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पुनर्जागरण
- पुनर्जागरण को सांस्कृतिक पुनरुत्थान या कल्चरल रिवाईडल भी कहा जाता है
प्राचीन यूरोप
- प्राचीन यूरोप का इतिहास प्रारंभ से लेकर 5वी शताब्दी ई तक माना जाता है इस काल की प्रमुख घटनायें निम्नलिखित है
- यूनान की सभ्यता
- रोमन सभ्यता
- ईसाई धर्म का उदय
- विश्व इतिहास में 04 प्राचीन सभ्यताएं हुई
- मेसोपोटामिया
- मिस्र
- चीन
- सिंधु सभ्यता
थियोडीसीयस (376- 395 ई)
- थियोडीसीयस ने रोमन साम्राज्य का राजकीय धर्म ईसाई धर्म घोषित किया
- इसके 02 पुत्र थे हिनोरियस व एरियोथियस
- थियोडीसीयस ने अपने साम्राज्य का विभाजन दोनो पुत्रो में किया
हिनोरियस | एरियोथियस |
पश्चिम रोम | पूर्वी रोम |
राजधानी – रोम | राजधानी – कुस्तुनतुनिया |
- पुराना रोम टाइपर नदी के किनारे स्थित था
- पूर्वी रोमन साम्राज्य को बेन्जेटाइन के नाम से भी जाना गया
- दुनिया का पहला चर्च जीसस के कहने पर पीटर के द्वारा बनवाया गया
- चर्च स्वयं ईश्वर की ही कृति है
- 451 ई मे चेलस्टन नामक स्थान पर एक सभा का आयोजन हुआ और यहाँ चर्च 02 भागो में बंट गया (पश्चिमी चर्च व पूर्वी चर्च)
- पूर्वी चर्च – इसको ग्रीक व अर्थोडेक्स चर्च भी कहा गया इस चर्च में मां मैरी की महत्ता पर बल दिया गया रूस व पूर्वी यूरोपियन देश ग्रीक चर्च पर विश्वास करते थे
- पश्चिमी चर्च – इसमे इसा मसीह की महत्ता पर बल दिया गया
- 476 ई मे रोमन साम्राज्य का पतन हो गया जिसे फॉल ऑफ रोम कहा जाता है यह घटना विश्व इतिहास में टर्निंग पॉइंट या मोड़ बिंदु मानी जाती है
मध्यकालीन यूरोप –
- मध्यकालीन यूरोप का समय 5 वी शताब्दी ई से 1453 ई तक था
- मध्यकालीन यूरोप में पादरी वर्ग या धार्मिक वर्ग एव सामन्त वर्ग ने जनसाधारण को नियंत्रित करके रखा था इस कारण यूरोप में साहित्य कला व विज्ञान के क्षेत्र में ज़्यादा विकास नही हुआ
- मध्यकालीन यूरोप में 03 वर्गो का अस्तित्व मिलता है पादरी वर्ग, अभिजात वर्ग, जनसाधारण वर्ग
- मध्यकालीन यूरोप में कला साहित्य व विज्ञान के क्षेत्र में ज्यादा विकास नही हुआ था और न ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास हुआ इस कारण कुछ विद्वानों ने मध्यकाल को अंधकार का युग कह दिया था
मध्यकालीन यूरोप की प्रमुख घटनाएं निम्नलिखित है
- सामंतवाद का उदय – सामंतवाद के लिए फेडयूलिस्म व कमेंडेशन शब्द भी काम मे लिया जाता है
अंग्रेजी का फेडयूलिस्म शब्द जर्मन भाषा के फ़्यूडल शब्द से बना है जिसका अर्थ होता – जमीन का टुकड़ा
यूरोप में बर्बर आक्रमणो से रक्षा के रूप में सामंतवाद का उदय हुआ किंतु भारत मे प्रशासनिक आवश्यकताओं के नाम पर सामंतवाद आया था
भारतीय सामंतवाद प्रारंभ में आनुवांशिक था किंतु यूरोपियन नही
भारतीय सामंतवाद मे राजा एव सामन्त के मध्य रक्त संबंध भी नजर आता है किंतु यूरोपियन सामंतवाद मे ऐसा नही था
- शार्लमा का शासन (768 – 814 ई)
स्विस इतिहासकार जैकब बुर्कहार्ट की रचना ‘सिविलाइजेशन ऑफ रिनेसाँ इन इटली’ के प्रकाशन के बाद में यह मान्यता चरम सीमा पर पहुंच गई कि यूरोप का मध्यकाल पूरी तरह अंधकार का युग था एवं लंबी नैतिक एव बौद्धिक जड़ता के बाद पुनर्जागरण का उदय हुआ किंतु वर्तमान में इस धारणा को सही नही माना जाता है
यूरोप में शार्लमा के शासनकाल में साहित्य, कला व विज्ञान में विकास हुआ था इसके शासनकाल को कैरोलिंगयन पुनर्जागरण भी कहते है
रोमन साम्राज्य के पतन के बाद यूरोप में अव्यवस्था उत्पन्न हुई
फ्रेंक जाति ने आक्रमण करके गॉल (फ्रांस) पर अधिकार कर लिया इसी जाति में शार्लमा नामक शासक हुआ
शार्लमा के राज्य को फ्रेंकिश राज्य भी कहा जाता है
9 वी शताब्दी ई मे पॉप लियो 3rd के विरुद्ध जनता ने बगावत कर दी थी तब पॉप को पुनः पद शार्लमा ने दिलवाया था पॉप ने शार्लमा को पवित्र रोमन सम्राट की उपाधि दी थी
शार्लमा के पतन के बाद पवित्र रोमन साम्राज्य कमजोर हो गया किंतु फिर भी यह 19 वी शताब्दी ई तक चलता रहा
नेपोलियन ने 19 वी शताब्दी में पवित्र रोमन साम्राज्य को भंग कर दिया था
- चर्च का प्रभाव –
- अंधकार युग मे रोम को दुनियां की राजधानी माना जाता था
- चर्च का प्रमुख पॉप होता था
- जो अपने आप को सर्वोच्च मानता था
- जो भी शिक्षा दी जाती थी वह चर्च के माध्यम से दी जाती थी
