दोस्तो हमने ये टॉपिक पशु परिचर भर्ती एव एग्रीकल्चर सुपरवाइजर भर्ती को ध्यान में रखते हुए यह टॉपिक बनाया गया है
Contents
पशु प्रजनन, बंधियाकरण, कृत्रिम गर्भाधान ■ पशु प्रजनन प्रबंधन■ पशु प्रजनन की विधियां कृत्रिम गर्भाधान क्लोनिंग कृत्रिम योनि वीर्य का संरक्षण थ्राविंग क्रायो प्रिजर्वेशनएक बार मे स्खलित वीर्य की मात्राBBC टेस्टMBR टेस्टस्टीमिंग अपडाउन कवरप्रसव सुखानाफ्लसिंग गर्भकाल मदचक्र कृत्रिम गर्भाधान की विधियांमदकाल बंध्याकरण ◆ वेसेक्टोमीसींग रोधन की विधियां
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पशु प्रजनन, बंधियाकरण, कृत्रिम गर्भाधान

■ पशु प्रजनन प्रबंधन
- यदि कृत्रिम गर्भाधान विधि से प्रजनन कराना है तो उत्तम नस्ल के सांड का ही हिमीकृत वीर्य या तरल वीर्य का प्रयोग करे
■ पशु प्रजनन की विधियां
- अंत प्रजनन
- जब एक ही नस्ल के पशुओं के बीच प्रजनन होता है ऐसे प्रजनन मे एक ही नस्ल के पशुओं के बीच 4 से 6 पीढ़ियों तक संगम कराया जाता है अतः प्रजनन हानिप्रद अप्रभावी जीन को उजागर करता है वह प्रभावी जीन चयन द्वारा निष्कासित किए जा सकते है
- बहि प्रजनन
- इस प्रकार के पशु प्रजनन मे उन पशुओ से संगम कराया जाता है जिनका आपस मे कोई संबंध नही होता है ऐसे प्रजनन मे एक ही नस्ल के दो पशुओ के बीच संगम हो जाता है किंतु दोनो पशुओ के पूर्वजों मे समानता नही हो, बहि प्रजनन मे भिन्न भिन्न प्रजातियों के बीच प्रजनन सम्मिलित है
- बहि संकरण
- इस विधि मे ऐसे पशुओ के बीच संगम कराया जाता है जिनकी 4 से 6 पीढ़ियों तक नर तथा मादा दोनो तरफ की उभयवन्शावली नही होनी चाहिए
- संगम की यह विधि ऐसे पशुओ के प्रजनन मे श्रेष्ठ मानी जाती है
- संकरण
- इस प्रकार के प्रजनन मे श्रेष्ठ नस्ल के नर तथा मादा के बीच संगम कराया जाता है इस संगम से दोनों पशुओ के श्रेष्ठ गुणों के संयोजन मे मदद मिलती है संकरण विधि द्वारा भेड़ की एक नई नस्ल हिसारडेल विकसित की गई है जिसमे बीकानेरी मादा व मैरिनो नर का संकरण किया गया
कृत्रिम गर्भाधान
- विश्व मे प्रथम कृत्रिम गर्भाधान 1777 मे लाफार्ज स्टॉलनलोजी ने किया
- भारत मे प्रथम गर्भाधान 1939 मे डॉक्टर संपत कुमार द्वारा किया गया
- कृत्रिम गर्भाधान द्वारा प्रथम बफ़ेलो काल्फ का जन्म 1946 में इलाहाबाद कृषि संस्थान (उत्तरप्रदेश) मे हुआ
- भेड़ का प्रथम क्लोन डोली (1996 मे स्कोटलैंड) विकसित किया गया
क्लोनिंग
- बिना नर मादा के (असेक्सुअल) प्रजनन होता है जहाँ अंड कोशिका मे DNA को प्रतिरोपित कर दिया जाता है जिसका DNA प्रतिरोपित किया जाता है जन्म लेने वाला क्लोन उसका हूबहू प्रतिरूप होता है डोली भेड़ मे जिस भेड़ का DNA लिया गया था डोली उसका प्रतिरुप थी
