नाजीवाद
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- प्रथम विश्वयुद्ध के बाद लोगो के असन्तोष की चरम परिणीति थी जो यूरोप में तानाशाही सरकारों की स्थापना के रूप में नजर आयी थी जैसे जर्मनी, इटली व स्पेन में तानाशाही सरकारों को सर्वसत्तावादी सरकार भी कहा जाता है
- सम्पूर्ण विश्व मे सर्वप्रथम सर्वसत्तावादी सरकार की स्थापना रूस में हुई थी
- सर्वसत्तावादी सरकारों मे शासन की सारी शक्ति एक व्यक्ति एव एक दल मे केंद्रित हो जाती है जनता की स्वतंत्रताओ को सीमित कर दिया जाता हैं जनता को उतने ही अधिकार मिलते है जितने की सरकार द्वारा दिये जाते थे
- नाजीवाद कोई मौलिक विचारधारा नही थी बल्कि कई विचारधाराओं का समन्वय थी। तानाशाही विचारधाराएं किसी सिद्धांत पर आधारित नही होती है बल्कि समय की आवश्यकताओं के अनुसार इनमे परिवर्तन किया जा सकता है
- प्रथम विश्वयुद्ध के बाद जिस तरह जर्मनी का अपमान हुआ एव फ्रांस की प्रतिष्ठा बढ़ी उसको लेकर EH कार ने लिखा कि – “फ्रांस की पराकाष्ठा जर्मनी के मर्मान्तक अपमान का काल था”
- हिटलर के सहयोगी गोटफ्रेड फीडर के 25 सूत्रों मे नाजी पार्टी के सिद्धांतों का प्रतिबिंब नजर आता है
- KS सिनसान ने लिखा कि राष्ट्रीय समाजवादी (नाजी) दर्शन विभिन्न रंगों में नजर आता है जिसे म्यूनिख के पेंटर (हिटलर) ने एक साथ जोड़ दिया
- नाजीवाद मे यहूदियों के प्रति विरोध की नीति अपनाई गई। जर्मनी के मार्बेल्स के विचारों में सर्वप्रथम यहूदी विरोधी विचारधारा मिलती है
- हार्डनबर्ग नोवालिस की विचारधारा मे शक्ति को ही राज्य का प्रमुख आधार बताया गया
- स्टीवार्ट चेम्बलेन ने आर्य जाति की श्रेष्ठता का सिद्धांत दिया
- हीगल ने राज्य की शक्ति को प्रमुख बताया
- फिक्टे ने वीर पूजा की बात कही थी
- हिटलर ने इन सब के विचारों को मिलाकर नाजीवाद मे शामिल किया
- केटलबी ने लिखा कि हिटलर ना तो किसान था ना सैनिक एव ना ही बुद्धिजीवी बल्कि वह तो राजनीतिक पुनरुत्थानवादी था
- 1918 मे जर्मनी में एंटनड्रक्सलर ने जर्मन वर्क्स पार्टी का गठन किया था
- 1920 मे हिटलर ने इस पार्टी को अपने नियंत्रण में लिया एव इसका नाम राष्ट्रीय समाजवादी जर्मन श्रम दल (नात्सी) रखा गया
◆ म्यूनिख विद्रोह – नवम्बर 1923
- इस विद्रोह को बीयर हॉल घटना भी कहा जाता है हिटलर ने ल्युडेन्डोर्फ के साथ मिलकर वाईमर गणतंत्र को नष्ट करने का षडयंत्र रचा था किंतु दोनो गिरफ्तार हुए
- 1923 से 1928 के मध्य हिटलर लेक्सबर्ग दुर्ग में बन्दी रहा यही रहते हुए उसने अपनी आत्मकथा मीन कैम्फ 1925 मे लिखी इसमे उसने बताया कि नाजी पार्टी सत्ता में आने के बाद किस तरह जर्मनी का विकास करेगी
1920 से 1933 के मध्य जर्मनी की स्थिति

