दोस्तो हमने इटली का एकीकरण के नोट्स उपलब्ध करवाने का प्रयास किया है
Contents
इटली का एकीकरण इटली की भौगोलिक स्थिति इटली के एकीकरण में शामिल क्षेत्र 1 सार्डिनिया पिटमोंड 2 लोम्बारडी व वेनेशिया 3 परमा, मोडेना व टस्कनी 4 रोम व पॉप की रियासते 5 नेपल्स व सिसली इटली के एकीकरण में बाधक तत्व इटली के एकीकरण में सहायक तत्व 1 निओ गल्फ मूवमेंट 2 गुप्त संस्थाओं का विकास 3 इटली का आर्थिक विकास 4 इटली में प्रारंभिक विद्रोह 5 मेजिनी का योगदान (1805-1872)6 बुद्धिजीवियों का प्रयास 7 उदार राजतंत्र व पॉप का प्रभाव 8 1848 की फ्रांसीसी क्रांति का प्रभाव 9. भूमि सुधार विक्टर इमेन्युल द्वितीय (1849- 1878)कावूर (1810- 1861)◆ आर्सिनी कांड – [जनवरी 1858]इटली के एकीकरण के चरण इटली का एकीकरण का प्रथम चरण (1859)प्लोम्बियर्स समझौता – जुलाई 1858ज्यूरिख की संधि (10 नवम्बर 1859)इटली का एकीकरण का द्वितीय चरण (1860)इटली का एकीकरण का तृतीय चरण (1860)गैरीबाल्डी (1807- 1882)इटली का एकीकरण का चतुर्थ चरण (1866)इटली का एकीकरण का पांचवा चरण (1870)अन्य बिंदु
इटली का एकीकरण के हमने विभिन्न चरणों मे पूरा किया है
इटली का एकीकरण के नोट्स को एक व्यस्थित रूप से लिखने का प्रयास किया है
हमने हमारी इस वेबसाइट पर विश्व इतिहास के विभिन्न टॉपिक के नोट्स उपलब्ध करवाए है उन्हें आप पढ़ सकते हो
इटली का एकीकरण
- इटली के लिए एकीकरण शब्द उपयुक्त माना जाता है किंतु जर्मनी के लिए एकीकरण के स्थान पर अधारिकरण शब्द सही माना जाता है इसका कारण है कि सार्डिनिया, पिटमोंड के नेतृत्व में इटली का एकीकरण हुआ किंतु एकीकरण के बाद सार्डिनिया पिटमोंड का स्वतंत्र अस्तित्व समाप्त हो गया प्रशा के नेतृत्व में जर्मनी का आधारिकरण हुआ प्रशा ने अन्य जर्मन राज्यों को अपने साथ मिलाया किंतु अपने स्वतंत्र अस्तित्व को नष्ट नही किया वर्तमान का जर्मनी ही पहले का प्रशा कहलाता है
- राष्ट्रीयता की भावना की चरम परिणीति इटली व जर्मनी के एकीकरण में नजर आती है किंतु इस वजह से जो देश सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ वह था – ऑस्ट्रिया
- इन दोनों देशों के एकीकरण ने यूरोप का शक्ति संतुलन बिगाड़ दिया
- यूरोप में 1815 से 1848 का काल राजनीति में असफलता के काल के नाम से जाना जाता है यूरोप में यह काल प्रतिक्रियावाद व रुढ़िवाद के नाम से भी जाना जाता है
इटली की भौगोलिक स्थिति
- इटली भूमध्यसागर में जूते की आकृति का देश है
- इसके उत्तर में स्विट्जरलैंड, पश्चिम में फ्रांस एव पूर्व में ऑस्ट्रिया पड़ोसी देश है
- इटली का यूरोप से प्रत्यक्ष सम्पर्क केवल उतरी दिशा से ही था
- इटली के उत्तर में आल्प्स पर्वतमाला, पूर्व में एड्रियाटिक सागर, पश्चिम में टिटेनियम सागर व जेनोआ की खाड़ी एव दक्षिण में टयूरेंटा की खाड़ी थी
- इटली की भौगोलिक स्थिति को देखकर ऑस्ट्रिया के चांसलर मेटरनिक ने कहा था कि – ‘इटली तो मात्र एक भौगोलिक अभिव्यक्ति मात्र है’