- गाय का प्रथम क्लोन – कागा 1998 जापान में
- भैंस का प्रथम क्लोन – प्रथम जिसकी 7 दिन में मृत्यु हो गयी जो NDRI द्वारा वर्ष 2009 में विकसित किया गया दूसरा क्लोन – गरिमा का जन्म हुआ जो सफल रहा (जून 2009 में)
कृत्रिम योनि
- कृत्रिम योनि का उपयुक्त तापमान 39 से 41℃
वीर्य का संरक्षण
- वीर्य को तरल नाइट्रोजन मे (-196 ℃) या कार्बन डाईऑक्साइड (-79 ℃) तापमान पर संरक्षित किया जाता है
थ्राविंग
- वीर्य को बर्फ से पिघलाना थ्राविंग कहलाता है यह कार्य 37 ℃ तापमान पर किया जाता गए
क्रायो प्रिजर्वेशन
- वीर्य को द्रवित नाइट्रोजन मे भण्डारित करना क्रायो प्रिजर्वेशन कहलाता है
एक बार मे स्खलित वीर्य की मात्रा
- गाय – 5 से 8 ml
- भैंस – 5 से 8 ml
- भेड़ – 1 से 2 ml
- बकरी – 1 से 2 ml
- घोड़ा – 125 ml
- सुअर – 250 ml
BBC टेस्ट
- वीर्य की शुद्धता जानने के लिए किया जाने वाला टेस्ट
MBR टेस्ट
- वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या व गतिशीलता जानने के लिए किया जाता
NOTE – 1 सांड 1 वर्ष में 50 से 60 गाये गर्भित करवा सकते है जबकि कृत्रिम गर्भाधान से 2000 से 3000 गाये गर्भित करवा सकते है
- वीर्य को एकत्रित करने का उपयुक्त समय – प्रातः काल
- वीर्य को एकत्रित करने का उचित मौसम – सर्दी का
स्टीमिंग अप
- पशु को गर्भित होने के 6 माह बाद दिया जाने वाला आहार स्टीमिंग अप कहलाता है
डाउन कवर
- ब्याने के 15 दिन पूर्व का अनुमान लगाना डाउन कवर कहलाता है
प्रसव
- गर्भाशय से बच्चे का बाहर आना
सुखाना
- पशु ब्याने से 60 दिन पहले दूध निकालना बंद कर देतें है
फ्लसिंग
- गर्भित पशुओ को अलग से सांद्रित पदार्थ खिलाना फ्लसिंग कहलाता है
गर्भकाल
- मादा के गर्भ में होने की जांच गर्भित होने के 02 माह बाद करते है जिसे रेक्टम पाल्पेशन विधि कहते है
पशु का नाम | गर्भकाल अवधि |
गाय | 9 माह 9 दिन |
भैंस | 10 माह 10 दिन |
बकरी | 151 दिन |
भेड़ | 147 दिन |
ऊंट | 395 दिन |
मुर्गी | 21 दिन |
सुअर | 114 – 120 दिन |
घोड़ी | 340 दिन |
हाथी | 640 दिन |
पहचान
- गाय पशु मुड़ मुड़कर पीछे देखती है
मदचक्र
- दो मदकालो के बीच का समय
पशु का नाम | मदचक्र अवधि |
गाय | 21 दिन |
भैंस | 21 दिन |
बकरी | 21 दिन |
भेड़ | 16.5 दिन |
ऊंट | 14 दिन |
सूअर | 16 दिन |
- पशु के गर्भित कराने का सर्वोच्च समय मद मे आने के 12 से 18 घण्टे के बीच का होता है
- गाय, भैंस मुख्यतः ब्याने के 2 से 3 महिनो के बाद पुनः मद मे आ जाती है
कृत्रिम गर्भाधान की विधियां
- रेक्टोवेजाइनल / गुदा योनि विधि
- गाय व भैंस में काम मे ली जाती है
- वेजाइनल स्पेकुलम