- प्रथम विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी में गणतन्त्रात्मक राज्य स्थापित किया गया इसका कारण था कि जर्मनी की सोच थी कि गणतंत्र लागू करने से मित्र राष्ट्र जर्मनी के साथ उचित व्यवहार करेंगे
- 10 नवम्बर 1918 को जर्मन सम्राट विलियम द्वितीय ने अपना पद त्याग दिया एव हॉलैंड चला गया। जर्मन चांसलर प्रिंस मैक्स ने स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया एव सोशियल डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता एबर्ट के नेतृत्व में अस्थायी सरकार बनाई
■ स्पोटिस विद्रोह – जनवरी 1919
- यह विद्रोह कार्ल लीबनेट एव राजा लक्जेमबर्ग के नेतृत्व में हुआ इनका मानना था कि रूस के समान जर्मनी में भी समाजवाद लागू किया जाना चाहिए
- इस विद्रोह को साम्यवादियों के द्वारा सत्ता प्राप्त करने का षडयंत्र भी कहा जाता है
- हिटलर ने प्रथम विश्वयुद्ध में जर्मनी के पराजित होने का दोष साम्यवादियों एव यहूदियों पर डाला।
- जर्मनी में गणतंत्र की घोषणा के बाद जनवरी 1919 में संविधान सभा के चुनाव हुए फरवरी 1919 मे संविधान सभा की प्रथम बैठक वाइमर नामक स्थान पर हुई और संविधान यही बना इस कारण इसे वाईमर गणतंत्र भी कहा जाता है
- संविधान सभा मे किसी भी दल को बहुमत नही मिला इस कारण तीन पार्टियों ने मिलकर सरकार बनाई
- सोशियल डेमोक्रेटिक पार्टी
- डेमोक्रेटिक पार्टी
- सेंटर पार्टी
- एबर्ट को राष्ट्रपति व शिडमेन को प्रधानमंत्री चुना गया
NOTE – जिस समय वर्साय की संधि पर हस्ताक्षर होने थे उस समय गुस्ताव बोर प्रधानमंत्री था इनकी ओर से जोहनास बेल व हरमन मुलर ने वर्साय की संधि पर हस्ताक्षर किए थे
- अगस्त 1919 मे वाइमर गणतंत्र ने संविधान तैयार कर लिया। संविधान निर्माण में ह्यूगो प्रेस का महत्वपूर्ण योगदान था
- इस संविधान के अनुसार कार्यकारी शक्ति राष्ट्रपति को सौंपी गई जिसका कार्यकाल 7 वर्ष रखा गया। प्रधानमंत्री व उसके मंत्रिमंडल को राइखस्टैग के प्रति उत्तरदायी रखा गया जिसका कार्यकाल 4 वर्ष रखा गया
- द्वितीय सदन राइखस्राठ मे 18 जर्मन राज्यों के प्रतिनिधि शामिल होते थे जर्मनी 18 राज्यो का संघ था
- 1920 से 1933 के मध्य जर्मनी में वाईमर संविधान के अनुसार बनी सरकारें राज्य करती रही
- वाईमर संविधान के अनुसार जर्मनी में कई अस्थिर सरकारे आई जिससे जर्मन जनता मे नाराजगी फैली एव इसी अस्थिरता का लाभ उठाकर हिटलर ने सत्ता पर अधिकार कर लिया
■ केपुटश विद्रोह – मार्च 1920 – नाजीवाद
- यह विद्रोह वुल्फांग वान वेग एव वाल्टर वान लुटवीत्ज के नेतृत्व में हुआ। यह विद्रोह भी साम्यवादियों द्वारा वाइमर गणतंत्र का पतन करने के लिए था
■ वाईमर गणतंत्र की असफलता के कारण
1 जर्मन जनता मे गणतंत्र के प्रति मोह नही था
2 अस्थिर सरकारें
3 जर्मन मुद्रा मार्क का मूल्य निरंतर गिरता जा रहा था
4 1929 की आर्थिक मंदी के कारण जर्मन की स्थिति ज्यादा खराब होना