- चर्च का उद्देश्य – धर्म का प्रचार करना था
- चर्च ने यहाँ तक कहा था – “मनुष्य का पृथ्वी पर जन्म लेना ही पाप है अगर मनुष्य अपने जीवन मे सुधार चाहता है तो उसे चर्च की शरण मे आना पड़ेगा” मनुष्य के पास दो विकल्प है 1 स्वर्ग , 2- नरक
स्वर्ग की चाबी पीटर के हाथों में है और पीटर को ईसाई धर्म का पहला पॉप माना जाता है
- यदि कोई व्यक्ति चर्च की मान्यता का विरोध करता है तो उसे जिंदा जला दिया जाता था
- धर्मयुद्ध / क्रुसेड – इसे पुर्नजागरण के कारणों में बताया हुआ है
- मेनर व्यवस्था –
- मेनर शब्द का अर्थ – एक गांव का कृषि फार्म
- मेनर व्यवस्था का वास्तविक उद्देश्य – किसानों का शोषण करना था
- श्रेणि व्यवस्था / ग्रिल्ड सिस्टम
- जब समाज मे एक समूह विशेष एक ही व्यवसाय को विकसित करते है तब श्रेणी विकसित होती है इस व्यवस्था के तहत कोई भी व्यक्ति अपनी योग्यता व इच्छा के अनुसार कार्य नही कर सकता था
आधुनिक यूरोप
- आधुनिक यूरोप का इतिहास 14वी शताब्दी एव 15वी शताब्दी ई से प्रारंभ माना जाता है
- आधुनिक यूरोप का इतिहास 03 घटनाओं से प्रारंभ माना जाता है
- पुनर्जागरण
- धर्मसुधार आंदोलन
- भौगोलिक खोजे
आधुनिक यूरोप की प्रमुख विशेषताएँ
- सामंतवाद का पतन
- राष्ट्रीय राज्यो का उत्थान
- नगरों का उदय
- धर्म के क्षेत्र में नवीन दृष्टिकोण
- आर्थिक क्षेत्र में परिवर्तन
- भौगोलिक खोजे
- मध्यम वर्ग का उदय
पुनर्जागरण
- पुनर्जागरण एव धर्म सुधार आंदोलन को मध्यकालीन यूरोपीय सभ्यता के विरुद्ध प्रतिक्रिया कहा जाता है
- J E स्वेन ने लिखा है कि पुनर्जागरण एक समूहवाचक शब्द है जिसके अंतर्गत उन समस्त बौद्धिक परिवर्तनों को शामिल किया जाता है जो मध्यकाल के अंत मे एवं आधुनिक काल के प्रारंभ में दिखाई देते है
- पुनर्जागरण कोई अचानक प्रारंभ हुआ आंदोलन नही था परिवर्तन की प्रक्रिया तो मध्यकाल में भी चल रही थी किंतु चर्च एवं अभिजात वर्ग के नियंत्रण के कारण इसकी गति धीमी थी 14 वी शताब्दी के मध्य में यह परिवर्तन तीव्र हो गया
- पुनर्जागरण ना तो राजनैतिक आंदोलन था और ना ही धार्मिक आंदोलन था बल्कि यह तो एक सांस्कृतिक एवं बौद्धिक आंदोलन था
- पुनर्जागरण उस आंदोलन को कहा जाता है जिसकी मुखर अभिव्यक्ति सांस्कृतिक क्षेत्र में हुई किंतु उसका आधार स्वरूप आर्थिक था
- NOTE– सांस्कृतिक विकास का संबंध सदैव आर्थिक प्रगति से ही होता है इसे हर काल मे सत्य नही माना जा सकता है गुप्तकाल मे आर्थिक प्रगति नही हुई फिर भी सांस्कृतिक विकास हुआ था
- पुनर्जागरण के लिए अंग्रेजी भाषा मे रेनिसेन्स शब्द काम मे लिया गया | यह शब्द फ्रेंच भाषा के रिनेसां शब्द से बना है
- रिनेसाँ शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग इटली के वेसारि ने किया था किंतु उसने इस शब्द का प्रयोग संकुचित अर्थ में किया इसने यूरोप की भवन निर्माण कला व मूर्ति कला में जो परिवर्तन हुआ उसके लिए इस शब्द का प्रयोग किया था
- रिनेसां शब्द का व्यापक अर्थ में प्रयोग फ्रांस के दिदरो ने किया इसने इटली में साहित्य कला के क्षेत्र में जो परिवर्तन हुए उसके लिए रिनेसां शब्द काम मे लिया गया
- सामान्यतः यूरोप के इतिहास में 1350 से 1550 का समय पुनर्जागरण कहलाता है किंतु किसी भी घटना को काल विशेष मे बांधा नही जा सकता है
- पुनर्जागरण काल मे मानवतावाद का विकास हुआ और धर्म के क्षेत्र में नवीन दृष्टिकोण आया, स्थापत्य एवं चित्र कला के क्षेत्र में परिवर्तन हुआ एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास हुआ
- पुनर्जागरण काल मे प्राचीन यूनानी एवं रोमन सभ्यता की प्रेरणा से नवीन यूरोप का निर्माण हुआ एवं आलोचनात्मक एवं अन्वेषणात्मक प्रवृत्तिया विकसित हुई एवं मनुष्य ने स्वतंत्र चिंतन प्रारंभ कर दिया जिसका प्रभाव कई क्षेत्रों में नजर आया जैसे कला, साहित्य व विज्ञान के क्षेत्र मे आदि
- पुनर्जागरण मध्यकाल एवं आधुनिक काल के मध्य एक पुल या सेतु का कार्य कर रहा था
- पुनर्जागरण ने मनुष्य के लौकिक ज्ञान का विकास किया जबकि धर्म सुधार आंदोलन ने पारलौकिक ज्ञान का विकास किया
- रिनेसां का कालक्रम
14वी शताब्दी में | 16 वी शताब्दी में |
इटली से प्रारंभ | पूरे यूरोप में |
- कालक्रम के 03 भाग
ट्रीसेन्ट्रो | जोट्रीसेंट्रो | सिनकईसेंट्रो |
1300-1400 AD | 1400 – 1500 AD | 1500-1600 AD |
