
दोस्तो ये दूध विज्ञान के नोट्स विभिन्न एग्जाम के लिए उपयोगी है जैसे पशु परिचर भर्ती, एग्रीकल्चर सुपरवाइजर भर्ती ओर उन सभी एग्जाम के लिए उपयोगी है जिसमे पशु विज्ञान को सिलेबस मे दिया गया हो
पशु दूध विज्ञान को हमने व्यवस्थित नोट्स उपलब्ध करवाने के लिए प्रयास किया गया है ये नोट्स अशोक सर की क्लासेस के आधार पर बनाये गए है
इन दूध विज्ञान के नोट्स को हमने विभिन्न चरणों मे पूरा किया है
दूध विज्ञान
दूध / Milk
- स्वस्थ मादा पशुओ से जिनका पालन पोषण सही ढंग से किया गया हो, वत्स जनन के 15 दिन पूर्व ओर 15 दिन पश्चात जो स्वच्छ एव ताजा लेक्टिक क्षरण प्राप्त होता है, उसे दूध कहते है
- पूर्ण दूध उसे कहते है जिसमे न्यूनतम वसा 3.25% व वसा रहित ठोस पदार्थ (SNF) 8.5 % हो
दूध के अवयव
1 पानी
- दूध में पानी की मात्रा औसतन 80-89% तक होती है
- यह मात्रा पशु की जाति एव नस्ल के अनुसार अलग अलग हो सकती है जैसे भेड़ 80.5%, भैंस 82.2% व गाय 87.1% दूध में पानी की मात्रा पाई जाती है
- पानी दूध में उपस्थित अवयवों का घोतक होता है जिसमे कुछ अवयव घुलनशील अवस्था एव कुछ निलंबन अवस्था मे रहते है
2 प्रोटीन
- दूध में मुख्यतः तीन प्रकार की प्रोटीन (केसिन, लेक्टोएल्ब्युमिन तथा लेक्टोग्लोबुलीन) पाई जाती है
- दूध प्रोटीन मे 80% केसिन होती है जो दूध के अंदर पायस के रूप में पाई जाती है
- दूध का सफेद रंग केसिन के कारण होता है
- दूध में प्रोटीन की मात्रा भेड़ 5.2%, भैंस 3.6%, गाय 3.5% सामान्यतः पाई जाती है
3 वसा
- वसा दूध का मुख्य अवयव है इसी के द्वारा दूध का मूल्य निर्धारण किया जाता है
- यह दूध में सबसे अधिक घटने बढ़ने वाला अवयव है
- 1 ग्राम दुग्ध वसा मे 9.3% कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है
- दूध में वसा निलंबन अवस्था मे गोलिकाओ के रूप में पाई जाती है अतः यह आसानी से दूध से अलग की जा सकती है
- औसतन सर्वाधिक वसा भेड़ के दूध में 7.9% पाई जाती है
- औसतन वसा भैंस 7.3%, गाय 3.8%, बकरी 4.2%
4 दुग्धम / LACTOSE
- लेक्टोज़ दूध का मुख्य कार्बोहाइड्रेट है अतः ऊर्जा का साधन है एक ग्राम लेक्टोज से 4.0 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है
- यह दूध के अंदर घुलनशील अवस्था मे पाया जाता है
- यह दूध में सबसे कम घटने बढ़ने वाला अवयव है
- दूध में मीठापन लेक्टोज के कारण ही होता है
- सर्वाधिक लेक्टोज मानव के दूध में होता है बकरी 4.2% लेक्टोज पाया जाता है
5 खनिज लवण
- दूध में अधिकतर खनिज लवण उपस्थित रहते है
- दूध में कैल्शियम एव फास्फोरस प्राप्त करने का अच्छा स्त्रोत है
- दूध में खनिज लवण की मात्रा 0.70 से 0.90% तक होती है
- दूध में लोहा (आयरन) तत्व की मात्रा न्यून पाई जाती है
6 विटामिन
- दूध में उपस्थित जल में घुलनशील विटामिन विटामिन B एव विटामिन C होते है