■ वाईमर गणतंत्र की सफलतायें
- वाईमर गणतंत्र ने 1920 से 1933 के मध्य वर्साय की संधि के द्वारा जर्मनी का जो अपमान हुआ था उसे कम करने का प्रयास किया
- एलन बुल्लोक के अनुसार वर्साय की संधि जर्मनी को क्षेत्रीय दृष्टि से लँगड़ा, आर्थिक दृष्टि से खाली, भौतिक दृष्टि से साधन विहीन व भावनात्मक दृष्टि से कमजोर कर दिया
- वाईमर गणतंत्र ने जर्मनी की क्षति पूर्ति की समस्या का समाधान किया। डावस योजना व यंग योजना में कहा गया कि जर्मनी से क्षतिपूर्ति किश्तों में वसूल की जाए। 1932 मे वाइमर गणतंत्र ने क्षतिपूर्ति की रकम चुकाने से इंकार कर दिया
- लोकार्नो पैक्ट
- लोकार्नो स्विट्जरलैंड मे स्थित है
- यह समझौता इंग्लैंड के सहयोग से जर्मनी व फ्रांस के मध्य हुआ
- जर्मनी का रूर का क्षेत्र फ्रांस को आर्थिक दोहन के लिए दिया गया था किंतु फ्रांस ने 1922 मे इस पर अधिकार कर लिया। वाईमर गणतंत्र ने यहाँ की जनता को फ्रांस के विरुद्ध भड़काया। जर्मनी व फ्रांस में युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो गयी 1925 मे इस समस्या को सुलझाने के लिए ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, बेल्जियम व पोलैंड के प्रतिनिधियों का लोकार्नो मे सम्मेलन बुलाया गया
- लोकार्नो पैक्ट मे फ्रांस की सुरक्षा की जिम्मेदारी ब्रिटेन ने ली थी
- इस समझौते में जर्मन विदेश मंत्री स्ट्रैसमान ने रूर के क्षेत्र पर फ्रांस का अधिकार स्वीकार किया
- इस समझौते में जर्मनी को राष्ट्र संघ का सदस्य बनाना स्वीकार किया गया।
- वाइमर सरकार ने स्ट्रेसमान को विदेश मंत्री का पद दिया गया इसके द्वारा निम्न कार्य किये गए
डावोस योजना (1924)
- इस योजना के माध्यम से मित्र राष्ट्रो के साथ मिलकर क्षतिपूर्ति की राशि को कम करने की बात कही गयी अतः अमेरिकी अर्थ विशेषज्ञ गिलबर्ट के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया गया जिसमें 5 देश शामिल थे (अमेरिका, फ्रांस, इंग्लैंड, इटली ओर बेल्जियम)
- यंग प्लान –
- यह योजना अमेरिका के ओवेंडी यंग के द्वारा प्रस्तुत की गई जिसके तहत जर्मनी की क्षतिपूर्ति राशि को घटाकर ¼ कर दी गयी
- फ्रांस, इंग्लैंड व बेल्जियम ने जर्मन क्षेत्र से अपनी सेनाएं हटा ली
- स्ट्रेसमान ने आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए जर्मन मुद्रा मार्क के स्थान पर रेंटल मार्क मुद्रा का प्रचलन किया
नाजी दल के उदय के कारण – नाजीवाद
- बैंस ने लिखा है कि हिटलर एक कुशल मनोवैज्ञानिक, चतुर नेता, श्रेष्ठ अभिनेता, साधन संपन्न आंदोलनकारी व योग्य संगठनकर्ता था
- वर्साय की संधि
- गेथोन, हार्डी व लिप्सन के अनुसार वर्साय की संधि को नाजी दल के उदय का कारण नही माना है वह कहते है कि इस संधि का अपमान तो वाईमर गणतंत्र ने धो डाला था
- पेरिस के शांति सम्मेलन से उत्पन्न निराशा