- रिनेसां के 04 स्तम्भ
- कला
- साहित्य
- विज्ञान
- भौगोलिक खोजे
पुनर्जागरण के कारण –
(1) क्रुसेड या धर्मयुद्ध
- क्रुसेड एक् धर्म युद्ध था जो कि ईसाइ धर्म के पवित्र स्थल जेरुशलम का एक प्रमुख तीर्थ स्थान था जेरुशलम मे ईसा मसीह को शुक्रवार के दिन सूली पर चढ़ाया गया इस दिन को ईसाई गुड फ्राइडे मनाते है गुड़ फ्राइडे के बाद जो रविवार आता है उसे ईस्टर संडे कहते है इस दिन ईसा मसीह का पुनर्जन्म हुआ था
- यूरोप मे धर्मयुद्धों के कारण भी पुनर्जागरण का प्रारंभ माना जाता है 1453 ई से आधुनिक विश्व का प्रारंभ माना गया क्योंकि तुर्को ने कुस्तुनतुनिया पर अधिकार कर लिया था
- 1017ई मे फिलिस्तीन मे स्थित ईसाइयो के पवित्र स्थल जेरुशलम पर सेल्जुक तुर्को ने अधिकार कर लिया ओर ईसाइयों के प्रति कट्टर नीति अपनाई अतः पूर्वी रोमन साम्राज्य के शासक एल्केशियस द्वितीय ने पॉप अरबन द्वितीय से इस घटना की शिकायत की परंतु फिर भी तुर्को का अत्याचार ईसाइयो पर होता रहा
- इस स्थल पर अधिकार को लेकर ईसाइयो एवं मुसलमानों के बीच 1095 ई से 1271 ई के मध्य कुल 08 धर्मयुद्ध लड़े गए
- 5वा क्रुसेड 1212 ई मे लड़ा गया जो सर्वाधिक हिंसक था जिसे बाल बच्चो का धर्मयुद्ध भी कहते है एक फ्रांसीसी व्यक्ति स्टीफन ने लगभग 30 हजार बच्चों को इकठ्ठा करके उन्हें उतरी अफ्रीका के तटों पर बेच दिया
- रोमन सम्राट एल्केशियस ने इन युद्धों को लड़ने के लिए पॉप उरबन से आज्ञा मांगी थी
- धर्मयुद्धों मे ईसाइयों की पराजय के कारण पॉप की सर्वोच्चता का भ्रम समाप्त हो गया
- इन धर्मयुद्धों ने यूरोप की अलगाववाद की प्रवृत्ति को समाप्त किया
- Pied – piper / पाइड पाइपर – यह एक कहानी है जो कि हेलेनिन द्वारा लिखित है
(2) कागज एवं मुद्रण यंत्र
- 105 ई मे सर्वप्रथम चीन ने वर्तमान के कागज का अविष्कार किया था
- 751 ई मे अरब के मुसलमानों ने चीन पर आक्रमण किया एवं कुछ कागज बनाने वालों को बन्दी बना लिया था ओर इन्हें अपने साथ अरब ले गए अरबो के माध्यम से कागज यूरोप पहुंचा और इटली में सबसे पहले अरबी कागज का प्रयोग किया गया
- धर्मयुद्धों के कारण कागज का ज्ञान मुसलमानों से ईसाइयों के पास पहुंचा
- 1450 ई मे जर्मनी के जोहानेस गुटेनबर्ग ने आधुनिक टाइप मशीन से मिलती जुलती मशीन का अविष्कार किया था गुटेनबर्ग जर्मनी के मेंज नगर का निवासी था
- 1455 ई मे गुटेनबर्ग के शिष्यों जोहनास प्रथम एवं पीटर स्कोएफट ने प्रिटिंग प्रेस (छापेखाने) का आविष्कार किया
- 1477 ई मे केक्सटन ने ब्रिटेन के वेस्टमिंस्टर मे छापाखाना की स्थापना करी थी
- 1454 मे 31 पंक्तियों की पुस्तक इंडरजेंसेस ऑफ निकोलस- पंचम पहली मुद्रित पुस्तक थी
- ईसाइयो के अनुसार पहली मुद्रित पुस्तक बाइबिल थी
- मेन्यू स्क्रिप्ट – इंग्लैंड में हस्तलिखित ग्रन्थ को मेन्यू स्क्रिप्ट कहा जाता है
- विल्ड्यूरा के अनुसार लेखन कला के पश्चात मुद्रण कला का विकास इतिहास की एक बड़ी क्रान्ति थी जिसने बौद्धिक विकास को आगे बढ़ाया
(3) व्यापारिक समृद्धि
- यूरोप में धर्मयुद्धों एवं भौगोलिक खोजो के कारण व्यापारिक समृद्धि आई थी
- फ्लोरेंस के मेडीची परिवार के फ्लोरेन्जो व केसीमो मेडीची ने अपना धन दुर्लभ ग्रंथो के अनुवाद मे खर्च किया था
- यूरोप के तटवर्ती राज्यो ने व्यापार की सुरक्षा के लिए हेलीएस्टिक संघ का गठन किया था जिसका उद्देश्य था – समुद्री लुठेरों से व्यापार की रक्षा करना था
- इतिहासकारों के अनुसार क्रुसेड ने यूरोप को धनी बना दिया क्योंकि सभी देशों के व्यापारी इटली में आकर बसने लगे जिससे इटली में नए व्यापारिक केंद्र स्थापित हुए (मिलान, वेनिस, फ्लोरेंस)
(4) कुस्तुनतुनिया पर तुर्को का अधिकार –
- यह पुनर्जागरण का सबसे बड़ा प्रमुख कारण माना जाता है
- फिशर के अनुसार आधुनिक विश्व इतिहास का प्रारंभ 1453ई से मानना ज्यादा उपयुक्त होगा
- एक्टन ने अनुसार ऑटोमन तुर्को के दबाव के कारण आधुनिक विश्व इतिहास का प्रारंभ हुआ
- कुस्तुनतुनिया जिसे वर्तमान में इंस्ताबुल भी कहा जाता है
- 1453 ई मे ऑटोमन तुर्क मोहम्मद द्वितीय उस्मानी ने इस पर अधिकार कर लिया था
- इस घटना से प्राचीन यूनानी एवं रोमन साहित्य यूरोप के अन्य भागों में फैला एवं नवीन भौगोलिक खोजे भी प्रारंभ हुई थी
(5) मंगोल साम्राज्य का उदय –