- मेरियट ने लिखा कि “नेपोलियन प्रथम व्यक्ति था जिसने इटली को राजनैतिक एकता प्रदान करी थी”
- नेपोलियन ने फ्रांस की क्रांति एव शासक बनने के बाद ऑस्ट्रिया के इटालियन एव जर्मन क्षेत्रों में हस्तक्षेप किया और कई भागों में बंटे हुए इटली व जर्मनी के क्षेत्रों को नेपोलियन ने कम भागो में परिवर्तित किया
- फ्रांस की क्रांति ने जो राष्ट्रीयता की भावना को जन्म दिया उसे यूरोप में नेपोलियन ने फैलाया
- फ्रांस की क्रांति ने यूरोप की राजनीति को जो राजदरबार का विषय थी उसे सड़को का विषय बना दिया
- नेपोलियन ने इटली व जर्मनी के एकीकरण को आगे बढ़ाया वहाँ राष्ट्रीयता की भावना विकसित करी किंतु 1815 की वियेना व्यवस्था ने इस राष्ट्रीयता को नष्ट करके वापस इटली व जर्मनी में प्रतिक्रियावादी व्यवस्था लागू करने की कोशिश करी
- मयूरिल ग्रिण्डराड का कहना था की “वियेना व्यवस्था ने इटली के राष्ट्रीय विकास को काफी पीछे धकेल दिया
इटली के एकीकरण में शामिल क्षेत्र
1 सार्डिनिया पिटमोंड
- यह राज्य इटली के एकीकरण का नेतृत्व करता है
- 1815 की वियना व्यवस्था द्वारा पिटमोंड के राजा को सार्डिनिया व जेनोआ का क्षेत्र दिया गया
- यहाँ पर सेवाय वंश राज्य कर रहा था
2 लोम्बारडी व वेनेशिया
- यह दोनों स्थान ऑस्ट्रिया के हेप्सबर्ग वंश के प्रत्यक्ष नियंत्रण में थे
3 परमा, मोडेना व टस्कनी
- इन क्षेत्रों पर ऑस्ट्रिया का अप्रत्यक्ष नियंत्रण था
- यहाँ पर ऑस्ट्रिया के वंश से संबंधित शासक राज्य कर रहे थे
4 रोम व पॉप की रियासते
- इन क्षेत्रों पर पॉप का प्रभुत्व था
5 नेपल्स व सिसली
- इन क्षेत्रों पर फ्रांस के बुर्बो वंश से संबंधित राजा राज्य कर रहे थे
इटली के एकीकरण में बाधक तत्व
- एकीकरण किस विचारधारा के अंतर्गत हो
- इटली के क्षेत्रों की आर्थिक विषमताएं
- इटली में विदेशियों का हस्तक्षेप
- इटली के मध्य भाग में पॉप की सत्ता थी और पॉप कैथोलिक धर्म को बढ़ावा देना चाहता था
- इटली में राष्ट्रीय चेतना की कमी –
- ऑस्ट्रिया के चांसलर मेटरनिक ने कहा था कि इटली में एक राज्य दूसरे राज्य के विरुद्ध, एक नगर दूसरे नगर के विरुद्ध, एक परिवार दूसरे परिवार के विरुद्ध एव एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के विरुद्ध था
- इटली में पॉप का वर्चस्व
- इटली में सामन्तो द्वारा अपनी शक्ति पुनः स्थापित करने के प्रयास
- ऑस्ट्रिया –
- ऑस्ट्रिया ने लोम्बार्डी व वेनेशिया पर अधिकार कर रखा था
- काउंट कावूर ने ऑस्ट्रिया को इटली का प्रथम शत्रु कहा
- भौगोलिक स्थिति
- इटली उतरी, मध्य व दक्षिणी तीन हिस्सो मे बंटा हुआ था इन तीन स्थानों पर अलग अलग वंश का शासन था
- उतरी पश्चिमी भाग में पिटमोंड सार्डिनिया का क्षेत्र था जहाँ सेवाय वंश के शासक चार्ल्स एल्बर्ट व बाद में विक्टर इमेन्युल द्वितीय शासक बना
- उतरी पूर्वी भाग में परमा मोडेना टस्कनी का क्षेत्र था जहाँ ऑस्ट्रिया के हेप्सबर्ग वंश का आधिपत्य था एव लोम्बार्डी व वेनेशिया का क्षेत्र भी था जो ऑस्ट्रिया के नियंत्रण में था