- पेरिस के शांति सम्मेलन का अपमानजनक व्यवहार
- साम्यवाद का भय
- हिटलर ने यह डर दिखाकर जर्मनी के उद्योगपतियों को अपने पक्ष में कर लिया था
- आर्थिक असंतोष
- एन्टीसेमिटिज्म
- हिटलर के द्वारा जो यहूदी विरोधी नीति अपनाई गई उसे एन्टीसेमिटिज्म कहा गया
- नाजिदल का आकर्षक कार्यक्रम
- हिटलर का व्यक्तित्व
- जर्मन जनता का स्वभाव व चरित्र
हिटलर
- जन्म – 1889 में ऑस्ट्रिया के ब्रानो शहर में
- पिता – एलोइस हिटलर
- माता – क्लारा प्योटजेल
- 1908 मै हिटलर ने वियेना मे वास्तुकला का अध्ययन किया
- 1910 मे म्यूनिख मे पेंटर का काम किया
- हिटलर चित्रकार बनना चाहता था हिटलर के अध्यापक का नाम – लियोपोल्ड था
- प्रथम विश्वयुद्ध में हिटलर जर्मनी के पक्ष में लड़ा तथा उसकी वीरता के कारण हिटलर को प्रथम व द्वितीय श्रेणी के आयरन क्रोस से सम्मानित किया गया
- इसे सूचना व प्रसारण विभाग में काम दिया गया
- हिटलर ने नात्सी दल का मुख्यालय म्यूनिख में बनाया तथा इस दल का प्रतीक चिहन – स्वास्तिक था (HOOKRF CROSS)
- 1936 में न्यूरेम्बर्ग कानूनों के द्वारा इस चिहन को नात्सी जर्मनी दल का आधिकारिक बनाया
- नात्सी दल के प्रधान को फ़्यूहरर कहा जाता था
- हिटलर के द्वारा इस दल के प्रचार हेतु पिपुल्स ऑब्जर्वर तथा गार्जियन नामक समाचार पत्र का प्रकाशन किया था
- हिटलर की आत्मकथा – मेरा संघर्ष का प्रथम प्रकाशन वर्ष 1925 में हुआ तथा इस पुस्तक का दूसरा प्रकाशन 1928 मे किया गया
- नाजी पार्टी ने सर्वप्रथम 1925 के चुनावों में भाग लिया किन्तु उसे विशेष सफलता नही मिली थी
- 1932 के चुनावों में नाजी पार्टी को सर्वाधिक सीटे मिली किन्तु बहुमत नही मिला। इस वर्ष हिटलर ने राष्ट्रपति का चुनाव भी लड़ा। किन्तु हिडेनबर्ग राष्ट्रपति बने
- जनवरी 1933 मे सबसे बड़े दल के नेता होने के कारण राष्ट्रपति ने हिटलर को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया। हिटलर ने सरकार बनाई किन्तु पूर्ण बहुमत के लिए मार्च 1933 में पुनः चुनाव करवाने की घोषणा कर दी
- चुनाव से पूर्व 27 फरवरी 1933 को राइखस्टैग भवन में आग लगा दी गयी और इसका दोष साम्यवादि ल्युडेन्डोर्फ पर डाला गया
- मार्च 1933 के चुनावों में भी हिटलर को बहुमत नही मिला उसने नेशलिस्ट पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी
- 1934 मे राष्ट्रपति हिडेनबर्ग की मृत्यु के बाद हिटलर ने प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति दोनो के पद एक कर दिए एव अब हिटलर राइख फ़्यूरर कहलाना पसंद करता था तथा जर्मनी का नाम – तृतीय राइख कर दिया था
- राइख से तात्पर्य – साम्राज्य
- प्राचीन रोमन साम्राज्य को प्रथम राइख कहा गया तथा 1871 से 1918 तक द्वितीय राइख कहा गया
- हिटलर का समाचार पत्र – वाल किश्कर वीओबेक्टर
- गेस्टापो – नाजी पार्टी की पुलिस