- बड़ी संख्या में अरब व्यापारी स्पेन, सार्डिनिया व सिसली मे जाकर रहने लगे इन स्थानों पर धर्मनिरपेक्ष संस्थाए स्थापित हुई
- 13 वी शताब्दी में चंगेज खा के वंशज कुबलई खा ने विशाल मंगोल साम्राज्य की स्थापना करी थी कुबलई खा का उद्देश्य – यूरोप व एशिया को एकता के सूत्र में बांधना था
- कुबलई खा के दरबार मे दुनियाभर के विद्वान आते थे यही पर यूरोप के विद्वानों का एशिया व चीन के विद्वानों से सम्पर्क हुआ
- कुबलई खा के दरबार मे 1275 ई मे इटली का मार्कोपोलो भी आया था जो 20 वर्षो तक कुबलई खां के दरबार मे रहा इसके यात्रा विवरण के प्रकाशन के बाद भौगोलिक खोजो को प्रोत्साहन मिला था
- अरब – मंगोल सम्पर्क के कारण पश्चिम के लोगो को अरबी गिनती, बीजगणित, दिशासूचक यंत्र, कागज, मुद्रण व बारूद की जानकारी प्राप्त हुई
6 भौगोलिक खोजे
- 1453 में कुस्तुन्तुनिया (बेंजेटाइन) पर मोहम्मद द्वितीय / मेम्मद द्वितीय ने अधिकार कर लिया जिसके परिणामस्वरूप यहाँ से कई विद्वान इटली चले गए ये विद्वान अपने साथ प्राचीन् पांडुलिपियां लेकर गए थे
- गियोपेन ओरेसी अपने साथ 250 पांडुलिपियो को लेकर गया था जो दर्शन, तर्क, इतिहास से संबंधित थी
- बेसारियन नामक व्यक्ति अपने साथ 800 पांडुलिपियों को लेकर गया था इन पांडुलिपियों का स्थानीय भाषा मे अनुवाद होने लगा
- धर्मयुद्ध के कारण पूर्व व पश्चिमी देशों का व्यापारिक संपर्क समाप्त हो गया फलत नवीन भौगोलिक खोजे हुई जैसे
- 1486 में बारथोलोमो डियाज ने उतमाशा अंतरीप की खोज की
1492 में कोलम्बस ने अमेरिका की खोज की
1498 में वास्कोडिगामा ने भारत की खोज
1500 में केब्रोल ने ब्राजील की खोज की
1509 में मैगलन ने पूरी पृथ्वी का चक्कर लगाया था
पुनर्जागरण की विशेषताएं –
(1) स्वतंत्र चिंतन का विकास
- पीटर एजला फ्रांसीसी विद्वान थे इन्होंने 12वी शताब्दी में कहा था हमे किसी सिद्धान्त मे इसलिए विश्वास नही करना चाहिए क्योंकि चर्च उस सिद्धान्त मे विश्वास करता है हमे किसी भी सिद्धान्त को तर्क की कसौटी पर कसना चाहिए
- इस काल मे विचारो की पुष्टि के लिए प्रयोगों का महत्व बढ़ा
- इंग्लैंड के रोजर बेकन ने जिसने ‘आपसमेयस’ ग्रन्थ लिखा इसको प्रयोगात्मक खोज प्रणाली का अग्रदूत कहा जाता है बेकन की मृत्यु को बौद्धिक मृत्यु भी कहा जाता है
(2) मानववाद –
- इसका अर्थ है कि मानव के जीवन मे रुचि लेना, मानव के सुखों को बढ़ाना व उनके दुखो को कम करना
- पुनर्जागरण काल के विद्वानों ने प्राचीन युनानी व रोमन साहित्य से मानववादी विचार ग्रहण किये थे
- इटली के पेट्राक को मानवतावाद का प्रवर्तक कहा जाता है यह पहला व्यक्ति था जिसने प्राचीन यूनानी व रोमन साहित्य के प्रति लोगो मे मोह उत्पन्न किया था
- हॉलैंड के इरेस्म्स जिसने ‘इन द फ्रेज ऑफ फॉली’ पुस्तक लिखी इसे मानवतावादियों का राजा भी कहते है यह पुस्तक पुनर्जागरण काल की सर्वाधिक बिकने वाली पुस्तक थी
मिल्टन के अनुसार केम्ब्रिज मे प्रत्येक व्यक्ति इस पुस्तक को पढ़ता था
- मानवतावाद का अर्थ यह भी हो सकता है कि पारलौकिक जीवन की अपेक्षा लौकिक जीवन मे रुचि लेना
- NOTE – इस काल का मानवतावाद केवल ईसाई मानवतावाद ही कहा जाना चाहिए
- मानवतावाद ने धर्म निरपेक्षता को भी प्रोत्साहन दिया
(3) स्कोलिस्टिक विचारधारा / बुद्धिवादी विचारधारा का उदय
- इस विचारधारा मे अरस्तू के तर्कशास्त्र व सन्त ऑगस्टीन के धर्मशास्त्र का समन्वय मिलता है
- इसमे कहा गया कि धर्मग्रंथों में लिखी हुई बातों को तर्क की कसौटी पर ही रखकर स्वीकार करना चाहिए
- फ्रांस के पीटर ओबेलोर एवं टॉमस एकविनाज इस विचारधारा के प्रवर्तक थे
- रोजर बेकन ने इस विचारधारा का विरोध किया था
- रोजर बेकन के द्वारा प्रयोगात्मक खोज प्रणाली की शुरुआत की गई इंहोने अपनी पुस्तक आपसमयस मे प्रयोगात्मक खोज प्रणाली का विस्तारपूर्वक वर्णन किया
(4) सहज सौन्दर्य की उपासना
(5) देशज भाषा का प्रयोग –
- मध्य युग मे केवल 02 ही भाषा का प्रयोग होता था (ग्रीक व लैटिन)
- चर्च की सार्वभौमिक भाषा लैटिन थी
- लैटिन व ग्रीक भाषा से ही स्थानीय भाषाओ की उत्पति हुई जैसे फ्रांस में फ्रांसिसी, जर्मन मे जर्मनी और इंग्लैंड में अंग्रेजी
(6) कला के क्षेत्र में विकास
(7) साहित्य के क्षेत्र में विकास
(8) विज्ञान के क्षेत्र में विकास
पुनर्जागरण का सर्वप्रथम उदय इटली मे ही क्यों ?