- दक्षिणी भाग में नेपल्स व सिसली राज्य थे जहाँ बुर्बो वंश के शासक फर्डिनेंड प्रथम का शासन था
- मध्य भाग में रोम का क्षेत्र था
- सामन्त –
- सामन्त अपनी सत्ता स्थापित करना चाहे रहे थे
इटली के एकीकरण में सहायक तत्व
1 निओ गल्फ मूवमेंट
- गल्फ शब्द का अर्थ – जाति से लिया जाता है
- इस आंदोलन का प्रवर्तक मेंजोनी था
- मेंजोनी का कहना था कि पॉप के नेतृत्व में इटली का एकीकरण होना चाहिए
- मेंजोनी कहता है कि धर्म मे वह शक्ति है जो व्यक्तियों को नजदीक लाने का कार्य करती है
- जिओबर्टी भी पॉप के नेतृत्व में इटली का एकीकरण चाहता था वह इटली को एक संघीय राज्य बनाना चाहता था
- जिओबर्टी की पुस्तक – डेल प्रिमोर्ट मॉरल द सिविल इटालिया (इटली के लोगो की नैतिक व नागरिक श्रेष्ठता)
2 गुप्त संस्थाओं का विकास
- 1810 में इटली के नेपल्स में कार्बोनेरी नामक संस्था का गठन हुआ
- यह एक गुप्त संस्था थी
- यह संस्था कोयला झोंकने वालो की संस्था थी किंतु इसमे इटली के सभी वर्ग के लोग शामिल थे
- कार्बोनेरी संस्था का झण्डा – काला, नीला व लाल रंग का था
- इस संस्था का उद्देश्य – इटली में संवैधानिक राजतंत्र की स्थापना करना
इटली में राष्ट्रवाद का प्रचार करना
न केवल इटली बल्कि इटली के बाहर से भी एकीकरण हेतु समर्थन प्राप्त करना
वैधानिक स्वतंत्रता की स्थापना करना
- पिटमोंड में फ्रेडरेटी व लोम्बारडी में अडेल्फी नामक गुप्त संस्थाओं का भी गठन हुआ
3 इटली का आर्थिक विकास
- इटली में कई आर्थिक विचारक हुए जैसे – फर्डिनेन्डो गलियानी, पीटर बैरी, गियन डोमिनिको, रोमोग्नासी व काल फनेरेरी हुए थे इनके विचारों ने इटली के आर्थिक विकास को आगे बढ़ाया
- 1815 में इटली में श्रेणी व्यवस्था का विघटन हो गया एव इटली में रेलवे लाइनों का भी विकास हुआ
- 1854 में जेनोआ में प्रथम रेल्वे इंजन बना
4 इटली में प्रारंभिक विद्रोह
- 1820 के स्पेन के विद्रोह से प्रेरणा प्राप्त करके इटली के पिटमोंड, लोम्बारडी व टस्कनी के क्षेत्र में विद्रोह हुए
- 1830 की फ्रेंच क्रांति के कारण परमा, मोडेना के क्षेत्र में विद्रोह हुए किंतु ऑस्ट्रिया ने इन विद्रोहो को कुचल दिया
5 मेजिनी का योगदान (1805-1872)
- मेजिनी को इटली की आत्मा व नए युग का मसीहा भी कहा जाता है
- मेजिनी गणतंत्र का समर्थक था
- मेजिनी का जन्म – जेनोआ में हुआ था
- 1830 से पहले मेजिनी कार्बोनेरी का सदस्य था
- 1830 में इटली के क्षेत्रों में जो क्रांति हुई थी मेजिनी ने उसमे भाग लिया था किंतु उसे सेब्रोना के दुर्ग में बन्दी बनाया गया एव देश निकाला भी दिया गया
- 1831 में मेजिनी ने फ्रांस में यंग इटली या युवा इटली नामक संस्था का गठन किया
- मेजिनी का मानना था कि नवयुवक ही इटली का एकीकरण कर सकते है इसलिए मेजिनी ने 03 नारे दिए
- परमात्मा मे विश्वास रखो
- सब भाइयों एक हो जाओ
- इटली को स्वतंत्र करो
