनी की पराजय हुई थी
- जटलेंड की लड़ाई – जून 1916
- जर्मनी व इंग्लैंड की नोसेना के मध्य
