जैव प्रौद्योगिकी / BIO TECHNOLOGY
A सामान्य जानकारी
B जैव पेटेंट
C ट्रांसजेनिक जंतु एव पादप
A सामान्य जानकारी
- जैव प्रौद्योगिकी शब्द सर्वप्रथम – कार्ल इरेकी द्वारा दिया गया
- Bio – जीव
- Techno – तकनीक
- Logy – अध्ययन
परिभाषा
- विज्ञान की वह शाखा जिसमे जीवो के अनुवांशिकी संगठन (जेनेटिक मटेरियल) में परिवर्तन करके मानव उपयोगी बनाया जाता है उसे ही जैव प्रौद्योगिकी कहते है
- यूरोपियन फेडरेशन – “इसमे सूक्ष्मजीव तथा उनके उत्पादों को मानव उपयोगी बनाया जाता है तथा मानव कल्याण में इनका उपयोग करते है”
जीन अभियांत्रिकी
- इसका उपयोग जीनो के आदान प्रदान में किया जाता है
- पिता – पोल बर्ग (मैक्सिको)
- जीन अभियांत्रिकी में सबसे ज्यादा उपयोग में ली जाने वाली विधि – DNA Ricombinant Method (DNA पुनर्योजन विधि) है इस विधि का सबसे पहले उपयोग पोल बर्ग द्वारा E. कोलाई (E. Coli) में इन्सुलिन निर्माण के लिए किया गया
- NOTE – सर्वप्रथम कृत्रिम इंसुलिन का निर्माण अमेरिकी कम्पनी ई. लिली ने किया तथा इसे होमोलीन कहते है
- इंसुलिन – यह एक हार्मोन होता है जो अग्नाशय (Pancreas) में बनता है इसके द्वारा शरीर मे रक्त के अंदर ग्लूकोज की मात्रा को कम किया जाता है जब किसी व्यक्ति के शरीर मे इंसुलिन की कमी होगी तो रक्त में ग्लूकोज बढ़ जाता है जिसे मधुमेह या डायबिटीज मेलिटस कहते है
- भारतीय वैज्ञानिक डॉ. हरगोविंद खुराना में इसी विधि के द्वारा टायरोसीन t- RNA नामक कृत्रिम जीन का संश्लेषण किया जिसमें 207 न्यूक्लियोटाइड थे
DNA पुनर्योजन विधि
- इस विधि में किसी जीव की कोशिका में से जीन को निकालकर किसी दूसरे जीव की कोशिका में प्रत्यारोपण किया जाता है
- इसके मुख्य 03 औजार उपयोग में लेते है
- इच्छित जीन
- वाहक / Vector
- एंजाइम
- इच्छित जीन –
- यह वह जीन होता हैं जिसका दूसरे जीव में स्थानांतरण किया जाता है
- वाहक
- किसी जीव से जीन निकालकर दूसरे जीव में स्थानांतरण करने के लिए किसी वाहक की आवश्यकता होती है जो निम्नलिखित है
- प्लाज्मिड
- खोज – लेडरबर्ग
- यह जीवाणु में पाया जाने वाला अतिरिक्त गुणसूत्रीय पदार्थ होता है जो मुख्य DNA के अलावा होता है
- वर्तमान में वाहक के रूप में सबसे ज्यादा उपयोग प्लाज्मिड का होता है
- बैक्टीरियोफेज
- यह ऐसे वायरस होते है जो जीवाणु कोशिका को संक्रमित करते है
- कोसमिड
- प्लाज्मिड एव बैक्टीरियोफेज को मिलाकर कोसमिड का निर्माण करते है
- BAC (Bacterial Artificial Chromosome)
- YAC (Yeast Artificial Chromosome)
- प्लाज्मिड
आकार (KB) | वाहक |
5-7 | प्लाज्मिड |
9-23 | बैक्टीरियोफेज |
30-40 | कोसमिड |
50-300 | BAC |
1000-2500 | YAC |
3. एंजाइम
एंजाइम | कार्य |
लाइसोजाइम एंजाइम | कोशिका भित्ति को घोलना |
लाईगेज एंजाइम | DNA खण्डों को जोड़ता |
लाइजिंग एंजाइम | कोशिका भित्ति को घोलना |