- मेजिनी का सबसे बड़ा योगदान यह था कि उसने इटली के एकीकरण के विचार को वास्तविकता के रूप में रखा
- मेजिनी को इटली की आत्मा भी कहा जाता है क्योंकि वह प्रथम व्यक्ति था जिसने इटली के लोगो को कहा कि – “इटली एक देश बन सकता है”
- 1833 में पिटमोंड में सार्जेंटी षडयंत्र हुआ था जिसमे भी मेजिनी का हाथ बताया जाता है इसे राजा चार्ल्स एल्बर्ट ने दबा दिया था
- साउथ गेट के अनुसार – “वह मेजिनी ही था जिसने अपने देशवासियों मे स्वतंत्रता की भावना उत्पन्न करी वह कावूर की तरह राजनीतिज्ञ तो नही था किंतु एक कवि व आदर्शवादी विचारक अवश्य था”
- मेजिनी एव गैरीबाल्डी गणतन्त्र के समर्थक थे किंतु गैरीबाल्डी ने अंतिम समय मे अपने विचारो को परिवर्तित कर लिया था
- मेजिनी की आत्मकथा का नाम – द डयूटीज ऑफ मेंन था
- मेजीनी कहता था कि – “परमात्मा मे विश्वास रखो अपने सभी भाइयो को एक करो एव विदेशियों को इटली की धरती से खदेड़ों”
- मेजिनी ने इटली की जनता से कहा “सयुंक्त इटली के आदर्श को छोड़कर अन्य किसी चीज के पीछे मत दौड़ो क्योंकि इटली एक राष्ट्र है और एक राष्ट्र बनकर ही रहेगा
6 बुद्धिजीवियों का प्रयास
- इटली के एकीकरण को बुद्धिजीवी वर्ग ने भी आगे बढ़ाया
- फास्केल व रोजेटी जैसे लेखकों को उनकी रचनाओं के कारण देश निकाला दे दिया
- सिल्वियो पेलिको ने अपनी रचना – ल मी प्रिजयोनी मे ऑस्ट्रिया के जेलखानों का 10 वर्षीय वृतांत लिखा
- मेमिली की रचना – द फ्रेंडली इटालिया ने भी इटली की जनता को जाग्रत किया
7 उदार राजतंत्र व पॉप का प्रभाव
- सार्डिनिया व पिटमोंड मे चार्ल्स एल्बर्ट के नेतृत्व में उदार राजतंत्र था यह कहता था कि समय आने पर मे अपना सबकुछ इटली के लिए समर्पित कर दूंगा
- पॉप पायस नवम (9) भी उदार विचारों का व्यक्ति था
8 1848 की फ्रांसीसी क्रांति का प्रभाव
- 1848 की फ्रेंच क्रांति से प्रभावित होकर इटली के कई क्षेत्रों में संवैधानिक राजतंत्र की मांग प्रारंभ हो गयी
- परमा, मोडेना, नेपल्स व सिसली मे विद्रोह प्रारंभ हो गए लोम्बारडी , टस्कनी व पॉप की रियासतों मे संवैधानिक राजतंत्र लागू कर दिया गया
- इन विद्रोहो से प्रेरित होकर इन रियासतों की ओर से सार्डिनिया पिटमोंड के चार्ल्स एल्बर्ट ने मार्च 1848 में ऑस्ट्रिया के साथ लड़ाई प्रारंभ कर दी किंतु जुलाई 1848 में कुसेरोज़ा की लड़ाई में चार्ल्स एल्बर्ट पराजित हुआ व अपनी सेनाएं पीछे हटा ली
- राजतंत्रों की पराजय के बाद मेजिनी ने नेतृत्व संभाला एव उसके नेतृत्व में फरवरी 1849 में रोम मे गणतंत्र की स्थापना हो गयी
- मेजिनी की सफलता से प्रेरित होकर चार्ल्स एल्बर्ट ने ऑस्ट्रिया से पुनः युद्ध प्रारंभ कर दिया किंतु मार्च 1849 में नोवारा के युद्ध मे एल्बर्ट पराजित हुआ एव अपने पुत्र विक्टर इमेन्युल द्वितीय के पक्ष में सिहांसन त्याग दिया
- 1849 तक इटली के एकीकरण की जितने भी प्रयास हुए वह असफल हुए
- इटली के एकीकरण को वास्तविकता की ओर ले जाने वाले विक्टर इमेन्युल द्वितीय व कावूर थे
