
जन्म:
जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हुआ था। उनके जन्म के समय, भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था, और उनके परिवार का संबंध एक धनी कश्मीरी ब्राह्मण परिवार से था। उनका बचपन ऐश्वर्य में बीता और उन्हें एक विशिष्ट शिक्षा दी गई।
पिता:
नेहरू के पिता, मोतीलाल नेहरू, एक प्रसिद्ध वकील थे और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रमुख नेता भी थे। मोतीलाल नेहरू स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से शामिल थे और उन्होंने कांग्रेस के भीतर स्वराज (स्वशासन) की मांग को बल दिया। वे दो बार कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे और उन्होंने अपने परिवार को स्वतंत्रता संग्राम की ओर प्रेरित किया।
पत्नी:
नेहरू की पत्नी का नाम कमला कौल था, जिनसे उनका विवाह 1916 में हुआ। कमला कौल एक साधारण और देशभक्त महिला थीं, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अपने पति का पूरा साथ दिया। 1936 में, लंबी बीमारी के बाद कमला नेहरू का निधन हो गया, जो नेहरू के जीवन में एक बहुत बड़ा आघात था।
बहन:
नेहरू की दो बहनें थीं:
- विजय लक्ष्मी पंडित: वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक प्रमुख महिला नेता थीं। स्वतंत्रता के बाद, वे संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली महिला अध्यक्ष बनीं और भारत की पहली महिला राजदूत भी रहीं।
- कृष्णा हठीसिंग: वे एक लेखिका थीं और उन्होंने नेहरू परिवार पर आधारित कई पुस्तकें लिखीं, जिनमें उनके भाई के जीवन पर विशेष ध्यान दिया गया है।
शिक्षा:
नेहरू की प्रारंभिक शिक्षा उनके घर पर ही हुई। बाद में, उन्हें इंग्लैंड के प्रतिष्ठित हैरो स्कूल में भेजा गया। इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज से प्राकृतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। अपनी उच्च शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने लंदन के इनर टेम्पल से कानून की पढ़ाई की और बैरिस्टर बने। इंग्लैंड में अपने समय के दौरान, नेहरू को पश्चिमी विचारधारा और राजनीति का गहरा ज्ञान प्राप्त हुआ, जिसने उनके भविष्य के विचारों और दृष्टिकोण को आकार दिया।
स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका:
1912 में भारत लौटने के बाद, नेहरू ने वकालत की प्रैक्टिस शुरू की, लेकिन जल्द ही उन्हें राजनीति में दिलचस्पी हो गई। वे एनी बेसेन्ट के होमरूल आंदोलन में शामिल हुए, जो भारतीयों के लिए स्वशासन की मांग कर रहा था। यह आंदोलन उनके लिए एक प्रेरणा स्रोत बना और उन्होंने इसे अपने राजनीतिक जीवन का आधार बनाया। 1924 में, उन्हें इलाहाबाद नगर निगम का अध्यक्ष चुना गया, जो उनके नेतृत्व की पहली महत्वपूर्ण जिम्मेदारी थी। 1929 में, नेहरू के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने लाहौर अधिवेशन में “पूर्ण स्वराज” (पूर्ण स्वतंत्रता) की मांग की।
भारतीय फैबियन:
नेहरू को भारतीय फैबियन कहा जाता है, क्योंकि इंग्लैंड में फैबियन समाज के समाजवादी विचारों का उनके ऊपर गहरा प्रभाव पड़ा। फैबियन समाज एक समाजवादी संगठन था, जो शांतिपूर्ण और संवैधानिक तरीकों से समाजवाद की स्थापना का समर्थन करता था। नेहरू ने भी भारतीय समाज में समानता, सामाजिक न्याय और लोकतंत्र के सिद्धांतों को स्थापित करने के लिए फैबियन समाज के विचारों को अपनाया।
राष्ट्रीय योजना समिति:
1939 में, नेहरू को राष्ट्रीय योजना समिति का अध्यक्ष बनाया गया। इस समिति का उद्देश्य देश के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए दीर्घकालिक योजनाएं बनाना था। यह समिति भारत के भविष्य की दिशा तय करने के लिए महत्वपूर्ण थी। नेहरू ने योजना आयोग की स्थापना की, जिसने देश की विकास योजनाओं का निर्माण किया और उन्हें लागू किया।
प्रधानमंत्री बनने की प्रक्रिया:
आजादी के समय, भारत के पहले प्रधानमंत्री के चयन में सरदार वल्लभभाई पटेल को सर्वाधिक मत मिले थे। दूसरी बार जे.बी. कृपलानी को भी अधिक समर्थन मिला। लेकिन महात्मा गांधी के कहने पर, दोनों नेताओं ने अपना नाम वापस ले लिया, जिससे नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। नेहरू का चयन गांधीजी के विश्वास और उनके द्वारा स्थापित विचारधारा के प्रति नेहरू की निष्ठा का प्रतीक था।
गुटनिरपेक्ष आंदोलन:
नेहरू ने जोसिप ब्रोज़ टीटो (यूगोस्लाविया) और गमाल अब्देल नासिर (मिस्र) के साथ मिलकर गुटनिरपेक्ष आंदोलन (Non-Aligned Movement) की नींव रखी। यह आंदोलन उन देशों के लिए था जो शीत युद्ध के दौरान अमेरिका और सोवियत संघ के बीच किसी भी गुट में शामिल नहीं होना चाहते थे। यह आंदोलन दुनिया में शांति और संतुलन बनाए रखने का प्रयास था और नेहरू इसके प्रमुख नेता बने।
पुस्तकें:
जवाहरलाल नेहरू एक कुशल लेखक भी थे। उन्होंने कई महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखीं, जिनमें शामिल हैं:
- भारत एक खोज (The Discovery of India): यह पुस्तक भारतीय इतिहास, संस्कृति और दर्शन पर आधारित है। नेहरू ने इसे जेल में रहने के दौरान लिखा था और इसमें भारत के इतिहास की गहन विवेचना की है।
- विश्व इतिहास की झलक (Glimpses of World History): यह पुस्तक विश्व इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाओं और उनके प्रभावों का वर्णन करती है। इसे नेहरू ने पत्रों के रूप में अपनी बेटी इंदिरा गांधी को लिखा था।
- मेरी कहानी (An Autobiography): यह नेहरू की आत्मकथा है, जिसमें उन्होंने अपने जीवन, संघर्षों और विचारधाराओं का विवरण दिया है।
- पिता के पत्र पुत्री के नाम (Letters from a Father to His Daughter): यह पुस्तक नेहरू द्वारा अपनी बेटी इंदिरा को लिखे गए पत्रों का संग्रह है, जिसमें उन्होंने इतिहास, विज्ञान और सभ्यता के बारे में सरल भाषा में समझाया है।
- राष्ट्रपिता और राजनीति से दूर: ये नेहरू की अन्य महत्वपूर्ण पुस्तकें हैं, जो उनके राजनीतिक दृष्टिकोण और विचारधारा को प्रकट करती हैं।
मृत्यु:
जवाहरलाल नेहरू 15 अगस्त 1947 से 27 मई 1964 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। इस दौरान उन्होंने भारत को एक धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी और लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में स्थापित करने के लिए कई महत्वपूर्ण नीतियाँ लागू कीं। 27 मई 1964 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। उनके निधन के साथ ही भारत ने अपने एक महान नेता को खो दिया, जिसने देश को आधुनिकता और प्रगति की दिशा में अग्रसर किया था।