एक्जोन्युक्लिऐज | DNA की दोनो श्रृंखलाओं को अलग अलग करना |
एंडोन्युक्लियेज एंजाइम | यह DNA की श्रृंखला को सिरों के अलावा कही से भी काट सकता है |
रेस्ट्रिक्शन एंडोन्युक्लियेज एंजाइम | यह DNA श्रृंखला को सिरों से काटता है |
DNA पुनर्योजन विधि के चरण – 06
- वांछित जीन का चयन
- वाहक का चयन
- वांछित जीन को वाहक के साथ जोड़ना
- वाहक को जीव में स्थानांतरण करना
- जीव की प्रतिलिपियाँ बनाना
- जीव से उत्पाद बनाना
चित्र
जैव प्रौद्योगिकी की उपयोग
- सबसे प्राचीन उत्पाद – एल्कोहोल का निर्माण
- विभिन्न एंजाइम का निर्माण करना जैसे
प्रोटीएज एंजाइम | वाशिंग पाउडर का निर्माण करना |
रेनेट एंजाइम | पनीर निर्माण में उपयोगी |
लेक्टेज एंजाइम | दूध से दही का निर्माण |
जाइमेज एंजाइम | ब्रेकरी उद्योग में उपयोग |
- – अम्लों का निर्माण करना जैसे
- टमाटर से ऑक्जेलिक अम्ल
- सेव से मैलिक अम्ल
- इमली से टार्टरिक अम्ल
- निम्बू से सिट्रिक अम्ल
- सिरका से एसिटिक अम्ल
- दही से लेक्टिक अम्ल
- लाल चींटी से फॉर्मिक अम्ल
- मधुमक्खी से फॉर्मिक अम्ल
- – स्टेरॉयडस का निर्माण –
- स्टेरॉयड्स वे पदार्थ होते है जो वसा से बनते है तथा शरीर मे एंजाइम तथा हार्मोन निर्माण के लिए आवश्यक होते है
- शरीर मे पाया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण स्टेरॉयड्स – कोलेस्ट्रॉल होता है
- सबसे ज्यादा उपयोग में लिए जाने वाले स्टेरॉयड – एस्ट्रोजन व प्रोजेस्ट्रोजन होते है इनका उपयोग महिलाएं गर्भनिरोधक गोलियों के रूप में करती है
- –क्लोन का निर्माण
- क्लोन – वह सन्तान जो गैर लैंगिक विधियों से उत्पन्न होती है तथा शारिरिक रूप से एव अनुवांशिक रूप से अपने जनक के समान होती है वह क्लोन कहलाता है।
- क्लोन का सदस्य – रेमेट कहलाता है
- क्लोन निर्माण की विधि – केन्द्रक प्रत्यारोपण तकनिक / Nuclear Transplant Technology
- विश्व मे पहला क्लोन बनाने का प्रयास वुडन व जॉर्डन ने किया एव मेंढक का बनाया परन्तु असफल रहा।
- विश्व मे सर्वाधिक चर्चित क्लोन – डोली भेड़ था
- जन्म – 5 जुलाई 1996
- मृत्यु – 14 फरवरी 2003 (फेंफड़ों में संक्रमण)
- निर्माणकर्ता – विलमुट व उनके साथी
- संस्था – रोजलिन इंस्टीट्यूट स्कोटलैंड
- कोशिका – भेड़ की थन कोशिका का उपयोग किया
केन्द्रक प्रत्यारोपण तकनीक द्वारा क्लोन का निर्माण
चित्र
- इस विधि में सबसे पहले उस जाति की कायिक कोशिका लेते है जिसका हमे क्लोन बनाना है तथा इसके बाद उसी जाति की मादा की अँड कोशिका लेंगे इसके पश्चात कायिक कोशिका से केन्द्रक को निकालकर शेष कोशिका को नष्ट कर देते है तथा अँड कोशिका में से केन्द्रक को निकालकर केन्द्रक को नष्ट कर देते है तथा शेष अँड कोशिका में कायिक केन्द्रक को प्रत्यारोपित करते है अब प्राप्त नई कोशिका को 32 कोशिकीय अवस्था तक विभाजित करवाकर मादा के गर्भाशय में स्थानांतरित कर देते है जिससे उत्पन्न शिशु क्लोन कहलाता है