9. भूमि सुधार
- इटली में सर्वप्रथम भूमि सुधार का कार्य सर्वप्रथम नेपोलियन के द्वारा किया गया
- जबकि काउंट कावूर भी इटली में भूमि सुधार के लिए विशेष रूप से जाने जाते है
विक्टर इमेन्युल द्वितीय (1849- 1878)
- नोवारा के युद्ध मे पराजित होने के बाद भी इसने सार्डिनिया व पिटमोंड को कमजोर नही होने दिया ऑस्ट्रिया के दबाव के बावजूद भी सार्डिनिया पिटमोंड के उदार संविधान को इसने रद्द नही किया
- सार्डिनिया पिटमोंड की संसद के विरोध के बावजूद इसने सार्डिनिया पिटमोंड की ऑस्ट्रिया से संधि करवाई
- विक्टर इमेन्युल द्वितीय ने कावूर व गैरीबाल्डी की महत्वाकांक्षाओ को नियंत्रित किया
कावूर (1810- 1861)
- एलिसन फिलिप्स के अनुसार – “एक राष्ट्र के रूप में इटली वास्तव में कावूर की देन है”
- कावूर का जन्म – सार्डिनिया पिटमोंड की राजधानी टयुरिन मे हुआ
- यह उदारवादी विचारधारा के समर्थक थे
- इन्होंने संसदीय प्रणाली का समर्थन किया
- कावूर ने शिक्षा इंजीनियरिंग की प्राप्त की एव सेना में भर्ती हुआ था
- कावूर पिटमोंड मे एक आदर्श राज्य की स्थापना करना चाहते थे
- 1847 मे कावूर ने अल इन रिसार्जीमेंटो समाचार पत्र प्रारंभ किया
- 1848 मे कावूर सार्डिनिया पिटमोंड की संसद का सदस्य बना
- 1850 मे वित्त व उद्योग मंत्री एव
- 1852 मे प्रधानमंत्री बन गया
- कावूर एक राजनीतिज्ञ एव राजतंत्र के जानकार थे
- कावूर वह व्यक्ति था जिसने बिना मेजिनी का आदर्शवाद व गैरीबाल्डी की वीरता निर्थक थी
- कावूर ने प्रधानमंत्री बनते ही सार्डिनिया पिटमोंड की आर्थिक व सैनिक शक्ति को बढ़ाने के प्रयास किये एव इसमे सफलता भी प्राप्त करी
- विदेश नीति के क्षेत्र में कावूर समझ गया कि बिना विदेशी सहायता के इटली का एकीकरण नही हो सकता है एव विदेशी सहायता तभी मिल सकती है जब इटली के एकीकरण के मामले का अन्तराष्ट्रीयकरण हो
- कावूर को क्रीमिया के युद्ध के समय इटली के एकीकरण के मामले को अंतर्राष्ट्रीय रंग देने का अवसर मिल गया
- पूर्वी समस्या (तुर्की की समस्या) उलझने के कारण क्रीमिया का युद्ध लड़ा गया रूस ने तुर्की पर आक्रमण कर दिया किंतु तुर्की को बचाने के लिए ब्रिटेन व फ्रांस आगे आये
- 1854 मे क्रीमिया का युद्ध लड़ा गया इस युद्ध मे सार्डिनिया पिटमोंड ने बिना निमंत्रण के ही ब्रिटेन व फ्रांस की सहायता के लिए सेनाएं भेज दी
- क्रीमिया के युद्ध मे रूस पराजित हो गया
- इस युद्ध के बाद 1856 में पेरिस का सम्मेलन हुआ इस सम्मेलन में ऑस्ट्रिया के विरोध के बावजूद भी ब्रिटेन व फ्रांस ने सार्डिनिया व पिटमोंड को बुलाया
- कावूर ने पेरिस में सम्मेलन में इटली के एकीकरण के मामले को उठाया व ऑस्ट्रिया को एकीकरण का विरोधी बताया
- कावूर के द्वारा एकीकरण के मामले का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने के बाद कावूर को ऑस्ट्रिया से युद्ध करना था इसके लिए कावूर को विदेशी सहायता की जरूरत थी उसे मालूम था कि इंग्लैंड सहायता नही देगा फ्रांस सहायता दे सकता है किंतु आर्सिनी कांड ने स्थिति को खराब कर दिया