- दूध में उपस्थित वसा मे घुलनशील विटामिन विटामिन A D E K होते है
- दूध विटामिन A का अच्छा स्त्रोत व विटामिन C का कमजोर स्त्रोत होता है
- ऊंटनी का दूध विटामिन C व इंसुलिन का अच्छा स्त्रोत है
- भेड़ का दूध विटामिन C का सर्वोत्तम स्त्रोत है
7 किण्वक
- दूध में मुख्यतः फास्फेटेज, एमाइलेज, प्रोक्सिडेज, प्रोटीएजफज, केटेलेज एव जेन्थिल किण्वक पाये जाते है
- यह दूध में कार्बनिक उत्प्रेरक की भांति कार्य करते है
दूध का रासायनिक संगठन _ दूध विज्ञान
स्तनधारी | पानी % | ठोस पदार्थ | वसा % | प्रोटीन % | लेक्टोज % | खनिज लवण % | SNF % |
गाय | 86.61 | 13.19 | 4.14 | 3.58 | 4.96 | 0.71 | 9.25 |
भैंस | 82.76 | 17.24 | 7.38 | 3.60 | 5.48 | 0.78 | 9.86 |
बकरी | 87.00 | 13.00 | 4.25 | 3.52 | 4.27 | 0.86 | 7.75 |
भेड़ | 80.5 | 19.29 | 7.90 | 5.23 | 4.81 | 0.90 | 11.39 |
मनुष्य | 87.43 | 12.57 | 3.75 | 1.63 | 6.98 | 0.21 | 8.82 |
दूध में भौतिक गुण
- दूध का रंग : सफेद (केसिन प्रोटीन के कारण), गाय के दूध का रंग हल्का पीलापन लिए हुए होता है दूध में ये पीलापन केरोटीन के कारण होता है
- दूध का स्वाद – हल्का मीठा (दुग्धम/ लेक्टोज के कारण)
- दूध का pH मान 6.4-6.7%
- दूध में अम्लता प्रतिशत 0.12-0.16 (दूध की अम्लता 0.2% भी होती पर उबाला जाये तो दूध फट जाता है )
- दूध का आपेक्षिक घनत्व 1.028-1.032 के मध्य होता है
गाय के दूध का आपेक्षिक घनत्व | 1.028-1.30 |
भैंस के दूध का आपेक्षिक घनत्व | 1.032 |
खीस का आपेक्षिक घनत्व | 1.04-1.08 |
वसा का आपेक्षिक घनत्व | 0.93 |
प्रोटीन का आपेक्षिक घनत्व | 1.34 |
लेक्टोज़ का आपेक्षिक घनत्व | 1.66 |
- दूध की वर्तनांक 1.344-1.348
- दूध की विद्युत संचालकता 0.005 म्होज
- दूध का विशिष्ट ऊष्मा मान 3.97
- दूध का गाढ़ापन 1.5- 2.0 सेंटीपाइज
- दूध का उबाल बिंदु 101.5℃
- दूध का हिमांक बिंदु -0.52 से -0.56 ℃
दूध का वैधानिक मान (standard value)
- खाद्य अपमिश्रण निवारक अधिनियम 1954 के अनुसार विभिन्न वर्गों के दूध का मानक भारत मे निम्नलिखित है
दूध | वसा (न्यूनतम) | SNF (न्यूनतम) |
गाय | 3.5% | 8.5% |
भैंस | 6% | 9% |
भेड़ | 7.5% | 9% |
बकरी | 3.5% | 9% |
डबल टॉड | 1.5% | 9% |
टॉड | 3% | 8.5% |
रिकमाइंड | 3% | 8.5% |
स्ट्रेण्डर्ड | 4.5% | 8.5% |
सप्रेटा | 0.5% | 8.7% |
ऊंटनी | 5% | 7% |
दूध की गुणवत्ता एव परीक्षण – दूध विज्ञान
1 ज्ञानेन्द्रियों द्वारा
- आंखों द्वारा देखकर, नाक द्वारा सूंघकर तथा चखकर मुख्य रूप से 3 परीक्षण किए जाते है 1 सुवास (falvour) 2 स्वाद (taste) 3 दर्शन
- जिससे सामान्यतः मिलावट व ताजापन का पता लगाया जाता है
2 उबालने पर फटने का परीक्षण (COB टेस्ट)
- C.O.B. टेस्ट के लिए परखनली मे 15 मिली दूध लेकर गर्म करते है
