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बकरी की नस्ले एवं सामान्य जानकारी
बकरी की सामान्य जानकारी
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अन्य नाम-
- गरीब की गाय ( ग़ांधी द्वारा )
- चलता फिरता फ्रिज
- डबल ATM
- बहुमुखी पशु
- वनस्पति का शत्रु
- रनिंग डेयरी
- नेंनिज (ब्याने वाली बकरी को )
- बकरी का वैज्ञानिक नाम – कापरा हिरकस
- बकरी का कुल – बोवीडी
- बकरी में गुणसूत्र संख्या (2n) – 60
- बकरी के आवास को – पेन कहते
- बकरी के समूह को – रेवड़ कहते ह
- बकरी के मांस को – चेवन कहते है
- बकरी की प्रजनन प्रकिया को – सर्विंग कहते
- बकरी की प्रसव प्रक्रिया – किडिंग कहते
- बकरी के नवजात बच्चे को – कीड कहते
- बकरी के युवा नर को – डोई कीड कहते
- बकरी के प्रौढ़ नर को – बकरा / बक कहते है
- बंधिया कृत नर को – वेदर / बंधिया बकरा कहते है
- बंधिया करने की उपयुक्त आयु – 06 माह होती
- बकरी की प्रथम ब्यात आयु – 18 से 19 माह
- बकरी में मदचक्र – 18 से 21 दिन
- बकरी में मदकाल – 1 से 3 दिन ( 24 से 72 घण्टे )
- बकरी का गर्भकाल – 150 से 152 दिन
- बकरी में प्रजनन समय – अगस्त से जनवरी माह उपयुक्त
- बकरी ब्याने के बाद पुनः मद में आने का समय – 3 से 5 सप्ताह
- बकरी में अण्डाणु क्षरण का समय – 12 घंटे
- बकरी में श्वाश गति मापने का स्थान – थूथन
- बकरी में श्वास गति – 12 से 20 प्रति मिंट
- बकरी में तापमान मापने का स्थान – गुदा
- बकरी का सामान्य तापमान – 38.8℃ से 39.1 ℃ तक
- बकरी में नाड़ी गति मापने का स्थान – फेमोरल धमनी ( 70 से 80 प्रति मिनट )
- बकरी के शरीर एव दूध में गंध आने का कारण – केपरिक अमल के कारण
- बकरी द्वारा झाड़िया एव पत्तियां खाने को – ब्राउज़िंग या ब्रुसिंग कहते है
- बकरी की खाल को – फर कहते है जिससे मोरक्को लेदर प्राप्त की जाती है
- बकरी का दूध क्षय रोगियों के लिये उपयुक्त है
- बकरी का औसतन- दुधकाल- 284 दिन
- नागौर के वरूण गाव की बकरिया पूरे भारत मे प्रसिद्ध है
- 20वी जनगणना के अनुसार राजस्थान में बकरियाँ की संख्या – 20.84 मिलियन है
- बकरियों की संख्या में राजस्थान का भारत मे स्थान – प्रथम
- राजस्थान में मांस उत्पादन के लिये बकरी की सर्वश्रेष्ठ नस्ल – मारवाड़ी
- बीमारियों के प्रति प्रतिरोधी नस्ल – मारवाड़ी
- राजस्थान बकरी विकास एवं चारा अनुसंधान केंद्र – रामसर ( अजमेर )
- केंद्रीय बकरी अनुसंधान केंद्र – मखदूम (मथुरा)
- पश्चिमी क्षेत्रीय बकरी अनुसंधान केंद्र – अविकानगर टोंक
- राजस्थान में बकरी की छोटे आकार वाली नस्ल – सिरोही
- राजस्थान के लिये बकरी की सर्वोत्तम नस्ल – झखराना
भारतीय बकरियों की नस्लो का वर्गीकरण
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दुधारू नस्ले –
- जमुनापरी
- बारबरी
- बिटल
- झखराना
- सिरोही
- सुरती
- मेहसाणा
यह दोनों भैंस की भी नस्ले है
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मांस वाली नस्ले
- जमुनापरी
- ब्लैक बंगाल
- मारवाड़ी
- मालाबारी
- कश्मीरी
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ऊन उत्पादन वाली नस्ले
- पश्चमीना
- कश्मीरी
- चेंगु
- चेंग-थागी
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खाल वाली नस्ले
- ब्लैक बंगाल
- मालाबारी
- चेंगु
- चेंग-थागी
बकरी की नस्ले
बकरी की जमुनापरी नस्ल
- उत्पति स्थान – इटावा (उ,प,)
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अन्य नाम –
- जादुई बकरी
- मिनी बफ़ेलो ( अधिक दूध देने के कारण )
- इस नस्ल के शुद्ध पशु चकरनगर एव सहसन गाँव के समीप पाए जाते है (इटावा )
- इस नस्ल के पशु राजस्थान के हाडौती क्षेत्र में पाए जाते है
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विशेषताए
