राजस्थान में किसान आंदोलन || Rajasthan Kisan Andolan Notes – 2024

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Contents
बिजोलिया किसान आंदोलनबिजौलिया किसान आंदोलन के कारण      तीसरा चरण – (1923 – 1941 ई)IMP●बिजौलिया किसान आंदोलन का महत्वबेंगू किसान आंदोलनगोविंदपुरा हत्याकांडबूंदी / बरड़ किसान आंदोलनडाबी हत्याकांड – 02 अप्रैल 1923 ईहिंडोली सम्मेलन – 5 oct 1936अलवर किसान आंदोलननिमुचड़ा हत्याकांडमेव किसान आंदोलनशेखावाटी किसान आंदोलनजाट प्रजापति महायज्ञ – मास्टर प्यारेलालकटराथल सम्मेलनकुंदन हत्याकांडजयसिंहपुरा हत्याकांड – झुंझुनूंमेवाड़ के खालसा क्षेत्र का किसान आंदोलनपोडोली सम्मेलनमातृकुण्डिया सम्मेलनराजस्थान में किसान आंदोलन के कारण – राजस्थान में किसान आंदोलन के प्रभाव – राजस्थान में किसान आंदोलन की विशेषताएं

इन सब जानकारियों को हमने कवर किया है जिसे आप आसानी से पढ़ सकते हो

राजस्थान में किसान आंदोलन –

बिजोलिया किसान आंदोलन

बिजोलिया किसान आंदोलन
  • बिजौलिया मेवाड़ रियासत का प्रथम श्रेणी का ठिकाना था
  • राणा सांगा ने अशोक परमार को बिजौलिया का ठिकाना दिया था
  • अशोक परमार ने खानवा के युद्ध में भाग लिया

बिजौलिया किसान आंदोलन के कारण

  1. 84 प्रकार के कर
  2. अधिक भूराजस्व
  3. लाटा कुंता व्यवस्था
  4. बेगार (जबरदस्ती श्रम)
  5. चँवरी कर – 1903 ई में कृष्णसिंह ने यह कर लगाया था यह कर किसानों से उनकी लड़कियों की शादी के समय लेते थे
  6. तलवार बंधाई कर – यह कर नए सामन्त द्वारा राजा को दिया जाता था लेकिन 1906 ई में पृथ्वी सिंह ने किसानों पर यह कर लगा दिया
  • बिजोलिया किसान आंदोलन को 3 चरणों मे बांटा जाता है
  1. प्रथम चरण – (1897 से 1914 ई )
  • धाकड़ किसानो द्वारा गिरधरपूरा नामक गाँव से आंदोलन शुरू किया गया
  • साधु सिताराम दास के कहने पर नानजी एवं थाकरी पटेल को किसानों की समस्याए लेकर मेवाड़ के महाराणा फतेह सिंह से मिले 
  • मेवाड़ महाराणा ने हामिद नामक जांच अधिकारी नियुक्त किया
  • प्रथम चरण में किसानों को अधिक सफलता नही मिली थी
  • तथा स्थानीय नेताओं ने आंदोलन चलाया
  • प्रेमचंद भील
  • फतेहकरण चरण
  • ब्रह्मदेव
  1. द्वितीय चरण (1915 – 1923 ई)
  • साधु सिताराम दास के कहने पर विजय सिंह पथिक आंदोलन से जुड़े थे
  • उपरमाल पँचबोर्ड का गठन 
  1. संस्थापक – विजयसिंह पथिक
  2. स्थापना – 1917 ई (हरियाली अमावस्या)
  3. स्थान – बेरीसाल
  4. अध्यक्ष – मन्ना पटेल
  • पथिक जी ने उपरमाल सेवा समिति की स्थापना की थी
  • उपरमाल का डंका नामक पर्चा प्रकाशित किया
  • पथिक जी की प्रेरणा से माणिक्यलाल वर्मा आंदोलन से जुड़ते है
  • यह बिजोलिया ठिकाने में कार्य करते थे
  • बिजोलिया ठिकाने ने 2 जांच आयोग का गठन किया 
  1. प्रथम – 1919 
  • सदस्य बिंदुलाल भट्टाचार्य
  • अमर सिंह
  • अफजल अली
  1. दूसरा – 1920
  • राजसिंह बेदला
  • तख्तसिंह मेहता
  • रामकांत मालवीय
  • 1922 में अंग्रेजो के हस्तक्षेप के कारण रियासत ने किसानों के साथ समझौते किया
  • रियासती सदस्य – रोबर्ट हॉलैंड (AGG)
  • विल्किन्स (PA)
  • आगल्वी (AGG का सचिव )
  • प्रभासचन्द्र चटर्जी
  • बिहारीलाल
  • किसान सदस्य – मोतीलाल
  • नारायण पटेल
  • रामनारायण चौधरी
  • मणिक्यलाल वर्मा
  • किसानों के 35 कर माफ कर दिए
  • बिजोलिया के सामन्त ने इस समझौते को स्वीकार नही किया