- गर्म करने पर दूध फट जाए तो समझना चाहिए दूध ताजा नही है
- सामान्य दूध की अम्लता 0.12% से 0.16% होती है यह दूध में उपस्थित CO2 की मात्रा, केसिन, एल्ब्यूमिन तथा फास्फेट के कारण होती है इसे प्राकृतिक अम्लता कहते है इसके कारण दूध नही फटता है
- विकसित अम्लता – स्ट्रेप्टोकोकस व लैक्टोबैसिलस जीवाणुओं द्वारा दूध में उपस्थित दुग्धम (लेक्टोज) को लेक्टिक अमल में बदल दिया जाता है जिससे दूध में अम्लता बढ़ जाती है अतः दूध विकसित अम्लता के कारण ही दूध फटता है
3 वसा परीक्षण
- दूध का मूल्य निर्धारण हेतु वसा परीक्षण अतिआवश्यक है
- वसा परीक्षण ब्यूटाइरोमीटर द्वारा ज्ञात किया जाता है जिसके लिए गरबर विधि का प्रयोग करते है जो अपकेन्द्रीय बल पर कार्य करती है
- ब्यूटाइरोमीटर मे क्रमशः सल्फ्यूरिक अमल 10 ml, दूध 10.75 मिली व एमाइल एल्कोहल 1.0 मिली डाला जाता है जिसे 1100 राउंड/मिनट के लिए गरबर द्वारा घुमाते है तथा प्राप्त पाठ्यांक नॉट कर लिया जाता है
- लैक्टोमीटर द्वारा दूध का आपेक्षिक घनत्व ज्ञात किया जाता है
- लैक्टोमीटर यंत्र पर ऊपर से नीचे की ओर क्रमशः 0से 40 तक निशान होते है
- इस यंत्र मे अर्धचन्द्राकार आकृति मे पारा भरा होता है
- सामान्य दूध का आपेक्षिक घनत्व 1.030
- ताजा दुध मे CO2 की मात्रा अधिक होने के कारण दूध अपेक्षिक घनत्व दूध निकालने के 1 घण्टे बाद ही ज्ञात करना चाहिए
- दुध मे सप्रेटा दूध मिलाने पर दूध का आपेक्षिक घनत्व बढ़ जाता है
हंसा परीक्षण
- भैंस के दूध में पानी मिलाकर गाय का कहकर बेचने पर यह परीक्षण करते है
आयोडीन परीक्षण
- दूध में स्टॉर्च की मात्रा ज्ञात करने के लिए
नाइट्रेट परीक्षण
- दूध में वर्षा जल की मात्रा ज्ञात करने के लिए
मेसेटेड घोल परीक्षण
- थनैला (मेसेटेटिस) रोगजनित पशु के दूध की पहचान के लिए ये परीक्षण प्रत्येक महीने में किया जाता है
दूध दोहन / milk tapping – दूध विज्ञान
- दूध दोहन की सम्पूर्ण प्रक्रिया पशु के बांयी ओर बैठकर 5 से 7 मिंट मे पूर्ण करते है
- दूध को पाश्चुरिकरन करने के तुरंत बाद 10℃ तापमान पर ठंडा किया जाता है
दूध को निर्ज़मीकृत करना
- इस प्रक्रिया से दूध में उपस्थित हानिकारक तथा लाभदायक जीवाणुओ को उनके बीजाणुओं सहित नष्ट कर दिया जाता है
- दूध को नॉनस्टिल बर्तन में 100℃ तापमान पर 30 मिनट तक रखकर निर्ज़मीकृत किया जाता है
- निर्ज़मीकृत दूध से दूध नही जमता ये दूध काफी दिनों तक सुरक्षित रहता है
अवशीतन केंद्र
- इसमे दूध को 4℃ तापमान पर 10-12 घण्टे के लिए रखा जाता है इसके बाद इंसुलेटेड टैंकरों द्वारा बड़े संयंत्रों तक पहुंचाया जाता है
- B.M.C. – Bulk Milk Cooler यह अवशीतन के रूप में उपयोग लिए जा रहे है
दूध दोहन की विधियां
- चुटकी विधि