- गोबल्स – हिटलर का प्रचार मंत्री
- हरमन गोरिंग – हिटलर का गृहमंत्री
हिटलर के द्वारा विरोधियों का दमन हेतु उठाये कदम – नाजीवाद
- केन्स्ट्रेशन कैम्प –
- यह बिजली के कंटीले तारो से घिरा स्थान था जहाँ कैदियों को रखा जाता था हिटलर का प्रचार मंत्री – गैबल्स था गाइबल्स का कहना था कि किसी जुठ को इतनी अधिक बार दोहराए की सच लगने लगे
- हिटलर का गृहमंत्री – हरमन गोरिंग था इसे विरोधियों को समाप्त करने का कार्य दिया गया
- हिटलर की सेना
- S. A / भूरी कमीज वाली सेना – यह हिटलर का सशस्त्र दल था जिसके सदस्य भूरी कमीज पहनते थे एव स्वास्तिक ( HOOKRE CROSS) का चिह्न धारण करते थे
इस सेना का नेतृत्व अर्नेस्ट रोहम के द्वारा किया गया इनका कार्य था नाजी पार्टी के विरोधी नेताओ व उनकी सभाओं को नष्ट करवाना
- S. S. / काली कमीज वाली सेना – यह भी नाजी पार्टी का सशस्त्र दल था जिसके सदस्य खोपड़ी के चिह्न वाली काली कमीज पहनते थे
इस दल का मुखिया – हेनरी हिमलर था इनका कार्य था – नाजी पार्टी के सदस्यों की रक्षा करना
3. खूनी शनिवार
- हिटलर के द्वारा 30 जून 1934 को शनिवार के दिन अपने राजनैतिक विरोधियों की हत्या करवा दी थी
- यह घटना खूनी शनिवार व लम्बे चाकुओं की रात के नाम से प्रसिद्ध है
4. टूंटे कांच की रात
- 1938 मे हिटलर ने यहूदियों की हत्या करवा दी जो कि टूंटे कांच की रात के नाम से प्रसिद्ध है
- हिटलर ने यहूदियों का दमन करने के लिए जो कानून बनाये उसे घेटो कानून के नाम से जाना गया
- हिटलर का ओश वित्स शिविर यहूदियों को मारने के लिए बनाया गया। यहूदियों की सामुहिक हत्या को होलोकॉस्ट के नाम से जाना गया
- यूथेनेशिया के माध्यम से कमजोर व विकलांग व्यक्ति की हत्या की जाती थी जिसे दया मृत्यु के नाम से जाना गया
हिटलर की गृहनीति
1 सर्वशक्तिमान नाजी दल
- हिटलर ने सिविल सेवा पुनः स्थापना अधिनियम के द्वारा जर्मनी में सभी दलों को अवैध घोषित कर दिया एव केवल नाजी दल ही प्रमुख रह गया
2 सर्वसत्तावादी राज्य की स्थापना
- हिटलर ने जर्मनी में स्थानीय शासन की संस्थाओं को भंग कर दिया। प्रांतीय विधानसभाओं को भंग किया एव केंद्र की ओर से प्रान्तों में स्टेट हॉल्टर नियुक्त किये गए प्रशा का स्टेट होल्टर स्वयं हिटलर बना था
3 यहूदी विरोधी नीति
- सितंबर 1935 में हिटलर ने न्यूरेम्बर्ग कानूनों के द्वारा यहूदियों का उत्पीड़न का कार्य किया इनकी सम्पति व सरकारी नौकरियां छीन ली गयी एव नागरिक अधिकारो को भी सीमित कर दिया गया
4 दल शुद्धि कार्यक्रम
- इसके अंतर्गत हिटलर ने अपने विरोधियों को समाप्त करने का कार्य किया। SS का अध्यक्ष अर्नेस्ट रोहा था जो हिटलर का विरोधी था उसे हिटलर ने मरवा दिया
5 कोंकार्डेट
- हिटलर ने फ्रांस में कैथोलिकों के साथ धार्मिक समझौता किया
6 मौलिक अधिकारों को समाप्त करना