      तीसरा चरण – (1923 – 1941 ई)

  • भूमि बंदोबस्त अधिकारी ट्रेंच ने असिंचित भूमि पर कर बढ़ा दिए
  • पथिक जी के कहने पर किसानों ने अपनी असिंचित भूमि सामन्त को वापस लौटा दी
  • तथा सामन्त ने इस भूमि को जब्त कर लिया
  • 1927 में विजयसिंह पथिक आंदोलन से अलग हो गए
  • गांधी जी ने आंदोलन के नेतृत्व के लिए जमनालाल बजाज को भेजा
  • बजाज ने हरिभाऊ उपाधयाय को आंदोलन का नेता नियुक्त किया
  • 1941 में मेवाड़ के प्रधानमंत्री V राघवाचारी एव राजस्व मंत्री मोहनसिंह मेहता ने किसानों के साथ समझौता करवाया
  • तथा किसानों की जब्त जमीने वापस उन्हें दे दी गयी

IMP●

  • 1919 के कांग्रेस के अमृतसर अधिवेशन में तिलक ने बिजोलिया आंदोलन के पक्ष में एक प्रस्ताव रखा किंतु गांधी ने विरोध किया
  • तिलक ने अपने मराठा समाचार पत्र में बिजोलिया आंदोलन के पक्ष में लेख लिखा
  • तिलक तथा गांधी जी मेवाड़ महाराणा फतेहसिंह को पत्र लिखे
  • 1920 ई के कोंग्रेस के नागपुर अधिवेशन में किसानों (गोकुल जी, कालू जी, नन्दलाल जी ) ने एक प्रदर्शनी का आयोजन किया
  • इसी अधिवेशन में गांधी जी ने आंदोलन को अपना नैतिक समर्थन दिया 
  • प्रेमचंद जी का रंगभूमि उपन्यास बिजोलिया आंदोलन पर आधारित है
  • मणिक्यलाल वर्मा ने अपने पंछिड़ा गीत के माध्यम से किसानों को प्रोत्साहित किया
  • विजयसिंह पथिक का गीत – पीड़ितों का पंछिङा
  • भंवरलाल जी ने भी गीतों से किसानों को प्रोत्साहित किया था
  • गणेश शंकर विद्यार्थी अपने प्रताप समाचार पत्र में आंदोलन की खबरे छापते थे
  • यह एक साप्ताहिक समाचार पत्र था
  • यह कानपुर से प्रकाशित होता था
  • पथिक जी ने गणेशशंकर विद्यार्थि को चांदी की राखी भेजी थी

बिजौलिया किसान आंदोलन का महत्व

  • यह राजस्थान का प्रथम संगठित आंदोलन था
  • यह विश्व का सबसे लम्बा अहिंसक आंदोलन था ( 44 वर्षो )
  • यह आंदोलन राजस्थान के अन्य किसान आंदोलनो को प्रेरणा दी जैसे बेंगू, बूंदी …
  • इस आंदोलन ने राजस्थान को राष्ट्रीय आंदोलन से जोड़ा था
  • इस आंदोलन के दौरान किसानों ने बाहर से किसी भी प्रकार का चंदा ग्रहण नही किया
  • किसानों में राजनैतिक चेतना का संचार हुआ
  • आंदोलन में महिलाओं ने भी बढ़ चढ़कर भाग लिया
  • आंदोलन को राजस्थान सेवा संघ का सहयोग प्राप्त हुआ
  • आंदोलन रूस की बोल्शेविक क्रान्ति से प्रभावित था

