दोस्तो ये पशु की आयु एव भार निर्धारण के नोट्स विभिन्न एग्जाम के लिए उपयोगी है जैसे पशु परिचर भर्ती, एग्रीकल्चर सुपरवाइजर भर्ती ओर उन सभी एग्जाम के लिए उपयोगी है जिसमे पशु विज्ञान को सिलेबस मे दिया गया हो
Contents
पशु की आयु एव भार ज्ञात करनापशु की आयु निर्धारण की विधियां A पशु की शारिरिक दशा देखकर पशु की आयुB खुर देखकर C सींगों द्वारा D दांतों द्वारा दांत सूत्र = i/i + c/c + pm/pm + m/m गाय, भैंसो के विभिन्न दांत एव उनके निकलने का समय पशु की आयुभेड़ व बकरियों में दांत निकलने का समय भार ज्ञात करना◆ तोलकर आयु ज्ञात करने परपशुओ को चिन्हित करना
पशु की आयु एव भार ज्ञात करना को हमने व्यवस्थित नोट्स उपलब्ध करवाने के लिए प्रयास किया गया है ये नोट्स अशोक सर की क्लासेस के आधार पर बनाये गए है
इन पशु की आयु एव भार ज्ञात करना के नोट्स को हमने विभिन्न चरणों मे पूरा किया है
पशु की आयु एव भार ज्ञात करना
पशु का नाम | पशु की आयु (औसत) |
गाय / भेंस | 20 से 23 वर्ष |
भेड़ | 10 वर्ष |
बकरी | 15 वर्ष |
ऊंट | 40 वर्ष |
सुअर | 8 वर्ष |
कुत्ते | 10 वर्ष |
- NOTE – भेड़, बकरियों की 5 वर्ष की आयु को प्रौढ़ माना जाता है
पशु की आयु निर्धारण की विधियां
A पशु की शारिरिक दशा देखकर पशु की आयु
- इसमे त्वचा, आंखे, थन, सिंग, स्वभाव आदि को देखकर
B खुर देखकर
- यह विधि अमान्य है
- खुर आयु के साथ बढ़ते है
- यह वैज्ञानिक विधि नही है
C सींगों द्वारा
- इसमे आयु का अनुमान सींगों पर बने छल्लो के आधार पर लगाया जाता है
- पहला छल्ला तीन वर्ष की आयु पर बनता है इसके बाद प्रतिवर्ष एक छल्ला बनता है
सूत्र = 2 + छल्लो की संख्या
D दांतों द्वारा
- यह वैज्ञानिक विधि है
- कर्तन दांत
- इनकी कुल संख्या 4 जोड़ी यानी 8 होती है
- पहले अस्थायी बाद में स्थायी दांत निकलते है
- इन्हें काटने वाले दांत भी कहते है
- अग्रचर्वण एव चर्वण दांत (प्रेमोलर एन्ड मोलर)
- इन्हें कपोल दांत कहते है
- अग्रचर्वण की संख्या – 12
- चर्वण की संख्या – 12
- कील दांत
- इनकी कुल संख्या 4 होती है
- यह दांत, सुअर, कुत्ता, बिल्ली मे पाये जाते है
- पशुओ मे कूल 4 जोड़ी स्थायी दांत होते है प्रथम जोड़ा 2 वर्ष की उम्र में एव शेष 2 जोड़े एक एक वर्ष के अंतराल पर निकलते है
- 5 – 6 वर्ष में सभी दांत विकसित हो जाते है
- स्थायी दांत 6 माह बाद निकलना शुरू करते है
दांत सूत्र = i/i + c/c + pm/pm + m/m
I – कर्तन दांत / इंसाइजर
C – कील दांत / केनाइन
Pm – अग्रचर्वण / प्रेमोलर
M – चर्वण दांत / मोलर
अस्थायी दांत विन्यास = 0/4, 0/0, 3/3, 0/0
- गाय, भेंस, भेड़, बकरी मे दांतो की कुल संख्या 32 होती है
गाय, भैंसो के विभिन्न दांत एव उनके निकलने का समय पशु की आयु
निकलने का समय | काटने वाले दांत | अग्रचर्वण व चर्वण दांत |
जन्म से 1 सप्ताह | अस्थायी प्रथम जोड़ी | |
दूसरा सप्ताह | अस्थायी दूसरी जोड़ी | |
तीसरा सप्ताह | अस्थायी तीसरी जोड़ी | |
चौथा सप्ताह | अस्थायी चौथी जोड़ी | सभी अस्थायी अग्रचर्वण |
एक माह | – | सभी अस्थायी अग्रचर्वण |
6 माह / कपोल दांत का चौथा | चर्वण दांत का पहला स्थायी जोड़ा | |
1 से 1.5 वर्ष | चर्वण दांत का दूसरा स्थायी जोड़ा | |
2 से 2.5 वर्ष | स्थाई प्रथम जोड़ी | चर्वण दांत का तीसरा स्थायी जोड़ाअग्रचर्वण का पहला व दूसरा जोड़ा स्थायी |
2.5 से 3 वर्ष | स्थाई दूसरी जोड़ी | |
3 से 3.5 वर्ष | स्थायी तीसरी जोड़ी | अग्रचर्वण दांतो का तीसरा जोड़ा स्थायी |
4 से 4.5 वर्ष | स्थाई चौथी जोड़ी |
भेड़ व बकरियों में दांत निकलने का समय
आयु महीनों में | कर्तन दांतो की स्थिति |
जन्म के समय | 0 से 2 जोड़ी अस्थायी |
6 से 10 माह | सभी अस्थायी |
14 से 20 माह | प्रथम (केंद्रीय) जोड़ी स्थायी |
21 से 25 माह | द्वितीय (मध्य) जोड़ी स्थायी |
26 से 30 माह | तृतीय (पार्श्व) जोड़ी स्थायी |
30 से 36 माह | चौथी (कोने वाली) जोड़ी |
भार ज्ञात करना

- एक बछड़ी का शरीर भार प्रतिदिन औसत 400 से 500 ग्राम बढ़ता है
- कंधे के अग्रिम बिंदु से अपलास्थि बिंदु तक के बीच की दूरी पशु की लम्बाई कहलाती है
- शेफर सूत्र = लंबाई(इंच) × हदय का घेरा(इंच) / 300
◆ तोलकर आयु ज्ञात करने पर
- पशुओ को तौलने से 24 घण्टे पूर्व आहार बन्द कर देना चाहिए
- पशुओ को तौलने से 8 घण्टे पूर्व पानी बन्द कर देना चाहिए
- पशुओ को लगातार तीन दिन तौलकर औसत वजन निकालते है
NOTE –
- पशुओ मे पहले से तीसरे ब्यात मे दूध उत्पादन बढ़ता है
- पशुओ मे तीसरे से पांचवे ब्यात मे दूध उत्पादन स्थिर रहता है
- पशुओ मे पांचवें ब्यात के बाद दूध उत्पादन घटता है
पशुओ को चिन्हित करना
- टेटुइंग / गोदना –
- सर्वश्रेष्ठ विधि है
- यह स्थाई विधि है
- यह गाय, भैंसो मे प्रचलित विधि है
- ब्राडिंग / दागना –
- यह अस्थायी विधि है
- यह ऊंट व सुअर मे प्रचलित विधि है
- ईयर नाचिंग –
- यह स्थायी विधि है
- यह सुअरों मे प्रचलित विधि है
- पेंटिंग –
- अस्थायी विधि है
- यह भेड़, बकरियो मे प्रचलित है
- टैगिंग –
- इसमे छल्ला लगाना होता है