क्लोन का नाम | जानवर का नाम |
नेति, दितो | बन्दर |
जॉर्जी, चार्ली | गाय |
प्रोमिटिया | घोड़ा |
इनजोज | ऊंट |
गरिमा, महिमा | भैंस |
टेट्रा | रिसस बन्दर |
पाली, मोली | भेड़ |
स्नपी | कुत्ते |
कोपीकेट | बिल्ली |
नूरी | बकरी |
NOTE – मानव का क्लोन बनाने का प्रयास इटली के वैज्ञानिक एंटिनोरी ने किया था परन्तु नैतिकता को लेकर मानव क्लोन बनाने पर पूर्णतया प्रतिबंध लगा दिया
NOTE – IVF (IN VITRO FERTILIZATION)
- इसे सामान्य भाषा मे टेस्ट टयूब बेबी (परखनली शिशु) भी कहते है
- महिलाओ में गर्भाशय या फेलोपियन नलिका में कोई कमी होने पर संतान उत्पन्न नही होती है तो परखनली शिशु उत्पन्न करना IVF कहलाता है
- IVF के 02 प्रकार होते है
- जीवे निषेचन (IN VIVO FERTILIZATION) –
- इसे GIFT भी कहते है (Gamate Intra Fallopian Transfer)
- पात्रे निषेचन (In VITRO FERTILIZATION)
- इसे ZIFT भी कहते है (Zygote Intra Fallopian Transfer)
- विश्व का प्रथम टेस्ट ट्यूब बेबी – लुईस जॉय ब्राउन
- भारत का प्रथम टेस्ट ट्यूब बेबी – हर्षा या दुर्गा
- – स्तम्भ कोशिका / STEM CELL
- यह विशेष प्रकार की कोशिकाएं होती है जो विशेष रासायनिक संकेतों को ग्रहण करके शरीर के अंग निर्माण की क्षमता रखती है उन्हें स्तम्भ कोशिका कहते है
स्तम्भ कोशिका संग्रहण के आधार पर 2 प्रकार की होती
- भ्रूण स्तम्भ कोशिका / Embriyo Stem Cell
- वयस्क स्तम्भ कोशिका / Adult Stem Cell
स्तम्भ कोशिका कार्य के आधार पर 03 प्रकार की होती
- टोटिपोटेंट
- इसमे सम्पूर्ण शरीर के साथ साथ अपरा / प्लेसेन्टा निर्माण की क्षमता होती है
- प्लुरिपोटेंट
- इसमे शरीर के सभी अंगों के निर्माण की क्षमता होती है लेकिन अपरा के निर्माण की क्षमता नही होती है
- मल्टीपोटेंट
- इन कोशिकाओं में केवल विशेष अंग निर्माण की क्षमता होती है
- – GM जीव (Genetically Modified Organism)
- वे जीव जिनके अनुवांशिक संगठन में परिवर्तन करके नये गुण उत्पन्न किये जाते है GM जीव कहलाते है
- जीन का प्रत्यारोपण के 02 विधिया प्रचलित है
- प्रत्यक्ष –
- माइक्रो इंजेक्शन
- इलेक्ट्रोपोरोसिस
- जीनगन द्वारा
- अप्रत्यक्ष –
वाहक /वेक्टर द्वारा
- जीनगन द्वारा
- इसमे एक बैरल होता है जिसकी सहायता से अधिक दाब उत्पन्न किया जाता है जिससे जीन कोशिका में प्रवेश कर जाता है
- बैरल – टँगस्टन व सोना का बना होता
- उदाहरण – पादप कोशिकाओं में उपयोग लेते
- इलेक्ट्रोपोरोसिस –
- विद्युत आवेश की सहायता से कोशिका में जीन प्रवेश करवाया जाता है
- उदाहरण – पादप कोशिकाओं में
- माइक्रोइंजेक्शन –
- सूक्ष्म इंजेक्शन की सहायता से कोशिका में जीन प्रवेश करवाया जाता है
- उदाहरण – जंतु कोशिका में
GM या ट्रांसजेनिक पादप के उदाहरण –