बेंगू किसान आंदोलन

  • बेंगू मेवाड़ रियासत का प्रथम श्रेणी का ठिकाना था
  • 1921 ई में धाकड़ किसानों ने मेनाल के भेरुकुण्ड स्थान से आंदोलन प्रारंभ किया
  • नेता – रामनारायण चौधरी
  • कारण – 53 प्रकार के कर
  • अधिक भूराजस्व
  • लाटा कुंता व्यवस्था
  • बेगार प्रथा
  • 1922 ई में अजमेर में विजयसिंह पथिक ने बेंगू के सामन्त अनूपसिंह चूडावत तथा किसानों के मध्य एक समझौता करवाया
  • मेवाड़ रियासत ने इस समझौते को स्वीकार नही किया
  • तथा ट्रेंच ने इसे बोल्शेविक समझौता कहा

गोविंदपुरा हत्याकांड

  • तारीख – 13 जुलाई 1923
  • ट्रेंच ने किसानों की सभा पर फायरिंग की
  • तथा इसमे 2 किसान शहीद हो गए
  • रूपा जी धाकड़
  • कृपा जी धाकड़
  • 10 सितम्बर 1923 को विजयसिंह पथिक को गिरफ्तार किया गया

बूंदी / बरड़ किसान आंदोलन

  • यह आंदोलन बूंदी के खालसा क्षेत्र में गुर्जर किसानों के द्वारा आंदोलन किया गया
  • कारण – 25 प्रकार के कर
  • अधिक भूराजस्व
  • लाटा कुंता व्यवस्था
  • बेगार
  • भ्रष्टाचार
  • युद्ध कर
  • चराई कर
  • 1920 ई में साधु सीताराम दास ने डाबी किसान पंचायत की स्थापना की
  • हरला भड़क को इसका अध्यक्ष बनाया गया
  • किसानों ने सरकारी न्यायालयों का बहिष्कार किया तथा सरकारी चरागाह पर अधिकार कर लिया तथा गांवों में पंचायतों की स्थापना की  जैसे – बरड़, बरुंगन, गरदड़ा किसान पंचायत
  • नेता – नयनुराम शर्मा (राजस्थान सेवा संघ के सदस्य
  • नारायण सिंह
  • भवरलाल सुनार

डाबी हत्याकांड – 02 अप्रैल 1923 ई

  • पुलिस अधिकारी इकराम हुसैन ने किसानों की सभा पर फायरिंग की तथा इसमे 2 किसान शहीद हो गए
  • नानक जी भील
  • देवीलाल गूर्जर
  • नानक जी भील झंडा गीत गा रहे थे
  • इनकी याद में माणिक्यलाल वर्मा ने अर्जी नामक गीत लिखा
  • हत्याकांड की जांच के लिए एक आयोग का गठन किया गया
  • जिसके सदस्य – पृथ्वीसिंह
  • रामप्रताप
  • भेरूलाल
  • 1927 ई में राजस्थान सेवा संघ के बंद होने के करण बूंदी किसान आंदोलन समाप्त हो गया
  • इस आंदोलन में महिलाओं की एक बड़ी भागीदारी देखने को मिली थी
  • 1936 ई में इस आंदोलन का दूसरा चरण प्रारंभ होता है लेकिन दूसरे चरण के दौरान यह आंदोलन सामाजिक सुधारो की तरफ़ मुड़ गया

हिंडोली सम्मेलन – 5 oct 1936

  • हुन्डेश्वर मंदिर में यह सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें 500 गुर्जर एवं मीणा किसानों ने भाग लिया

अलवर किसान आंदोलन

  • खालसा क्षेत्र (बानसूर एवं थानागाजी) के राजपूत किसानों द्वारा आंदोलन किया गया था
  • कारण – 
  • 1924 में राजपूत तथा ब्राह्मण किसानों पर 40% कर बढ़ा दिए गए
  • जंगली सुअरों की समस्या
  • नेता – गंगासिंह
  • माधोसिंह
  • गोविंद सिंह
  • अमर सिंह
  • अखिल भारतीय क्षेत्रीय महासभा ने इस आंदोलन को समर्थन दिया था
  • किसानों ने पुकार नामक पर्चा प्रकाशित किया