- इस विधि मे दूध दोहन मे अधिक समय लगता है प्रायः छोटे पशुओ (भेड़, बकरी) मे इस विधि से दुग्ध दोहन किया जाता है
- पूर्ण हस्त विधि
- दुग्ध दोहन की सर्वोत्तम विधि है
- इस विधि से दूध दोहन मे कम समय लगता है
- इसे लम्बे थनों वाले पशुओ मे काम लेते है
- अँगूठा विधि
- दोषपूर्ण विधि है
- इससे थनों मे गांठे व घाव होने की संभावना रहती है
- इस विधि से दूध दोहन से पशु को परेशानी होती है
- मशीनों द्वारा
- मशीनों का प्रयोग व्यवसायिक स्तर पर डेयरी फार्मो मे अधिक दूध देने वाले पशुओ के लिए किया जाता है
- दुग्ध नाड़ी (मिल्क वैन) मे खून भरा होता है
- दुग्ध उतारने का कार्य अंडर सिस्टर्न कोशिकाओं द्वारा किया जाता है
- इंसुलिन हार्मोन्स मादा पशुओ मे स्तन की वृद्धि व कोशिका विभाजन का कार्य करता है
- प्रोलेक्टिन हार्मोन्स पशुओ को मिल्क स्त्राव को बढ़ाने के लिए दिया जाता है
दूध भंडारण के उपाय
- दुग्ध का पाश्चुरीकरण करना
- इस क्रिया से दूध में उपस्थित जीवाणु नष्ट हो जाते है पर उनके बीजाणु जीवित रहते है इस प्रक्रिया से दूध को कुछ दिनों तक सुरक्षित रखा जाता है
- दूध को पाश्चुरिकरण करने के 03 माध्यम है
- L.T.L.T. (लो टेम्परेचर लोंग टाइम) – इस विधि मे दूध को 63℃ (145 °F) तापमान पर 30 मिनट तक रखते है
- H.T.S.T. (हाई टेम्परेचर शॉर्ट टाइम) – इस विधि मे दूध को 72℃ (160 °F) तापमान पर 15 से 18 सेकेंड रखते है
- U.H.T. (अल्ट्रा हाई टेम्परेचर) – इस दूध को 135-149 ℃ तापमान पर 1 से 5 सेकेंड रखते है
- दूध को पाश्चुरीकृत करने के तुरन्त बाद 10 ℃ तापमान पर ठंडा किया जाता है
2. दूध को निर्जमीकृत करना
- – इस प्रक्रिया से दूध में उपस्थित हानिकारक तथा लाभदायक जीवाणुओं को उनके बीजाणु सहित नष्ट कर दिया जाता है
- दूध को नॉन स्टील बर्तन में 100 ℃ तापमान पर 30 मिनट तक रखकर निर्ज़मीकृत किया जाता है
- निर्ज़मीकृत दूध से दूध नही जमता , ये काफी दिनों तक सुरक्षित रहता है
3. अवशीतन केंद्र
- इसमे दूध को 4℃ तापमान पर 10-12 घण्टे के लिए रखा जाता है इसके बाद इंसुलेटेड टेंकरो द्वारा बड़े डेयरी सयंत्रो तक पहुंचाया जाता है
- BMC (bulk milk cooler) यह अवशीतन के रूप में उपयोग लिया जा रहा है
खीस – दूध विज्ञान
- नवजात पशु को उसके भार का 1/10 (10%) पिलाया जाता है
- यह तुरन्त ब्याही हुई मादा पशुओ से लगभग 3 दिन (72 घण्टे) तक प्राप्त होता है
- यह स्त्राव भौतिक व रासायनिक गुणों से दूध से भिन्न होता है तथा गर्म करने पर फट जाता है
- यह नवजात को पोषण के साथ साथ बहुत ही बीमारियों से बचाता / रोग प्रतिरोधक क्षमता की शक्ति प्रदान करता है जन्म लेते ही नवजात बछड़े बछड़ियों को खीस पिलाना चाहिए
- खीस दूध की अपेक्षा गाढी व हल्के पीले रंग (केरोटीन की अधिकता) की होती है
- इसमे दूध से अधिक प्रोटीन, विटामिन A व खनिज लवण पाये जाते है