- इटली में सामाजिक वर्गो का विकास स्वतंत्र रूप से हुआ
- इटली की भौगोलिक स्थिति
- इटली की आर्थिक समृद्धि
- इटली प्राचीन रोमन सभ्यता का स्थल है
- इटली में धर्मनिरपेक्ष शिक्षा का प्रसार हुआ
- कुछ उदार पॉप के नेतृत्व में इटली का विकास हुआ
पुनर्जागरण के प्रभाव –
- साहित्य के क्षेत्र पर प्रभाव
- पुनर्जागरण के समय मे लैटिन भाषा के स्थान पर देशज भाषा मे साहित्य की रचना हुई
- इस काल मे साहित्य की विषयवस्तु मे परिवर्तन हुआ धार्मिक साहित्य के स्थान पर धर्मनिरपेक्ष साहित्य की रचना हुई
- इस काल मे साहित्य की शैली में भी परिवर्तन हुआ साहित्य में व्यंग्य का प्रयोग बढ़ा
(a) इटली का साहित्य
- दांते (1265-1321)
- इसे इतालवी काव्य का पिता, नूतन युग का पथप्रदर्शक एव पुनर्जागरण का प्रेणता भी कहा जाता है
- S R शर्मा ने दांते को संसार का सबसे महानतम व्यक्ति कहा
- दांते की रचनाएं
- डिवाइन कॉमेडी –
- इस रचना में दांते ने नरक, पापमोचन एवं स्वर्ग की यात्रा का वर्णन किया
- दांते ने अपनी रचनाओं में टस्कन भाषा का प्रयोग किया गया
- इस रचना के द्वारा नैतिक, सयंमित जीवन जीने की प्रेरणा दी गयी एवं मानवप्रेम, देशप्रेम एवं प्राकृतिक प्रेम के बारे में बताया गया
- वितानोवा –
- यह प्रेमगीतों का संग्रह है
- वितानोवा का शाब्दिक अर्थ – नया जीवन
- मोनार्कया
- यह राजनीति से संबंधित ग्रन्थ है
- इसमे दांते ने लिखा कि अधार्मिक विषयो में राजशक्ति ही सर्वोच्च होनी चाहिए
NOTE- कुछ विद्वान दांते की अपेक्षा पुनर्जागरण का प्रारंभ पेट्राक से मानते है एवं वे कहते है कि दांते की रचनाओं के विषय धार्मिक थे पेट्राक ने सर्वप्रथम अधार्मिक विषयों पर ग्रन्थ लिखे थे
b. पेट्राक (1304-1374)
- मेयर्स के अनुसार पेट्राक को समझ लेना ही पुनर्जागरण को समझ लेना है
- पेट्राक की उपाधि – मानवतावाद का प्रवर्तक
- पेट्राक की रचनाएं
- फेमिलियर्स लैटर्स –
- इस रचना में पेट्राक ने प्राचीन यूनानी एवं रोमन साहित्यकारों के साथ वार्तालाप का उल्लेख किया
- इस रचना में पेट्राक ने लोरो नामक महिला की सुंदरता का वर्णन किया
- लाइव्स ऑफ इलस्ट्रीयस मैन –
- इस ग्रंथ में पेट्राक ने रोमन साम्राज्य के 30 प्रमुख शासको की जीवनियां लिखी थी
- अफ्रीका –
- पेट्राक के द्वारा लिखा गया यह एक लंबा गीत है जिसमे जलीय जीव के बारे में जानकारी मिलती है
- सॉनेट टू लोरा नामक कविता
c. बुकासियो –
- उपाधि – इटालियन गद्य का पिता
- जन्म पेरिस में हुआ लेकिन इन्होंने अपना जीवन इटली में बिताया था
बुकासियो की प्रमुख रचनाएँ
- डेकामेरोन –
- इस रचना के द्वारा इटली के समाज मे व्याप्त भ्र्ष्टाचार की आलोचना की गई थी
- यह 100 कहानियों का संग्रह है
- जिनियोलॉजी ऑफ गॉड्स –
- इसमे कहा गया कि ज्ञान मनुष्य को किस प्रकार नैतिक व बुद्धिमान बनाता है इस ग्रँथ मे बुद्धि पर ज्यादा जोर दिया गया
d. मेकियावली (1469-1527)
- फिशर ने मेकियावली को राजनैतिक सत्ता का कलाकार कहा है
- फ्रांसिस बेकन लिखते है कि हम मैक्यावली जैसे लोगो के ऋणि इसलिए है क्योंकि इन्होंने यह बताया की मनुष्य वास्तव में क्या करता है यह नही बताया कि मनुष्य को क्या करना चाहिए
- मैक्यावली के ग्रंथ
- द प्रिंस
- आर्ट ऑफ वॉर
- इस पुस्तक में युद्ध के दुष्परिणामों का वर्णन मिलता है
- फ्लोराइन्टल रिपब्लिक
- इस पुस्तक से इटली के इतिहास की जानकारी प्राप्त होती है
- मेड्रागोला – नामक नाटक भी लिखा
- डिसकोर्सेज –
- यह पुस्तक प्राचीन रोमन सभ्यता के बारे में जानकारी देती है
e. लोरेन्जेवाला –
- इसे ऐतिहासिक आलोचना का जनक भी कहा जाता है
- इसने डोनेशन ऑफ कॉन्सटेंटाइन नामक दस्तावेज की र्चना करी इस दस्तावेज मे रोमन सम्राट द्वारा पॉप को राजनैतिक शक्ति देने की बात कही गयी
NOTE- फ्रांस से मार्सिगलियो ने अपनी पुस्तक ‘डिफेंडर ऑफ पीस’ मे इस दस्तावेज को जाली बताया
2.फ्रांसीसी का साहित्य
- रेबेलोस
- यह 15 वी शताब्दी में फ्रांसिसी विद्वान थे
- इन्होने गद्य पद्धति में उपन्यास लिखने की शुरुआत की
- रेबेलोस की प्रमुख रचनाएँ
हीरोइकडीड्स ऑफ गरगंतुआ एन्ड पेंटागुएल
- यह दोनो रेबेलोस की कहानी के प्रमुख पात्र थे
- इस कहानी के माध्यम से नैतिकता की शिक्षा दी गयी
- रेबेलोस की रचना में जीवन के भौतिक आनंदमयी एवं धर्मनिरपेक्ष पक्ष पर जोर दिया गया
- इसने आडम्बरो एवं परम्पराओं के प्रति सम्मान प्रकट नही किया
- रेबेलोस के ग्रंथ को न्यूगोसपल्स या नया संदेश भी कहा जाता है