◆ आर्सिनी कांड – [जनवरी 1858]
- मेजिनी के गणतंत्रवादी शिष्य आर्सिनी ने फ्रांस के राजा नेपोलियन तृतीय की हत्या का प्रयास किया जिसमें नेपोलियन बच गया किंतु पेरिस व टयुरिन के संबंध बिगड़ गए जेल में आर्सिनी के द्वारा लिखे गए भावनात्मक पत्र के कारण नेपोलियन तृतीय शांत हो गया
इटली के एकीकरण के चरण
- लोम्बार्डी की प्राप्ति
- 1859 मे सार्डिनिया पिटमोंड को फ्रांस के सहयोग से ऑस्ट्रिया से लोम्बारडी प्राप्त होगा
- परमा, मोडेना, टस्कनी व पॉप की रियासते
- 1860 मे नेशनल सोसायटी नामक संगठन द्वारा इन क्षेत्रों में विद्रोह करवाने के बाद जनमत संग्रह द्वारा यह क्षेत्र सार्डिनिया पिटमोंड को मिले
- सिसली व नेपल्स
- 1860 मे ही गैरीबाल्डी के सहयोग से सार्डिनिया पिटमोंड को यह क्षेत्र मिले
- वेनेशिया की प्राप्ति
- 1866 मे प्रशा के सहयोग से सार्डिनिया पिटमोंड को यह क्षेत्र मिले थे
- रोम की प्राप्ति
- 1870 मे प्रशा के सहयोग से सार्डिनिया पिटमोंड को रोम प्राप्त होगा
इटली का एकीकरण का प्रथम चरण (1859)
- इस चरण में सार्डिनिया पिटमोंड को फ्रांस के सहयोग एव ऑस्ट्रिया के साथ युद्ध के द्वारा लोम्बार्डी का क्षेत्र प्राप्त होगा
प्लोम्बियर्स समझौता – जुलाई 1858
- प्लोम्बियर्स सार्डिनिया के समीप एक स्थान है
- यह समझौता कावूर व फ्रांस के नेपोलियन तृतीय के मध्य हुआ यह समझौता ऑस्ट्रिया के विरुद्ध था
- इस समझौते मे फ्रांस ने सार्डिनिया पिटमोंड व ऑस्ट्रिया के मध्य युद्ध मे सार्डिनिया पिटमोंड को सहायता देना स्वीकार किया
- इस समझौते में यह कहा गया कि ऑस्ट्रिया आक्रामक होगा तभी फ्रांस सार्डिनिया पिटमोंड को सहायता देगा
- इस समझौते में विजय के बाद सार्डिनिया पिटमोंड को लोम्बार्डी व वेनेशिया के क्षेत्र ऑस्ट्रिया से दिलाने को कहा गया
- सार्डिनिया पिटमोंड ने फ्रांस को सहायता के बदले में नीस व सेवाय के क्षेत्र देने का वचन दिया
- प्लोम्बियर्स समझौते के बाद सार्डिनिया पिटमोंड ने ऑस्ट्रिया के क्षेत्र में विद्रोह भड़काया तो ऑस्ट्रिया ने सार्डिनिया पिटमोंड पर आक्रमण कर दिया तो फ्रांस ने सार्डिनिया पिटमोंड का साथ दिया
- प्लोम्बियर्स के समझौते के बाद पिटमोंड सार्डिनिया एव ऑस्ट्रिया के मध्य निम्न युद्ध लड़े गए
- मोंटेबेला का युद्ध – 20 मई 1859
- कोलेस्टु का युद्ध – 30 मई 1859
- मेवान्टा का युद्ध – 4 जून 1859
- इन तीनो युध्दो मै ऑस्ट्रिया पराजित हुआ
- 24 जून 1859 को पिटमोंड सार्डिनिया व ऑस्ट्रिया के मध्य सालफरीनो का निर्णायक युद्ध लड़ा गया जिसमें ऑस्ट्रिया अंतिम रूप से पराजित हुआ
- अभी युद्ध चल ही रहा था कि फ्रांस ने सार्डिनिया पिटमोंड को बिना पूछे 11 जुलाई 1859 को ऑस्ट्रिया के साथ विलाफ्रेंका की विराम संधि कर ली
- यह संधि नेपोलियन तृतीय व ऑस्ट्रिया के फ्रांसीस जोसेफ के मध्य सम्पन्न हुई थी