- खीस मे सर्वाधिक मात्रा में लेक्टोएल्ब्यूमिन तथा लेक्टोग्लोब्युलिन पाई जाती है जिस कारण यह उबालने पर फट जाती है
- गाय के खीस मे प्रोटीन- 16%
- भैंस के खीस मे प्रोटीन – 21 %
दूध तथा खीस के संगठन में अंतर
अवयव | दूध | खीस |
आपेक्षिक घनत्व | 1.028-1.032 % | 1.040-1.080 % |
खनिज लवण | 0.7-0.9 % | 1.10 % |
प्राकृतिक अम्लता | 0.12-0.18% | 0.2-0.6% |
पानी की मात्रा | 82-87% | 71-75% |
लेक्टोज | 4.2% | 2.1% |
प्रोटीन | 3.5% | 17.5% |
जमाव बिंदु | -0.54 ℃ | -0.60 ℃ |
दही
- सुगन्ध – डाईएसिरिल के कारण
- दही एक सामान्य किण्वित दूध पदार्थ है
- दही बनाने के लिए उपयुक्त तापमान 70- 72 °F
- दही, दूध को उबालकर 21 ℃ तक ठंडा करके उसमें उचित मात्रा में जामन (लेक्टिक, एसिड, बैक्टीरिया) डालकर उचित तापमान पर 8 से 10 घण्टे तक रखकर प्राप्त किया जाता है
- दही में पानी एव लेक्टोज़ की मात्रा सामान्य दूध की अपेक्षा कुछ कम होती है
- सर्दियों में दही जमाने के लिए 2% जामन डालकर दूध को 12 से 14 घण्टे रखते है
- गर्मियों में दही जमाने के लिए 1% जामन डालकर दूध को 8 से 10 घण्टे रखते है
दही का औसत संघटन
पानी | 85- 88% |
वसा | 5.0 – 8.0% |
लेक्टोज | 4.6 – 5.0 % |
प्रोटीन | 3.4% |
लेक्टिक अमल | 0.6-1.10 % |
केल्शियम | 0.12- 0.14 % |
फास्फोरस | 0.09 – 0.11 % |
- मीठे दही में अम्लता – 0.60 – 90%
- दही बनाने के लिए – स्ट्रेप्टोकोकस लेक्टिंस, लैक्टोबैसिलस एसीडोफिल्स, लेक्टोथेसीलस उत्तरदायी है
घी
- घी की मुख्य विशेषता 21℃ तापमान पर तरल एव अर्द्धतरल अवस्था मे रहता है
- घी की वसा का निर्माण ट्राइग्लिसराइड्स वसीय अम्लों द्वारा होता है जो एक असंतृप्त (जमने वाली) वसा है
- घी में वसा की मात्रा 99 % (स्वतंत्र वसा 0.5%, घी में नमी की मात्रा 0.5%)
- माखन से घी प्राप्त करने के लिए तापमान 110- 120 ℃ है
- मक्खन मे वसा 80 %
- क्रीम से घी प्राप्त करने के लिए तापमान 110℃
- घी को धूप में रखने पर दुर्गंध पैदा हो जाती है
- घी में पानी रहने पर मछली जैसी दुर्गंध आती है
घी के मानक
रिचर्ड माईनस मान | 26-28% |
पोलिसेक मान | 1.5 – 2.5% |
साबुनीकरण मान (सफोनिफिकनस) | 222-226% |
मक्खन अपवर्तनांक | 40.5- 42.5% |
औलिक अमल | 1.5% |
क्रिसनर मान | 20-25% |
स्वतंत्र वसीय मान | 2.8% |
क्रीम
- क्रीम दूध का वह भाग है जिसमे वसा की मात्रा 18% से अधिक होती है
- उपयुक्त तापमान 32-37℃
- दूध से क्रीम निकालने के लिए सेपरेटर यंत्र का प्रयोग किया जाता है जो अपकेन्द्रीय बल पर कार्य करता है
- सेपरेटर यंत्र का बाउल भाग मशीन का हदय कहलाता है
- क्रीम स्क्रू सेपरेटर यंत्र पर लगा होता है जो क्रीम को पतली या गाढी करने में सहायक है
- वसा प्रतिशत के आधार पर क्रीम के तीन प्रकार
- पतली क्रीम (टेबिल क्रीम) वसा 18-25 %
- मध्यम (व्हीपिंग) क्रीम वसा 25-45%