- रेबेलोस के साहित्य का मूल मंत्र प्यास था
- मोन्टेन
- इसे वाल्तेयर का अग्रगामी भी कहा जाता है
- इसने निबंध लेखन के कारण प्रसिद्ध प्राप्त की है
- मोन्टेन को प्रथम आधुनिक व्यक्ति भी कहा जाता है
- NOTE- इरेस्म्स को प्रथम यूरोप का नागरिक, विश्वनागरिक एवं पूरी तरह आधुनिक व्यक्ति कहा गया
- मोन्टेन लिखता है कि मनुष्य का जीवन सुखमय नही दिलचस्प है इसलिए मौज से जीवन व्यतीत करो एवं सम्मानपूर्वक मौत को प्राप्त करो
3.अंग्रेजी का साहित्य / इंग्लैंड का साहित्य
- जाफ़रे चौसर –
- इसे अंग्रेजी काव्य का पिता भी कहा जाता है एवं अंग्रेजी साहित्य का होमर भी कहते है
- इस पर बुकासियो का प्रभाव था
- चौसर ने केंटरबरी टेल्स ग्रन्थ लिखा इस ग्रंथ में संत टॉमस की तीर्थयात्रा पर जाने वाले 30 अंग्रेजो की कहानियों का संकलन है
- टॉमस मूर –
- इसने लैटिन भाषा मे यूटोपिया नामक ग्रन्थ लिखा
- यह 15वी शताब्दी का विद्वान था
- यूटोपिया एक काल्पनिक ग्रन्थ है जिसमे एक आदर्श राज्य और समाज की कल्पना की गई है यह मूलतः लैटिन भाषा मे लिखा गया जिसे अंग्रेजी भाषा मे अनुवाद किया गया
(©) फ्रांसिस बेकन –
- बेकन की तुलना ज्ञान संचय के मामले में अरस्तू से की जाती है
- इसे आधुनिक विज्ञान का जनक कहते है
- बेकन ने कहा था कि “ इतिहास मानव को बुद्धिमान बनाता है”
- बेकन ने अपनी रचनाओं में प्रकृति व विज्ञान पर अधिक बल दिया था
- बेकन के प्रमुख ग्रन्थ
- एडवांसमेन्ट ऑफ लर्निंग
- न्यू अटलांटिस
d. एडमंड स्पेंसर
- ग्रन्थ – फेयरी क्वीन (परी रानी) – इस रचना में राजकुमार आर्थर के माध्यम से समाज मे आदर्श व नैतिक मूल्यों की स्थापना की बात कही गयी
- इस पुस्तक में प्रिंस ओवर के गुण व दोषों का वर्णन है
e. विलियम शेक्सपियर (1564-1616 ई)
- प्रमुख ग्रन्थ –
- मर्चेंट ऑफ वेनिस
- मीड समर नाईट ड्रीम्स
- मच एडो एबाउट नथिंग
- एज यू लाइक इट
- रोमियो जूलियट
- ओथेलो
- हेलमेट
- मैकबेथ
- किंग लियर
- यह एक नाटककार, निबन्धकार ओर कवि थे इन्होंने लगभग 40 नाटक लिखे थे
- शेक्सपियर ने अपने नाटकों में लगभग सभी विषयों के बारे में लिखा जिनमे साहसिक यात्रा व प्रेम प्रसंग से सम्बंधित विषय सर्वाधिक महत्वपूर्ण है
- ब्रिटिश साहित्यकारों ने समय समय पर व्यंग्यात्मक टिप्पणियों भी की जो कि मुख्य रूप से चर्च की सत्ता के विरुद्ध भी थी
NOTE – स्पेन के सर्वेंटीज ने डॉन क्विकजोट नामक ग्रन्थ लिखा
f. इरेस्म्स –
- यह हॉलेंड के निवासी थे
- इन्होंने कई स्थानो की यात्रा की इसलिए इन्हें विश्वनागरिक की संज्ञा दी गयी
- इनकी सर्वाधिक प्रसिद्ध रचना – ‘इन द प्रेज ऑफ होली’ थी
- इस पुस्तक के माध्यम इन्होंने चर्च पर व्यंग्य किया
- न्यू टेस्टामेंट भी लिखी थी
- इरेस्म्स ने होली नामक नायिका के माध्यम से समाज मे व्याप्त भ्रष्टाचार का उल्लेख किया
g सर्वेंटीज –
- यह स्पेन के निवासी थे
- इनके द्वारा डॉन क्विजोट नामक पुस्तक की रचना की
- यह हास्य कहानी है जो कि बच्चों में बहुत ज्यादा लोकप्रिय है
B कला के क्षेत्र पर प्रभाव
रिनेसां मैन –
- वह व्यक्ति जो एक से ज्यादा विषयों का जानकार होता है उसके लिए रिनेसां मैन शब्द काम मे लिया जाता है जैसे लियोनार्दो द विंची, माइकल एंजेलो व राफेल
चित्रकला पर प्रभाव –
- पुनर्जागरण मे मानव को केंद्र में रखकर चित्र बनाये
(a) जीएतो – इटली
- इसे पुनर्जागरणकालीन चित्रकला का जन्मदाता कहा जाता है
- इन्होंने जनसाधारण व मानवतावादि विषयो के चित्र बनाये
- इसने चित्रकला को यथार्थवादी बनाया
- इसके गुरु का नाम – सिमेब्यू था
(b) फ़्रांजलिको – इटली
- इसने फ्लोरेंस के संत मार्क मोनेस्ट्री को चित्रित करने का कार्य किया
(c) मेशीशियो
- चित्रकारी मे पर्स पेक्टीव का गुण सर्वप्रथम मेशीशियो ने लाया था
- जिसमे चित्रों में आगे- पीछे एवं निकट-दूर के ज्ञान को पर्स पेक्टीव कहते है
(d) लियोनार्डो द विंची (1452-1519 ई)
- इसके प्रमुख चित्र निम्न है
- द लास्ट सपर
- यह चित्र मिलान के चर्च के डाइनिग हॉल की दीवार पर बना है इस चित्र में ईसा मसीह को अपने 12 शिष्यों के साथ अन्तिम भोजन करते हुए दिखाया गया
- इस चित्र में जूडस नामक व्यक्ति का भी चित्र है जो ईसा मसीह को धोखा देने वाला है
- इस चित्र को एक जीवंत नाटक भी कहा जाता है
- मोनालिसा
- यह चित्र वर्तमान में पेरिस के लुब्रे संग्रहालय में है इस चित्र को नेपोलियन फ्रांस में डायरेक्टरी के शासनकाल (1795-1799) के दौरान इटली से ले गया था