- हिटलर ने अपनी गृहनीति मे नाजी पार्टी का शिक्षा कार्यक्रम बनाया एव जर्मनी के आर्थिक विकास के लिए भी प्रयास किये
हिटलर की विदेश नीति – नाजीवाद
- मीन केम्प मे हिटलर ने कहा था कि अपार प्राकृतिक संपदा से युक्त यूराल पर्वत, साइबेरिया के विस्तृत वन एव यूक्रेन का अन्न भण्डार नही मिल जाता तब तक नाजी पार्टी के नेतृत्व में जर्मनी का विस्तार जारी रहेगा
- एलन बुलॉक ने लिखा कि – हिटलर का एक ही कार्यक्रम था पहले सत्ता अपने लिए व फिर जर्मनी के लिए सत्ता का विस्तार बाकी सब कुछ सजावट था
- राष्ट्र संघ से संबंध विच्छेद – 1933
- 1932 मे राष्ट्र संघ के नेतृत्व में जेनेवा निशस्त्रीकरण सम्मेलन हुआ इसमे जर्मनी ने मित्र राष्ट्रो के निशस्त्रीकरण की बात कही किन्तु फ्रांस ने इसे नही माना
- हिटलर राष्ट्र संघ की सदस्यता को जर्मनी के लिए अपमान समझता था वह कहता था कि राष्ट्र संघ मे जर्मनी को समानता का दर्जा नही दिया जा रहा है
- 4 शक्तियों का समझौता – 1933
- जर्मनी ने ब्रिटेन फ्रांस व इटली के साथ यह समझौता किया जिसका उद्देश्य – हिटलर यूरोप में अपने आप को शांतिवादी बताना चाहता था
- पोलैंड के साथ अनाक्रमणता समझौता – जनवरी 1934
- हिटलर ने पोलैंड के साथ 10 वर्षीय अनाक्रमण समझौता किया
- ऑस्ट्रिया को हडपने का प्रयास – 1934
- 1918 मे ऑस्ट्रिया व जर्मनी ने एक होने के प्रयास किये किंतु प्रथम विश्वयुद्ध के बाद मित्र राष्ट्रो ने यह इजाजत नही दी
- जर्मनी में हिटलर द्वारा सत्ता में आने के बाद ऑस्ट्रिया ने जर्मनी के साथ मिलने से इंकार कर दिया
- जुलाई 1934 में नाजी पार्टी ने ऑस्ट्रिया मे विद्रोह भड़का दिया प्रधानमंत्री डाल्फ़स मारा गया किन्तु हिटलर ऑस्ट्रिया पर अधिकार नही कर सका क्योंकि ऑस्ट्रिया मे नाजी पार्टी का संगठन मजबूत नही था एव इटली ने भी ऑस्ट्रिया का साथ दे दिया
- सार मे जनमत संग्रह – मार्च 1935
- जर्मनी का सार का क्षेत्र वर्साय की संधि के द्वारा फ्रांस को 15 वर्ष के लिए मिला था 15 वर्ष बाद इस क्षेत्र में जनमत संग्रह करवाया जाना था कि सार जर्मनी में मिलेगा या फ्रांस में। जनमत संग्रह का परिणाम जर्मनी के पक्ष में आया
- जर्मनी सशस्त्रीकरण
- मार्च 1935 में हिटलर ने जर्मनी में पुनः सशस्त्रीकरण के आदेश जारी कर दिए जर्मनी का विरोध करने के लिए अप्रेल 1935 मे स्ट्रेसा (इटली) मोर्चा का गठन हुआ यहाँ पर ब्रिटेन फ्रांस व इटली ने केवल जर्मनी की आलोचना करी थी। फ्रांस के कहने पर भी जर्मनी के विरुद्ध कोई कार्यवाही नही की गई थी
- स्ट्रेसा मोर्चा ने यूरोप की सुरक्षा व्यवस्था में दरार डाल दी फ्रांस की सुरक्षा की गांरटी समाप्त हो गयी एव लोकार्नो पैक्ट भंग हो गया
- ब्रिटेन के साथ नौसैनिक समझौता – जून 1935
- हिटलर ने इस समझौते में इंग्लैंड को वचन दिया कि वह इंग्लैंड के मुकाबले में अपनी नौसेनिक शक्ति का विस्तार नही करेगा