- इस संधि के मुख्य बिंदु थे
- परमा, मोडेना व टस्कनी को पुनः स्वतंत्र बना दिया जाएगा
- लोम्बार्डी का क्षेत्र सार्डिनिया को व वेनेशिया का क्षेत्र ऑस्ट्रिया को दिया जाएगा
- पॉप के अधीन इटली का संघ बनाया जाएगा
- कावूर को इस संधि से निराशा हाथ लगी और कावूर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया
- लिप्सन ने विलाफ्रेंका की संधि के बारे में लिखा कि – “इस देश ने विजय का उल्लास का प्याला अपने होठों पर लगाया ही था कि वह गिरकर चुकनाचुर हो गया”
- इस संधि के द्वारा सार्डिनिया पिटमोंड को ऑस्ट्रिया ने लोम्बार्डी का क्षेत्र देना स्वीकार किया
ज्यूरिख की संधि (10 नवम्बर 1859)
- इस संधि के द्वारा विलाफ्रेंका की संधि की पुष्टि की गई
- इस संधि मे फ्रांस व ऑस्ट्रिया के साथ सार्डिनिया पिटमोंड भी शामिल हुआ
- ओर ज्यूरिख की संधि के साथ ही इटली के एकीकरण का प्रथम चरण पूरा हुआ था
इटली का एकीकरण का द्वितीय चरण (1860)
- इस चरण में सार्डिनिया पिटमोंड को परमा, मोडेना, टस्कनी व पॉप की रियासते रोमोग्ना, बोलोग्ना व पीएकेन्जा प्राप्त हुई
- जिस समय सार्डिनिया पिटमोंड व ऑस्ट्रिया के मध्य युद्ध चल रहा था उस समय सार्डिनिया पिटमोंड के संगठन नेशनल सोसायटी ने इन क्षेत्रों में विद्रोह भड़का दिए थे
- मार्च 1860 में जनमत संग्रह के द्वारा यह क्षेत्र सार्डिनिया पिटमोंड को मिल गए
- जनमत संग्रह के बाद सार्डिनिया पिटमोंड ने फ्रांस को नीस व सेवाय के क्षेत्र दिए
- गैरीबाल्डी ने नीस व सेवाय का क्षेत्र फ्रांस को दिए जाने का विरोध किया क्योंकि गैरीबाल्डी का जन्म नीस मे ही हुआ था
इटली का एकीकरण का तृतीय चरण (1860)
- इस चरण में सार्डिनिया पिटमोंड को सिसली व नेपल्स के क्षेत्र गैरीबाल्डी के सहयोग से प्राप्त हुए
गैरीबाल्डी (1807- 1882)
- इसका जन्म – नीस मे हुआ था
- दक्षिण अमेरिका से गैरीबाल्डी ने छापामार युद्ध पद्धति का प्रशिक्षण लिया
- गैरीबाल्डी के संगठन का नाम – लाल कुर्ती
- इसकी सेना को द थाउसेंड कहलाती थी
- गैरीबाल्डी को इटली का तलवार कहा जाता है
- लाल कुर्ती की स्थापना से पहले गैरीबाल्डी गणतंत्र का समर्थक था परंतु इस संगठन के बाद गैरीबाल्डी राजतंत्र का समर्थक बन गया
- सिसली वे नेपल्स मे पहले बुर्बो वंश के फर्डिनेन्ड का राज्य था 1860 मे यहाँ फ्रांसीस द्वितीय शासक बना यह् अयोग्य था तो जनता ने विद्रोह कर दिया जिसका नेतृत्व गैरीबाल्डी ने किया
- जून 1860 मे सिसली व सितंबर 1860 में नेपल्स पर गैरीबाल्डी का अधिकार हो गया
- गैरीबाल्डी जोश में आगे बढ़ता गया एव रोम पर आक्रमण करना चाहता था कावूर की सलाह पर विक्टर इमेन्युल ने अपनी सेना से गैरीबाल्डी को आगे बढ़ने से रोका
- कावूर लिखता है कि – “मुझे अपने देश के विदेशियों, अनिष्टकारी सिद्धान्तों (गणतंत्र) एव पागलो (गैरीबाल्डी) से बचाना है”
- गैरीबाल्डी ने सिसली व नेपल्स सार्डिनिया पिटमोंड को देना स्वीकार किया