निमुचड़ा हत्याकांड

  • 14 मई 1925
  • पुलिस अधिकारी छज्जू सिंह ने किसानों पर फायरिंग कर दी तथा 156 किसान शहीद हो गए
  • गांधी जी ने अपने समाचार पत्र – यंग इंडिया में इसे दोहरी डायरशाही कहा था
  • रियासत समाचार पत्र ने निमुचड़ा हत्यकांड की तुलना जलियावाला बाग हत्याकांड से की थी
  • तरुण राजस्थान समाचार पत्र ने इस घटना को सचित्र प्रकाशित किया (31 मई 1925 ई)

मेव किसान आंदोलन

  • अलवर के खालसा क्षेत्र (रामगढ़, लक्षमणगढ़, किशनगढ़, तिजारा ) में मेव किसानों द्वारा यह आंदोलन किया गया
  • कारण –
  • अधिक भूराजस्व
  • जंगली सुअरों की समस्या
  • मुसलमानों को अधिक सरकारी नोकरिया दी जानी चाहिए
  • उर्दू भाषा को बढ़ावा दिया जाना चाहिए
  • मस्जिदों से सरकारी नियंत्रण समाप्त किया जाना चाहिए
  •  नेता – यासीन खान
  • सैय्यद भीक नारंग
  • मोहम्मद अली
  • इस आंदोलन को कई संगठनों ने अपना समर्थन दिया
  1.  अंजुमन-ए-खादिम-उल-इस्लाम
  2. जमीयत-ए-तबलीग-उल-इस्लाम
  • महाराजा जयसिंह ने एक जांच आयोग का गठन किया गया
  • जिसके सदस्य – दुर्जन सिंह
  • गणेशी लाल
  • गजनाफ़र अली
  • यासीन खान के कहने पर किसानों ने जांच आयोग का बहिष्कार कर दिया गया
  • यह आंदोलन साम्प्रदायिक एव हिंसक हो गया
  • अतः 1933 में तिजारा में साम्प्रदायिक दंगे हो गए तथा अंग्रेजो ने जयसिंह को हटा दिया

शेखावाटी किसान आंदोलन

  • सीकर – अर्धस्वायत राज्य
  • पँचपाने – मंडावा, बिसाऊ, नवलगढ़, डूंडलोद, मलसीसर
  • शेखावाटी क्षेत्र में कच्छवाह वंश की शेखावत शाखा का शासन था
  • 1922 ई में सीकर के सामन्त कल्याण सिंह ने करो में बढ़ोतरी कर दी
  • अतः इसके खिलाफ जाट किसानों ने रामनारायण चौधरी के नेतृत्व में आंदोलन प्रारंभ किया
  • रामनारायण चौधरी के सीकर प्रवेश पर पाबंदी लगा दी थी
  • तरुण राजस्थान समाचार पत्र को भी प्रतिबंधित कर दिया गया
  • ब्रिटेन के हॉउस ऑफ कॉमन्स में पथिक लॉरेंस ने आंदोलन की चर्चा की थी
  • लन्दन के डेली हेराल्ड समाचार पत्र में भी आंदोलन की खबरे प्रकाशित हुई 
  • भरतपुर के किसान नेता ठाकुर देशराज ने आंदोलन का नेतृत्व किया
  • 1931 ई में जाट क्षेत्रीय महासभा के गठन किया इसका प्रथम अधिवेशन 1933 ई में पलथाना (सीकर) में किया गया

जाट प्रजापति महायज्ञ – 

  • 20 जनवरी 1934 ई को
  • बसन्त पंचमी के दिन ठाकुर देशराज ने इसका आयोजन करवाया
  • पुरोहित – खेमराज शर्मा
  • यजमान – कुंवर हुकुम सिंह
  • 15 मार्च 1935 ई को रतनसिंह एवं सर छोटूराम चौधरी की मध्यस्थता से किसानों के साथ समझौता कर लिया था
  • नेता – सरदार हरलाल सिंह
  • नेतराम सिंह गौरीर
  • पन्ने सिंह
  • मास्टर चन्द्रभान
  • नरोत्तम लाल जोशी
  • सरदार हरलाल सिंह ने झुंझुनूं में विद्यार्थी भवन की स्थापना की थी
  • यह भवन किसान आंदोलन की गतिविधियों का मुख्य केंद्र था