- भेड़ व बकरी मे काम ली जाती
NOTE – कृत्रिम गर्भाधान मे सीमेन को मध्य गर्भाशय ग्रीवा मे छोड़ा जाता है
पशु प्रजनन संबंधी जानकारी
पशु का नाम | यौवनावस्था |
भारतीय गाय | 24 माह |
संकर गाय | 18 माह |
भैंस | 30 माह |
बकरी | 12 माह |
भेड़ | 10 माह |
ऊंटनी | 3.5 से 4 वर्ष |
NOTE – यौवनावस्था को प्यूबर्टी / परिपक्वता भी कहते है
मदकाल
- इस अवस्था मे मादा पशु संभोग करने की इछुक होती है इसे मदकाल, ताव, गर्मी व पाले/ पाली में आना कहते है
पशु का नाम | मदकाल अवधि |
गाय | 10- 24 घण्टे |
भैंस | 12 – 36 घण्टे |
बकरी | 1 – 2 दिन |
भेड़ | 1 से 1.5 दिन |
ऊंटनी | 24 से 48 घण्टे |
सूअर | 1 से 3 दिन |
- गाय व भेंस मे मदकाल प्रारंभ होने के लगभग 12 घण्टे बाद गर्भित करवाना चाहिए
- गाय व भैंस को ब्याने के लगभग 60 से 90 दिन के भीतर गर्भधारण करवाना उचित रहता है
- गर्भधारण के 60 दिन पश्चात रेक्टम पाल्पेशन विधि के माध्यम से गर्भधारण की जांच की जाती है
बंध्याकरण
- मांस उत्पादन, शांत स्वभाव तथा आसानी से नियंत्रित करने के लिए किया जाता है
- बुडिन्जोकास्ट्रेटर द्वारा
- इस यंत्र की सहायता से पशुओ को बँधीयाकरण किया जाता है इस विधि को रक्त रहित कस्ट्रेशन भी कहते है
- एलेस्ट्रेटर विधि
- इस विधि मे अण्डकोष पर रबड़ का सख्त छल्ला चढ़ा दिया जाता है
- चीरा लगाकर वृषण निकालना
- यह कार्य पशु चिकित्सक की देखरेख में किया जाता है
◆ वेसेक्टोमी
- नर बंधियाकृत पशु को वेसेक्टोमी कहते है
- बछड़ा को बैल बनाने के उद्देश्य से बंधियाकरण उम्र – 2 से 2.5 वर्ष
- भेड़ व बकरी के नर की मांस प्रति के उद्देश्य से बँधीयाकरण उम्र – 6 से 12 माह
पशु का नाम | बंधियाकरण के लिए उत्तम समय (मांस हेतु) | बंधियाकृत नर |
गाय | 6 से 12 माह | स्टीर |
भैंस | 6 से 12 माह | स्टीर |
भेड़ | 6 माह | वीडर |
बकरी | 6 माह | बक |
ऊंट | 1.5 से 2 वर्ष | स्टीर |
सुअर | 4 से 6 सप्ताह | स्टेग / हॉग |
मुर्गा | 8 से 10 सप्ताह | केपन |
- NOTE – गाय , भैंस के बैल हेतु 1.5 से 2 वर्ष में बंधियाकरण करते है बंधियाकृत नर बुलक कहलाता है
सींग रोधन की विधियां
- सिंग की रासायनिक विधि
- यह उतम विधि है
- इसमे KOH (कास्टिक पोटाश) व NaOh (कास्टिक सोडा) को उपयोग में लेते है
- यह वैज्ञानिक विधि है
- इसमे कास्टिक छड़ को सिंग कलिका पर रगड़ते है
- यह सामान्यतः 7 से 15 दिन की आयु के पशुओ मे करते है
- विद्युत डि हार्डर विधि
- इसका तापमान 1000 °F रखा जाता है जिससे मात्र 10 सेकेण्ड मे बछड़े को डि होर्निंग किया जाता है
- यह बछड़ो हेतु सुरक्षित है
- यह भारत मे कम प्रचलित है
- आरी द्वारा
- अधिक उम्र के पशुओ मे