- राइनलैंड का सैन्यकरण – 1936
- वर्साय की संधि के द्वारा फ्रांस को जर्मनी से बचाने के लिए जर्मनी के राइनलैंड को विसैन्यकृत क्षेत्र घोषित किया गया किन्तु 1935 मे जब इटली ने अबीसीनिया पर आक्रमण कर दिया तो इस घटना से प्रेरित होकर मार्च 1936 में जर्मनी ने राइनलैंड मे सेनाएं भेज दी।
- रोम – बर्लिन धुरी – अकटुम्बर 1936
- हिटलर ने उग्र राजनीती को अपनाने के बाद जर्मनी के अकेलेपन को समाप्त करने के लिए अपनी ही विचारधारा वाले राष्ट्रो से नजदीकियां बढ़ाई
- जब इटली ने अबीसीनिया पर आक्रमण कर दिया तो जर्मनी इस मामले में शांत रहा इस कारण अकटुम्बर 1936 मे रोम बर्लिन धुरी का निर्माण हुआ
◆ एंटी कॉमिन्टर्न पैक्ट – अकटुम्बर 1937
- यह समझौता जर्मनी ने जापान के साथ किया जो रूस के विरुद्ध था। रूस की कॉमिन्टर्न संस्था साम्यवाद का प्रचार कर रही थी। हिटलर ने इस प्रचार को रोकने के लिए जापान से समझौता किया जिसमें दोनों देशों ने कहा कि वे रूस की गतिविधियों की सूचना एक दूसरे को देंगे
- नवम्बर 1937 मे जापान रोम बर्लिन धुरी मे शामिल हो गया एव रोम बर्लिन टोक्यो धुरी का निर्माण हो गया
10. ऑस्ट्रिया पर आक्रमण – 1938
- 12 फरवरी 1938 को हिटलर ने ऑस्ट्रिया के प्रधानमंत्री शुशनिग को बर्खतेसगादेन (म्यूनिख) नामक स्थान पर मिलने के लिए बुलाया एव उसे प्रधानमंत्री का पद त्यागने को कहा। इस समय ऑस्ट्रिया का राष्ट्रपति मिकलास था
- ऑस्ट्रिया ने 13 मार्च को जनमत संग्रह की बात कही की ऑस्ट्रिया जर्मनी में मिलना चाहता है या नही
- हिटलर ने जनमत संग्रह को रद्द करवा दिया एव शुशनिग को पद छोड़ना पड़ा
- ऑस्ट्रिया मे नाजी पार्टी के नेता सेइसन काईवर्ट ने अपनी स्थिति को मजबूत कर ली थी यह प्रधानमंत्री बन गया एव इसने ऑस्ट्रिया मे विद्रोह दबाने के बहाने जर्मनी की सेनाओं का ऑस्ट्रिया मे प्रवेश करवा दिया।
11. चेकोस्लोवाकिया पर अधिकार – 1938
- यहाँ के सुडेटेनलेण्ड नामक क्षेत्र मे जर्मन जाति के लोग बहुसंख्यक थे एव यहाँ पर नाजी नेता कोनार्ड हेडलीन विद्रोह भड़का रहा था हिटलर ने यहाँ के जर्मन लोगो की सुरक्षा की बात कहकर चेकोस्लोवाकिया पर दबाव डालना प्रारंभ कर दिया
- 14 सितंबर 1938 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री चेम्बरलेन ने चेकोस्लोवाकिया को बचाने के लिए बर्खेतेसेगादेन मे हिटलर से मुलाकात करी एव दोनो मे समझौता हो गया इस समझौते को फ्रांस ने भी स्वीकार किया
- बर्खेतेसेगादेन मे हिटलर ने चेम्बरलेन से सुडेटेनलेण्ड के क्षेत्र को जर्मनी में मिलाने की बात कही
- 22 सितंबर 1938 को चेम्बरलेन पुनः गोडेसबर्ग (म्यूनिख) मे हिटलर से मिला था इस बार हिटलर ने हंगरी व पोलैंड की ओर से भी चेकोस्लोवाकिया के क्षेत्र मांगे
◆ म्यूनिख पैक्ट – 29 सितंबर 1938