- प्रथम GM पादप – तम्बाकू है
- तम्बाकू में ग्लाइकोफॉस्फेट की जीन स्थानांतरित की गयी जो खरपतवारनाशी होती है
- गोल्डन राइस या सुनहरे चावल –
- यह विटामिन A का स्त्रोत है
- इसमे बीटा केरिटोनॉइड जीन स्थानांतरित की गयी है जो यकृत में रोडोप्सीन वर्णक का निर्माण करती है जिससे विटामिन A बनता है
- Bt कपास एव Bt बैंगन –
- यह किट प्रतिरोधी फसल है
- इसमे बेसिलस थूरिएंजेसिस (Bt ) से Cri / क्राइ जीन को प्रत्यारोपित किया जाता है जो कीटो से लड़ने की क्षमता प्रदान करती है
- फ्लेवर सेवर टमाटर –
- इसमे ऐसी जीन ट्रांसफर की गयी जो इनके पकने की दर को धीमा करती है
- पोमेटो –
- टोमॅटो + पोटेटो से मिलाकर
- सुपर बनाना (केला) –
- यह विटामिन A का स्रोत है
- सुपर पोटेटो
- यह प्रोटीन का स्रोत है
GM जंतु के उदाहरण –
- ट्रांसजेनिक जंतु में 95 % चूहे होते है
- सुपर माउस –
- इसमें ग्रोथ हार्मोन की जीन का अध्ययन करते है
- ओंको माउस
- इस पर केंसर का अध्ययन करते है
- रोजी गाय
- इस गाय में कोलस्ट्रम दूध (खीस) उत्पादन की जीन स्थानांतरित की गई
- लेक्स बछड़ा
- इस बछड़े में ऐसी जीन स्थानांतरित की गयी है जो दूध के अंदर लेक्टोस शर्करा को कम कर देती है यह दूध शुगर या मधुमेह के रोगियों के लिए उपयोगी होता है
- GM खरगोश
- इस पर अनुवांशिकी से संबंधित अध्ययन करते है
- GM कुत्ता –
- इसमें सूंघने की क्षमता अधिक होती है
- – जीन थेरेपी में उपयोगी –
- किसी भी जीव में उपस्थित निष्क्रिय एव खराब जीन को बाहर निकालकर उसके स्थान पर सक्रिय जीन का प्रत्यारोपण करना जिससे अनुवांशिक रोगों का उपचार सम्भव हुआ उसे जीन थेरेपी कहते है
- जीन थेरेपी द्वारा सबसे पहले SCID (Severe Combinant Immuno Defeciancy) रोगियों का इलाज किया गया जिनमे ADA एंजाइम (एडिनोसिन D एमीनेज) की कमी होती है जिससे T- लिम्फोसाइट्स व B- लिम्फोसाइट्स कोशिकाओं की कमी होने से रोगियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है
- – PCR तकनीक (Pollymerase Chain Reaction)
- खोज – केरिमूलिस
- इसमें DNA की प्रतिलिपियाँ तैयार की जाती है
- यह प्रक्रिया Effendrop tube में सम्पन्न करवाई जाती है
- इसमें एक विशेष एंजाइम का उपयोग करते है जो Taq Pollymerase (टेक पॉलीमेरेस ) कहलाता है
- यह एंजाइम थर्मस एक्वीसिटम नामक जिवाणु से प्राप्त करते है
- यह प्रक्रिया 03 चरणों मे पूर्ण होती है
- Denaturation / विकृतिकरण –
- इसमें 94℃ तापमान पर DNA को द्विकुंडलन से एकल श्रृंखला में बदला जाता है
- Annaling / एनालिंग
- DNA की श्रृंखला के 3’ सिरे पर एक प्रोब / Prob जोड़ा जाता है
- यह प्रक्रिया 54℃ तापमान पर सम्पन्न होती है
- Extention –
- इसमें 72℃ तापमान पर टेक पॉलीमेरेस एंजाइम की सहायता से नयी श्रृंखला का निर्माण किया जाता है
- Denaturation / विकृतिकरण –
