दोस्तो ये पशु जैविक अपशिष्ट का निष्पादन ओर वर्मी कम्पोस्ट के नोट्स विभिन्न एग्जाम के लिए उपयोगी है जैसे पशु परिचर भर्ती, एग्रीकल्चर सुपरवाइजर भर्ती ओर उन सभी एग्जाम के लिए उपयोगी है जिसमे पशु विज्ञान को सिलेबस मे दिया गया हो
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पशु जैविक अपशिष्ट का निष्पादन ओर वर्मी कम्पोस्ट को हमने व्यवस्थित नोट्स उपलब्ध करवाने के लिए प्रयास किया गया है ये नोट्स अशोक सर की क्लासेस के आधार पर बनाये गए है
इन पशु जैविक अपशिष्ट का निष्पादन ओर वर्मी कम्पोस्ट के नोट्स को हमने विभिन्न चरणों मे पूरा किया है
जैविक अपशिष्ट का निष्पादन ओर वर्मी कम्पोस्ट
■ जैविक अपशिष्ट का निष्पादन
जैविक खाद
- पशु पक्षियों का मल मूत्र पेड़ पौधे के सड़े गले अपशिष्ट व चारा घास के अवशेष है
- इसका प्रभाव खेत मे 2 से 3 वर्षो तक बना रहता है
- रासायनिक उर्वरकों के उपयोग के कारण मृदा मे गौण व सूक्ष्म पोषण तत्वों में कमी आ रही है
- भारत की मृदाओं मे जिंक 47%, लौहा 11.5%, कॉपर 4.8%, मैगनीज 4% की कमी है
जीवांश खाद के प्रकार
- कार्बनिक खाद / स्थूल (भारी)
- जिस खाद मे कार्बनिक पदार्थों की मात्रा अधिक व पोषण तत्वों की मात्रा कम होती है
- जैसे – गोबर की खाद, कम्पोस्ट, वर्मी कम्पोस्ट, हरी खाद, मानव मल, चिड़िया की बिट, गंदे नालों की खाद
- सांद्रित जीवांश खाद
- जिस खाद मे कार्बनिक पदार्थो की मात्रा कम एव पोषक तत्वों की मात्रा अधिक होती है
- जैसे – खलिया, हड्डी का चूरा, मछली की खाद
गोबर की खाद
- इस खाद को सड़कर तैयार होने मे 3 माह का समय लगता है
- इसका प्रयोग फसल बोने के 1 माह पूर्व करते है
- फसलों के हिसाब से खेत मे गोबर खाद 10 से 25 टन डाली जाती है व फलदार पौधों में 10-20 KG प्रति पौधा पर्याप्त है
- गोबर की खाद मे मुख्य तत्व N – 0.5%, P – 0.25%, K – 0.5%
कम्पोस्ट
- यह कार्बनिक पदार्थों एव जैविक अपघटन का स्थिरीकरण है
- यह शहरी व कस्बो के अवशिष्ट (मल- कूड़ा, करकट व कचरा) से भी तैयार की जा सकती है
वर्मी कम्पोस्ट / केंचुए की खाद

- केंचुओं द्वारा कृषि अपशिष्ट को पचाकर जो उत्तम किस्म का कम्पोस्ट तैयार किया जाता है
- वर्मी कम्पोस्ट 60 दिन में बनकर तैयार हो जाता है
- केंचुए ऑक्सिजन नामक हार्मोन का स्राव करते है जो पौधे की वृद्धि व रोग रोधी क्षमता बढ़ाने में सहायक है
- इसमे गोबर खाद की तुलना में 8 गुना अधिक एक्टिनोमाईसिटीज की मात्रा पाई जाती है
- वर्मी कम्पोस्ट मे नाइट्रोजन 1.2 से 2.5 %, फास्फोरस 1.6 से 1.8%, पोटाश 1 से 1.5% की मात्रा पाई जाती है
- सामान्य फसलों मे 5 – 6 टन/ हेक्टेयर काम मे लेते है