- चेकोस्लोवाकिया के मामले को लेकर म्यूनिख मे जर्मनी (हिटलर), ब्रिटेन (चेम्बरलेन), फ्रांस (दलादियार) एव इटली (मुसोलिनी) के मध्य बैठक हुई
- म्यूनिख समझौते से प्रेरित होकर हिटलर ने चेकोस्लोवाकिया मे अपनी सेनाएं भेज दी एव उसका अंग भंग कर दिया
- म्यूनिख समझौते कर बाद चेम्बरलेन ने कहा था कि मै समान सहित शांति लेकर आया हु इसका जबाब देते हुए चर्चिल ने कहा कि ब्रिटेन को अपमान व युद्ध दोनो मे से एक चुनना था उसने अपमान को चुना था अब वह युद्ध से भी नही बचेगा
- जर्मन विदेश मंत्री रिवेन्ट्राय ने चेम्बरलेन के लिए कहा – “यह वृद्ध महोदय ने अपने मृत्यु के आदेश पत्र पर हस्ताक्षर कर चुके है अब तारीख निश्चित करना हमारा कार्य है”
- महात्मा गांधी ने इस म्यूनिख समझौते के लिए कहा “यूरोप ने अपनी आत्मा बेच डाली”
- पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा “इंग्लैंड रूस व फ्रांस तीनो मिलकर शांति के पक्ष में खड़े हो जाते तो हिटलर के आक्रमण को रोका जा सकता है”
- म्यूनिख – जर्मनी का शहर है यह बवेरिया राज्य की राजधानी है इसी शहर में BMW कारे बनती है
- शमां के अनुसार यह समझौता आंतक पर आधारित उसकी (हिटलर) नीति का सर्वोच्च विकास थी वह आगे लिखते है कि यह समझौता तुष्टिकरण की नीति का सर्वोच्च विकास था पश्चिमी लोकतंत्र की मृत्यु का आज्ञा पत्र था सामुहिक सुरक्षा के विनाश का प्रतीक था
- डेविड थॉमसन लिखते है कि चेकोस्लोवाकिया के मामले में सामुहिक सुरक्षा देने की बजाय उसका सामुहिक ब्लैकमेल किया गया उसे अपने क्षेत्र जर्मनी को सौंपने को मजबूर किया गया
- म्यूनिख समझौते के समय चेकोस्लोवाकिया के राष्ट्रपति बर्नेश थे
- चेकोस्लोवाकिया के बोहमिया क्षेत्र के बारे में बिस्मार्क ने कहा था कि बोहमिया जिसके पास होगा उसका यूरोप पर अधिकार होगा
12. जर्मनी द्वारा मेमेल पर अधिकार
- वर्साय की संधि के द्वारा मेमेल का क्षेत्र जर्मनी से छीन लिया गया
- इस क्षेत्र को लेकर पोलेण्ड व लिथुआनिया के मध्य विवाद चला था राष्ट्र संघ ने मेमेल का क्षेत्र लिथुआनिया को दे दिया
- 1939 मे हिटलर ने लिथुआनिया पर दबाव डालकर यह क्षेत्र ले लिया
13 फौलादी समझौता – 1939
- यह समझौता हिटलर ने इटली के साथ किया
- जर्मनी का बिस्मार्क इटली को शृगाल (सियार) कहता था
- इस समझौते मे दोनो ने निर्णय किया कि समान हितों के मामले पर एकजुट रहेंगे
14 छोटे देशो के साथ अनाक्रमण समझौता -1939
- हिटलर की आक्रामक नीति के कारण एस्टोनिया, लेटविया व डेनमार्क ने हिटलर से अनाक्रमण समझौता कर लिया
15 रूस के साथ अनाक्रमण समझौता
- अगस्त 1939 में जर्मनी ने रूस के साथ 10 वर्षीय अनाक्रमण समझौता कर लिया
- इस समझौते के बाद जर्मनी ने 1 सितंबर 1939 को पोलेण्ड पर अधिकार कर लिया एव द्वितीय विश्वयुद्ध प्रारम्भ हो गया