निम्न में से राजस्थान के कौनसे सन्त गागरोण के खीची राजपूत शासक थे ? Jr instructor 2025 

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A दादूदयाल

B रामदास

C धन्ना 

D पीपा

E अनुत्तरित प्रश्न

सही उत्तर – पीपा

  • वास्तविक नाम – प्रताप सिंह खींची
  • ये गागरोण (झालावाड़) के राजा थे 
  • ये राजस्थान के प्रथम भक्ति सन्त कहलाये 
  • रामानन्द जी के शिष्य थे (कुल 12 शिष्य थे)
  • सन्त पीपा दर्जी समाज के प्रमुख देवता है
  • इन्होंने निर्गुण भक्ति का संदेश दिया था
  • मुख्य मंदिर – समदड़ी (बाड़मेर)
  • छतरी – गागरोण
  • गुफा – टोडा (टोंक)
  • मेला – चेत्र पूर्णिमा को
  • ग्रन्थ –
    • पिंपापरची
    • चितावनी
    • पिंपा कथा 
  • टोडा के राजा शूरसेन ने इनसे प्रभावित होकर अपना पूरा धन साधु संतों में बांट दिया था

दादू दयाल

  • जन्म – अहमदाबाद
  • लोदिराम नामक ब्राह्मण ने पालन पोषण किया था
  • गुरु – ब्रह्मानन्द जी / वृंदावनन्द जी / बढढंन बाबा 
  • राजस्थान में शुरुआती दिनों में ये सांभर में रहे थे, कालान्तर में आमेर में रहे थे
  • मुख्य पीठ – नरेना (जयपुर) 
  • इन्होंने निर्गुण भक्ति का संदेश दिया था
  • दादू दयाल जी को राजस्थान का कबीर कहा जाता है 
  • दादूदयाल जी ने अपने उपदेश ढूंढाणी भाषा मे दिए थे 
  • प्रथम उपदेश 1568 में दिया था
  • सत्संग स्थल – अलख दरीबा
  • इन्होंने निपख आंदोलन चलाया
  • आमेर के राजा भगवंत दास ने 1585 में दादूदयाल जी की मुलाक़ात फतेहपुर सीकरी में अकबर से करवाई थी

संत धन्ना 

  • जन्म स्थान – धुवन (टोंक)
  • इनका जन्म जाट परिवार में हुआ था
  • ये आध्यात्मिक चेतना के जनक कहलाये 
  • गुरु – रामानंद जी
  • राजस्थान में भक्ति आंदोलन की शुरुआत की थी
  • मन्दिर – बोरानाडा (जोधपुर)
  • ये पंजाब में भी लोकप्रिय है

रामस्नेही सम्प्रदाय 

  • यह सम्प्रदाय निर्गुण भक्ति में विश्वास रखता है 
  • इस सम्प्रदाय मे दशरथ पुत्र राम की पूजा नही जाती बल्कि निर्गुण नाम की पूजा की जाती है 
  • इनके साधु संत गुलाबी रंग के कपड़े पहनते है
  • शाहपुरा मे होली के अगले दिन फुलडोल मेला होता है 
  • केंद्र –
    1. शाहपुरा – भीलवाड़ा
      • संस्थापक – रामचरण जी
      • इनका जन्म – सोडा ग्राम (टोंक) के वैश्य परिवार में 
      • पिता – बख्तराम
      • माता – देऊजी
      • मुलनाम – रामकिशन
      • इन्होंने जयपुर राज्य में मंत्री के पद के रूप में भी कार्य किया
      • इन्होंने दान्तड़ा (भीलवाड़ा) मे गुरु कृपाराम जी से दीक्षा प्राप्त की थी। 
      • इन्होंने मूर्तिपूजा, बहु उपासना आदि का विरोध किया एव एकेश्वरवाद व निर्गुण निराकार राम की उपासना का उपदेश दिया 
      • मूर्तिपूजकों द्वारा परेशान किये जाने के कारण रामचरण जी शाहपुरा आगये। यहाँ के शासक रणसिंह ने इनके लिए एक छतरी व मठ की स्थापना करवाई 
      • उपदेश – अणभैवाणी में संकलित है
    2. रेन – नागौर
      • स्थापना – दरियाव जी महाराज ने की 
    3. सींथल – बीकानेर
      • इसकी स्थापना हरीरामदास जी ने की तथा इन्होंने निशानी नामक योग ग्रन्थ लिखा
    4. खेड़ापा – जोधपुर
      • स्थापना – रामदास जी ने की 
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