
भारत में ग्रीष्म ऋतु की अवधि मार्च से मध्य जून तक होती है। इस मौसम के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में तापमान में महत्वपूर्ण भिन्नताएँ देखी जाती हैं। उत्तर भारत में औसत तापमान 30℃ से अधिक हो जाता है, जबकि दक्षिण भारत में यह सामान्यतः 30℃ से कम रहता है। जून माह भारत में सबसे गर्म महीना होता है। इस समय के दौरान मौसम संबंधी विशेष घटनाओं और प्रभावों को समझना बहुत महत्वपूर्ण है।
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कर्क संक्रांति और बसंत विषुव: ग्रीष्म ऋतु की प्रमुख खगोलीय घटनाएँ
- कर्क संक्रांति (ग्रीष्म अयनांत): कर्क संक्रांति 21 जून को होती है, जब सूर्य कर्क रेखा पर 23.5° उत्तरी अक्षांश पर सीधे चमकता है। इस दिन उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे लंबा दिन और सबसे छोटी रात होती है, जिसे ग्रीष्म अयनांत भी कहा जाता है।
- बसंत विषुव: 21 मार्च को सूर्य भूमध्य रेखा पर सीधे चमकता है, जिससे दिन और रात की अवधि समान हो जाती है। इसे बसंत विषुव के नाम से जाना जाता है और यह मौसम परिवर्तन का संकेत देता है।
ग्रीष्म ऋतु के मौसम पर प्रभाव और विशेष घटनाएँ
- धूल भरी आंधियाँ और लू: ग्रीष्म ऋतु में पश्चिमी राजस्थान और थार के मरुस्थल में धूल भरी आंधियाँ चलती हैं, जिन्हें स्थानीय भाषा में भभुल्या कहा जाता है। इसके अतिरिक्त, अमृतसर से पटना तक गर्म और शुष्क पवनें चलती हैं, जिसे लू कहा जाता है, जिससे तापमान में वृद्धि होती है।
- स्थानीय और समुद्री प्रभाव: उत्तर भारत में ग्रीष्म ऋतु के दौरान तापमान में वृद्धि के प्रमुख कारण महाद्वीपीय प्रभाव और गर्म स्थानीय पवन होते हैं। इसके विपरीत, दक्षिण भारत में समुद्री जलवायु के कारण ग्रीष्म ऋतु सामान्यतः मृदु रहती है, और तापमान अत्यधिक नहीं बढ़ता है।
- मानसून पूर्व की वर्षा: ग्रीष्म ऋतु के दौरान भारत के कई क्षेत्रों में चक्रवाती वर्षा होती है, जिसे मानसून पूर्व की वर्षा कहा जाता है। यह वर्षा विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जानी जाती है:
- कालबैशाखी (पश्चिम बंगाल)
- बोर्डोचिल्ला (असम)
- नार्वेस्टर (ओडिशा)
- आम्रवृष्टि (महाराष्ट्र)
- चेरी ब्लॉसम / फूलों की बौछार (केरल, कर्नाटक)
- दोगड़ा (राजस्थान)
इन विवरणों को ध्यान में रखते हुए, ग्रीष्म ऋतु की विशेषताएँ और मौसम के प्रभाव को समझना अधिक सटीक और सुविधाजनक होता है।