- मोनालिसा शब्द का अर्थ – कौतुकमयी महिला होता है इस चित्र को ल जकोंदे भी कहा जाता है जिसका अर्थ – जियोकोंडा की पत्नी
- मोनालिसा का मुलनाम – लिसा गिओगिरदोने है
- यह चित्र अपनी रहस्यमयी मुस्कान के कारण प्रसिद्ध है
- मोना से तात्पर्य – लड़की या बालिका
- 1911 में मोनालीसा का मूलचित्र लुब्रे संग्रहालय से चोरी हो गया था 1913 में फ्लोरेंस से यह पुनः मिला
- वर्जिन ऑफ द रॉक्स / पहाड़ी सुंदरी –
- वर्जिन शब्द का प्रयोग माँ मैरी के लिए किया गया इस चित्र में माँ मैरी, शिशु ईसा मसीह व अन्य बालक खेलते हुए दिखाई दे रहे है
- वर्तमान में यह चित्र लन्दन स्थित नेशनल गैलेरी में रखा हुआ है
- वर्जिन ऑफ द चाइल्ड विद सेंट ऐने
- इस चित्र में ईसा मसीह, माँ मैरी दिखाई दे रहे
- वर्त्तमान में यह चित्र पेरिस स्थित लुब्रे संग्रहालय में है
(e) . माइकल एंजेलो (1474 -1564 ई)
- एंजेलो कहता है चित्र हाथों से नही मस्तिष्क से बनाये जाते है एवं इसने कहा था कि चित्रकला ही मेरी पहली पत्नी है इसने ही काफी दे दिया दूसरी क्या देगी
- प्रमुख चित्र
- लास्ट जजमेंट
- यह चित्र रोम के वेटिकन सिटी में सिस्टाइन चैपल गिरजाघर की छत की दीवार पर बना है
- इस चित्र का विषय मनुष्य के पतन से सम्बंधित है
- द फॉल ऑफ मैन –
- यह चित्र भी सीसेटाइन गिरजाघर में बना हुआ है इस चित्र में माइकल एंजेलो ने प्रलय की जानकारी दी है
- द पाईंटा
(f) . राफेल (1483-1520 ई)
ईसकें प्रमुख चित्र निम्न है
- सिस्टाइन मैडोना –
- यहा माँ मैरी के लिए मैडोना शब्द का प्रयोग किया गया है
- इस चित्र में प्रर्म एवं वात्सल्य का चित्रण है
- वर्तमान में यह चित्र जर्मनी के ड्रेसडन नामक स्थान पर है
- स्कूल् ऑफ एथेंस
- राफेल द्वारा बनाये गए इस चित्र में प्लेटो व अरस्तु के मध्य वार्तालाप को दर्शाया गया है
- वर्तमान में यह चित्र वेटिकन सिटी में है
वेनेशियन शैली –
- विंची, एंजेलो व राफेल के साथ ही इटली की चित्रकला की जीवंतता एवं महानता समाप्त हो गयी किंतु चित्रकला समाप्त नही हुई
- इटली के वेनिस मे जो चित्रकला विकसित हुई उसमे धर्मनिरपेक्षता, देशभक्ति एवं विलासिता, सौन्दर्य एवं आमजनजीवन के चित्र बनाये गये
- इस शैली के प्रमुख चित्रकार गिओरगिआर्ने, टिंटोरितो एवं टिशियन थे
g तिशियन –
- जर्मनी के वेशेलो तिसियन ने दस्ताने पहने हुए आदमी का चित्र बनाया था
- तिशियन के द्वारा बनाये गए चित्र जर्मनी के ड्यूरर संग्रहालय में रखें हुए है
h आइक बंधुओ –
- बेल्जियम के आइक बंधुओ ने रंगों को मिश्रित करने के लिए तेल के प्रयोग की बात कही
- यह विधि तैलीय विधि के नाम से जानी जाती
I रेम्ब्रा –
- हॉलैंड के चित्रकार रेम्ब्रा ने रात का पहरा एव फ्रोज होल्स ने लॉफिंग केवेलरी नामक चित्र बनाया
NOTE – स्पेन में डिगोवेल्स कैथ एवं जर्मनी में अलब्रेख्त ड्यूरर नामक चित्रकार हुए
स्थापत्य कला
- पुनर्जागरण से पहले यूरोप की स्थापत्य कला को गौथिक शैली या जंगली शैली कहा जाता था जिसमे नुकीले मेहराब एवं ऊंचे भवन हुआ करते थे
- पुनर्जागरण के समय की वास्तुकला को ग्रेको रोमन शैली कहा जाता है जिसमे गोल मेहराब का प्रयोग किया गया
- इटली के ब्रूनेलेसकी को स्थापत्य कला का जनक कहा जाता है इसने फ्लोरेंस के संता मारिया चर्च के कथीड्रल चर्च के गुम्बद का निर्माण करवाया एवं पिटी पैलेस भी बनवाया
- पुनर्जागरण के काल मे लन्दन मे संत पॉल का गिरजाघर, पेरिस का लुब्रे प्रासाद एवं स्पेन का इस्कोरियल प्रासाद का निर्माण हुआ
- पुनर्जागरणकालीन वह इमारत जो पॉप की सत्ता को चुनौती देने का कारण बनी वह थी रोम में सन्त पीटर के गिरजाघर का निर्माण
- सर्वप्रथम रोम में संत पीटर के गिरजाघर का निर्माण 326ई मे रोमन सम्राट कोन्सटाइन के आदेश पर हुआ
- आधुनिक संत पीटर के गिरजाघर का निर्माण का आदेश पॉप जूलियस द्वितीय ने ब्रमांते को सौंपा था इसके साथ एंजेलो, राफेल एवं पेलिडियो भी शामिल थे।
- रिनेसाँ कालीन स्थापत्य का सबसे सुंदर उदाहरण रोम में स्थित सेंट पीटर का चर्च है इस चर्च के निर्माण में लगभग 150 वर्षो का समय लगा यहां एक साथ लगभग 80 हजार लोग प्राथर्ना कर सकते है वास्तुकार – ब्रह्मन्ते, राफेल, पेलेडियो, माइकल एंजेलो
- पॉप निकोलस पंचम ने नया संत पीटर चर्च बनाने का निर्णय लिया था और इस नए चर्च की नींव वर्ष 1506 में रखी गयी थी
मूर्तिकला –
- जूलियन हक्जले के अनुसार व्यवसायिक प्रगति के कारण यूरोप में जो धन आया उसी से कला में प्रगति आई