NOTE – नरतोम लाल जोशी ने शेखावाटी में जकात आंदोलन चलाया

NOTE – नरोत्तम लाल जोशी राजस्थान विधानसभा के पहले अध्यक्ष थे

मास्टर प्यारेलाल

  • इन्होंने चिडावा में अमर सेवा समिति का गठन किया था
  • तथा शेखावाटी क्षेत्र में राजनैतिक चेतना का संचार किया था
  • इन्होंने गाँधी के असहयोग आंदोलन में भाग लिया था
  • इन्हें चिड़ावा का गांधी कहते है

कटराथल सम्मेलन

  • 25 अप्रेल 1934
  • इसमे 10 हजार से अधिक महिलाओं ने भी भाग लिया था
  • कारण – सिहोट के सामन्त मानसिंह ने सेतिया का बास नामक स्थान पर महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया 
  • अध्यक्षता – किशोरी देवी
  • मुख़्य वक्ता – उत्तमा देवी

कुंदन हत्याकांड

  • 25 अप्रैल 1935
  • धापी देवी महिला के कहने पर किसानों ने कर देने से इनकार कर दिया था
  • कैप्टन वेब ने किसानों पर फायरिंग कर देता है
  • तथा इसमे 4 किसान शहीद हो जाते है
  • चेतराम
  • टीकूराम
  • तुलछाराम
  • आशाराम
  • ब्रिटिश हॉउस ऑफ कोमन्स में इस हत्याकांड की चर्चा हुई थी

जयसिंहपुरा हत्याकांड – झुंझुनूं

  • 21 जून 1934 ई
  • यह राजस्थान का पहला किसान आंदोलन था जिसमे किसानों के हत्यारों को सजा मिली

मेवाड़ के खालसा क्षेत्र का किसान आंदोलन

  • यह आंदोलन जाट किसानों द्वारा किया गया
  • अप्रैल 1921 ई में उदयपुर से यह आंदोलन प्रारंभ हुआ था

पोडोली सम्मेलन

  • दिसम्बर 1921 ई
  • निर्णय – इसे बिजोलिया की तरह चलायेंगे
  • अगला सम्मेलन मातृकुण्डिया (चितौड़) में होगा

NOTE – मातृकुण्डिया को राजस्थान का हरिद्वार कहते है

मातृकुण्डिया सम्मेलन

  • मई 1922 ई
  • इस सम्मेलन में रियायत ने किसानों की मांगे मान ली थी
  • तथा किसानों को अफीम की खेती का मुआवजा दे दिया गया

राजस्थान में किसान आंदोलन के कारण – 

  • अंग्रेजी प्रभाव के कारण राजाओ का प्रजा के प्रति उदार स्वरूप बदल गया था
  • अंग्रेजी सुरक्षा के कारण राजा तथा सामन्तो की किसानों पर निर्भरता समाप्त हो गयी थी
  • अंग्रेजी सरंक्षण के कारण राजाओ की विलासिता में वृद्धि हुई अतः राजाओ ने नए नए कर लगाना प्रारंभ कर दिया जिससे किसानों का शोषण हुआ
  • जागीरी क्षेत्रों में भूमि बंदोबस्त नही करवाये गए
  • खालसा क्षेत्रों में भूराजस्व नकदी में लिया जाता था अतः किसान साहूकारों के चंगुल में फंस गए
  • अंग्रेजी नीतियों के कारण उद्योग तथा व्यापार वाणिज्य समाप्त हो गए अतः मजदूरों का कृषी की तरफ विस्थापन हुआ जिससे कृषी पर भार बढ़ गया
  • अंग्रेजी शासन के बाद हमारी अर्थव्यवस्था विश्व अर्थव्यवस्था से जुड़ गई तथा विश्व अर्थव्यवस्था में उतार चढाव स हमारे किसान प्रभावित हुये थे
  • अन्य कारण – अफीम की खेती
  • जंगली सुअरो की समस्या
  • प्रथम विश्व युद्ध
  • जकात की समस्या
  • बेगार

