डॉ. भीमराव अंबेडकर: भारत के महान बोधिसत्व और संविधान निर्माता

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जन्म और प्रारंभिक जीवन
डॉ. भीमराव अंबेडकर, जिन्हें बाबा साहेब और महान बोधिसत्व के नाम से भी जाना जाता है, का जन्म 1891 में महू, मध्य प्रदेश में हुआ था।

शिक्षा और प्रारंभिक रचनाएँ
उन्होंने 1916 में कोलंबिया विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। उनकी पीएचडी के बाद उन्होंने ‘इवोल्यूशन ऑफ प्रोविंशियल फाइनेंस इन ब्रिटिश इंडिया’ नामक पुस्तक की रचना की।

पत्रिका और संगठन की स्थापना
अंबेडकर ने मराठी भाषा में “मूक नायक” नामक पत्रिका का प्रकाशन किया। इसके साथ ही, उन्होंने बहिष्कृत हितकारिणी सभा की स्थापना की और “बहिष्कृत” नामक पत्रिका का भी प्रकाशन किया।

महत्वपूर्ण साहित्यिक योगदान
अंबेडकर ने “शूद्र कौन थे?” नामक पुस्तक की रचना की, जो महात्मा ज्योतिबा फुले को समर्पित थी। 1937 में उन्होंने “जाति के विनाश” नामक पुस्तक भी लिखी।

राजनीतिक जीवन और मुस्लिम लीग का विरोध
1936 में उन्होंने स्वतंत्र लेबर पार्टी की स्थापना की। 1941 से 1945 तक, अंबेडकर ने मुस्लिम लीग की पाकिस्तान की मांग का विरोध किया और “थाट्स ऑन पाकिस्तान” नामक पेम्पलेट के माध्यम से इसका विरोध किया।

कांग्रेस और गांधी का विरोध
1945 के बाद, अंबेडकर ने कांग्रेस और गांधी का विरोध करना शुरू किया। उन्होंने “कांग्रेस और गांधी ने अछूतों के लिए क्या किया” शीर्षक से पम्पलेट बांटे और “जनता,” “समता,” और “प्रबुद्ध भारत” नामक समाचार पत्र भी प्रकाशित किए।

अन्य महत्वपूर्ण योगदान
अंबेडकर ने “पाकिस्तान और द पार्टीशन ऑफ इंडिया” नामक पुस्तक की रचना की, जिसमें उन्होंने सीमा सुरक्षा पर विस्तारपूर्वक वर्णन किया। 1951 में, हिन्दू कोड बिल के मुद्दे पर उन्होंने मंत्रीमंडल से इस्तीफा दे दिया।

बौद्ध धर्म की दीक्षा और अंतिम लेखन
1955 में, उन्होंने बौद्ध सोसायटी ऑफ इंडिया की स्थापना की और अपना अंतिम लेख, “द बुद्धा एंड हिज धम्मा,” लिखा। अपने जीवन के अंतिम समय में, अंबेडकर ने बौद्ध धर्म को अपनाया। 1956 में, नागपुर में उन्होंने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली।

अंबेडकर और भारतीय संविधान
अंबेडकर को संविधान निर्मात्री सभा की प्रारूप समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया और उन्हें भारतीय संविधान का निर्माता एवं जनक कहा जाता है।

सामाजिक सुधारक और दलित आंदोलन
डॉ. अंबेडकर ने दलित वर्ग के उत्थान के लिए अखिल भारतीय अनुसूचित जाति फेडरेशन की स्थापना की और समता सैनिक दल का गठन किया। उन्होंने दलितों के मंदिर प्रवेश और सामाजिक अधिकारों के लिए भी संघर्ष किया।

निष्कर्ष
डॉ. भीमराव अंबेडकर भारतीय समाज के एक महान सुधारक, विचारक, और संविधान निर्माता थे। उनके द्वारा किए गए कार्यों का प्रभाव आज भी भारतीय समाज पर गहराई से महसूस किया जा सकता है।

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