(a) दोनोतेललो
- पुनर्जागरण कालीन मूर्तिकला का जनक दोनोतेल्लो था
- इसकी प्रमुख मूर्तिया
- वेनिस के संत मार्क की मूर्ति
- यह वेनिस के चर्च हेतु संत मार्क की आदमकद मूर्ति बनाई गई थी
- इरेस्मोद नार्मी – यह रोमन साम्राज्य के पतन के बाद बनी कांस्य की पहली मूर्ति थी इसे गेटामिलाता भी कहा जाता है
- दोनोतेलों बच्चों की भी मूर्तियों बनाते थे
b. गिबर्ती
- इसने फ्लोरेंस के चर्च के दरवाजों पर सुंदर नक्काशी व मूर्तिकला की मूर्तियां बनवाई थी
- माइकल एंजेलो ने इन दरवाजो के बारे में कहा कि यह स्वर्ग में रखे जाने योग्य है
c. माइकल एंजेलो –
- इन्होंने चित्रकला, मूर्तिकला व स्थापत्य कला तीनो में अपना योगदान दिया
- इसकी प्रमुख मूर्तियां
- डेविड की मूर्ति –
- डेविड ओल्ड टेस्टामेंट का नायक है
- ओल्ड टेस्टामेंट में यहूदियों का इतिहास मिलता है
- साढ़े 13 फिट ऊंची यह मूर्ति फ्लोरेंस में है
- डेविड की इस मूर्ति को विश्व की सबसे सुंदर मूर्ति माना जाता है
- यह पुनर्जागरण की प्रथम नग्न मूर्तिं है
- पीएता की मूर्ति –
- जिसस की मृत्यु के बाद मां मैरी उनके शव को गोद मे रखकर विलाप कर रही है
- वर्तमान में यह मूर्ति सेंट पीटर चर्च के बाहर रखी हुई है
- यह मूर्ति साढ़े 5 फिट ऊंची है
- बाउंड ऑफ स्लेव की मूर्ति
संगीतकला पर प्रभाव –
- सर्वप्रथम चर्च की प्राथनाओ मे संगीत की शुरुआत करने की बात एम्ब्रोस ने की थी
- संगीतकला का जनक – गेओवानी पोलेस्ट्रीना को कहा जाता है इसने सामूहिक संगीत पर पॉप ऑफ मार्सेल्स की रचना करी थी जो आज भी चर्च के संगीत का आधार है रविवार के दिन चर्च में संगीत बजाया जाता था जिसे संडे मॉस के नाम से जाना गया
- वॉयलिन, पियानो व ओपेरा पुनर्जागरण काल की ही देन है
पुनर्जागरण का विज्ञान के क्षेत्र पर प्रभाव –
कोपरनिकसीय क्रांति – (1473-1543)
- यह पोलैंड का खगोलशास्त्री था
- इसने दूसरी शताब्दि के खगोलशास्त्री टॉलमी के सिद्धांत को चुनौती दी थी
- टॉलमी ने अपने सिद्धांत GEOCENTRIC में कहा था कि पृथ्वी स्थिर है और सभी ग्रह उसके चारों ओर चक्कर लगा रहे
- कॉपर निक्स ने HELIOCENTRIC सिद्धांत दीया ओर बताया कि सूर्य केन्द्र में है और सभी ग्रह उसके चारों ओर चक्कर लगा रहे है
- इटलि के जाइडिनी ब्रूनो को कॉपर निक्स के विचारों के प्रचार के कारण जिंदा जला दिया गया
- कॉपर निक्स के द्वारा ऑन द रिवोल्यूशन ऑफ स्लेस्टियल बॉडीज नामक पुस्तक की रचना की थी
केप्लर (1571-1630)
- जर्मनी के केप्लर जिसने इसने गणितीय प्रमाणों के द्वारा कॉपर निक्स के विचारों की पुष्टि करी
- केप्लर ने ग्रहों की गति का नियम दिया
गेलिलियो (1574-1612)
- इटली के गेलिलियो ने दूरबीन के आविष्कार के द्वारा कॉपर निक्स के विचारों को सही बताया
- गैलीलियो की पुस्तक – सडरियस ननटीयस
न्यूटन (1642-1747)
- इंग्लैंड के न्यूटन को भी बड़ा वैज्ञानिक माना जाता है
- इसका ग्रन्थ प्रिंसिपिया मैथिका था
- यह भौतिक शास्त्री थे इन्होंने गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत व गति का सिद्धांत दिया था
वेसेलियस –
- नीदरलैंड के वेसेलियस ने सेवन बुक्स ऑन द स्ट्रक्चर ऑफ ह्यूमन बॉडी नाम से पुस्तक लिखी
विलियम हार्वे –
- इंग्लैंड के विलियम हार्वे ने रक्त परिसंचरण के बारे में बताया एवं ऑन द मोसन ऑफ हार्ट एन्ड ब्लड नामक पुस्तक लिखी
रेने देकार्ते –
- फ्रांस के रेने देकार्ते ने गणित के क्षेत्र में निर्देशांक ज्यामिति का जनक माना जाता है
- इनका वाक्य – “कोजिटो अरगो सम” नामक दार्शनिक वाक्य दिया जिसका अर्थ – में सोचता हूं इसलिए में हु
- इन्होने बीजगणित का प्रयोग ज्यामिति में करना सिखाया
तारतेगलिया –
- इटली का तारतेगलिया गणितज्ञ था
पेरासल्सस –
- इसने रसायन शास्त्र एवं जीव शास्त्र में संबंध स्थापित किया
हेलमोंट –
- यह हॉलेंड निवासी थे
- इन्होंने गैस शब्द का अविष्कार किया
- इनके द्वारा CO2 की खोज की गई
विलियम गिल्बर्ट –
- यह इंग्लैंड के भौतिक शास्त्री थे और इनके द्वारा चुम्बकीय सिद्धांत दिया गया
स्टेविन्स –
- यह हॉलेंड के निवासी थे इन्होंने नापतौल में दशमलव पद्धति की बात कही
पुनर्जागरण के परिणाम –
- प्राचीनता के प्रति मोह उत्पन करना
- व्यापारिक समृद्धि
- चर्च एवं राज्य के मध्य पृथक्करण
- क्षेत्रीय भाषाओं का उदय
- रोम की भव्यता का वर्णन
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