- गैरीबाल्डी के द्वारा क्रेपिरा नामक टापू खरीदा गया
- इस चरण के बाद कावूर की 1861 मे मृत्यु हो गयी
इटली का एकीकरण का चतुर्थ चरण (1866)
- इस चरण में सार्डिनिया पिटमोंड को प्रशा के सहयोग से वेनेशिया का क्षेत्र ऑस्ट्रिया से मिला
- प्रशा के नेतृत्व में जर्मनी का एकीकरण प्रारंभ हो चुका था
- प्रशा को ऑस्ट्रिया से युद्ध लड़ना था प्रशा ने इस युद्ध मे सार्डिनिया पिटमोंड से सहयोग मांगा एव बदले में सार्डिनिया पिटमोंड को वेनेशिया का क्षेत्र दिलाने का वचन दिया
- 03 जुलाई 1866 को सेडोवा या कोनिग्राज या सात सप्ताहों का युद्ध लड़ा गया जिसमें प्रशा ने ऑस्ट्रिया को पराजित कर दिया
- 23 अगस्त 1866 को प्रशा व ऑस्ट्रिया के मध्य प्राग की संधि हुई इस संधि के द्वारा प्रशा ने ऑस्ट्रिया से वेनेशिया का क्षेत्र सार्डिनिया पिटमोंड को दिलाया
- सेडोवा के युद्ध के बारे में यह कहा जाता है कि वास्तव में इस युद्ध मे ऑस्ट्रिया की नही फ्रांस की हार हुई क्योंकि सेडोवा के युद्ध के बाद यूरोप की राजनीति में प्रशा व इटली का महत्व बढ़ गया
- प्रशा व सार्डिनिया पिटमोंड बिना फ्रांस की सहायता से आगे बढ़ रहे थे
इटली का एकीकरण का पांचवा चरण (1870)
- इस चरण में भी सार्डिनिया पिटमोंड को प्रशा के सहयोग से रोम प्राप्त होगा
- जर्मनी अपने एकीकरण के लिए प्रशा के नेतृत्व में फ्रांस से युद्ध लड़ना चाहता था
- रोम में फ्रांस की सेनाएं मौजुद थी प्रशा ने सार्डिनिया पिटमोंड को कहा कि जब मे फ्रांस पर आक्रमण करू तब तुम रोम पर अधिकार कर लेना
- 1 सिंतबर 1870 को सेडान के युद्ध मे प्रशा ने फ्रांस को पराजित कर दिया इस युद्ध के समय फ्रांस ने अपनी सेनाएं रोम से बुला ली थी जिसका फायदा उठाकर सार्डिनिया पिटमोंड ने 20 सितंबर को रोम पर अधिकार कर लिया
- 10 मई 1871 को प्रशा ने फ्रांस के साथ फ्रैंकफर्ट की संधि की
- जून 1871 में विक्टर इमेन्युल द्वितीय ने सयुंक्त इटली की संसद की बैठक रोम में हुई ओर यहाँ इटली की संसद का उदघाटन कर दिया गया
अन्य बिंदु

- वाल्टेयर के अनुसार ऑस्ट्रिया का साम्राज्य न तो रोमन था न ही पवित्र था और वास्तव में ना ही कोई साम्रज्य था
- ला ऑफ पेपल गारन्टीज – इटली की संसद के द्वारा कानून बनाकर पॉप के निवास क्षेत्र के आसपास पॉप की स्वतंत्र सत्ता स्वीकार कर ली गयी अब पॉप अपने राजदूत भी नियुक्त कर सकता था
- मेटरनिक ने कहा था कि अकेले मरने से अच्छा है कि इकट्ठा मरना चाहिए
- केटलबी ने कहा था “ इटली का एकीकरण के दौरान कावूर ने मेजिनी के आदर्श को एक प्रेरणा शक्ति के रूप में तथा गैरीबाल्डी की तलवार को एक अस्त्र के रूप में प्रयोग करके इटली के एकीकरण को यथार्थ की ओर पहुंचाने का कार्य किया
- जियोबर्ती के द्वारा डेल प्रिमोटे द सिविल इटली नामक पुस्तक की रचना की गई जिसमें इटली के लोगो को नैतिकता की जानकारी दी गयी
- मेजिनी के द्वारा द डयूटीज ऑफ मेन नामक पुस्तक की रचना की गई VD सावरकर ने इस पुस्तक का मराठी भाषा मे अनुवाद किया था