- गाढी क्रीम वसा 45% से अधिक
- दूध से क्रीम को पृथक्करण की 02 विधियों प्रचलित है
- गुरुत्वाकर्षण विधि –
- कम घनत्व सिद्धांत पर काम करता है
- अपकेन्द्रीय विधि –
- सेपरेटर यंत्र लगा हुआ
- श्रेष्ठ व वैज्ञानिक विधि है
- जर्सी क्रीम विधि –
- इन दीवारों के लिए बीच रिक्त स्थान मे 88℃ तापमान तक गर्म पानी भरते है
- गुरुत्वाकर्षण विधि –
- मशीन द्वारा क्रीम निकालने पर सप्रेटा दूध में वसा की मात्रा 0.05% रहती
पनीर / छेना
- गर्म दूध को अम्ल (साइट्रिक अम्ल / साइट्रिक फलो के रस) द्वारा फाड़कर तैयार किया जाता है
- उत्तम किस्म का छैना प्राप्त करने के लिए गाय का दूध का उपयोग में लिया जाता है
- सामान्यतः गाय के दूध से 14.0% एव भैंस के दूध से 20% छैना प्राप्त होता है
- खोवा – भैंस के दूध का अच्छा माना जाता है वसा 37.1 % होती है
छेना का रासायनिक संघटन
गाय का छेना | भैंस का छेना | |
पानी | 53.38% | 51.60% |
वसा | 28.80% | 29.60% |
प्रोटीन | 17.40% | 14.40% |
लेक्टोज़ | 1.75% | 2.30% |
खनिज लवण | 2.35% | 1.98% |
दूध शाला के बर्तनों की सफाई – दूध विज्ञान
- बर्तनों के बार बार उपयोग में लेने से दूध एक धातु के रूप में जमा हो जाता है जिसे हटाने के लिए बर्तनों की सफाई की जाती है
- सफाई का मुख्य उद्देश्य – सूक्ष्म जीवों को नष्ट करना
- सफाई की विधियां
- सुखी विधि
- इस विधि मे सफाई करने के लिए सुखी मिट्टी या राख का प्रयोग किया जाता है यह विधि ग्रामीण क्षेत्रों में प्रयोग की जाती है
- वैज्ञानिक विधि
- पहले साधारण पानी से धोते है फिर सोडा या गर्म पानी से धोते है ताकि शुरुआत में ठंडे पानी से दूध प्रोटीन फ़टे नही एव दुग्ध अमल नही बने
- सुखी विधि
- दूध शाला के बर्तनों की सफाई के लिए निम्नलिखित धावन काम मे लेते है
- क्षारीय धावन –
- दूध शाला के बर्तनों की सफाई हेतु ज्यादातर प्रयोग क्षारीय धावनो का होता है जैसे दाहक सोडा 1.2 %
- कास्टिक सोडा – यह एक तीव्र क्षारीय क्रियावादी होता है अतः हाथ से प्रयोग नही करते है
- कांच की बोतलों को धोने के लिए प्रयोग किया जाता है
- सोडियम बाई कार्बोनेट – इसका प्रयोग पोलिश (कलई) वाले बर्तनों एव कांच की बोतलों की सफाई के लिए किया जाता है
- ट्राई सोडियम फास्फेट –
- इसका प्रयोग सभी प्रकार के बर्तनों एव यंत्रो के लिए किया जाता है
- कास्टिक सोडा – यह एक तीव्र क्षारीय क्रियावादी होता है अतः हाथ से प्रयोग नही करते है
B. अम्लीय धावन
- अम्ल बर्तनों की सतह पर दुग्ध धातु से बनने से रोकता है
- बर्तनों की सफाई हेतु 0.10% अम्लीय धावन काम मे लेते है
- साइट्रिक अम्ल, टार्टरिक अम्ल, फास्फोरिक अम्ल तथा ग्लुकोनिक अम्ल
C. जटिल फास्फेट पदार्थो का प्रयोग
- कठोर / खारे पानी वाली जगह काम मे लेते है दुग्ध शाला के बर्तनों को धोते है