- DNA फिंगर प्रिंटिंग –
- खोज – एलेक जेफ्री
- भारत मे खोज – VK कश्यप एव डॉ लाल सिंह
- प्रत्येक जीवो का DNA जातिगत लगभग एक समान होता है लेकिन DNA का कुछ भाग प्रत्येक व्यक्ति में विशिष्ट होता है इसी विशिष्टता के आधार पर व्यक्ति की पहचान करना DNA फिंगर प्रिंटिंग कहलाता है
- प्रत्येक व्यक्ति में DNA के अंदर अलग अलग विभिन्नता पाई जाती है जिसे पोलिमोर्फिज्म कहते है Polimorfisam पर एक विशेष स्थान पाया जाता है जिसे VNTR (Vereable Number Tendom Report) कहते है
DNA फिंगर प्रिंटिंग के उपयोग
- अपराधी की पहचान करना
- माता – पिता तथा संतान संबंधी विवादों का निपटान करना
NOTE – भारत में DNA फिंगर प्रिंटिंग की लैब – हैदराबाद में स्थित है
■ Bio Informatics / जैव सूचना विज्ञान
- जीवो में उपस्थित DNA, RNA तथा गुणसूत्र से संबंधित सूचनाओं का कम्प्यूटर में डेटाबेस तैयार करना
■ जीनोमिक्स
- जीन की संरचना एव कार्यो से संबंधित अध्ययन करना
■ प्रोटियोमिक्स –
- प्रोटिन की सरंचना एव कार्यो का अध्ययन करना
■ सुजननिकी या यूजेनिक्स
- अच्छी किस्म के जीवों में संकरण करवाकर अगली पीढ़ी में सुधार करना
■ सुजीवनिकी या युफेनिक्स
- जीन अभियांत्रिकी के द्वारा जीवो में सुधार करना
■ सुपोषणीकी या यूथेनिक्स –
- जीवो में अच्छे पोषण द्वारा अगली पीढ़ी में सुधार करना
■ Bio – पेटेंट / जैव पेटेंट
- यह किसी भी खोजकर्ता को उसकी खोज के लिये दिया जाने वाला एक कानूनी अधिकार होता है ताकि उसकी खोज का किसी दूसरे व्यक्ति के द्वारा बिना खोजकर्ता की अनुमति के उपयोग नही किया जा सकता है
- भारत मे जैव पेटेंट कानून – 20 अप्रैल 1972 को लागू हुआ इसमें अबतक 02 बार संशोधन (2003, 2005) हो चुके।
- भारतीय पेटेंट कानून के अंतर्गत खोजकर्ता को 20 वर्ष तक कानूनी अधिकार मिलता है
- भारत में सबसे पहले इस कानून के अंतर्गत आंनद मोहन चक्रवर्ती को कानूनी संरक्षण प्रदान किया गया
- बायो पायरेसी – बायो पेटेंट कानून का दुरुपयोग करना बायो पाइरेसी कहलाता है जैसे – अमेरिका द्वारा तुलसी व हल्दी के पौधे का जैव पेटेंट करवाना
■ मानव जीनोम परियोजना / Human Genom Project –
- मानव शरीर मे कितने जीन पाये जाते है तथा प्रत्येक जीन का क्या – क्या कार्य है अर्थात मानव जीनोम में कितने क्षार युग्म पाये जाते है इनका पता लगाने के लिए मानव जीनोम परियोजना चलाई गई
- इसका प्रारम्भ – अमेरिका के ऊर्जा विभाग तथा स्वास्थ्य विभाग ने मिलकर
- इस योजना में लगभग 10 हजार वैज्ञानिकों ने भाग लिया।
- इस योजना के प्रथम निर्देशक – जेम्स डी वाटसन थे
- इसका प्रारम्भ – 1990 में हुई तथा समाप्त 2003 में हुई
मानव जीनोम परियोजना के परिणाम –
- मानव जीनोम में 30 हजार जीन होते है
- कुल जीन का लगभग 2% जीन ही सक्रिय होते है
- मानव में लगभग 3.2 अरब क्षार युग्म पाये जाते है