राजस्थान में किसान आंदोलन के प्रभाव – 

  • किसानों को भूमि पर उनके अधिकार प्राप्त हुए तथा जागीरदारी व्यवस्था का उन्मूलन हुआ
  • छोटे छोटे नगर किसान आंदोलन के केंद्र थे जिससे राजस्थान में नगरीय राष्ट्रवाद का उदय हुआ
  • महिलाओं ने किसान आन्दोलनों में बढ़ चढ़कर भाग लिया जिससे महिला शक्तिकरण को बढ़ावा मिला
  • किसानों में राजनैतिक चेतना का संचार हुआ अतः राजस्थान में प्रजामण्डल आंदोलन शुरू हुआ
  • किसान आंदोलनो के कारण राजस्थान का राष्ट्रीय आंदोलन से सम्पर्क स्थापित हुआ
  • किसान आंदोलनो के दौरान समाचार पत्रों का प्रकाशन किया गया जिसेंसे अभिव्यक्ति की आजादी का विकास हुआ
  • इन आंदोलनों के दौरान किसानों का राजनीति में प्रवेश प्रारंभ हुआ जिससे आगे चलकर राजस्थान की राजनीति को प्रभावित किया था

राजस्थान में किसान आंदोलन की विशेषताएं

  • हमारे अधिकांश किसान आंदोलन जागीरी क्षेत्रों में हुए क्योंकि जागीरी क्षेत्रों में किसानों पर तिहरा नियंत्रण होता था (अंग्रेज-राजा-सामन्त)
  • हमारे किसान आंदोलन जातीय पंचायतों द्वारा चलाये गए जैसे – धाकड़ किसान पंचायत
  • जाट क्षेत्रीय महासभा
  • हमारे किसान आंदोलनो में पूंजीपतियों ने भी मुख्य भूमिका निभाई जैसे – रामनारायण चौधरी, जमनलाल बजाज
  • हमारे किसान आंदोलन अहिंसक तरीके से किये गए थे अपवाद – मेव किसान आंदोलन
  • हमारे किसान आंदोलनों में आर्य समाज ने मुख्य भूमिका निभाई थी जैसे – शेखावाटी किसान आंदोलन
  • हमारे किसान आंदोलनो को प्रजामण्डलो का समर्थन प्राप्त हुआ
  • हमारे किसान आंदोलनो में आर्थिक के साथ साथ सामाजिक एवं राजनैतिक असमानता का भी विरोध किया गया
  • हमारे किसान आंदोलनो में राजनैतिक संगठनों ने मुख्य भूमिका निभाई जैसे – राजस्थान सेवा संघ और राजपुताना मध्य भारत सभा

राजस्थान के किसान आंदोलन से पूछे गए 10 पुराने प्रश्न

  1. 1903 ई में चवरी कर किसने लगाया था ?
  • उत्तर – कृष्णसिंह
  1. निमुचना हत्याकांड किस रियासत में हुआ था 
  • उत्तर – अलवर रियासत
  1. शेखावाटी किसान आंदोलन 1947 ई में किसके प्रयासों से समाप्त हुआ था ?
  • उत्तर – हीरालाल शास्त्री
  1. 1932 ई में राजस्थान का मेव किसान आंदोलन किसके नेतृत्व में प्रारंभ हुआ ?
  • उत्तर – मोहम्मद हादी
  1. बिजोलिया किसान आंदोलन के प्रेणता थे ?
  • उत्तर – विजयसिंह पथिक
  1. रूपा जी एवं कृपा जी धाकड़ किस किसान आंदोलन में शहीद हुए
  • उत्तर – बेंगू
  1. किसान पंचायत जिसकी स्थापना 1916-17ई में हुई किस आंदोलन से संबंधित थे
  • उत्तर – बिजोलिया
  1. दुधवा खारा किसान आंदोलन किस रियासत से संबंधित है ?
  • उत्तर – बीकानेर
  1. शेखावाटी में जाट आंदोलन किस वर्ष हुआ था
  • उत्तर – 1925 ई
  1. ट्रेंच कमिशन किस आंदोलन से संबंधित है ?
  • उत्तर – बेंगू किसान आंदोलन

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