- नाक – रोमन
- कान – लटके हुए पत्ती के समान
- मुँह – तोता जैसा
- पिछले टांगों पर लंबे घने बाल होते
- भारतीय नस्लो में सबसे लंबा दुधकाल होता है
- भरतीय नस्लो में सबसे भारी एव सबसे लम्बी होती है
- भारतीय ग्रामीण कठोर क्षेत्रों में पालने के लिये उपयुक्त है
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उपयोगिता –
- भारतीय नस्लो में सर्वाधिक दूध देने वाली होती है
- भारतीय नस्लो में दूध में सर्वाधिक वसा होती है
- दूध उत्पादन = 360 से 544 kg प्रति ब्यात होता
बकरी की नस्ल – बारबरी
- उत्पति स्थान – अफ्रीका के ब्रिटिश सोमनिया का बारबरा क्षेत्र
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विशेषताए
- कान – छोटे एवं हरिण जैसे
- सींग – सीधे होते
- शहरों में बांधकर पालने के लिये उपयुक्त नस्ल
- शरीर – त्रिकोणाकार होता
- 12 से 15 माह में 02 बार ब्याति है तथा प्रतेयक बार 2 बच्चों को जन्म देती है
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उपयोगिता
- शहरी बकरी है
- शहरी क्षेत्र की कामधेनु है
यह उत्तरप्रदेश के एटा, मथुरा एवं आगरा में पाई जाती है
बकरी की नस्ल – बीटल
- उत्पति स्थान – गुरदासपुर, रावी नदी (पंजाब)
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विशेषताए
- नाक – रोमन
- मुख – तोता दिखावटी
- रंग – काला कत्थई
- इस नस्ल के बकरो में दाढ़ी पाई जाती है
- कान लंबे होते
- सींग – अंदर एवं बाहर घुमावदार होते
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उपयोगिता
- प्रतिदिन 1.8 लीटर दूध औसतन
- दुधकाल – 177 दिन
आधिकतम दूध प्रतिदिन 5.2 kg एक बार दिया
बकरी की नस्ल – जखराना
- उत्पति स्थान – झखराना गाँव, बहरोड़
- विशेषताए
- रंग- काला
- कान पर सफेद धब्बे होते
- आकार में लम्बी होती
- बीटल के समान दिखाई देने वाली नस्ल
- जल्दी वृद्धि करने वाली नस्ल
- उपयोगिता
- प्रतिदिन औसतन दूध 3kg
- दुधकाल 180-200 दिन
बकरी की नस्ल – सिरोही
- उत्पति स्थान – सिरोही
- विशेषतायें –
- पीठ में झोल होता है
- शरीर – छोटे आकार का होता है
- पूंछ- मुड़ी हुई एवं छोटी
- आय की दृष्टि से उपयुक्त नस्ल
- उपयोगिता
- प्रतिदिन 1 से 1.5 लीटर दूध देती
- दुधकाल 120 दिन
- द्विप्रयोजनी नस्ल है
बकरियों की प्रमुख विदेशी नस्ले
बकरी की विदेशी नस्ल – टोगनबर्ग
- उत्पति स्थान – स्विट्जरलैंड
- अन्य नाम – मोड़ी, मिल्क चेम्पियन
- विशेषतायें –
- सींग रहित नस्ल
- कान छोटे एवं सीधे
- रंग – चॉकलेटी
- चहरे के दोनों तरफ कानो से थूथन तक हल्के भूरे रंग या सफेद रंग की पट्टी होती है
- बाल चिकने होते
- पिछले हिस्से में लम्बे घने बाल होते
- पूंछ की साइड जांघो के अंदर की तरफ घुटनो से नीचे पैर सफेद होते है
- उपयोगिता
- 5 से 6 लीटर दूध प्रतिदिन
- दुधकाल 305 दिन
- विश्व मे सर्वाधिक दूध देने वाली नस्ल [भारतीय नस्लो में सर्वाधिक दूध – जमनापरी ]
- लगातार 2 वर्षो तक दूध देने वाली नस्ल
बकरी की विदेशी नस्ल – सानेन
- उत्पति स्थान – स्विट्जरलैंड
- अन्य नाम – दूध की रानी
- विशेषतायें
- रंग – पीला (हल्का )
- मुख के नीचे दाढ़ी के रूप में बालों का गुच्छा पाया जाता है
- उपयोगिता – 3.2 लीटर दूध प्रतिदिन
बकरी की विदेशी नस्ल – एल्पाइन
- उत्पत्ति स्थान – ऑस्ट्रिया, फ़्रांस
- दुधकाल – 250 से 280 दिन
बकरी की विदेशी नस्ल – अग्लोन्युबियन
- उत्पति स्थान – स्विट्जरलैंड
- इसे जर्सी गाय के नाम से भी जाना जाता है
- क्रॉस = जमनापरि (मादा) × न्यूबीन (नर)
बकरी की विदेशी नस्ल – अंगोरा
- उत्पति स्थान – तुर्की
- इस नस्ल से मोहयर नामक उन बनाई जाती
- भेड़ की तरह दिखने वाली बकरी की नस्ल है
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